Badhti Garmi ka Samadhan: एयर कंडीशनर को अलविदा

कम खर्च, ज्यादा आराम: प्राकृतिक उपायों से हराएं गर्मी का कहर!

Badhti Garmi ka Samadhan, हम सब हिंदुस्तान में रहते है यहाँ हर तरह की जलवायु हमें मिलती है और हम सभी जानते हैं कि इंसान 20-25 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर आराम से रह सकता है, लेकिन यहां भारत में विशेष रूप से उत्तर भारत में हमारे पास 7 – 8 महीने से अधिक गर्मी और बाकि के महीनों में सर्दी रहती है। लेकिन हमारे सभी वर्तमान निर्माण सामग्री जैसे स्टील, सीमेंट, पत्थर की धूल और पक्की ईंटें, गर्मी में और गरम हो जाते है जिसकी वजह से हमारे घरो को ठंढा करने के लिए पंखे कूलर और AC जैसे उपकरणों की सहायता लेनी पड़ती है क्या हो जब हम अपनी दीवारों पे ऐसा प्लास्टर करवा ले जिससे हमें घर को ठंडा रखने के लिए मदद मिले और साथ ही साथ दीवारे सुन्दर भी दिखे और ये महंगा भी ना हो।

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गर्मी का मौसम अपने चरम पर है और लोग गर्मी से राहत पाने के लिए तरह-तरह के उपाय कर रहे हैं। लेकिन, एयर कंडीशनर (AC) का इस्तेमाल बढ़ती बिजली की खपत और पर्यावरण पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों के कारण चिंता का विषय बन रहा है। क्या आप जानते हैं कि कुछ प्राचीन और सरल तकनीकों का उपयोग करके हम अपने घरों को ठंडा रख सकते हैं और AC पर निर्भरता कम कर सकते हैं? आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही प्राचीन और सरल उपाय जो गर्मी से राहत पाने में कारगर हो सकते हैं:

1. प्राकृतिक वेंटिलेशन

  • घरों में खिड़कियां और दरवाजे खुले रखें ताकि हवा का प्राकृतिक रूप से प्रवाह हो सके।
  • रात में खिड़कियां खुली रखें ताकि ठंडी हवा अंदर आ सके और दिन में बंद कर दें ताकि गर्म हवा बाहर ही रहे।
  • छत पर पंखे लगाएं ताकि हवा का प्रवाह ऊपर से नीचे की ओर हो।

2. छत पर पानी का छिड़काव

  • सुबह और शाम को छत पर पानी का छिड़काव करें।
  • जब पानी सूखेगा तो वाष्पीकरण की प्रक्रिया ठंडक पैदा करेगी।

3. पेड़ों का रोपण 

गर्मी का मौसम अपने चरम पर है और लोग गर्मी से राहत पाने के लिए तरह-तरह के उपाय कर रहे हैं। लेकिन, एयर कंडीशनर (AC) का इस्तेमाल बढ़ती बिजली की खपत और पर्यावरण पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों के कारण चिंता का विषय बन रहा है। क्या आप जानते हैं कि पेड़ों का रोपण करके हम “Badhti Garmi ka Samadhan” ढूंढ सकते हैं?

  • प्राकृतिक छाया: पेड़ प्राकृतिक छाया प्रदान करते हैं, जो घरों और इमारतों को सीधे सूर्य के प्रकाश से बचाते हैं। यह घरों के अंदर का तापमान कम करने में मदद करता है और AC पर निर्भरता को कम करता है।
  • वाष्पीकरणीय शीतलन: पेड़ों की पत्तियां पानी को अवशोषित करती हैं और वाष्पीकरण के माध्यम से इसे हवा में छोड़ती हैं। यह वाष्पीकरण एक शीतलन प्रभाव पैदा करता है जो आसपास के तापमान को कम करने में मदद करता है।
  • ऑक्सीजन का उत्पादन: पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं। ऑक्सीजन हवा की गुणवत्ता में सुधार करता है और गर्म हवा को ठंडा करने में मदद करता है।
  • धूल और प्रदूषण में कमी: पेड़ हवा से धूल और प्रदूषणकारी कणों को अवशोषित करते हैं। यह हवा को साफ करने और श्वसन संबंधी समस्याओं के खतरे को कम करने में मदद करता है।
  • भूजल स्तर में वृद्धि: पेड़ों की जड़ें मिट्टी को मजबूत करती हैं और वर्षा के पानी को अवशोषित करने में मदद करती हैं। यह भूजल स्तर को बढ़ाने और जल संकट को कम करने में मदद करता है।

4. पर्दे और चिक-ब्लिंड्स का उपयोग

  • खिड़कियों पर हल्के रंग के पर्दे और चिक-ब्लिंड्स लगाएं।
  • ये सूर्य के प्रकाश को अंदर आने से रोकते हैं और घर को ठंडा रखने में मदद करते हैं।

5. घर के अंदर गर्मी के स्रोतों को कम करें

  • बिजली के उपकरणों का उपयोग कम करें, खासकर जब उनका उपयोग नहीं हो रहा हो।
  • गरमागरम बल्बों की जगह LED बल्बों का उपयोग करें।
  • खाना बनाते समय ओवन का कम से कम उपयोग करें।
  • AC का उपयोग न करे, क्यूकि यह आपके शारीरिक स्वस्थ्य और पर्यावरण के अनुकूल नहीं है |

6. प्राकृतिक कपड़े पहनें

  • सूती और ढीले-ढाले कपड़े पहनें।
  • ये पसीने को आसानी से सोख लेते हैं और शरीर को ठंडा रखते हैं।

7. अगर आप नया घर बनवा रहे हैं, तो वैदिक प्लास्टर और गोबर से बनी ईटों का प्रयोग करे और गोबर से भवन निर्माण की अनोखी तकनीक को अपनाये 

  • इसमें किसी भी तरह की तराई की जरुरत नहीं होती है, इसलिए वैदिक प्लास्टर के इस्तेमाल से हजारों लीटर पानी बचाता है।
  • गोबर में जीवाणुरोधी (antibacterial) गुण भी होते है तो आपके घर को बीमारियों को पैदा होने से कुछ हद तक रोक लग जाती है।
  • यह एक थर्मल इंसुलेटर है इसलिए आपके घर को गर्मियों में ठंडा और सर्दियों में गर्म रखता है। इसलिए घर को ठंडा करने या गर्म करने का बिजली का बिल स्थायी रूप से कम हो जाएगा।
  • वैदिक प्लास्टर बनाते समय वैदिक प्लास्टर में जिप्सम मिलाया जाता है जिप्सम एक साउंड प्रूफ, हीट प्रूफ और फायर प्रूफ है।
  • जिप्सम और गोबर का ये अद्भुत मिश्रण जिसे वैदिक प्लास्टर के नाम से जाना जाता है इसमें मिलने वाले दोनों तत्व ही रेडिएशन से बचाते हैं।
  • घर के अंदर एक भीनी भीनी खुशबू बनी रहती है जैसे गीली मिटटी से आती है |

डॉ शिवदर्शन मलिक ने गोबर से भवन निर्माण की अनोखी तकनीक पर काम कर दिखाया है, ऐसे भवनों में इस्तेमाल हर वस्तु पर्यावरण हितैषी है और कार्बन उत्सर्जन से बचा जा सकता है। इसके साथ ही मलिक ने वैदिक प्लास्टर का भी निर्माण किया है जो भवन को मजबूती के साथ सुंदरता भी प्रदान करता है। यह तकनीक पर्यावरण के लिए बेहद उपयोगी है।

निष्कर्ष | Conclusion

तीव्र गर्मी से राहत (Badhti Garmi ka Samadhan) पाने के लिए प्राचीन ज्ञान और सरल उपाय अपनाकर हम न केवल अपने घरों को ठंडा रख सकते हैं बल्कि बिजली की खपत और पर्यावरण को होने वाले नुकसान को भी कम कर सकते हैं। प्राकृतिक वेंटिलेशन, छत पर पानी का छिड़काव, पेड़ लगाना, सही रंगों के पर्दे और चिक-ब्लिंड्स का इस्तेमाल, घर के अंदर गर्मी के स्रोतों को कम करना, ढीले और सूती कपड़े पहनना, ठंडा पानी पीना और स्वस्थ रहना ये कुछ आसान तरीके हैं जिनको अपनाकर हम न सिर्फ गर्मी को मात दे सकते हैं बल्कि एक स्वस्थ और पर्यावरण के अनुकूल जीवनशैली भी अपना सकते हैं। याद रखें, छोटे-छोटे प्रयासों से ही बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। आइए, मिलकर इस गर्मी को बुद्धिमानी से हराएं और प्राकृतिक वातावरण को बचाने में अपना योगदान दें।

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