रामलला अयोध्या में बने भव्य मंदिर में विराज गए हैं। रामलला का प्राण प्रतिष्ठा समारोह (Pran Pratishtha samaroh) होते ही भारत समेत पूरे विश्व में सनातन धर्म की प्रतिष्ठा और बढ़ गई। 500 वर्षों के इन्तजार के बाद अयोध्या में यह मंदिर बना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाथों में कमल लिए भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा की। पीएम मोदी ने इस अवसर पर ने कहा कि, ये मंदिर मात्र एक देव मंदिर नहीं है। ये भारत की दृष्टि का, भारत के दर्शन का, भारत के दिग्दर्शन का मंदिर है। ये राम के रूप में राष्ट्र चेतना का मंदिर है। राम, भारत की आस्था, आधार, विचार, विधान, चेतना, चिंतन और प्रतिष्ठा (Faith, basis, thoughts, legislation, consciousness, thinking and reputation) हैं। प्राण प्रतिष्ठा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर निर्माण का कार्य करने वाले कारीगरों पर पुष्पवर्षा भी की।
राम मंदिर जन्मभूमि, अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम सोमवार को 12 :05 मिनट पर शुरू हुआ। गर्भ गृह में प्रधानमंत्री मोदी समेत उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और सरसंघचालक मोहन भागवत मौजूद थे। 12:55 बजे प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हुई। इसके बाद प्रधानमंत्री ने सभी साधु – संतों को धन्यवाद किया। इस समारोह में मुकेश अम्बानी से लेकर अमिताभ बच्चन और रजनीकांत भी मौजूद थे।
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राम लला का प्राण प्रतिष्ठा समारोह हुआ संपन्न | Ram Lala’s Pran Pratishtha samaroh completed
अयोध्या में रामलला के आगमन का इंतजार खत्म हो गया। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम पूरा हो गया है। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकप्रिय क्रिकेटर, मशहूर हस्तियां, उद्योगपति, संत और विभिन्न देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए। भारत समेत दुनिया की नजरें प्राण प्रतिष्ठा की ऐतिहासिक घड़ी पर टिकी रहीं। समारोह पूरा होने के बाद अवधपुरी 10 लाख दीपों से जगमगा गई।
उत्तर प्रदेश की पवित्र नगरी अयोध्या में आज 22 जनवरी 2024 को 12 : 29 मिनट पर राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हो गई है | रामलला के विग्रह का अभिषेक किया गया है | समारोह के अनुष्ठान की सभी प्रक्रियाओं का समन्वय 121 आचार्य के मार्गदर्शन में किया गया है | इसके साथ ही 500 साल का इंतजार खत्म हो गया है | गर्भगृह में राम मंदिर अनुष्ठान कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रमुख भूमिका में रहे |
वैदिक परंपरा के अनुसार जब भी मंदिर में देव प्रतिमाओं की स्थापना की जाती है तो सबसे पहले उसकी प्राण प्रतिष्ठा करने का विधान है। प्राण प्रतिष्ठा में वेद पाठी ब्रह्मणों द्वारा मंत्रोच्चारण के साथ उस देव प्रतिमा को जाग्रत अवस्था में लाया जाता है। मूर्ति की जब प्राण प्रतिष्ठा हो जीती है तब वह पूज्यनीय मानी जाती है।
प्राण प्रतिष्ठा की विधि दोपहर 12:20 बजे से शुरू हई थी
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की विधि दोपहर 12:20 बजे शुरू हुई। प्राण प्रतिष्ठा की मुख्य पूजा अभिजीत मुहूर्त में हुई। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का समय काशी के विद्वान गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने निकाला था। यह कार्यक्रम पौष माह के द्वादशी तिथि (22 जनवरी 2024) को अभिजीत मुहूर्त, इंद्र योग, मृगशिरा नक्षत्र, मेष लग्न एवं वृश्चिक नवांश में हुआ।
84 सेकंड का शुभ मुहूर्त
शुभ मुहूर्त दिन के 12 बजकर 29 मिनट और 08 सेकंड से 12 बजकर 30 मिनट और 32 सेकंड तक का रहा। यानि प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त केवल 84 सेकंड का रहा। पूजा-विधि के जजमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों श्रीरामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा हुई। अनुष्ठान को काशी के प्रख्यात वैदिक आचार्य गणेश्वर द्रविड़ और आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित के निर्देशन में 121 वैदिक आचार्यों ने संपन्न कराया। इस दौरान 150 से अधिक परंपराओं के संत-धर्माचार्य और 50 से अधिक आदिवासी, गिरिवासी, तटवासी, द्वीपवासी, जनजातीय परंपराओं की भी उपस्थिति रही।
राम ज्योति जलाकर मनी दीपावली
प्राण-प्रतिष्ठा समारोह पूर्ण होने के उपरांत ‘राम ज्योति’ प्रज्ज्वलित कर दीपावली मनाई गई। शाम को अयोध्या 10 लाख दीपों से जगमगा गई। इसके साथ ही मकानों, दुकानों, प्रतिष्ठानों और पौराणिक स्थलों पर ‘राम ज्योति’ प्रज्ज्वलित की गई। अयोध्या सरयू नदी के तटों की मिट्टी से बने दीपों से रोशन हुई। रामलला, कनक भवन, हनुमानगढ़ी, गुप्तारघाट, सरयू तट, लता मंगेशकर चौक, मणिराम दास छावनी समेत 100 मंदिरों, प्रमुख चौराहों और सार्वजनिक स्थलों पर दीप प्रज्ज्वलित किए गए।
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प्राण प्रतिष्ठा समारोह की मुख्य झलक
- पीएम मोदी ने अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर में राम लला की मूर्ति के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को पूरा किया | बाद में प्रधानमंत्री ने मंदिर में मूर्ति का अनावरण करने के बाद गर्भगृह के अंदर राम लल्ला की मूर्ति की ‘आरती’ की |
- पूरा अनुष्ठान करने के बाद पीएम मोदी ने मंदिर में सभा को संबोधित किया और लोगों को बधाई दी | पीएम मोदी ने अपने संबोधन के दौरान कहा, “सदियों के इंतजार के बाद भगवान राम आखिरकार (अपने निवास स्थान पर) आ गए हैं | हमने सदियों तक जो धैर्य दिखाया और जो बलिदान दिया, उसके बाद आखिरकार हमारे भगवान राम आ गए |
- संघ प्रमुख मोहन भागवत और सीएम योगी ने भी सभा में अपने विचार रखे |
- उपस्थित लोगों को संबोधित करने के बाद पीएम मोदी ने कुबेर टीला शिव मंदिर में पूजा-अर्चना की और जटायु प्रतिमा का अनावरण किया | राम मंदिर का निर्माण कर रहे श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा राम जन्मभूमि परिसर में कुबेर टीला पर स्थित प्राचीन शिव मंदिर का भी जीर्णोद्धार भी किया गया |
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FAQs
Q. हम राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कहां देख सकते हैं?
Q. प्राण प्रतिष्ठा के बाद क्या होता है?
Q. क्या होती है प्राण प्रतिष्ठा और इससे क्या किया जाता है?
प्राण प्रतिष्ठा हिंदू और जैन धर्म में एक अनुष्ठान है, जिसके जरिए मंदिर में देवता की मूर्ति को प्रतिष्ठित किया जाता है | ये काम अनुष्ठान के जरिए होता है और इसमें भजन और मंत्रों के पाठ के बीच मूर्ति को पहली बार स्थापित किया जाता है | वैसे प्राण शब्द का अर्थ है जीवन शक्ति और प्रतिष्ठा का अर्थ है स्थापना | प्राण प्रतिष्ठा का शाब्दिक अर्थ है जीवन शक्ति की स्थापना करना या देवता को जीवन में लाना |
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Q. प्राण प्रतिष्ठा से पहले हिंदू धर्म किसी मूर्ति के बारे में क्या माना जाता है?
प्राण प्रतिष्ठा हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण अनुष्ठान है | इससे पूर्व किसी भी मूर्ति पूजा योग्य नहीं माना जाता बल्कि निर्जीव मूर्ति मानते हैं | प्राण प्रतिष्ठा के जरिए उनमें शक्ति का संचार करके उन्हें देवता में बदला जाता है | इसके बाद वो पूजा और भक्ति के योग्य बन जाती है |
Q. प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया क्या होती है?
प्राण प्रतिष्ठा से पहले मूर्ति समारोह पूर्वक लाया जाता है | मंदिर के द्वार पर सम्मानित अतिथि की तरह विशिष्ट स्वागत किया जाता है | फिर उसे सुगंधित चीजों का लेप लगाकर दूध से नहलाते हैं | नहलाकर और साफ करके उसे प्राण प्रतिष्ठा योग्य बना दिया जाता है | फिर मूर्ति को गर्भ गृह में रखकर पूजन प्रक्रिया शुरू की जाती है | इसी दौरान कपड़े पहनाकर देवता की मूर्ति यथास्थान पुजारी द्वारा स्थापित की जाती है |
मूर्ति का मुख हमेशा पूर्व दिशा की ओर करके रखा जाता है | सही स्थान पर इसे स्थापित करने के बाद देवता को आमंत्रित करने का काम भजनों, मंत्रों और पूजा रीतियों से किया जाता है | सबसे पहले मूर्ति की आंख खोली जाती है | ये प्रक्रिया पूरी होने के बाद फिर मंदिर में उस देवता की मूर्ति की पूजा अर्चना होती है | इस अनुष्ठान को हिंदू मंदिर में जीवन का संचार करने के साथ उसमें दिव्यता और आध्यात्मिकता की दिव्य उपस्थिति लाने वाला माना जाता है | इसी वजह से प्राण प्रतिष्ठा के बाद हमें दैवीय अहसास सा महसूस होता है |