विज्ञान की चौंकाने वाली खोज: नवीनतम विश्लेषण से पता चला है कि भारतीय टेक्टोनिक प्लेट तिब्बत के नीचे दो हिस्सों में बंट रही है|
Indian Tectonic Plate Splitting: भारत में लगाातार महसूस किए जा रहे भूकंप के झटकों को लेकर हाल ही में एक रिसर्च की गई | इस रिसर्च में दावा किया गया है कि तिब्बत के नीचे इंडियन टेक्टोनिक प्लेट फट रही है | ये प्लेट तेजी से यूरेशियन प्लेट से नीचे जाने के कारण फट रही है | इस गतिविधी के कारण हिमालय की ऊंचाई भी बढ़ रही है | यहां तक की इससे तिब्बत भी 2 हिस्सों में टूट सकता है | इस रिसर्च को लेकर अमेरिकन जियोफिजिकल यूनियन (American Geophysical Union (AGU) की वार्षिक बैठक हुई | इस दौरान कुछ रिसर्च पेपर के जरिए दावा किया गया कि दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत के नीचे के हालत काफी ज्यादा कठिन होते जा रहे हैं | यहां तक की इसके नतीजे काफी भयानक भी हो सकते हैं |
अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के समूह ने यह जानकारी दिसंबर में अमेरिकन जियोफिजिकल यूनियन कॉन्फ्रेंस में दी थी | जिसमें वैज्ञानिकों ने दुनिया के सबसे ऊंचे पहाड़ी रेंज के नीचे चल रही हलचल को लेकर डराने वाले खुलासे किए | भारतीय टेक्टोनिक प्लेट, डिलैमिनेशन (Delamination) की प्रक्रिया से गुजर रही है | यानी दो हिस्सों में बंट रही है |
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भारतीय प्लेट जूझ रही है मेंटल और तिब्बत की प्लेट से- Indian Tectonic Plate Splitting
- भारतीय टेक्टोनिक प्लेट के फटने की वजह से जमीन के नीचे एक विचित्र भौगोलिक व्यवहार देखने को मिल रहा है | भारतीय टेक्टोनिक प्लेट का ऊपरी हिस्सा तिब्बत के जमीन को ऊपर रखने में मदद करता है | लेकिन भारतीय प्लेट का निचला हिस्सा धरती के मेंटल में धंस रहा है | क्योंकि इसका घनत्व कम है |
- भारतीय प्लेट का निचला हिस्सा लगातार मेंटल में धंस रहा है | यह प्रक्रिया तिब्बत के नीचे हो रही है | इस स्टडी को करने के लिए वैज्ञानिकों ने भारतीय और यूरेशियन प्लेट के टक्कर वाली जगह पर भूकंपीय तरंगें (Seismic Waves) भेजीं | फिर उनसे मिले डेटा से यह स्टडी की | भूकंपीय तरंगों ने साफ बताया कि भारतीय प्लेट फट रही है |
- भारतीय प्लेट के क्रस्ट यानी ऊपरी हिस्से में बड़ी दरारें आ रही हैं | ये 100 से 200 किलोमीटर के बीच हो सकती है | यानी ये दरार प्लेट्स के बीच बनी फोर्स की वजह से और बड़ी हो सकती है | यह दरार जमीनी सतह से 100 किलोमीटर नीचे बन रही है | जिसका असर धरती के केंद्र यानी कोर तक जाएगा |
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तेजी से फट रही है भारतीय टेक्टोनिक प्लेट -Indian Tectonic Plate Splitting
वैज्ञानिकों का दावा है कि भारतीय टेक्टोनिक प्लेट में हो रही इस हलचल के कारण यूरेशियन प्लेट उपर उठ रहा है और ये तेजी से आगे की तरफ फैल रहा है, जिसके चलते हिमालय की ऊंचाई बढ़ रही है | इससे हिमालय बेल्ट के आस-पास भूकंप की संख्या भी बढ़ गई है | रिसर्चर्स का दावा है कि इंडियन टेक्टोनिक प्लेट में डिलैमिनेशन की प्रक्रिया चल रही है | यानी की यह 2 भागों में बंट रही है | भारतीय टेक्टॉनिक प्लेट के फटने से जमीन के नीचे विचित्र भौगोलिक व्यवहार देखा जा रहा है | बता दें कि इंडियन टेक्टोनिक प्लेट का उपर वाला हिस्सा तिब्बत की भूमि को उपर रखने का काम करता है, लेकिन इंडियन टेक्टोनिक प्लेट का निचला हिस्सा घनत्व होने के कारण जीमने के मेंटल में धंस रहा है |
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भारतीय प्लेट के ऊपरी हिस्से में पड़ रही दरारें- Indian Tectonic Plate Splitting
रिसर्च के लिए वैज्ञानिकों ने यूरेशियन और भारतीय प्लेट के टक्कर वाली जगह पर भूकंपीय तरंगे यानी Seismic Waves भेजीं | इसके बाद रिसर्चर्स ने उनसे मिले कुछ डाटा से स्टडी की | इसमें साफ पता लगा कि भारतीय टेक्टोनिक प्लेट फट रही है | डाटा के मुताबिक भारतीय प्लेट के ऊपरी हिस्से में 100-200Km के बीच बड़ी दरारें आ रही हैं | ये दरारें प्लेट्स के बीच बनी फोर्स के कारण और भी ज्यादा बड़ी हो सकती है | बता दें कि यह दरारें जमीनी सतह से 100km नीचे बन रही हैं | जिसका असर जमीन के केंद्र तक पड़ने वाला है |
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स्टडी के बाद ये हुए नए खुलासे
पृथ्वी के सबसे शक्तिशाली पर्वत हिमालय, लंबे समय से भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेटों के बीच धीमी गति से होने वाली भूगर्भीय टक्कर का मंच रहे हैं। यह महायुद्ध लगभग 60 मिलियन वर्षों से चल रहा है, जिसने इस क्षेत्र के ऊपर प्रतिष्ठित चोटियों को गढ़ा है। हालाँकि, असली रहस्य सतह के नीचे है, जहाँ टेक्टोनिक शक्तियाँ रहस्यमय तरीके से काम करती हैं। यह बात पूरी दुनिया को पता है कि भारतीय प्लेट लगातार यूरेशियन प्लेट को धकेल रही है | उत्तर की तरफ बढ़ रही है | वैज्ञानिकों ने जब 3D S-Wave Receiver के जरिए हिमालय के नीचे की स्टडी की तो हैरान करने वाले खुलासे हुए |
- तिब्बत के दक्षिण में 90 डिग्री नीचे लिथोस्फेयर-एस्थेनोस्फेयर बाउंड्री (Lithosphere-asthenosphere boundary) है | वहीं पर ये हलचल हो रही है |
- यारलंग-जांग्बो दर्रा (Yarlung-Zangbo Pass) से 100 km दूर उत्तर की तरफ दरारें बननी शुरू हुई हैं | ये तिब्बत के नीचे हैं |
- पूर्व की तरफ भारत के नीचे का मेंटल के पास ग्रैविटी के असर से ऊपरी हिस्सा सेपरेट हो रहा है |
- यादोंग-गुलू और कोना-सांगरी रिफ्ट में हीलियम आइसोटोप की तीव्रता बढ़ी है | यानी धरती के केंद्र से हीलियम आ रहा है |
- इसके अलावा इस इलाके में लगातार भूकंप आ रहे हैं | जिससे भारतीय टेक्टोनिक प्लेट और तेजी से टूट रही है |
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