Baba Harbhajan Singh mystery: मरने के बाद भी नहीं छोड़ी ड्यूटी!

बाबा हरभजन सिंह की अनसुनी कहानी: मौत के 55 साल बाद भी ये फौजी कर रहा बॉर्डर की रखवाली!

Baba Harbhajan Singh mystery: क्या मौत के बाद भी कोई सीमा की निगहबानी कर सकता है? क्या मौत के बाद भी कोई आपकी सुरक्षा के लिए खड़ा रह सकता है? ये प्रश्न सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन इन प्रश्नों के पीछे छिपा है एक ऐसा रहस्य जिसे कम ही लोग जानते हैं | मौत के 55 साल बाद भी सिपाही हरभजन सिंह सिक्किम सीमा पर हमारे देश की सुरक्षा कर रहे हैं | यही कारण है कि आज भी भारतीय सेना उनके मंदिर का रखरखाव करती है और उनके मंदिर में पूजा-पाठ की जिम्मेदारी भी सेना के जिम्मे है | कई लोगों का कहना है कि पंजाब रेजिमेंट के जवान हरभजन सिंह की आत्मा पिछले 55 सालों से लगातार देश के सीमा की रक्षा कर रही है |

बाबा हरभजन सिंह मंदिर के बारे में वहां तैनात सैनिकों का कहना है कि उनकी आत्मा चीन की तरफ से आने वाले किसी भी खतरे को पहले ही बता देती है | इसके अलावा यदि भारतीय सैनिकों को चीन के सैनिकों का कोई भी मूवमेंट पसंद नहीं आता तो वो चीनी सैनिकों को भी पहले ही बता देते हैं |

showing the image of Baba Harbhajan Singh mystery

आप चाहे इस पर भरोसा करें या नहीं, चीनी सैनिकों को भी बाबा हरभजन सिंह पर पूरा यकीन है | इसलिए भारत और चीन के बीच होने वाली हर फ्लैग मीटिंग में बाबा हरभजन सिंह के नाम की खाली कुर्सी लगाई जाती है, ताकि वो मीटिंग अटेंड कर सकें |

सिक्किम में भारत-चीन सीमा पर एक सैनिक ऐसा भी है जो मौत के 55 साल बाद भी सरहद की रक्षा कर रहा है। आपको सुनने में ये थोड़ा अजीब जरूर लगेगा, लेकिन लोगों का ऐसा ही मानना है और दूर-दूर से लोग यहां बाबा हरभजन सिंह मं‌दिर में पूजा करने आते हैं। यही नहीं इस सैनिक ने मरने के बाद भी अपनी नौकरी जारी रखी है। फिलहाल, ये सैनिक अब रिटायर हो चुका है। सिक्किम की राजधानी गंगटोक में जेलेप्ला दर्रे और नाथुला दर्रे के बीच बना बाबा हरभजन सिंह मंदिर लगभग 13 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस मंदिर में बाबा हरभजन सिंह की एक फोटो और उनका सामान (Baba Harbhajan Singh mystery) रखा हुआ है।

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कौन थे हरभजन सिंह?

हरभजन सिंह का जन्म 30 अगस्त 1946 को गुजरावाला में हुआ था, जो कि वर्तमान में पाकिस्तान में है | हरभजन सिंह साल 1966 में 24वीं पंजाब रेजिमेंट में बतौर जवान भर्ती हुए थे | हरभजन सिंह सेना को अपनी सेवाएं केवल 2 साल ही दे पाए और साल 1968 में सिक्किम में तैनाती के दौरान एक हादसे में मारे गए |

इस मामले में सेना के जवानों ने बताया कि एक दिन जब वो खच्चर पर बैठ कर नदी पार कर रहे थे, तभी खच्चर सहित हरभजन नदी में बह गए | नदी में बह कर उनका शव काफी आगे निकल गया | ऐसा कहा जाता है कि दो दिन की गहन तलाशी के बावजूद भी जब उनका शव नहीं मिला | तब उन्होंने खुद ही अपने एक साथी सैनिक के सपने में आकर अपनी शव वाली जगह बताई |

बाबा हरभजन सिंह जी एक ऐसे वीर थे जो शहीद होकर भी अपने देश के प्रति अपनी ड्यूटी निभाते रहे। जब वे तीन दिनो तक नहीं मिले तो आर्मी के लोगो ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया था। फिर चौथे दिन बाबा हरभजन सिंह उनके दोस्त के सपने में आए। और अपने शव का पता बताया जो की ढूंढने पर वही मिला। उन्हें बाबा की लाश देख अफ़सोस हुआ कि उनकी हालत पता न होते हुए भी “भगोड़ा” कहलाया गया। आर्मी ने उनके लिए एक मंदिर भी बनवाया। वे उनकी तंख्वा हर महीने उनके घर भेजते है। उनको छुट्टी पर घर भी भेजा जाता है। आर्मी के दो कैंडिडेट उनका सामान छुट्टी पर उनके साथ घर भेज देते हैं। जब कभी कोई चौकिदार की बोरडर पर पहरा देते वक्त आंख लग जाती है तो उनको हवा से चाटे भी पड़ती है, मानो कोई उन्हें जगा रहा हो। आर्मी ऑफिसर्स ने उन्हें ‘बाबा’ की उपाधि दी। आर्मी आज भी उनकी याद करती हैं। वे हमेशा अमर रहेंगे।

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प्रीतम सिंह के सपने में आए थे हरभजन सिंह

सेना के अफसरों को शुरू में इस पर यकीन नहीं हुआ लेकिन बाद में कुछ अधिकारी प्रीतम की बताई जगह पर गए | वहां उन्हें हरभजन सिंह का मृत शरीर मिला | इसे देख सेना के सभी अफसर हैरान रह गए | उन्होंने प्रीतम सिंह से माफी मांगी और सम्मान से हरभजन सिंह का अंतिम संस्कार कर दिया | संस्कार के कुछ समय बाद, एक बार फिर हरभजन सिंह प्रीतम सिंह के सपने में आए और अपनी समाधि बनाने की इच्छा जताई | सेना ने इसके बाद “छोक्या छो” नाम की जगह पर उनकी समाधि बनाई |

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छुट्टी पर घर भी जाते थे बाबा हरभजन सिंह

बाबा हरभजन के बारे में वहां तैनात सैनिकों का कहना है कि वो अपनी मृत्यु के बाद भी लगातार अपनी ड्यूटी दे रहे हैं | इनके लिए उन्हें बाकायदा तनख्वाह भी दी जाती है और सेना में उनकी एक रैंक भी है | यही नहीं कुछ साल पहले तक उन्हें दो महीने की छुट्टी पर पंजाब में उनके गांव भी भेजा जाता था | इसके लिए ट्रेन में उनकी सीट रिज़र्व की जाती थी और तीन सैनिकों के साथ उनका सारा सामान गांव भेजा जाता था और फिर दो महीने पूरे होने के बाद वापस सिक्किम लाया जाता था |

वहीं कुछ लोगों के द्वारा जब इस पर आपत्ति दर्ज की गई तो सेना ने बाबा को छुट्टी पर भेजना बंद कर दिया | अब बाबा हरभजन साल के बारह महीने अपनी ड्यूटी पर रहते हैं | मंदिर में बाबा का एक कमरा भी है, जिसमें प्रतिदिन सफाई करके बिस्तर लगाए जाते हैं | कमरे में बाबा की सेना की वर्दी और जूते रखे जाते हैं | लोगों का कहना है कि रोज़ सफाई करने के बावजूद उनके जूतों में कीचड़ और चद्दर पर सलवटें पाई जाती हैं (Baba Harbhajan Singh mystery)|

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​सिक्किम के बाबा हरभजन सिंह मंदिर के बारे में 10 रोचक बातें​ | 10 interesting things about Baba Harbhajan Singh Temple of Sikkim

​बाबा हरभजन सिंह मंदिर एक अलग तरह का मंदिर है जो किसी खास धर्म को समर्पित नहीं है बल्कि निस्वार्थता और बहादुरी को समर्पित है। बाबा हरभजन सिंह भारतीय सेना के एक सिपाही थे, जिन्हें अक्सर ‘नाथुला के नायक’ के रूप में जाना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने 26 साल की छोटी उम्र में अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। सितंबर 1967 में उन्हें उनकी बहादुरी और शहादत के लिए महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था।

1. मंदिर के पीछे की कहानी

“बाबा” हरभजन सिंह भारतीय सेना में एक सैनिक थे और 1962 के चीन-भारत युद्ध के दौरान डोगरा रेजिमेंट में काम करते थे। ड्यूटी के दौरान पूर्वी सिक्किम – भारत में नाथुला दर्रे के पास इस सैनिक की मृत्यु हो गई। 1962 के चीन-भारत युद्ध के दौरान बाबा हरभजन सिंह एक ग्लेशियर में डूब गए थे। उन्हें हर जगह खोजा गया और पाँच दिन बाद उन्हें पाया गया और पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।

2. मंदिर के पीछे की कहानी

kahani कुछ इस तरह है कि हरभजन सिंह ने खोज दल को उनके शरीर तक पहुँचाया और बाद में, एक सपने के माध्यम से, अपने एक सहयोगी को उनके नाम पर एक मंदिर/मंदिर बनाने और बनाए रखने का निर्देश दिया। पहाड़ियों में उनकी समाधि पर एक मंदिर बनाया गया था।

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3. मंदिर का डिज़ाइन

बाबा मंदिर तीन कमरों का है; केंद्रीय कमरे में अन्य हिंदू देवताओं और सिख गुरुओं के साथ बाबा का एक बड़ा चित्र है। केंद्रीय कमरे के दाईं ओर (right side) बाबा का कमरा है।​

4. बाबा के कमरे में रखी जाने वाली चीज़ें

​कमरे में रोज़मर्रा की गतिविधियों के लिए ज़रूरी हर सामान मौजूद है, कपड़े, जूते, चप्पल और सोने के लिए साफ-सुथरा बिस्तर, यह सब अच्छी तरह से बनाए रखा गया है। यूनिफ़ॉर्म अच्छी तरह से इस्त्री किए गए हैं और जूते पॉलिश करके इस्तेमाल के लिए तैयार हैं। इस कमरे के सामने एक छोटा कमरा है जिसमें एक ऑफ़िस कम स्टोर रूम है। कमरे में पानी की बोतलें, इस्तेमाल न की गई चप्पलें, टूथब्रश और बाबा को चढ़ाई गई दूसरी चीज़ें भरी हुई हैं।

5. मंदिर से जुड़ी मान्यताएँ

​अनुयायियों का मानना ​​है कि एक हफ़्ते के बाद मंदिर में रखा पानी पवित्र जल में बदल जाता है और हर बीमारी को ठीक कर (Baba Harbhajan Singh mystery) देता है। लोगों का मानना ​​है कि यहाँ रखी गई चप्पलें गठिया और पैरों की दूसरी समस्याओं से पीड़ित मरीजों की मदद करती हैं। जो भक्त मंदिर नहीं जा पाते हैं वे बाबा को पत्र भेजते हैं जिन्हें बाबा के सहयोगी खोलते हैं। इन पत्रों में आमतौर पर बाबा से व्यक्तिगत समस्याओं को हल करने में मदद करने का अनुरोध और मदद के लिए आभार व्यक्त किया जाता है।

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6. मंदिर में विशेष समारोह

हर 4 अक्टूबर को भारतीय सेना द्वारा बाबा हरभजन सिंह की भूमिका के साथ-साथ देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले भारतीय सेना के सैनिकों के सम्मान में एक विशेष समारोह आयोजित किया जाता है। पूरे वर्ष में प्रत्येक रविवार और मंगलवार को बाबा मंदिर में पूजा की जाती है, जहाँ भक्तों के बीच निःशुल्क भोजन वितरित किया जाता है। किसी भी आगंतुक के लिए बाबा मंदिर में जाने के लिए ये सबसे अच्छे दिन हैं।

7. नाथुला दर्रे पर शिविर

नाथुला दर्रे पर शिविर में, उनके लिए एक शिविर बिस्तर रखा जाता है, और उनके जूते पॉलिश किए जाते हैं, और हर रात वर्दी तैयार रखी जाती है। कथित तौर पर हर सुबह चादरें उखड़ जाती हैं और शाम तक जूते मैले हो जाते हैं। भूत सैनिक वेतन लेना जारी रखता है और अपनी वार्षिक छुट्टी भी लेता है। यह भी है कि भारत और चीन के बीच युद्ध की स्थिति में, बाबा तीन दिन पहले भारतीय और चीनी सैनिकों को चेतावनी देते थे।

8. अंतर्राष्ट्रीय सीमा के संरक्षक के रूप में बाबा

बाबा हरभजन पिछले तीन दशकों से दो एशियाई दिग्गजों, चीन और भारत की अंतर्राष्ट्रीय सीमा की रखवाली (Baba Harbhajan Singh mystery) कर रहे हैं। यहां तक ​​कि अंतरराष्ट्रीय दीवार के दूसरी तरफ मौजूद सेना के जवान भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि उन्होंने एक व्यक्ति को अकेले घोड़े पर सवार होकर सीमा पर गश्त करते देखा था। चीनी भी उनकी पूजा करते हैं और नाथुला पोस्ट पर दोनों देशों के बीच फ्लैग मीटिंग के दौरान चीनी सैनिकों ने संत के लिए एक कुर्सी भी रखी है।

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9. बाबा अभी भी भारतीय सेना के वेतन में हैं

इस सैनिक की मां को हर महीने एक छोटी राशि भी भेजी जाती है। भूत सैनिक का नाम सेना के वेतन में जारी है, उन्हें सभी समयबद्ध पदोन्नति भी दी गई है। बाबा को उनका वेतन रक्षा कोष से मिलता था जो उनके परिवार को भेजा जाता था, लेकिन किसी कारण से अब यह बंद हो गया है और भक्तों द्वारा चढ़ाए गए चढ़ावे से एकत्र किए गए दान को सेना के अधिकारी उनके घर भेजते हैं। पिछले कुछ वर्षों में बाबा हरभजन के मंदिर को सभी सीमाओं पर बहुत अधिक श्रद्धा मिली है। सिक्किम में हर सेना बाबा का सम्मान करती है और उनकी पूजा करती है। उनका मानना ​​है कि बाबा घाटी में दुर्घटना होने से बहुत पहले ही इसकी भविष्यवाणी कर देते थे। भले ही यह अजीब लगे, लेकिन यह सच है और भारतीय सेना आज भी इस सैनिक को उसी तरह सम्मानित करती है।

10. बाबा को आधिकारिक छुट्टी

वे एक सिपाही के रूप में सेना में शामिल हुए थे और मृत्यु के बाद पदोन्नति मिलने के बाद, दिवंगत सैनिक बाबा हरभजन सिंह को आज मानद कैप्टन के पद से सम्मानित किया गया है। भूत सैनिक को हर साल दो महीने की वार्षिक छुट्टी मिलती है। हर साल 14 सितंबर को एक जीप उनके निजी सामान के साथ निकटतम रेलवे स्टेशन न्यू जलपाईगुड़ी के लिए रवाना होती है। उनके नाम पर ट्रेन में प्रथम श्रेणी की बर्थ बुक की जाती है (Baba Harbhajan Singh mystery)और सेना के अधिकारी उनकी तस्वीर, वर्दी और अन्य सामान कपूरथला जिले में उनके पैतृक गांव कूका में लाते हैं ताकि वे छुट्टी मना सकें।

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