Dark Reality of Bread and Maida: ब्रेड और मैदा, सबसे बड़ा दुश्मन?

क्या आप जानते हैं? आपकी रोजमर्रा की रोटी आपको बीमार कर रही है! Dark Reality of Bread and Maida

Dark Reality of Bread and Maida: आजकल ब्रेड और मैदा से बने उत्पाद हमारे दैनिक जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन गए हैं। हम सुबह उठते ही ब्रेड खाते हैं, लंच और डिनर में भी ब्रेड के साथ विभिन्न व्यंजन खाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन खाद्य पदार्थों के पीछे एक काला सच छिपा हुआ है?

ब्रेड और मैदा, जो हम सोचते हैं कि स्वादिष्ट और पौष्टिक हैं, वास्तव में हमारे स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़ा दुश्मन हो सकते हैं। इन उत्पादों में कई ऐसे तत्व होते हैं जो हमारे शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं। मैदा में ग्लूटेन नामक एक प्रोटीन होता है, जो कई लोगों में एलर्जी और पाचन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है। इसके अलावा, मैदा में अधिकांश पोषक तत्वों की कमी होती है, जबकि कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है, जो मोटापा और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है।

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वर्तमान समय में मैदा हमारे आहार का एक अहम हिस्सा बन चुका है | हम जितने प्रोसेस्ड फूड्स (processed foods) खाते हैं उनमें से ज्यादातर में मैदा होता है | ज्यादातर लोग मैदा से बने समोसे, कचौड़ी, पूड़ी और नान खाना पसंद करते हैं | इसके अलावा पिज्जा, ब्रेड, बिस्कुट और अन्य प्रोसेस्ड फूड बनाने के लिए भी मैदे का प्रयोग किया जाता है | दरअसल, ये अपने हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स (Glycemic Index (GI) के कारण शरीर के ब्लड शुगर को बढ़ाते हैं | मैदा से बनी चीजें (Dark Reality of Bread and Maida) खाने में तो स्वादिष्ट लगती हैं, लेकिन इससे हमारी सेहत को कई तरह के नुकसान पंहुच सकते हैं |

ब्रेड बहुत रिफाइंड होती है और अधिक ग्लाइसेमिक इंडेक्स होने के कारण यह आपके शरीर में शुगर के स्तर को भी बढ़ाती है। यदि आप रोज ब्रेड खाती हैं, तो आपको एसिड रिफ्लक्स, ब्लोटिंग और कब्ज जैसी पेट की समस्याएं हो सकती हैं। इसमें अधिक मात्रा में स्टार्च पाया जाता है जो आपके वजन को बढ़ा सकता है।

मैदा, गेहूं के दानों से चोकर और अंकुर अलग होने के बाद प्राप्त किया जाता है। गेहूं के एण्डोस्पर्म (गेहूं का वह भाग जो चोकर और अंकुर अलग होने के बाद बचता है) को बारीक पीसकर पाउडर बनाया जाता है और उसे ब्लीच किया जाता है। इसे और अधिक सफ़ेद बनाने के लिए मैदा को बेंज़ोयल पेरोक्साइड जैसे रसायनों से ब्लीच किया जाता है।

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कैसे तैयार होता है मैदा?

आटा और मैदा दोनों ही गेहूं से बनते हैं, लेकिन दोनों को बनाने का प्रोसेस अलग अलग होता है | आटा बनाते समय गेहूं की ऊपरी छिलके को निकाला नहीं जाता, जो एक बेहतरीन डाइटरी फाइबर होता है | यह हमारे शरीर के लिए एक बहुत ही जरूरी तत्‍व होते हैं, वहीं मैदा बनाने की प्रक्रिया में आटे को और अधिक महीन पीसा जाता है और फाइबर को हटा दिया जाता है | जिससे कोई पोषक तत्व और डाइटरी फाइबर इसमें नहीं बच पाते | लिहाया ये सेहत के लिए नुकसानदाय है |

विशेषज्ञों के अनुसार, मैदा एक ऐसा खाद्य पदार्थ है जो सेहत के लिए खराब हो सकता है | हाल ही में प्रकाशित अध्ययन में, खाद्य पदार्थों में मैदा के उपयोग का संबंध दिल की बीमारियों, डायबिटीज, बढ़ता मोटापा, और अन्य बीमारियों के साथ देखा गया है | मैदा एसिड, शक्कर और प्रोसेस की गई गेहूं से बना होता है और इसमें कम फाइबर होती है जो शरीर के लिए आवश्यक होती है | इसके अलावा, मैदा खाद्य पदार्थों में प्राकृतिक गेहूं की तुलना में कम विटामिन, खनिज और प्रोटीन की मात्रा प्रदान करता है | अध्ययन में इसका भी खुलासा हुआ कि मैदा वाले भोजन का अधिक सेवन करने से बढ़ते मोटापा का खतरा बढ़ जाता है और यह दिल संबंधी समस्याओं के लिए भी जिम्मेदार हो सकता है | Dark Reality of Bread and Maida

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कैसे तैयार होता है ब्रेड?

ज़्यादातर ब्रेड में 50 पर्सेंट मैदा और 50 पर्सेंट आटा होता है साथ ही इसे बनाने के लिए प्रिजर्वेटिव और स्टेबलाइजर्स (Preservatives and Stabilizers) का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि ये जल्दी खराब न हो। आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन ये सभी एलीमेंट्स आपकी बॉडी को नुकसान पहुंचाकर डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ाते हैं। चलिए हम आपको बताते हैं इसके सेवन से आपको कौन सी बीमारियां हो सकती हैं।

ब्रेड बनाने की प्रक्रिया में यीस्ट को एक्टिव करने के लिए शुगर की जरूरत पड़ती है | ध्यान रखें, यह मफिन में नहीं बदलना चाहिए | जब भी आप ब्रेड खरीदें, लेबल पर ये देखें कि कहीं ब्रेड में एक्सट्रा शुगर तो नहीं एड है | दरअसल फैक्ट्री में बने ब्रेड में अक्सर भोजन की नमी बनाए रखने के लिए एक्सट्रा, गन्ने का रस, शहद और ऐसे अन्य स्वीटनर का उपयोग किया जाता है | ये सेहत के लिए बेहद नुकसानदायक साबित होता है | Dark Reality of Bread and Maida

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मैदा खाने से होने वाले गंभीर नुकसान क्या है?

आटे का रिफाइंड रूप मैदा है, मैदा बनाने के लिए आटे को कई बार पीसा जाता है, जिसके कारण उसके पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। मैदा खाने के नुकसान निम्नलिखित है:-

  1. पाचन संबंधी समस्याएं: मैदा को आपकी आंत के लिए काफी नुकसानदायक माना जाता है। यदि आप मैदा का सेवन ज्यादा करते हैं, तो आपको पाचन से जुड़ी समस्या हो सकती है। मैदा में फाइबर की मात्रा नहीं पाई जाती है, इसलिए यह आसानी से पचता नहीं है। मैदा से बनी चीजों के सेवन करने से अपच, कब्ज, गैस आदि जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
  2. पोषक तत्वों की कमी: मैदा बनाने के लिए गेहूं की बाहरी परत को हटा दिया जाता है और उसे महीन पीसा जाता है। ज्यादा पीसे जाने के कारण उसमें मौजूद पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं। यदि आप गेहूं के आटे के बदले मैदा का इस्तेमाल करते हैं, तो आपके शरीर में विटामिन्स, मिनरल्स की कमी हो जाती है।
  3. मेटाबॉलिक सिंड्रोम और मधुमेह: मेटाबॉ्लिक (चयापचय) सिंड्रोम (Metabolic syndrome) कोई एक समस्या नहीं, बल्कि कई बीमारियों का संयोजन यानी काॅम्बिनेशन है। इसमें मोटापा, इंसुलिन रेजिसटेंस, मधुमेह, डिस्लिपिडेमिया और उच्च रक्तचाप शामिल हैं। एक रिसर्च में लिखा है कि रिफांइड फ्लोर का सेवन करने से चार हफ्ते के अंदर ही व्यक्ति चयापचय संंड्रोम से ग्रस्त हो सकता है। माना जाता है ऐसा इसमें फाइबर और अन्य पोषक तत्वों की कमी के कारण होता है। यह सिंड्रोम हृदय रोग, स्ट्रोक और मृत्यु का भी कारण बन सकता है |
  4. कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है: मैदा में ज्यादा मात्रा में स्टार्च पाया जाता है जो कोलेस्ट्रॉल (cholesterol) बढनें का कारण बनता है और मोटापा हो सकता है। यदि आप अपने लाइफस्टाइल में मैदा का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, तो इससे बॉडी में बैड कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लीसराइड का स्तर भी बढ़ने लगता है।
  5. हड्डियां कमजोर होती है: मैदा में प्रोटीन की मात्रा ना के बराबर होती है और इसका ज्यादा सेवन हड्डियों को कमजोर बनाती है। प्रोटीन ना होने की वजह से यह एसिडिक बन जाता है, जो हड्डियों के कैल्शियम को सोख लेता है। यदि आप मैदा से बनी चीजें ज्यादा खाते हैं तो आपको हड्डियों से जुड़ी समस्या हो सकती है।
  6. ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है: मैदा में ग्लाइसेमिक इंडेक्स ज्यादा मात्रा में पाया जाता है। यदि आप मैदा से बनी चीजों का ज्यादा सेवन करते हैं तो ब्लड में ग्लूकोज जमने लगता है और यह डायबिटीज की समस्या को बढ़ा सकता है। यदि आप रोजाना अपने डाइट में मैदा से बनी चीजों का सेवन करते हैं तो आपको मधुमेह होने का खतरा होता है।
  7. पुरानी बीमारियों का जोखिम बढ़ा: अध्ययनों ने मैदा जैसे परिष्कृत अनाज के नियमित सेवन को हृदय रोग, स्ट्रोक और कुछ प्रकार के कैंसर जैसी पुरानी बीमारियों के बढ़ते जोखिम से जोड़ा है।
  8. सूजन संबंधी प्रभाव: मैदा शरीर में सूजन को बढ़ावा दे सकता है, जो गठिया, ऑटोइम्यून बीमारियों और सूजन आंत्र रोग (inflammatory bowel disease (IBD) सहित विभिन्न स्वास्थ्य स्थितियों से जुड़ा हुआ है।
  9. मस्तिष्क की समस्याएँ: मैदा के साइड इफेक्टस में मस्तिष्क संबंधी समस्याएं भी शामिल हैं। इस विषय पर हुए शोध में पाया गया है कि मैदा युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करने से मस्तिष्क संबंधी विकार हो सकते हैं। खासकर, यह डिमेंटिया यानी एक प्रकार के पागलपन का कारण बन सकता है। रिसर्च में यह भी जिक्र किया गया है कि मैदा अनहेल्दी डाइट है। इसके बारे में लोगों को पता तो है, लेकिन वो यह नहीं समझ पाते हैं कि इसके अधिक सेवन से आगे चलकर मानसिक बीमारी हो सकती है |
  10. आंतों में सूजन का कारण: अधिक मात्रा में मैदा खाना आंतों की सूजन की समस्या भी पैदा कर सकता है। दरअसल, यह आंतों में चिपक सकता है, इसी वजह से इसे ‘गलू ऑफ द गट’ कहा जाता है। इसके कारण कई आंतों से जुड़ी कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, मैदा में कई पोषक तत्वों की कमी होती है, जिसमें फाइबर भी शामिल है। लगातार मैदा युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करने से शरीर में फाइबर की कमी हो सकती है, जिस कारण छोटी आंत में सूजन की समस्या पैदा होने का जोखिम बढ़ सकता है।

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ब्रेड का ज़्यादा सेवन से होने वाले नुकसान

  • डायबिटीज़: ब्रेड में मौजूद एमाइलोपेक्टिन ए शुगर लेवल बढ़ाता है, जिससे डायबिटीज़ का खतरा बढ़ जाता है |
  • मोटापा: ब्रेड में मौजूद केमिकल्स, प्रिजर्वेटिव्स, और ज़्यादा चीनी वज़न बढ़ाने का काम करती है |
  • कब्ज़: ब्रेड में फ़ाइबर कम होता है, जिससे पाचन कमज़ोर हो जाता है और कब्ज़ की समस्या हो सकती है |
  • कोलेस्ट्रॉल: ज़्यादा ब्रेड खाने से कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स बढ़ जाते हैं, जिससे दिल से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं |
  • ब्लड प्रेशर: कुछ तरह की ब्रेड में सोडियम ज़्यादा होता है, जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ सकता है |
  • जॉइंट पेन: ग्लूटेन इन्टॉलरेंस से जूझ रहे लोगों को ब्रेड खाने से जॉइंट पेन हो सकता है |
  • आंव: रोज़ाना ब्रेड खाने से आंव होने की आशंका बढ़ जाती है |
  • कुपोषण: अगर बच्चा भूख लगने पर रोज़ ब्रेड खाता है, तो वह कुपोषण का शिकार हो सकता है |
  • रात में नहीं खाना चाहिए: रात में ब्रेड खाने से ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है |

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मैदा से बने वस्तुएँ आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक क्यों है?

  • पोषक तत्वों की कमी: मैदा बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली रिफाइनिंग प्रक्रिया पूरे गेहूं के आटे में मौजूद फाइबर, विटामिन और खनिजों को खत्म कर देती है। नतीजतन, मैदा में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी होती है और खाली कैलोरी प्रदान करता है, जिससे समय के साथ पोषक तत्वों की कमी हो जाती है।
  • उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स: मैदा में उच्च ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है, जिसका अर्थ है कि इसे खाने के बाद यह रक्त शर्करा के स्तर को तेज़ी से बढ़ाता है। मैदा जैसे उच्च-ग्लाइसेमिक खाद्य पदार्थों का नियमित सेवन इंसुलिन प्रतिरोध, मधुमेह और वजन बढ़ाने में योगदान दे सकता है।
  • ग्लूटेन की मात्रा: ग्लूटेन एक तरह का प्रोटीन होता है, जो ग्लियाडिन और ग्लूटेनिन तत्व से बनता है। इसकी मात्रा आटा, राई, जौ, ओट्स सभी में होती है। मैदा को गेहूं से ही बनाया जाता है, इसलिए यह भी ग्लूटेन युक्त होता है, लेकिन इसमें ग्लूटेन की मात्रा आटे से अधिक होती है। ग्लूटेन किसी भी प्रकार का आवश्यक पोषक तत्व प्रदान नहीं करता है। इसके विपरीत यह पेट का फूलना, पेट में दर्द, याददाश्त का कम होना व मानसिक थकान (Foggy mind), अवसाद और बार-बार होने वाले माउथ अल्सर (Aphthous Stomatitis) का कारण बन सकता है।
  • फाइबर की कमी: मैदा में फाइबर की कमी होती है। इसे रिफाइन करते समय इसमें फाइबर की मात्रा न के बराबर ही बचती है। इसी वजह से यह स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव भी नहीं डालता है। आटे के मुकाबले इसमें 80 प्रतिशत कम फाइबर होता है। यह फाइबर कब्ज की समस्या को दूर करने और पाचन के लिए आवश्यक माना जाता है।

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मैदा के नुकसानो से बचने के लिए अपनाए ये टिप्स

1. मैदा खाने से पहले उसे फर्मेंट कर लें

कोशिश करें कि घर के बाहर मैदा ना खाएं | मैदा को फर्मेंट करें यानी कि इसमें खमीर मिलाये | मैदे में खमीर मिलाने से वह प्रोबायोटिक (probiotic) हो जाता है और गट हेल्थ के लिए हेल्दी होता है और आसानी से पचता है | मैदा में खमीर उठाने के लिए उसमें आप नींबू और बेकिंग सोडा डाले या तो आप दही का इस्तेमाल कर सकते हैं |

2. मैदा तलने से पहले उसे उबाल लें

मैदा से अगर आप कुछ भी बनाए तो कोशिश करें कि उसे पहले उबाल लें, इससे मैदा पेट में जाके चिपकेगा नहीं और आसानी से पच भी जाएगा | आप चाहें तो मैदा में सूजी या आटा मिलाकर भी बना सकते हैं इससे भी पेट में मैदा चिपकेगा नहीं |

3. मैदा पचाने के लिए अपनाए ये काम

मैदा कैसे पचाए ये सवाल सबके मन में आता होगा, तो चलिए जानते हैं कि मैदा को कैसे पचाए

  • मैदा पचाने के लिए मैदा खाने के बाद 30 मिनट तक एक्सरसाइज करें |
  • मैदा से बनी चीज खाने के बाद खूब पानी पीएं |
  • मैदा खाने के बाद दही बहुत असरदार होती है |

4. मैदा की इन्हें शामिल करें अपनी डायट में

आप अपनी डायट में मैदा की जगह गेंहू, ब्राउन राइस, बाजरा, जोवार और रागी को शामिल कर सकते हैं | ये मैदा का एक अच्छा सब्सिट्यूट बन सकता है | अब तो बाजारों में भी गेंहू के ब्रेड, नूडल्स और पासता आसानी से मिल जातें हैं |

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जानिए ! मैदा से बने फूड्स को बनाने और लंबे समय तक प्रीज़र्व रखने की प्रक्रिया में कई हार्मफुल टोक्सिंस मिलाये जाते हैं| 

1.बेंज़ोयल पेरोक्साइड ( Benzoyl Peroxide)

बेंज़ोयल पेरोक्साइड, एक ब्लीचिंग एजेंट है, जिसका उपयोग करके, मैदे को सफेद रंग दिया जाता है। बेंज़ोयल पेरोक्साइड एक हानिकारक रसायन है जिसे दांतों को सफेद करने वाले उत्पादों और हेयर डाई में उपयोग करने के लिए डाला जाता है। अपने केंद्रित रूप में, यह काफी विस्फोटक हो सकता है। मैदा को बनाते वक़्त चोकर निकल जाता है, जो इसे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। चित्र: शटरस्टॉकमैदा को बनाते वक़्त चोकर निकल जाता है, जो इसे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।

2.एलोक्सन (Alloxan)

मैदा को एक चिकनी बनावट प्रदान करने के लिए एक अन्य रसायन, एलोक्सन भी जोड़ा जाता है। पशु परीक्षण से संकेत मिले हैं कि ऐलोक्सान, पैनक्रियाज़ की बीटा कोशिकाओं को नष्ट कर सकता है, जिसके परिणामस्वरूप टाइप 2 मधुमेह होता है।

3.बेंजोइक एसिड (Benzoic Acid)

मैदे में खतरनाक रसायन जैसे बेंजोइक एसिड और सोडियम मेटा बाय-सल्फेट होते हैं, जो विशेष रूप से बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए गहन जोखिम कारक हो सकता है।

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