पृथ्वी का रहस्यमयी अतीत: डायनासोरों की बादशाहत से पहले, 20 लाख साल तक लगातार हुई थी बारिश! First Rain On Earth
First Rain On Earth: पृथ्वी पर इंसान ही नहीं डायनासोर की बादशाहत से पहले एक ऐसा दौर रहा है कि यहां पहेली बार में ही, लाखों वर्षों तक लगातार बारिश होती रही। हाल ही में हुए एक रिसर्च में ऐसा दावा किया गया है की करोड़ों वर्ष पहले पृथ्वी पर २० साल तक लगातार बारिश होने जैसी घटना घटी थी। इस रिसर्च में भी समय को लेकर कोई निश्चितता नहीं बताई गई है, पर इतना जरूर कहा गया है कि 10 से 20 लाख वर्षों तक पृथ्वी पर लगातार बारिश हुई। इतना ही नहीं तब पृथ्वी पर उथल-पुथल का दौर जारी था। ऐसा माना गया है कि पृथ्वी पर जीवन के लिए यह प्राकृतिक घटना जरूरी थी।
एक रिसर्च में ऐसा माना गया है कि हमारे ग्रह पर लाखों वर्षों तक लगातार बारिश होती रही। लाखों सालों की इसी बारिश ने हमारे नीले ग्रह पर जीवन को पनपने में मदद की। वैज्ञानिक वर्तमान दौर में भी इसे समझने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर इतने वर्षों तक लगातार बारिश और पृथ्वी पर पहली बारिश (First Rain On Earth) क्यों हुई? आखिर इसका कारण क्या था? इसके बाद डायनासोर का जीवन पृथ्वी पर कैसे संभव हुआ? डायनासोर के जीवन के बाद उनका जीवन समाप्त कैसे हुआ? इसके बाद पृथ्वी पर इंसानों की बादशाहत कैसे कायम हुई? यह सभी प्रश्न अभी तक अनसुलझे ही हैं, पर शोधकर्ता अपने शोध जरूर करते रहते हैं जो दुनिया भर के सामने आते हैं।
वैज्ञानिकों का मानना है कि पृथ्वी पर 20 से 30 करोड़ साल पहले, जब पैंजिया महाद्वीप हुआ करता था, तब 10 से 20 लाख साल तक लगातार बारिश हुई थी | इस दौरान अलास्का और ब्रिटिश कोलंबिया के आस-पास बड़े पैमाने पर ज्वालामुखी विस्फोट हुए थे | इन विस्फोटों से वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड फैली और लंबे समय तक मौसमी बदलाव (ग्लोबल वार्मिंग) बनी रही, इससे धरती पर आर्द्रता बढ़ गई और नमी की मात्रा बढ़ने लगी | इसी वजह से लाखों सालों तक बारिश होती रही | जियोलॉजिकल सोसायटी के जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक, इस अवधि में बढ़ी हुई नमी डायनासोर के लिए फ़ायदेमंद थी, लगातार ज्वालामुखी विस्फोटों के बाद बढ़ी हुई नमी ने उन्हें विविधता लाने में (to diversify) मदद की |
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क्यों हुई थी लाखों साल बारिश?
दुनिया के अलग-अलग हिस्सों के अन्य अध्ययनों से एक समान अवधारणा का पता चला। धरती के इतिहास में एक समय काफी लंबे समय तक सूखा पड़ा और फिर बारिश की शुरुआत हुई। भूवैज्ञानिकों ने यह निष्कर्ष निकाला कि डायनासोर के युग की शुरुआत में असामान्य रूप से धरती आर्द्र थी। इस अवधि को कार्नियन प्लवियल इवेंट या कार्नियन प्लवियल एपिसोड (Carnian Pluvial Event or Carnian Pluvial Episode) के तौर जाना जाता है। धरती पर घटी इस दिलचस्प घटना से इस बात को समझने की जरूरत पड़ी कि आखिर लाखों साल तक बारिश क्यों होने लगी? वैज्ञानिक मानते हैं कि आर्द्रता में वृद्धि की वजह से नमी का स्तर काफी बढ़ गया, जो शायद रैंगेलिया लार्ज इग्नियस प्रांत (Wrangellia Large Igneous Province) में बड़े पैमाने पर ज्वालामुखी विस्फोट की वजह से हुई।
इसकी वजह से धरती पर लाखों सालों तक बारिश होती रही। इस घटना की वजह से संभवतः धरती के तापमान में वृद्धि हुई। इसका परिणाम यह हुआ कि महासागर गर्म हो गए और वायुमंडल में नमी की मात्रा बढ़ गई। जियोलॉजिकल सोसायटी के जर्नल में एक अध्ययन प्रकाशित किया गया था। इससे पता चला है कि आर्द्र अवधि डायनासोर के लिए फायदेमंद थी। लगातार ज्वालामुखी विस्फोटों वाले उथल-पुथल भरे युग के बाद बढ़ी नमी की इस अवधि ने विविधता लाने में सहायता की।
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पैंजिया महाद्वीप कब बना था?
धरती की शुरुआत से ही जमीन के टुकड़े अलग-अलग आकर में जुड़ते बिखरते रहे हैं, करीब 32 करोड़ साल पहले इन टुकड़ों ने एक सुपर कांटिनेंट का रूप लिया | जीवन अंगड़ाई ले रहा था और प्रजातियों की बड़ी तादाद विकास यात्रा पे थी | इनमें से दो हालांकि सबसे महत्वपूर्ण थीं- सिनैपसिड्स और सौरोपसिड्स, सिनैपसिड्स प्रजाति के ही कुछ जीव आगे जाकर स्तनपायी जीव (mammals) बने, दूसरी तरफ सौरोपसिड्स थे, जो पक्षियों और सांप आदि रेंगनेवाले जीवों के पूर्वज थे | इनके अलावा पेड़-पौधों, कीड़ों, समुद्री जीवों की भी कई प्रजातियां थीं, जो एकदम अनुकूल वातावरण में फल-फूल रही थीं | लेकिन फिर ये हालात जल्द ही बदलने लगे (जल्द समय हम कॉस्मिक कलेण्डर के हिसाब से कह रहे हैं असलियत में ये अवधि करोड़ों साल की थी) |
साल 2019 में साइंस मैगज़ीन में छपी, स्टैंडफोर्ड युनिवर्सिटी की एक रिसर्च के अनुसार कुछ 25 करोड़ साल पहले धरती पर एक प्रलय आया, जिसमें 90 % के आसपास जीव जंतु ख़त्म हो गए थे | इस घटना को “पर्मियन-ट्रायेसिक विलुप्ति घटना (Permian–Triassic Extinction Event)” कहा जाता है | धरती के शुरुआत से लेकर अब तक 5 बार प्रलय की घटनाएं हो चुकी हैं | आख़िरी बार ऐसा 6.5 करोड़ साल पहले हुआ था, जब धरती से डायनोसौर का नामों निशान मिट गया था | डायनोसौर की विलुप्ति का कारण धरती से एक उल्कापिंड का टकराना था | लेकिन permian–triassic extinction क्यों हुआ, इस पर वैज्ञानिक आज तक एकमत नहीं हो पाए हैं |
कुछ थियोरीज़ जरूर हैं, मसलन माना जाता है की शायद ज्वालामुखियों के फटने से ऐसा हुआ था | एक कारण ये भी हो सकता है कि आग लगने के कारण कोयलों से निकली कार्बन मोनो ऑक्साइड ने ग्लोबल वार्मिंग को अंजाम दिया हो, कई और ‘अनुमान’ भी हैं, लेकिन एक बात पर सारे वैज्ञानिक सहमत हैं, कि धरती और समुद्र का तापमान इस हद तक बढ़ने लगा था, समंदर उबलने लगे, ऑक्सीजन की कमी होती गई और 90 % समुद्री जीव मारे गए | ऐसा ही कुछ जमीन पर भी हुआ | जहां एसिड की बारिश ने 80% जीवों की प्रजातियां नष्ट कर दीं, इस घटना को वैज्ञानिकों ने ‘Great Dying’ का नाम दिया है |
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10 लाख सालों की बारिश का हमारी पृथ्वी पर क्या प्रभाव पड़ा
ग्रेट डाईंग (great dying) के अगले 1 करोड़ सालों तक हालात ऐसे ही रहे, और फिर शुरू हुआ वह काल, जिसे ट्राईएसिक पीरियड (triassic period), कहा जाता है कि 1990 तक वैज्ञानिक मानते आए थे कि ट्राईएसिक पीरियड की शुरुआत में जमीन एकदम सूखी और बंजर थी | फिर 1989 में ब्रिटेन के दो जियोलॉजिस्ट्स, माइकल जे. सिम्स और एलिस्टर रफल (Michael J. Sims and Alistair Ruffle) ने एक नई खोज पब्लिश की | चट्टानों की तलहटी से मिले निशानों से उन्होंने पता लगाया कि ट्राईएसिक पीरियड एकदम सूखा नहीं था |
2 दशक तक इस खोज पर बहस हुई और 2010 के आसपास वैज्ञानिक इस बार पर एकमत हुए कि 23 करोड़ साल पहले धरती पर एक ऐसी बारिश हुई थी, जो 20 लाख सालों तक (First Rain On Earth) होती ही रही | ये बात पूरी तरह विज्ञान द्वारा सत्यापित है, हालांकि यहां ऐसा दावा नहीं है कि ये अंतिम सत्य है, अभी के सुराग ये बता रह हैं, कल कुछ और सुराग मिले, जो दूसरी तरफ इशारा करें तो सच भी बदल जाएगा | यही विज्ञान की खूबसूरती है, यहां बहस की गुंजाइश है, अब देखिए न, वैज्ञानिक तो इस बात पर भी सहमत नहीं हैं कि 20 लाख साल तक बारिश हुई तो हुई कैसे?
एक थियोरी (theory) बताती है इस वर्षा से पहले 50 लाख सालों तक लगातार ज्वालामुखी फूटे, गर्मी से नमी इतनी बढ़ी कि लाखों सालों तक हुई इस बारिश से एक कमाल की चीज सामने आई और वो थी, पैंजिया महाद्वीप (Pangea continent) जोकि धरती का एक बड़ा टुकड़ा था, समंदर से उठा मानसून अक्सर इसके केंद्र तक नहीं पहुंच पाता था, लेकिन लाखों सालों की बारिश ने पैंजिया के बीच के इलाके को भी झमाझम पानी से भर दिया | इस बारिश में कुछ नए सिर उठे, पहले छोटे, और फिर धीरे-धीरे इतने बड़े कि सबसे बड़े सर का आकार डेढ़ मीटर पहुंच गया, कुछ देर पहले हमने आपको बताया था कि पैंजिया पर दो प्रजातियों का वर्चस्व था | सिनैपसिड्स और सौरोपसिड्स, प्रलय के बाद बिचारे सिनेपिड्स लगभग लुप्त हो गए, कुछ एक जीवों को छोड़कर जो बचे, आगे जाकर स्तनपाई जीवों के रूप में विकसित हुए |
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दूसरी तरफ़ सौरोपसिड्स की मौज रही, इनसे पक्षियों और रेंगनेवाले जंतुओं का विकास हुआ और विकास हुआ उस महाकाय जीव का, जिसे हम डायनोसौर के नाम से जानते हैं | हालांकि ऐसा नहीं था कि डायनोसौर शुरुआत से ही विशालकाय हो गए थे | शुरुआती डायनोसौर छोटे, लगभग मुर्गी के आकार के होते थे, फिर जैसे जैसे तापमान बढ़ा, डायनोसौर का आकार भी बढ़ता गया, क्योंकि पहले महज़ ठंड से बचने में शरीर की सारी ऊर्जा बर्बाद हो जाती थी, इस ऊर्जा को आज़ादी मिली तो उसने शरीर का आक़ार बढ़ाने का काम किया | साथ ही लाखों साल हुई बारिश के बाद (First Rain On Earth) पेड़ पौधों को उगने के लिए जमीन मिली, इसलिए शुरुआती डायनोसौर में अधिकतर शाकाहारी थे, फिर जैसे जैसे जानवरों की और प्रजातियां विकसित हुईं, कुछ डायनोसौर मांसाहारी बन गए | ये सिलसिला 16 करोड़ साल तक चला, फिर कुछ साढ़े 6 करोड़ साल पहले धरती पर एक और प्रलय आया, जिसमें डायनोसौर का समूल विनाश हो गया |
पैंजिया सुपरकांटिनेंट का क्या हुआ? | पैंजिया महाद्वीप का क्या हुआ?
करीब 18 करोड़ साल पहले टेक्टोनिक प्लेट्स (tectonic plates) के मूवमेंट से जमीन का ये विशाल टुकड़ा दो हिस्सों में बंटना शुरू हुआ, 4 इंच प्रति वर्ष की रफ़्तार से, ये दो टुकड़े कहलाए, लॉरेशिया और गोंडवानालैंड | 13 करोड़ साल पहले लॉरेशिया आगे टूटकर यूरोप, एशिया और उत्तर अमेरिका में बंट गया, और गोंडवानालैंड से अंटार्कटिका, ऑस्ट्रेलिया और साउथ अमेरिका बन गए, साथ ही बना वो टुकड़ा जिसे हम भारतीय उपमहाद्वीप कहते हैं| भारतीय प्लेट यूरेशिया से टकराई और जन्म हुआ हिमालय का |
ये विघटन यहीं न रुका, अभी भी हो रहा है और लगातार हो रहा है | शुरुआत एक नक़्शे से की थी, इसलिए अंत में एक और नक्शा दिखाते हैं, हालांकि ये सिर्फ संभावित नक्शा है | 5 करोड़ साल के बाद का, जब अफ्रीका का उत्तरी हिस्सा जाकर यूरोप से टकराएगा, जिससे मेडिटरेनियन सागर ख़त्म हो जाएगा और वहां पहाड़ बन जाएंगे | बाकी हिस्सों में भी अंतर आएगा और भारत भी वैसा नहीं रहेगा जैसा नक्शा हम आज बनाते है, हालांकि तब तक इंसान रहेंगे या नहीं, ये कहना मुश्किल है|
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FAQ: First Rain On Earth, 20 लाख साल तक लगातार बारिश क्यों?
धरती पर पहली बार बारिश (First Rain On Earth) कब हुई थी?
आकाश इन सभी वाष्पों से भर गया, जिससे अंततः तरल पानी की वर्षा हुई और पृथ्वी भूवैज्ञानिक रूप से जीवित हो गई। जब चंद्रमा का निर्माण हुआ यानि आज से ठीक 4.5 अरब वर्ष पहले धरती पर पहली बार बारिश हुई (First Rain On Earth)।
धरती पर पानी कहाँ से आया?
इससे पता चला है कि पृथ्वी पर पानी अंतरिक्ष के धूल के कणों से आया था | ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के शोधकर्ताओं के इस अध्ययन में पाया गया है कि धूल के कणों में पानी तब बना था, जब सौर पवन से आवेशित कणों ने अंतरिक्ष में मौजूद धूल के कणों की रासायनिक संरचना बदल दी | इससे इनमें पानी के अणु पैदा हो गए |
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डायनासोर युग में पृथ्वी कैसी दिखती थी?
जलवायु आम तौर पर आज की तुलना में अधिक गर्म और अधिक आर्द्र थी, शायद बहुत सक्रिय ज्वालामुखी के कारण जो असामान्य रूप से उच्च दर के समुद्री तल फैलाव से जुड़ी थी। ध्रुवीय क्षेत्र महाद्वीपीय बर्फ की चादरों से मुक्त थे, उनकी भूमि इसके बजाय जंगल से ढकी हुई थी। डायनासोर अंटार्कटिका में घूमते थे, यहां तक कि इसकी लंबी सर्दियों की रात के साथ भी।
डायनासोर से पहले पृथ्वी पर क्या रहता था?
लगभग 120 मिलियन वर्षों तक – कार्बोनिफेरस से लेकर मध्य ट्राइसिक काल तक – स्थलीय जीवन पर पेलिकोसॉर्स, आर्कोसॉर्स और थेराप्सिड्स (तथाकथित “स्तनपायी-जैसे सरीसृप”) का प्रभुत्व था, जो डायनासोर से पहले थे।
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