नमामि गंगे योजना (Namami Gange Yojana) को केंद्र सरकार और राज्य सरकार के द्वारा शुरू शुरू किया गया हैं, इस योजना के माध्यम से गंगा नदी की सफाई कराई जाएगी। गंगा नदी का जल लगातार दूषित होता जा रहा हैं और इसकी सफाई के लिए नमामि गंगे अभियान शुरू किया गया हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि गंगा नदी देश की अन्य पवित्र नदियों में से एक हैं और इस पवित्र नदी में लाखो करोडो लोग स्नान करते हैं और अपने पाप धोते हैं। लेकिन दिन प्रतिदिन आस पास के गॉवों और शहरों से प्रदूषण के कारण नदी दूषित होती जा रही हैं। इसलिए गंगा नदी की सफाई करने के उद्देश्य से सरकार ने Namami Gange Yojana का शुभारम्भ किया हैं।
गोमुख (Gomukh) से लेकर हरिद्वार के सफर के दौरान गंगा 405 किलोमीटर का सफर तय करती है। अपने किनारे बसे 15 शहरों और 132 गांवों के कारण इनसे निकलने वाले कूड़ा-करकट से लेकर करोड़ों लीटर सीवरेज ने गंगा को मैला कर दिया है। इसके तहत 2017 से उत्तराखंड में गंगा की निर्मलता के लिए कोशिशें शुरू हुई और वर्तमान में 65 प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं।
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नमामि गंगे योजना | Namami Gange Yojana | NGY
इस योजना को जून 2014 से आरंभ किया गया हैं। बता दें कि इस योजना की अवधि 18 साल हैं। आप नमामि गंगे योजना विकिपीडिया के माध्यम से भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। गंगा नदी का न सिर्फ़ सांस्कृतिक और आध्यात्मिक (cultural and spiritual) महत्व है बल्कि देश की 40% आबादी गंगा नदी पर निर्भर है। 2014 में न्यूयॉर्क में मैडिसन स्क्वायर गार्डन में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था-
“अगर हम इसे साफ करने में सक्षम हो गए तो यह देश की 40 फीसदी आबादी के लिए एक बड़ी मदद साबित होगी। अतः गंगा की सफाई एक आर्थिक एजेंडा भी है”।
इस सोच को कार्यान्वित करने के लिए सरकार ने गंगा नदी के प्रदूषण को समाप्त करने और नदी को पुनर्जीवित करने के लिए ‘नमामि गंगे’ नामक एक एकीकृत गंगा संरक्षण मिशन का शुभारंभ किया। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नदी की सफाई के लिए बजट को चार गुना करते हुए पर 2019-2020 तक नदी की सफाई पर 20,000 करोड़ रुपए खर्च करने की केंद्र की प्रस्तावित कार्य योजना को मंजूरी दे दी और इसे 100% केंद्रीय हिस्सेदारी के साथ एक केंद्रीय योजना का रूप दिया।
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नमामि गंगे परियोजना का अवलोकन | Overview of Namami Gange Project
- नमामि गंगे, भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है, जिसका उद्देश्य पवित्र गंगा नदी को पुनर्जीवित करना है। यह महत्वाकांक्षी परियोजना नदी की सफाई और संरक्षण, प्रदूषण को रोकने और टिकाऊ उपयोग को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
- नमामि गंगे परियोजना (Namami Gange project) में गंगा पारिस्थितिकी तंत्र की समग्र बहाली सुनिश्चित करने के लिए सीवेज उपचार संयंत्र, रिवरफ्रंट विकास और जन जागरूकता अभियान शामिल हैं, जिससे इस पर भरोसा करने वाले लाखों लोगों को लाभ होगा।
- गंगा नदी न केवल अपने सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह देश की 40% से अधिक आबादी का निवास करती है। 2014 में न्यूयॉर्क के मैडिसन स्क्वायर गार्डन में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए प्रधान मंत्री ने कहा था, “अगर हम इसे साफ करने में सक्षम हैं, तो यह देश की 40 प्रतिशत आबादी के लिए एक बड़ी मदद होगी। इसलिए, गंगा की सफाई भी एक आर्थिक एजेंडा है।”
- इस दृष्टिकोण को साकार करने के लिए, सरकार ने गंगा नदी के प्रदूषण को रोकने और नदी को पुनर्जीवित करने के लिए ‘नमामि गंगे‘ नामक एक एकीकृत गंगा संरक्षण मिशन शुरू किया। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नदी की सफाई पर 2019-2020 तक 20,000 करोड़ रुपये खर्च करने, बजट को चार गुना बढ़ाने और 100% केंद्रीय हिस्सेदारी के साथ एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना के लिए केंद्र द्वारा प्रस्तावित कार्य योजना को मंजूरी दे दी।
- गंगा पुनर्जीवन चुनौती की बहु-क्षेत्रीय, बहु-आयामी और बहु-हितधारक प्रकृति को पहचानते हुए, कार्य योजना की तैयारी में बढ़ती भागीदारी और केंद्रीय और राज्य स्तरों पर निगरानी में वृद्धि के साथ अंतर-मंत्रालयी और केंद्र-राज्य समन्वय में सुधार करने के प्रयास किए गए हैं। .
- कार्यक्रम के कार्यान्वयन को प्रवेश स्तर की गतिविधियों (तत्काल दिखाई देने वाले प्रभाव के लिए), मध्यम अवधि की गतिविधियों (समय सीमा के 5 वर्षों के भीतर लागू किया जाना है), और, दीर्घकालिक गतिविधियों (10 वर्षों के भीतर लागू किया जाना है) में विभाजित किया गया है।
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गंगा संरक्षण अधिनियम | Ganga Conservation Act
अधिनियम 1860 के तहत राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर पांच स्तरीय संरचना की परिकल्पना की गई है, जो निम्नलिखित है-
- माननीय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय गंगा परिषद का निर्माण (Formation of the National Ganga Council under the chairmanship of Honorable Prime Minister).
- जल शक्ति के माननीय केंद्रीय मंत्री (जल संसाधन, नदी विकास और गंगा कायाकल्प विभाग) की अध्यक्षता में गंगा नदी पर अधिकार प्राप्त टास्क फोर्स (ETF) (Formation of the Ganga Task Force (ETF) under the chairmanship of the honorable Union Minister of Jal Shakti, River Development, and Ganga Rejuvenation).
- स्वच्छ गंगा के लिए “राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन” (NMCG) (National Mission for Clean Ganga (NMCG) for the cleanliness of the Ganga).
- राज्य गंगा समितियाँ (State Ganga Committees).
- राज्यों में गंगा और उसकी सहायक नदियों को समाप्त करने वाले प्रत्येक निर्दिष्ट जिले में जिला गंगा समितियाँ। (District Ganga Committees in each specified district to end the pollution of the Ganga and its tributaries in the states).
त्रिस्तरीय निगरानी कमेटी | Three Tier Monitoring Committee
- इस योजना के लिये कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय कार्यबल का गठन किया गया हैं।
- इससे राष्ट्रीय स्तर पर एन.एम.सी.जी. (N.M.C.G.) मदद की जाएगी।
- राज्य स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई हैं।
- जिससे एस.पी.एम.जी.ए. सहायता जा सकेगी।
- ज़िला स्तर ज़िलाधिकारी की अध्यक्षता पर कमेटियाँ बनाई गयी हैं।
- इस योजना के माध्यम से गंगा नदी सफाई का कार्य शुरू किया गया हैं।
नमामि गंगे योजना के अंतर्गत होने वाले कार्य | Work to be done under Namami Gange Scheme
नमामि गंगे प्रोजेक्ट की 231 योजनाओं में गंगोत्री से शुरू होकर उत्तरप्रदेश, झारखंड, उत्तराखंड, बिहार और बंगाल (Starting from Gangotri, Uttar Pradesh, Jharkhand, Uttarakhand, Bihar and Bengal) में विभिन्न जगहों पर पानी के सवच्छ्ता का काम किया जाएगा। तालाबों का गंगा से जुड़ाव पर क्या असर होता है उसे भी देखा जाएगा। गंगा सफाई अभियान के लिए निम्नलिखित कार्य किये जाएंगे –
नमामि गंगे योजना के लाभ | Benefits of Namami Gange Scheme
- 32 परियोजनाओं में से 871.74 करोड़ रुपए की कुल लागत वाली 20 परियोजनाएँ सीवर की स्वच्छता तथा उत्तराखंड के विभिन्न भागों में सफाई के कार्यों के निर्माण से संबंधित हैं।
- छह परियोजनाएँ हरिद्वार में लागू की जाएंगी। इसके अंतर्गत जगजीतपुर और सराय में दो सीवरेज उपचार अवसंरचना (sewerage treatment infrastructure) (STP) का निर्माण किया जाएगा। हरिद्वार की परियोजनाओं की कुल लागत 414.20 करोड़ रुपए है।
- सभी परियोजनाओं के पूरे होने के बाद हरिद्वार और ऋषिकेश समेत उत्तराखंड के सभी प्रमुख शहरों का पानी बिना स्वच्छ हुए गंगा में नहीं जाएगा।
- इसके अतिरिक्त उत्तरकाशी, मुनि की रेती, कीर्ति नगर, श्रीनगर, रुद्र प्रयाग, बद्रीनाथ, जोशीमठ, चमोली, नंद प्रयाग और कर्ण प्रयाग में सीवेज स्वच्छता परियोजनाओं की आधारशिलाएँ रखी गईं।
- टिहरी गढ़वाल, रुद्र प्रयाग और चमोली में घाट विकास कार्यों के लिये आधारशिलाएं रखी गईं।
नमामि गंगे परियोजना में कवर राज्य | States covered in Namami Gange Project
- उत्तरप्रदेश (Uttar Pradesh)
- झारखंड (Jharkhand)
- उत्तराखंड (Uttarakhand)
- पश्चिम बंगाल (West Bengal)
- बिहार (Bihar)
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नमामि गंगे योजना की शुरुवात के लिए शहर |City to launch Namami Gange scheme
- बद्रीनाथ (Badrinath)
- जोशीमठ (Joshimath)
- गोपेश्वर (Gopeshwar)
- नंदप्रयाग (Nandaprayag)
- गोचर (Gocha)
- कीर्तिनगर (Kirtinagar)
- मुनि की रेती (Muni Ki Reti)
- टिहरी (Tehri)
- देवप्रयाग (Devprayag)
- रुद्रप्रयाग (Rudraprayag)
- उत्तरकाशी (Uttarkashi)
- श्रीनगर (Srinagar)
- ऋषिकेश (Rishikesh)
- हरिद्वार (Haridwar)
इन शहरों में 132 एमएलडी क्षमता के एसटीपी, 59 नालों की टैपिंग, 70 से ज्यादा स्नान घाट, विभिन्न स्थानों पर श्मशान घाट, स्नान घाटों का सौंदर्यीकरण समेत कई कार्य होने हैं। इनमें से कुछ हो चुके हैं, जबकि कुछ प्रगति पर हैं।
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नमामि गंगे योजना की प्रमुख विशेषताएँ | Key Features of Namami Gange Scheme
- गंगा नदी की सफाई करवाने में लगभग 20,000 करोड़ रुपए खर्च किया जा रहा हैं।
- इस योजना का पूरा खर्च (100%) केंद्र सरकार के द्वारा वहन किया जाएगा।
- सरकार के द्वारा 4460 से अधिक गांव में शोचालय बनवाया गया हैं, इसके लिये सरकार का लगभग 578 करोड़ रुपए खर्च आया हैं।
- गंगा नदी के किनारे कई क्षेत्रों में वनारोपण (afforestation) का कार्यक्रम चलाया जा रहा हैं। यह कार्यक्रम 5 सालों तक के लिए चलाया जाएगा। इस में लगभग में 2300 करोड़ रुपए की खर्च आएगा।
- गंगा नदी को साफ रखने के लिए लोगो को जागरूक किया जा रहा हैं। उसके लिए कार्यक्रम भी चलाया जा रहा हैं।
- सरकार के द्वारा लोगो को रेडियो, टीवी, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, अखबार, इंटरनेट (Radio, TV, electronic media, newspaper, internet) जैसे साधनों के द्वारा सरकार जनता को जागरूक किया जा रहा हैं।
- गंगा नदी को प्रदूषित ना करें और सभी लोग नदी की सफाई करने में सरकार की मदद करे।
- परियोजना के अंतर्गत 118 शमशान स्थलों (118 cremation sites) की मरम्मत करके और 151 घाटों का निर्माण किया जा रहा हैं।
- इस योजना के अंतर्गत 28 परियोजनाओं पर काम चल रहा हैं।
- इस योजना के माध्यम से उत्तराखंड के हरिद्वार और ऋषिकेश के सभी शहरों का पानी को रोक कर बाद में गंगा नदी में छोड़ा जाएगा।
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मिशन के तहत गंगा नदी की सफाई | Cleaning of river Ganga under mission
नदी की सतह की सफाई | River Surface Cleaning
- यह मिशन प्लास्टिक और मलबे जैसे तैरते ठोस कचरे को हटाने के लिए नदी की सतह की नियमित सफाई पर केंद्रित है।
- इसमें जाल और अन्य सफाई तंत्र से सुसज्जित विशेष नौकाओं और स्कीमर की तैनाती शामिल है। अपशिष्ट संचय की विशाल चुनौती से निपटने के लिए नियमित सफाई अभियान आयोजित किए गए हैं।
गंदा पानी साफ़ करने के संयंत्र | Sewage Treatment Plants
- गंगा में प्रदूषण के प्राथमिक स्रोतों में से एक अनुपचारित सीवेज निर्वहन है।
- नमामि गंगे मिशन का उद्देश्य नदी के किनारे सीवेज उपचार संयंत्रों का निर्माण और उन्नयन करना है।
- ये संयंत्र सीवेज के उपचार के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियों का उपयोग करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि केवल साफ पानी ही नदी में वापस छोड़ा जाए।
औद्योगिक प्रवाह नियंत्रण | Industrial Effluent Control
- औद्योगिक प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए, मिशन ने नदी के किनारे स्थित उद्योगों के लिए कड़े नियम और दिशानिर्देश लागू किए हैं।
- औद्योगिक निर्वहन के उपचार और निगरानी के लिए अपशिष्ट उपचार संयंत्र स्थापित किए गए हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि हानिकारक प्रदूषक नदी में प्रवेश न करें।
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन | Solid Waste Management
- नदी में प्रवेश करने वाले ठोस कचरे की समस्या से निपटने के लिए, मिशन अपशिष्ट पृथक्करण और उचित निपटान प्रथाओं को बढ़ावा देता है।
- लोगों को अपशिष्ट प्रबंधन (waste management) के महत्व और गंगा पारिस्थितिकी तंत्र पर इसके प्रभाव के बारे में शिक्षित करने के लिए समुदाय के नेतृत्व वाले अभियान और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं।
FAQs
Q. नमामि गंगे मिशन क्या है?
नमामि गंगे मिशन , गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों को पुनर्जीवित करने के लिए 2014 में भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया एक प्रमुख कार्यक्रम है।
Q. नमामि गंगे कार्यक्रम का उद्देश्य क्या है?
नमामि गंगे का प्राथमिक उद्देश्य विभिन्न प्रदूषण स्रोतों को संबोधित करके और इसकी पारिस्थितिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करके गंगा नदी बेसिन को शुद्ध और पुनर्स्थापित करना है।
Q. नमामि गंगे कार्यक्रम सीवेज उपचार को कैसे संबोधित कर रहा है?
कार्यक्रम का उद्देश्य सीवेज उपचार क्षमता को बढ़ाना और अनुपचारित अपशिष्ट जल के निर्वहन को कम करने के लिए गंगा नदी के किनारे कस्बों और शहरों में सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) स्थापित करना है।
Q. नमामि गंगे कार्यक्रम नदी की सतह की सफाई में कैसे शामिल है?
कार्यक्रम मशीनीकृत सफाई तकनीकों, जैसे ट्रैश स्किमर और मैन्युअल सफाई संचालन के माध्यम से नदी की सतह से तैरते ठोस कचरे को हटाने पर केंद्रित है।
Q. नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत रिवरफ्रंट विकास (riverfront development) में क्या शामिल है?
रिवरफ्रंट विकास में घाटों, श्मशान घाटों, सार्वजनिक सुविधाओं का निर्माण और लोगों के लिए समग्र सौंदर्यशास्त्र और पहुंच में सुधार के लिए रिवरफ्रंट क्षेत्रों का पुनरुद्धार शामिल है।
Q. क्या नमामि गंगे कार्यक्रम में कोई अंतर्राष्ट्रीय सहयोग है?
हां, नमामि गंगे कार्यक्रम ने नदी संरक्षण और प्रबंधन में ज्ञान, तकनीकी विशेषज्ञता और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठनों और देशों के साथ सहयोग किया है।
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