गांधी जयंती 2025: अहिंसा का उत्सव और सत्य की प्रेरणा! 156th Mahatma Gandhi Birth Anniversary 2025 (October 2) | Gandhi Jayanti Thu, 2 Oct, 2025 | Gandhi Jayanti Date of | Gandhi Jayanti Poster | Gandhi Jayanti Quotes | Gandhi Jayanti Drawing | Gandhi Jayanti In Hindi | Gandhi Jayanti Wishes | 2 October Gandhi Jayanti
Gandhi Jayanti Thu, 2 Oct, 2025: नमस्कार पाठकों! आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे महापर्व की जो न केवल भारत की आत्मा को छूता है बल्कि पूरी दुनिया को शांति, सत्य और सेवा का संदेश देता है। 2 अक्टूबर 2025 को गुरुवार के दिन मनाई जाने वाली Gandhi Jayanti 2025, महात्मा गांधी की 156वीं जयंती है। यह दिन स्वच्छता, सत्य और सेवा का प्रतीक है, जहां हम बापू के आदर्शों को याद करते हैं और उन्हें अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लेते हैं। इस ब्लॉग में हम गांधी जयंती के हर पहलू को सरल भाषा में कवर करेंगे, जिसमें उनके जीवन, सिद्धांत, उत्सव, ऐतिहासिक महत्व और वर्तमान प्रासंगिकता शामिल है। हम प्रदान की गई जानकारी को सटीक रूप से रीवाइट करेंगे और कुछ अतिरिक्त तथ्यों को जोड़कर इसे और समृद्ध बनाएंगे। BIOGRAPHY OF MAHATMA GANDHI
गांधी जयंती कौन थे?
गांधी जयंती भारत में एक राष्ट्रीय अवकाश है, जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेता और अहिंसा के दर्शन के अग्रदूत महात्मा गांधी के जन्मदिन के सम्मान में 2 अक्टूबर को प्रतिवर्ष मनाया जाता है। यह भारत के तीन प्रमुख राष्ट्रीय अवकाशों में से एक है। 2007 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में घोषित किया, जो गांधी जी के वैश्विक प्रभाव को दर्शाता है। सुभाष चंद्र बोस द्वारा “राष्ट्रपिता” के रूप में संदर्भित, गांधी के अहिंसक प्रतिरोध के सिद्धांतों ने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से भारत की स्वतंत्रता के सफल संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इस दिन पूरे देश में सार्वजनिक और बैंक अवकाश रहता है। शैक्षणिक संस्थान बंद रहते हैं और गांधी जी को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। 1947 में अंग्रेजों से भारत को मिली आजादी की लड़ाई में उनके नेतृत्व के लिए उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ माना जाता है। देश भर के स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी कार्यालयों के साथ-साथ सामाजिक, राजनीतिक और निजी संगठनों में गांधी जी को श्रद्धांजलि दी जाती है। इस अवसर पर प्रार्थना सभाएं, उनके प्रिय ‘रघुपति राघव राजा राम’ सहित भक्ति गीत, पुरस्कार वितरण और रैलियां आयोजित की जाती हैं।
2025 में, यह दिन गुरुवार को पड़ रहा है, और इस वर्ष बढ़ती सामाजिक असमानताओं, पर्यावरणीय संकटों और अंतर्राष्ट्रीय संघर्षों के संदर्भ में गांधी जी के सिद्धांतों पर विशेष जोर दिया जा रहा है। राष्ट्रव्यापी स्तर पर स्कूल, कॉलेज और सरकारी संस्थाएं शांति और समावेशी विकास के उनके संदेश को प्रचारित करने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम, वाद-विवाद, स्वच्छता अभियान और राजघाट पर श्रद्धांजलि सभाएं आयोजित करती हैं। संयुक्त राष्ट्र इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाता है, जो गांधी जी के न्याय, नैतिक नेतृत्व और सद्भाव के मूल्यों को पुष्ट करता है। सेवा पखवाड़ा और सामुदायिक शिखर सम्मेलनों सहित हाल की सरकारी पहलें समकालीन भारत में गांधी जी के सतत प्रभाव को रेखांकित करती हैं।
गांधी जयंती को “स्वच्छता, सत्य और सेवा का महापर्व” कहना उचित है क्योंकि यह दिन न केवल सत्य और अहिंसा का उत्सव है बल्कि स्वच्छ भारत मिशन जैसी पहलों से जुड़ा है, जो 2014 में इसी दिन शुरू हुआ था। इसका दूसरा चरण 2021 में शुरू हुआ, और 2025 में यह और मजबूत होगा।
महात्मा गांधी कौन थे?
महात्मा गांधी, जिनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को मोहनदास करमचंद गांधी के रूप में पोरबंदर, गुजरात में हुआ था, एक भारतीय वकील, सामाजिक कार्यकर्ता और नेता थे। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। “राष्ट्रपिता” के रूप में विख्यात, गांधी जी ने सत्याग्रह नामक अहिंसक प्रतिरोध के दर्शन और व्यवहार का बीड़ा उठाया, जो औपनिवेशिक उत्पीड़न के विरुद्ध एक शक्तिशाली हथियार बन गया।
गांधी जी की विचारधारा सत्य, अहिंसा, स्वराज, ग्रामीण विकास, सामाजिक समानता और जीवन में सादगी पर बल देती है। उन्होंने चंपारण और खेड़ा आंदोलन, असहयोग आंदोलन, दांडी मार्च और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे महत्वपूर्ण आंदोलनों का नेतृत्व किया। स्वतंत्रता के अलावा, उन्होंने हाशिए पर पड़े लोगों के उत्थान, सांप्रदायिक सद्भाव और आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए काम किया। उनके सिद्धांत आज भी वैश्विक शांति और न्याय आंदोलनों को प्रेरित करते हैं। 2 अक्टूबर 2025 को उनकी 156वीं जयंती नैतिकता, शांति और समावेशिता के साथ समकालीन चुनौतियों का समाधान करने में उनकी शिक्षाओं की प्रासंगिकता की पुष्टि करती है।
गांधी जी बचपन से ही सच्चाई और ईमानदार थे। उन्होंने अपने जीवन में सादगी, सेवा भाव और त्याग को अपनाया। उनका मानना था कि बड़े बदलाव के लिए अहिंसा और सत्याग्रह सबसे प्रभावी हथियार हैं। उन्होंने अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों के जरिए देश को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अतिरिक्त जानकारी के रूप में, गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए नस्लीय भेदभाव का सामना किया, जो उनके सत्याग्रह की शुरुआत का कारण बना।
गांधी जयंती का ऐतिहासिक महत्व
2 अक्टूबर 2025 को मनाई जाने वाली 156वीं महात्मा गांधी जयंती भारत की स्वतंत्रता संग्राम और वैश्विक शांति आंदोलन के एक महानायक की स्मृति को दर्शाती है। ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध अहिंसक संघर्ष में गांधी जी के नेतृत्व ने सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा के माध्यम से राजनीतिक प्रतिरोध में एक नई क्रांति को जन्म दिया, जिससे भारत और दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रेरणा मिली।
आत्मनिर्भरता (स्वराज), ग्रामीण उत्थान और सामाजिक सुधार पर उनके जोर ने विभिन्न वर्गों को उत्पीड़न के विरुद्ध एकजुट किया। यह दिन राष्ट्रपिता के रूप में उनकी भूमिका का स्मरण करता है और एक स्वतंत्र, न्यायपूर्ण और समतामूलक समाज के उनके दृष्टिकोण का उत्सव मनाता है। गांधी जयंती राजनीति से परे उनके योगदानों को भी दर्शाती है, जैसे कि सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देना, हाशिए पर पड़े लोगों का उत्थान करना और नैतिक जीवन शैली का मार्ग प्रशस्त करना।
ऐतिहासिक रूप से, यह हिंसक क्रांतियों के विपरीत, शांतिपूर्ण तरीकों से भारत की विजय का प्रतीक है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाने वाला यह 156वां दिवस लोकतांत्रिक मूल्यों, मानवाधिकारों और वैश्विक शांति को आकार देने में गांधी के दर्शन की स्थायी विरासत पर प्रकाश डालता है, जिससे यह दिन सामाजिक परिवर्तन में अहिंसा और सत्य की शक्ति का एक महत्वपूर्ण अनुस्मारक बन जाता है।
अतिरिक्त रूप से, गांधी जयंती का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह लाल बहादुर शास्त्री जयंती के साथ मनाया जाता है, जो किसानों और सादगी के प्रतीक थे।
महात्मा गांधी के मूल सिद्धांत
महात्मा गांधी के मूल सिद्धांतों ने उनके जीवन और भारत के स्वतंत्रता संग्राम को एक नया आकार दिया और ऐसे सबक सिखाए जो आज भी प्रासंगिक हैं। सत्य– मन, वचन और कर्म में पूर्ण ईमानदारी, जैसे नमक सत्याग्रह के दौरान उनकी अटूट प्रतिबद्धता। अहिंसा का अर्थ है किसी भी प्राणी को नुकसान पहुंचाने से बचना, जिसने मार्टिन लूथर किंग के नागरिक अधिकार प्रयासों जैसे वैश्विक शांति आंदोलनों को प्रेरित किया।
गांधी जी ने अस्तेय का पालन किया, दूसरों की संपत्ति का सम्मान, और ब्रह्मचर्य का पालन किया, आध्यात्मिक शक्ति के लिए आत्म-संयम का अभ्यास। अपरिग्रह ने सादा जीवन जीने को प्रोत्साहित किया, भौतिक वस्तुओं की लालसा को कम किया, जो गांधी जी की जीवनशैली में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। उन्होंने निडरता का समर्थन किया, अन्याय का सामना करने का साहस दिखाया, और सर्वोदय (सभी का कल्याण) का, हाशिए पर पड़े समुदायों के उत्थान पर ध्यान केंद्रित किया।
स्वदेशी के उनके सिद्धांत ने स्थानीय वस्तुओं के उपयोग को बढ़ावा दिया, समुदायों को सशक्त बनाया। ये कालातीत मूल्य नैतिक जीवन जीने का मार्गदर्शन करते हैं, विश्व भर में प्रेम, सद्भाव और न्याय को बढ़ावा देते हैं, तथा आज भी व्यक्तिगत और सामाजिक परिवर्तन के लिए प्रासंगिक साबित हो रहे हैं। गांधी जी के सिद्धांत जैन धर्म, हिंदू धर्म और ईसाई शिक्षाओं से प्रभावित थे, जो उन्होंने लंदन में रहते हुए सीखे।
पृष्ठभूमि और जीवन की शुरुआत
महात्मा गांधी भारत की आजादी की लड़ाई के एक महान नेता थे। वे विधि स्नातक थे और जैन धर्म के सबसे बड़े अनुयायी थे। 1888 से 1891 के बीच वे लंदन में रहे और उन्होंने शाकाहारी रहने का संकल्प लिया। बाद में, गांधी जी लंदन शाकाहारी समिति की कार्यकारी समिति में शामिल हो गए और फिर विभिन्न धर्मों के बारे में ज्ञान प्राप्त करने के लिए विभिन्न पवित्र पुस्तकों का अध्ययन करने लगे।
गांधी जयंती मनाने में निम्नलिखित तीन स्थान महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं: शहीद स्तंभ वह स्थान है जहां 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी पर हमला किया गया था। राजघाट, वह स्थान जहां 31 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी के पार्थिव शरीर को जलाया गया था। त्रिवेणी संगम वह स्थान है जहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदी मिलती हैं, हालांकि गांधी जी का सीधा संबंध नहीं लेकिन यह प्रतीकात्मक है।
गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में 1893 से 1915 तक रहते हुए नस्लीय अन्याय के खिलाफ सत्याग्रह शुरू किया, जो भारत लौटने पर स्वतंत्रता आंदोलन का आधार बना।
वर्तमान प्रासंगिकता: 2025 में गांधी जी
2025 में महात्मा गांधी की वर्तमान प्रासंगिकता अत्यंत गहन है, क्योंकि उनके कालातीत सिद्धांत आज भी वैश्विक और सामाजिक चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करते हैं। गांधी के मूल मूल्य – अहिंसा, सत्य, सादगी, आत्मनिर्भरता (स्वराज), करुणा और सेवा; आज की जटिल दुनिया में भी महत्वपूर्ण समाधान प्रस्तुत करते हैं।
अहिंसा अब भौतिक क्रियाओं से आगे बढ़कर डिजिटल संवादों तक फैल गई है, जो बढ़ती ऑनलाइन घृणा और उत्पीड़न के बीच सम्मानजनक संवाद को बढ़ावा दे रही है। सत्यवादिता मीडिया साक्षरता और जिम्मेदार पत्रकारिता के माध्यम से भ्रामक सूचनाओं और फर्जी खबरों का मुकाबला करती है। सादगी स्थायी जीवन शैली के साथ जुड़कर, पर्यावरणीय प्रभाव को कम करती है और अतिसूक्ष्मवाद को बढ़ावा देती है।
आत्मनिर्भरता वैश्विक परस्पर निर्भरता के भीतर स्थानीय उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करती है, जबकि करुणा और सेवा सहानुभूति और स्वयंसेवा के माध्यम से ध्रुवीकृत समाजों को एकजुट करती है। इसके अतिरिक्त, गांधी के दर्शन नैतिक नेतृत्व, सामाजिक न्याय, सतत विकास और संघर्ष समाधान को प्रेरित करते हैं, जो 21वीं सदी में लोकतांत्रिक शासन और शांति के लिए अपरिहार्य हैं।
समावेशिता, सर्वधर्म सद्भाव और जमीनी स्तर पर लोकतंत्र के बारे में उनका दृष्टिकोण सामाजिक असमानता, पर्यावरणीय संकट और वैश्विक तनाव जैसे समकालीन मुद्दों के समाधान में सहायक है। इस प्रकार, गांधी जी की विरासत व्यक्तियों और राष्ट्रों के लिए एक सामंजस्यपूर्ण भविष्य के लिए शांति, न्याय, नैतिक शासन और स्थिरता को अपनाने हेतु एक मार्गदर्शक प्रकाश का काम करती है। 2025 में, जलवायु परिवर्तन और डिजिटल विभाजन जैसे मुद्दों पर उनके विचार और प्रासंगिक हैं।
महात्मा गांधी के जीवन की प्रमुख घटनाओं की समय-सारणी
नीचे महात्मा गांधी के जीवन की प्रमुख घटनाओं की संक्षिप्त समय-सारणी दी गई है:
वर्ष | घटना/विवरण |
---|---|
1869 | 2 अक्टूबर को पोरबंदर, गुजरात में जन्म |
1876 | राजकोट में प्राथमिक विद्यालय में प्रवेश; कस्तूरबा से विवाह हेतु वचनबद्ध |
1888 | कानून की पढ़ाई के लिए लंदन प्रस्थान |
1891 | कानून की पढ़ाई पूर्ण कर भारत वापसी |
1893 | कानूनी कार्य हेतु दक्षिण अफ्रीका गए |
1894 | दक्षिण अफ्रीका में ‘नटाल इंडियन कांग्रेस’ की स्थापना |
1906 | दक्षिण अफ्रीका में पहला सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया |
1915 | भारत लौटे; स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भागीदारी शुरू |
1917 | चंपारण आंदोलन का नेतृत्व (भारत में पहला प्रमुख सत्याग्रह) |
1918 | खेड़ा सत्याग्रह – गुजरात के किसानों को करों से राहत |
1919 | रॉलेट एक्ट के विरोध में देशव्यापी आंदोलन का नेतृत्व |
1920 | असहयोग आंदोलन का नेतृत्व |
1930 | नमक सत्याग्रह (दांडी मार्च) का नेतृत्व; सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ |
1942 | भारत छोड़ो आंदोलन का नेतृत्व |
1947 | भारत को स्वतंत्रता मिली |
1948 | 30 जनवरी को नई दिल्ली में हत्या |
गांधी जयंती के उत्सव और आयोजन
गांधी जयंती प्रतिवर्ष 2 अक्टूबर को भारत के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाई जाती है। आधिकारिक समारोहों में राजघाट, नई दिल्ली में प्रार्थना सभाएं और श्रद्धांजलि सभाएं शामिल हैं, जहां गांधी का अंतिम संस्कार किया गया था। नेता, अधिकारी और नागरिक पुष्पांजलि और प्रार्थना सभाओं के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
शैक्षणिक संस्थान और सरकारी कार्यालय गांधी के अहिंसा, शांति और सामाजिक न्याय के आदर्शों पर केंद्रित वाद-विवाद, निबंध प्रतियोगिता, चित्रकला प्रतियोगिता और पुरस्कार वितरण जैसी स्मृति गतिविधियां आयोजित करते हैं। गांधी का पसंदीदा भक्ति गीत, “रघुपति राघव राजा राम”, आमतौर पर इन आयोजनों के दौरान उन्हें याद करने के लिए गाया जाता है।
पूरे देश में गांधी की मूर्तियों और चित्रों को फूलों और मालाओं से सजाया जाता है; कुछ लोग सम्मान के प्रतीक के रूप में शराब पीने से परहेज करके शराबबंदी दिवस मनाते हैं। इस दिन का उपयोग अहिंसा, स्वच्छता और सामुदायिक सेवा से जुड़ी परियोजनाओं और पहलों को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, स्वच्छ भारत मिशन 2014 में गांधी जयंती के दिन शुरू किया गया था, जिससे हर साल इस दिन स्वच्छता अभियान चलाने की प्रेरणा मिलती है।
रैलियों, संगोष्ठियों और आभासी अभियानों सहित सामुदायिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम भारत और विदेशों में विभिन्न पीढ़ियों तक गांधी के संदेश को फैलाने में मदद करते हैं। गांधी जयंती को संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मान्यता दी गई है, जो गांधी जी की वैश्विक विरासत का प्रतीक है। यह उत्सव श्रद्धांजलि, शैक्षिक गतिविधियों, सामुदायिक सहभागिता और शांति एवं अहिंसा के गांधीवादी सिद्धांतों के प्रचार का मिश्रण है। 2025 में, डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन कार्यक्रम बढ़ेंगे।
विद्यालय स्तर पर आयोजन — पाँच सार्थक गतिविधियाँ
- स्वच्छता और क्लीन-अप ड्राइव: छात्र स्थायी रूप से स्वच्छता बढ़ाने वाले छोटे समूह बनाकर विद्यालय परिसर या आसपास की सड़कों की सफाई कर सकते हैं।
- नाटक और निबंध प्रतियोगिता: गांधीजी के जीवन पर छोटे नाटक और निबंध प्रतियोगिताएँ, जिससे उनके सिद्धांत छात्रों के दिलों तक पहुँचें।
- खादी और हस्तशिल्प प्रदर्शनी: स्थानीय कुटीर उद्योगों और खादी के उत्पादों की प्रदर्शनी, जिससे छात्रों में स्वदेशी उत्पादों के प्रति सम्मान जागृत हो।
- डिजिटल संगोष्ठी — ‘डिजिटल अहिंसा’: छात्रों को सोशल मीडिया पर विचारशील संवाद, तथ्य-जाँच और निडर परंतु शालीन भाषा अपनाने का प्रशिक्षण देना।
- सर्वोदय परियोजना: कमज़ोर समुदायों के लिए छोटी सेवाभावना गतिविधियाँ, जैसे कि किताबें दान करना, पौधरोपण करना या वृद्धाश्रम में भोजन परोसना।
महात्मा गांधी और सरकारी नीतियां
भारत और विश्व भर में सरकारी नीतियों पर महात्मा गांधी का गहरा प्रभाव है, जो मुख्य रूप से उनके अहिंसा, आत्मनिर्भरता और सामाजिक न्याय के दर्शन में निहित है। भारत सरकार की नीतियों पर प्रभाव: आर्थिक आत्मनिर्भरता (स्वदेशी आंदोलन) से कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहन। भारतीय संविधान में नीति निर्देशक सिद्धांत गांधी जी के विचारों से प्रेरित हैं, जैसे अनुच्छेद 39, 40, 43, 46 और 47। पंचायती राज व्यवस्था ग्राम स्वराज से आई।
वैश्विक प्रभाव: गांधी के तरीकों ने मार्टिन लूथर किंग और नेल्सन मंडेला को प्रेरित किया। संयुक्त राष्ट्र ने अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस घोषित किया। भारत की विदेश नीति गुटनिरपेक्षता से प्रभावित है। गांधी की विरासत नैतिक शासन और सतत विकास को बढ़ावा देती है।
महात्मा गांधी के प्रमुख भाषण और उद्धरण
नीचे कुछ प्रमुख भाषणों और उद्धरणों की तालिका है:
भाषण/घटना | मुख्य बिंदु / प्रसिद्ध उद्धरण |
---|---|
भारत छोड़ो भाषण (1942) | “करो या मरो। हम भारत को आज़ाद करेंगे या इस प्रयास में मर जाएँगे।” |
गोलमेज सम्मेलन भाषण (1931) | भारतीय स्वराज्य के लिए शांतिपूर्ण बातचीत की वकालत की। |
सत्य और अहिंसा का संदेश | “मेरा धर्म सत्य और अहिंसा पर आधारित है।” |
प्रेरणादायक उद्धरण | “दुनिया में जो बदलाव आप देखना चाहते हैं, वह खुद बनिए।” “आँख के बदले आँख की नीति पूरी दुनिया को अंधा बना देगी।” “कमज़ोर कभी माफ़ नहीं कर सकता। माफ़ी ताकतवर का गुण है।” “ऐसे जियो जैसे कल ही मरना है। ऐसे सीखो जैसे हमेशा जीना है।” “सौम्य तरीके से, तुम दुनिया को हिला सकते हो।” |
आत्मनिर्भरता और नैतिकता पर | “दुनिया में हर किसी की ज़रूरत के लिए पर्याप्त है, लेकिन हर किसी के लालच के लिए नहीं।” |
शांति और मानवीय मूल्यों पर | “जहाँ प्रेम है वहीं जीवन है।” |
साहस और इच्छाशक्ति पर | “शक्ति शारीरिक क्षमता से नहीं आती, यह अदम्य इच्छाशक्ति से आती है।” |
गांधी के प्रमुख आंदोलनों का विस्तार
चंपारण सत्याग्रह
चंपारण सत्याग्रह 1917 में बिहार के चंपारण जिले में नील उगाने वाले किसानों के दुःख के विरोध में शुरू हुआ था। किसानों पर जमींदारों और यूरोपीय मालिकों द्वारा लगाए गए कठोर नियम और शोषण के खिलाफ गांधीजी ने सत्याग्रह और कानूनी सहायता का संयोजन किया। यह आंदोलन किसानों के अधिकारों की रक्षा के साथ-साथ भारतीय न्याय और प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार का उदाहरण बना।
खेड़ा सत्याग्रह
खेड़ा में किसानों को भारी कर और अन्य बाधाओं का सामना करना पड़ रहा था। 1918 में खेड़ा सत्याग्रह ने किसानों को संगठित किया और स्थानीय प्रशासन के विरुद्ध अहिंसक प्रतिरोध दिखाया। यह आंदोलन दिखाता है कि किस प्रकार सामूहिक असहयोग से नीतियाँ बदली जा सकती हैं।
असहयोग आंदोलन
1920 के दशक की शुरुआत में शुरू हुआ असहयोग आंदोलन व्यापक स्तर पर अंग्रेजों के निर्वहन का आह्वान था। छात्र, व्यवसायी और सामान्य नागरिकों ने सरकारी संस्थानों से दूरी बनाए रखकर और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार कर भाग लिया। यह आंदोलन गांधी के सत्याग्रह सिद्धांत को जन-आंदोलन के रूप में विकसित करने वाला कदम था।
दांडी मार्च (नमक सत्याग्रह)
1930 में दांडी मार्च ने नमक पर अंग्रेजी कर का प्रतीकात्मक विरोध किया। गांधीजी ने साबरमती आश्रम से दांडी तक लगभग 240 मील की पैदल यात्रा की और समुद्र से नमक बनाकर सविनय अवज्ञा का प्रदर्शन किया। यह कदम न केवल कानून के विरोध का प्रतीक बना बल्कि दुनिया भर में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की जागरूकता बढ़ाने में भी मददगार रहा।
भारत छोड़ो आंदोलन
1942 में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान शुरू हुआ ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन स्वतंत्रता की अंतिम लहरों में से एक था। गांधी जी ने अंग्रेजों को स्पष्ट रूप से देश छोड़ने का आह्वान किया। इस आंदोलन ने व्यापक जनसमर्थन पाया और स्वाधीनता की राह को और मजबूत किया।
सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा
गांधी की राजनीतिक प्रभावशीलता का मूल उनके सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा के सिद्धांत में निहित था। सत्याग्रह का शाब्दिक अर्थ है ‘सत्य के लिए दृढ़ता’ — यह केवल विरोध नहीं बल्कि आंतरिक अनुशासन, आत्म-त्याग और नैतिक शक्ति पर आधारित था। सविनय अवज्ञा का तात्पर्य अनुचित कानूनों का शांतिपूर्ण उल्लंघन करके उन्हें अस्वीकार करना है। इन तकनीकों की कुछ विशेषताएँ निम्न हैं:
- नैतिक उच्चता: विरोध का आधार नैतिकता और न्याय का दावा होता है, न कि आक्रामक शक्ति।
- व्यापक जन भागीदारी: सामान्य लोगों की सक्रिय भागीदारी इन अभियानों को शक्ति देती है।
- नैतिक दबाव: असहयोग और दमन के माध्यम से सरकार पर नैतिक दबाव बनाया जाता है।
- हिंसा की निंदा: हिंसा का उपयोग न तो उद्देश्य था और न ही माध्यम; हिंसा को हर हाल में त्यागा गया।
इन रणनीतियों ने केवल ब्रिटिश शासन के विरुद्ध लड़ाई जीती; उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि नैतिकता और अनुशासन भी राजनीतिक परिवर्तन के शक्तिशाली उपकरण हो सकते हैं।
महात्मा गांधी जयंती पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रश्न 1: क्या गांधी जयंती राष्ट्रीय अवकाश होती है?
हाँ, गांधी जयंती भारत में एक राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाई जाती है। इस दिन सभी सरकारी दफ्तर, स्कूल, कॉलेज और बैंक बंद रहते हैं।
प्रश्न 2: वर्ष 2025 में गांधी जयंती कब पड़ेगी?
साल 2025 में गांधी जयंती गुरुवार, 2 अक्टूबर को मनाई जाएगी। यह महात्मा गांधी की 156वीं जयंती होगी।
प्रश्न 3: भारत में ‘बापू’ किसे कहा जाता है?
महात्मा गांधी को स्नेहपूर्वक ‘बापू’ और ‘राष्ट्रपिता’ कहा जाता है।
प्रश्न 4: क्या गांधी जयंती से एक दिन पहले बैंक बंद रहते हैं?
हाँ, गांधी जयंती की पूर्व संध्या पर भी बैंक बंद रहते हैं।
प्रश्न 5: हम गांधी जयंती क्यों मनाते हैं?
गांधी जयंती महात्मा गांधी के सत्य, अहिंसा, सादगी और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान का सम्मान करने के लिए मनाई जाती है।
प्रश्न 6: 2025 की गांधी जयंती का क्या महत्व है?
156वीं गांधी जयंती इस बात पर जोर देती है कि गांधीजी के मूल्य — सत्य, अहिंसा और समानता — आज भी वैश्विक चुनौतियों जैसे जलवायु परिवर्तन, असमानता और संघर्षों का समाधान प्रस्तुत कर सकते हैं।
प्रश्न 7: भारत में गांधी जयंती कैसे मनाई जाती है?
इस अवसर पर दिल्ली के राजघाट में प्रार्थना सभाएँ होती हैं, स्कूल-कॉलेजों में सांस्कृतिक कार्यक्रम और निबंध प्रतियोगिताएँ आयोजित होती हैं। साथ ही, स्वच्छता अभियान चलाए जाते हैं और संयुक्त राष्ट्र इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाता है।
प्रश्न 8: महात्मा गांधी के मुख्य सिद्धांत क्या थे?
गांधीजी के सिद्धांतों में सत्य, अहिंसा, स्वराज, सादगी, आत्मनिर्भरता और मानव सेवा शामिल हैं।
प्रश्न 9: गांधी आश्रम कहाँ स्थित है?
गांधी आश्रम गुजरात राज्य के अहमदाबाद शहर में स्थित है। इसे साबरमती आश्रम के नाम से भी जाना जाता है।
आगे की राह
गांधी जयंती हमें सत्य, अहिंसा और सेवा के संदेश की याद दिलाती है। 2 अक्टूबर 2025 को हम उनकी 156वीं जयंती मना रहे हैं। यह दिन केवल इतिहास की स्मृति नहीं, बल्कि वर्तमान और भविष्य के लिये मार्गदर्शक सिद्धांत भी है। शिक्षा, स्वच्छता, सामाजिक न्याय और स्थानीय आत्मनिर्भरता जैसे मुद्दों में गांधीजी की शिक्षाएँ आज भी समाधान प्रस्तुत करती हैं। व्यक्तिगत रूप से और सामूहिक रूप से उनके सिद्धांतों को अपनाकर हम अपने समाज को अधिक न्यायसंगत, शांतिपूर्ण और टिकाऊ बना सकते हैं। इस जयंती पर आइए हम छोटे-छोटे कदम उठाकर उनके आदर्शों को साकार करें। हर कतरा प्रयास महत्त्व रखता है और परिवर्तन सचमुच संभव है।
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