आस्था की विरासत: Suryavanshi Thakuro की राम मंदिर के लिए 500 साल पुरानी प्रतिज्ञा

भारत के पवित्र शहर अयोध्‍या  में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्‍ठा समारोह की तैयारियां जोरों से चल रही हैं। क्‍या पुजारी, क्‍या गांववासी सभी दिवाली और होली मनाने के लिए तैयार है। इस बीच अयोध्‍या के पास एक गांव के सूर्यवंशी ठाकुरों (Suryavanshi Thakuro) की अपनी अनूठी तयारी चल रही है। क्यों न हो ! आखिर इस गांव की 500 साल पुरानी प्रतिज्ञा समाप्‍त होने वाली है। जी हां, अयोध्‍या से 13 किमी दूर सरायरासी गांव  तैयारियों को लेकर सुर्खियां बटोर रहा है। महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा खरीदने में व्‍यस्‍त हैं, तो बाजारों में पुरुषों को रंगीन पगड़ी और नागरा जूते खरीदते देखा जा सकता है। यहाँ के लोग अपने घरो के आंगन को न केवल गाय के ताजा गोबर और मिट्टी से लेप रहें है, बल्कि घर-घर में रंगोली भी बनाई जा रही है।

यहां के लोगों ने कहा कि 22 जनवरी न केवल ‘प्राण प्रतिष्ठा’ का दिन होगा, बल्कि उनके पूर्वजों द्वारा ली गई 500 साल पुरानी प्रतिज्ञा भी समाप्त होगी। बता दें कि यहां 90 फीसदी घर सूर्यवंशी ठाकुरों के हैं। सूर्यवंशी ठाकुरों ने कहा कि ये हमारे लिए गर्व की बात है कि हम भगवान राम के वंशज हैं | पगड़ी हमारे लिए हमारा सम्मान और हमारे वंश की आस्था का प्रतीक है | हम 22 जनवरी को जब भगवान राम अपने घर में विराजेंगे तो दिन में होली और रात में दिवाली मनाकर खुशियां मनाएंगे |

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आस्था की विरासत: Suryavanshi Thakuro की राम मंदिर के लिए 500 साल पुरानी प्रतिज्ञा

आस्था की विरासत: Suryavanshi Thakuro की राम मंदिर के लिए 500 साल पुरानी प्रतिज्ञा

उत्तर प्रदेश  के अयोध्या और पड़ोसी बस्ती जिले में सरयू नदी के किनारे लगभग 100 से ज्यादा गांवों के निवासी, सूर्यवंशी ठाकुर खुद को हिंदू देवता राम के वंशज मानते हैं। इनका दावा है कि उनके पूर्वज 16वीं शताब्दी में बाबर की सेना से लड़ते हुए हार गए थे और राम जन्मभूमि  को मुगलों  के हाथों खो दिया था। इसके बाद, उन्होंने सूर्य कुंड में एकत्र होकर शपथ ली कि जब तक भगवान राम की जन्मभूमि मुक्त नहीं होगी, वे पगड़ी नहीं पहनेंगे, चमड़े के जूते नहीं पहनेंगे और न ही अपने सिर को छाते से ढकेंगे।

इस प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिए, सूर्यवंशी ठाकुरों ने सरल जीवन व्यतीत किया। उन्होंने पगड़ी और चमड़े के जूतों से परहेज किया और अपने सिर को छाते से ढकने के बजाय, उन्होंने अपने बालों को लंबा रखा।

2019 में, सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम जन्मभूमि को हिंदुओं को सौंप दिया। इस निर्णय से सूर्यवंशी ठाकुरों को बड़ी खुशी हुई। उन्होंने राम मंदिर के निर्माण में अपना योगदान दिया और 22 जनवरी, 2024 को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर, उन्होंने अपनी 500 साल पुरानी प्रतिज्ञा को समाप्त कर दिया। लेखक राम गोपाल विशारद द्वारा लिखित पुस्तक,श्री राम जन्मभूमि का प्राचीन इतिहास के अनुसार, 16वीं शताब्दी में राम मंदिर के कथित विध्वंस के आसपास की घटनाओं पर आधारित, कवि जयराज की एक कविता के आधार पर इस प्रतिज्ञा को निम्नलिखित दोहे में दर्शाया गया है:

जन्मभूमि उद्धार होए, जा दिन बारी भाग, छाता जग पनाही नहीं, और नाहीं बांधही पाग… (जब तक जन्मभूमि मुक्त नहीं हो जाती, हम छाते का उपयोग नहीं करेंगे, नाही पगड़ी या चमड़े के जूते पहनेंगे) |”

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सूर्यवंशी ठाकुरों की यह प्रतिज्ञा हिंदू धर्म में आस्था और समर्पण का एक प्रतीक है। यह दिखाता है कि हिंदू अपने धर्म और अपने देवताओं के लिए कितने समर्पित हैं सूर्यवंशी ठाकुरों की प्रतिज्ञा के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं:

  • यह प्रतिज्ञा 16वीं शताब्दी में बाबर की सेना से हारने के बाद ली गई थी।
  • इस प्रतिज्ञा में तीन प्रतिबद्धताएं शामिल थीं: पगड़ी नहीं पहनना, चमड़े के जूते नहीं पहनना और सिर को छाते से ढकने से बचना।
  • सूर्यवंशी ठाकुरों ने इस प्रतिज्ञा को 500 साल तक निभाया।
  • 2019 में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद, सूर्यवंशी ठाकुरों ने अपनी प्रतिज्ञा को समाप्त कर दिया।

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90,000 सूर्यवंशी ठाकुरों ने मुगल सम्राट बाबर के खिलाफ छेड़ा था युद्ध

समुदाय के सदस्यों का दावा है कि उनके लगभग 90,000 पूर्वजों ने मुगल सम्राट बाबर के खिलाफ युद्ध छेड़ा था, जिसके कमांडर मीर बाकी ने राम जन्मभूमि माने जाने वाले स्थान पर भगवान राम के एक प्राचीन मंदिर को ध्वस्त कर दिया था और एक मस्जिद का निर्माण किया था, जिसे बाबरी मस्जिद के रूप में जाना जाता है। गांव के लोगों ने कहा कि जब बाबर के शासनकाल के दौरान राम मंदिर को तोड़ा गया, तब हमारे पूर्वज ठाकुर गजराज सिंह लगभग 90 हजार लोगों को लेकर आंदोलन के लिए निकले और ये कसम खाई कि जब तक भगवान राम फिर से मंदिर में विराजमान नहीं होंगे, तब तक सिर पर पगड़ी, पैर में जूता, सिर पर छाता और मंडप की छत नहीं बनाएंगे, और आज ये शुभ मौका आया है कि रामलला मंदिर में विराजमान हो रहे हैं और हम फिर से सिर पर पगड़ी धारण कर रहे हैं |

FAQs

प्रश्न: सूर्यवंशी ठकुरों की राम मंदिर के लिए प्रतिज्ञा क्या है?

उत्तर: सूर्यवंशी ठकुरों की राम मंदिर के लिए प्रतिज्ञा यह है कि वे हर साल एक बार अयोध्या जाकर राम मंदिर के निर्माण में सहयोग करेंगे। यह प्रतिज्ञा 500 साल पुरानी है और आज भी सूर्यवंशी ठकुरों के बीच निभाई जाती है।

प्रश्न: सूर्यवंशी ठकुर कौन हैं?

उत्तर: सूर्यवंशी ठकुर भारत के उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ राज्यों में रहने वाले एक हिंदू समुदाय हैं। वे सूर्यवंशी राजपूतों के वंशज हैं।

प्रश्न: सूर्यवंशी ठकुरों की राम मंदिर के लिए प्रतिज्ञा का इतिहास क्या है?

उत्तर: सूर्यवंशी ठकुरों की राम मंदिर के लिए प्रतिज्ञा का इतिहास 500 साल पुराना है। कहा जाता है कि 15वीं शताब्दी में, सूर्यवंशी ठकुरों के एक पूर्वज ने राम मंदिर के निर्माण के लिए एक प्रतिज्ञा की थी। इस प्रतिज्ञा के अनुसार, सूर्यवंशी ठकुर हर साल एक बार अयोध्या जाकर राम मंदिर के निर्माण में सहयोग करेंगे।

प्रश्न: सूर्यवंशी ठकुरों की राम मंदिर के लिए प्रतिज्ञा का वर्तमान महत्व क्या है?

उत्तर: सूर्यवंशी ठकुरों की राम मंदिर के लिए प्रतिज्ञा आज भी प्रासंगिक है। यह प्रतिज्ञा सूर्यवंशी ठकुरों की राम मंदिर के प्रति आस्था और समर्पण को दर्शाती है। यह प्रतिज्ञा राम मंदिर के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

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