Door to Hell: 50 साल से जल रही आग का रहस्य क्या है?

आपने कभी नहीं देखा होगा ऐसा नजारा! इस गड्ढे की आग को लेकर क्या कहते हैं वैज्ञानिक? लोग कहते हैं ‘नर्क का दरवाजा’ | Darvaza gas crater

दुनिया में कई ऐसी अजीबोगरीब घटनाएं घटती हैं, जो अपने आप में एक अजूबा होती हैं। ऐसी ही एक घटना 50 साल पहले तुर्कमेनिस्तान के काराकुम रेगिस्तान में घटी, जो अब तक लोगों के लिए एक रहस्य ही बना हुआ है। यहां एक रहस्यमयी गड्ढे से 50 साल से लगातार आग (Door to Hell) निकल रही है। लोग इसे नर्क का द्वार कहते हैं। तुर्कमेनिस्तान के काराकुम रेगिस्तान में मौजूद एक विशाल गड्ढे को ‘नर्क का दरवाज़ा’ (Darvaza Gas Crater) कहा जाता है | इस गड्ढे में करीब 50 सालों से आग धधक रही है | इस आग की वजह से आस-पास के लोगों को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो रही हैं | हालांकि, यह जगह पर्यटकों के बीच काफ़ी लोकप्रिय है और कई लोग इसे देखने आते हैं |

showing the image of "Door to Hell" in the Karakum Desert of Turkmenistan

गैस क्रेटर काराकुम (Door to Hell) रेगिस्तान के बीच में दरवाज़ा गाँव के पास है, जो तुर्कमेनिस्तान की राजधानी अश्गाबात से लगभग 260 किलोमीटर (160 मील) उत्तर में है, इसका व्यास 60-70 मीटर (200-230 फीट) है और इसकी गहराई लगभग 30 मीटर (98 फीट) है। पास में ही एक और गैस क्रेटर है जिसे बाड़ से घेर दिया गया है और उसमें से एक अलग तरह की गंध आती है।

Also, read: 5 longest sea bridges: जानिए दुनिया के सबसे लंबे 5 समुद्री पुलों के बारे में!

इस गड्ढे के बारे में कुछ रोचक और अविश्वशनीय बातें | Some interesting and unbelievable things about this pit

  • यह गड्ढा 230 फ़ीट चौड़ा है | इस गड्ढे के बारे में कहा जाता है कि इसमें एक बड़ी आबादी समा सकती है |
  • वैज्ञानिकों का कहना है कि इस गड्ढे में आग गैस के कारण लगी है और उसी वजह से यह आग लगातार जल रही है |
  • माना जाता है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ को तेल और प्राकृतिक गैस की ज़रूरत थी |
  • साल 1971 में प्राकृतिक गैस निकालने की होड़ में यहां बड़ा विस्फोट हो गया था | इसी विस्फोट से वो गड्ढा बना, जिसे आज ‘Door to Hell’ कहते हैं |
  • उस समय वैज्ञानिकों ने रेगिस्तान में खोदाई शुरू की और तेल की खोज की, उन्हें प्राकृतिक गैस मिली, लेकिन जहां उन्होंने उसे खोजा वहां ज़मीन धंस गई और ये गड्ढे बन गए | गड्ढों में से तेज़ी से मीथेन गैस का रिसाव हुआ, ताकि वायुमंडल को ज़्यादा नुकसान न पहुंचे, इसलिए वैज्ञानिकों ने गड्ढे में आग लगा दी | उन्हें लगा था कि जैसे ही गैस खत्म होगी, आग भी बुझ जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ | आज पूरे 50 साल बीतने के बाद भी आग वैसे ही जल रही है | हालांकि, इस दावे की सच्चाई के कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं |
  • इस गड्ढे की आंच इतनी ज़्यादा होती है कि अगर आप इसके पास भी जाएं, तो पिघल जाएंगे |
  • इस जगह को अंग्रेज़ी में कुछ लोग gate of hell और mouth of hell भी कहते हैं |
  • तुर्कमेनिस्तान के भूवैज्ञानिकों के अनुसार, ये विशाल गड्ढा 1960 के दशक में बना था, लेकिन 1980 के दशक में ही इसमें आग लगी थी |
  • इस गड्ढे को लेकर तमाम लोगों की अपनी अलग-अलग थ्योरी हैं | कुछ लोग इसे शैतान का घर बताते हैं तो कुछ लोगों का कहना है कि किसी खास कारण से इसे सीक्रेट रखा गया | ये किसी असफल अभियान का भी हिस्सा हो सकता है |

Also, read: China Three Gorges Dam: जानिए इस बाँध की वजह से धरती का घूमना हुआ धीमा!

इतिहास: Door to Hell

क्रेटर (Door to Hell) के निर्माण और प्रारंभिक इतिहास को लेकर कई मतभेद हैं। उपलब्ध रिकॉर्ड्स की कमी के कारण सटीक जानकारी प्राप्त करना मुश्किल हो रहा है। कुछ स्थानीय भूवैज्ञानिकों का मानना है कि क्रेटर का निर्माण 1960 के दशक में हुआ था और 1980 के दशक में जहरीली गैसों को रोकने के लिए आग लगाई गई थी। वहीं, अन्य लोगों का दावा है कि 1971 में सोवियत इंजीनियरों ने इस क्षेत्र में तेल का उत्खनन किया था, जिसके कारण धरती धंस गई और क्रेटर का निर्माण हुआ। इंजीनियरों ने जहरीली गैसों को नियंत्रित करने के लिए आग लगाने का निर्णय लिया, लेकिन गैस की मात्रा का अनुमान गलत होने के कारण आग लगातार जलती रही।

Also, read: Dark Oxygen: 3,000 फीट नीचे प्रशांत महासागर में मिली ऑक्सीजन!

कहां है ये नर्क का दरवाजा: Door to Hell

जिस जगह को पूरी दुनिया में नर्क का दरवाजा कहा जाता है, वो जगह कहीं और नहीं बल्कि तुर्कमेनिस्तान में है | यहां मौजूद एक विशाल क्रेटर को ही Door to Hell कहा जाता है | दरअसल, इससे बीते 50 वर्षों से आग निकल रही है | इस आग की तपन इतनी ज्यादा होती है कि आप अगर इसके करीब भी चले जाएं तो पिघल जाएंगे | नर्क के दरवाजे के नाम से मशहूर ये गड्ढा 230 फीट चौड़ा है | वैज्ञानिक कहते हैं कि इस गड्ढे में आग गैस के कारण लगी है और निरंतर उसी के कारण आग धधक रही है | तुर्कमेनिस्तान के अश्गाब शहर से 160 मील दूर स्थित काराकुम रेगिस्तान में मौजूद ये गड्ढा आज पूरी दुनिया के लिए रहस्य बना हुआ है | अंग्रेजी में इस जगह को कुछ लोग गेट ऑफ हेल और माउथ ऑफ हेल (Gate of Hell and Mouth of Hell) भी कहते हैं |

showing the image of "Door to Hell" in the Karakum Desert of Turkmenistan

Also, read: First Rain On Earth: 20 लाख साल तक लगातार बारिश क्यों? एक वैज्ञानिक रहस्य!

कैसे लगी मौत के दरवाजे में आग?

कहा जाता है कि पहले ये गड्ढा नहीं था, बल्कि second world war के दौरान जब सोवियत संघ की हालत खराब होने लगी तो वह तेल और प्राकृतिक गैसों के लिए रेगिस्तान में खुदाई करने लगा | इस खुदाई के दौरान एक जगह ऐसी मिली जहां काफी गैस थी | लेकिन जब यहां से गैस निकालने की कोशिश हुई तो ये जगह अचानक से धंस गई और इसमें आग लग गई | ये आग आज भी जल रही है और लोगों के दिल में एक अलग सी खौफ पैदा कर रही है | कहते हैं कि कई वर्षों तक यहां के लोकल लोग इस जगह को शापित मानते रहे | उन लोगों का कहना था कि इस जमीन के नीचे शैतान रहते हैं और ये आग उनके गुस्से का कहर है | हालांकि, विज्ञान ऐसा कुछ नहीं मानता | विज्ञान का मानना है कि इस गड्ढे से गैस बीते 50 वर्षों से रिस रहा है, जिसकी वजह से ये आग बरकरार है |

Also, read: Mystrey of Kyaiktiyo Pagoda: सदियों से ढलान पर टिका सुनहरा पत्थर!

दरवाजा गैस क्रेटर में आग बुझाने की नाकाम कोशिश | Failed attempt to extinguish fire in Darwaza gas crater (Door to Hell)

अप्रैल 2010 में, राष्ट्रपति गुरबांगुली बर्दीमुहामेदोव ने सिफारिश की कि क्षेत्र में अन्य प्राकृतिक गैस क्षेत्रों के विकास पर क्रेटर के प्रभाव को सीमित करने के लिए उपाय किए जाने चाहिए। जनवरी 2022 में, बर्दीमुहामेदोव ने स्थानीय स्वास्थ्य, पर्यावरण और प्राकृतिक गैस उद्योग पर हानिकारक प्रभावों का हवाला देते हुए क्रेटर को बुझाने की योजना की घोषणा की। इष्टतम तकनीक खोजने के लिए एक आयोग की स्थापना की गई। बर्दीमुहामेदोव के इरादों के बावजूद आज तक, क्रेटर या Door to Hell, खुला है और जलता हुआ बना हुआ है।

Also, read: Can a kidney disappear? लंदन के रहस्यमयी शख्स की किडनी गायब, डॉक्टर भी हैरान!

Door to Hell: एक पर्यटक आकर्षण!

सोवियत संघ के पतन के बाद, तुर्कमेनिस्तान में स्थित दरवाज़ा गैस क्रेटर एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण बन गया है। वर्ष 2013 में इस क्षेत्र को प्राकृतिक रिजर्व घोषित किए जाने से इस क्षेत्र में पर्यटकों की संख्या में और वृद्धि हुई है। एक कच्ची सड़क सीधे क्रेटर तक जाती है और आसपास yurt या युर्ट (मंगोलियाई तंबू) स्थापित किए गए हैं।

कुछ उल्लेखनीय घटनाएँ:

  • 2018 अमूल-हजार ऑटोमोबाइल रैली: इस वर्ष इस गैस क्रेटर का उपयोग रैली के दौरान रात भर रुकने के लिए किया गया था।
  • 2019 में बर्दीमुहामेदोव का स्टंट: तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति गुरबंगुली बर्दीमुहामेदोव ने अपनी मौत की अफवाहों को खारिज करने के लिए राज्य टेलीविजन पर क्रेटर के चारों ओर डोनट स्टंट करते हुए दिखाई दिए थे।

यह क्रेटर न केवल एक प्राकृतिक आश्चर्य है बल्कि तुर्कमेनिस्तान के लिए एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल भी बन गया है।

Related Articles:-

Egg Laying Cliff of China: चीन में मिली ऐसी चट्टान जो देती है अंडे!

The Indian village with no doors: एक ऐसा गांव जहां घरों में नहीं लगते ताले!

6 unsolved mysteries of India: क्या विज्ञान कभी इनका हल ढूंढ पाएगा?

Baba Harbhajan Singh mystery: मरने के बाद भी नहीं छोड़ी ड्यूटी!

Coconut water: कैसे बनता है, कहां से आता है, नारियल के अंदर पानी?

World’s 10 mysterious places: रहस्यमयी जगहें जहां जाना मना है!

Shocking Indian Wedding Rituals: भारतीय शादियों की 10 अनदेखी और अनसुनी रस्मे!

Groom Throwing Ritual: दूल्हे को कुएं में फेंकने की अजीबोगरीब रस्म!

Share on:

Leave a Comment

Terms of Service | Disclaimer | Privacy Policy
राम मंदिर के अद्भुत रहस्य: जो आपको हैरान कर देंगे अंधेपन से प्रतिभा तक: Ram Bhadracharya की उल्लेखनीय कहानी Ram Janmbhoomi-Ayodhya का चमत्कारी इतिहास क्या आप Cryptocurrency के बारे में जानते हैं? The Election Law Admendment Bill 2021 – विपक्षी दल कर रहे विरोध। Apple iPhone 13 हुआ लॉन्च – जानिए क्या है उसके फीचर्स। iPhone 14 भी हुआ leak – Top Rumored Features Apple iPhone 13 Released Date : बिलकुल ही Fresh looks और नये Features के साथ