UPI लेनदेन पर बड़ा झटका! सरकार ने BHIM-UPI और RuPay Subsidy में की भारी कटौती – ₹2,000 करोड़ से घटाकर सिर्फ ₹437 करोड़! | UPI Payment Subsidy | BHIM-UPI Transactions
New Amendments on UPI transaction: UPI यूजर्स के लिए बड़ा झटका! सरकार ने सब्सिडी में की कटौती, क्या अब लगेगा एक्स्ट्रा चार्ज? अगर आप UPI transactions करते हैं, तो यह खबर आपको चौंका सकती है! वित्त वर्ष 2025-26 के लिए सरकार ने UPI incentive scheme की सब्सिडी को ₹2,000 करोड़ से घटाकर सिर्फ ₹437 करोड़ कर दिया है! मतलब? छोटे व्यापारियों और डिजिटल पेमेंट यूजर्स को मिलने वाले फायदों में कटौती हो सकती है, और हो सकता है कि आपको अतिरिक्त शुल्क भी देना पड़े! क्या अब मुफ्त में UPI पेमेंट करना मुश्किल हो जाएगा? क्या RuPay debit card पर भी असर पड़ेगा? सरकार का कहना है कि डिजिटल पेमेंट जारी रहेगा, लेकिन UPI लेनदेन की लागत बढ़ने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। बैंकिंग शुल्क बढ़ सकता है, और व्यापारी भी UPI transaction पर एक्स्ट्रा चार्ज लगाने को मजबूर हो सकते हैं! अगर आप रोज UPI से पेमेंट करते हैं, तो इन बदलावों पर नज़र बनाए रखें, ताकि फ्यूचर में किसी भी surprise charge से बच सकें! क्या UPI वाकई मुफ्त रहेगा या अब इसके लिए जेब ढीली करनी पड़ेगी? जानने के लिए जुड़े रहें!
छोटे व्यापारियों के लिए सरकार की नई UPI प्रोत्साहन योजना
सरकार ने यूपीआई भुगतान सब्सिडी पूरी तरह बंद नहीं की है, लेकिन कम मूल्य वाले BHIM-UPI और RuPay debit card लेनदेन के लिए दिए जाने वाले फंड में भारी कटौती की है। वित्त वर्ष 2024-25 में ₹2,000 करोड़ का प्रावधान था, जो 2025-26 में घटकर मात्र ₹437 करोड़ रह गया है।
हालांकि, छोटे व्यापारियों और आम नागरिकों को डिजिटल भुगतान जारी रखने में मदद देने के लिए सरकार ने ₹1,500 करोड़ की प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी है। इसके तहत ₹2,000 तक के UPI (P2M) ट्रांजैक्शन पर छोटे व्यापारियों को 0.15% का प्रोत्साहन मिलेगा, जबकि बड़े व्यापारियों को इसका लाभ नहीं दिया जाएगा।
सरकार का उद्देश्य डिजिटल भुगतान को तेज़, सुरक्षित और सुविधाजनक बनाना है, जिससे छोटे व्यवसायों को डिजिटल लेनदेन अपनाने के लिए प्रेरित किया जा सके। बैंकों को 80% प्रोत्साहन राशि तिमाही आधार पर दी जाएगी, जबकि शेष 20% तकनीकी प्रदर्शन (99.5% अपटाइम और <0.75% गिरावट) के आधार पर मिलेगा।
यह कदम Cashless Economy को बढ़ावा देगा, नकद लेनदेन की निर्भरता घटाएगा और छोटे व्यापारियों को बेहतर ऋण सुविधाएँ प्राप्त करने में मदद करेगा। हालांकि, सब्सिडी में कटौती के चलते UPI Transactions पर संभावित शुल्क बढ़ने की अटकलें लगाई जा रही हैं, जिससे सरकार के आगामी फैसले पर नजर रखना जरूरी होगा।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को रुपे debit card और कम मूल्य के भीम-यूपीआई लेनदेन (व्यक्ति-से-व्यापारी) को बढ़ावा देने के लिए अप्रैल 2022 से एक वर्ष की अवधि के लिए प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी।
पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया (Payments Council of India (PCI) ने सरकार से यूपीआई और रुपे debit card लेनदेन पर शून्य एमडीआर नीति की समीक्षा करने का आग्रह किया है, जिसमें स्थिरता संबंधी चिंताओं का हवाला दिया गया है। इसने सभी व्यापारियों के लिए रुपे debit card के लिए एमडीआर और यूपीआई के लिए 0.3% का एमडीआर शुरू करने का प्रस्ताव रखा है, जो केवल बड़े व्यापारियों पर लागू होगा ताकि डिजिटल भुगतान के बुनियादी ढांचे को निधि दी जा सके, यह तर्क देते हुए कि मौजूदा व्यवस्था साइबर सुरक्षा, नवाचार और सिस्टम विस्तार में निवेश को बाधित करती है।
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यूपीआई के नए दिशानिर्देश | New UPI Guidelines
नए नियम के अनुसार, पीपीआई के माध्यम से किए गए 2,000 रुपये से अधिक के यूपीआई लेनदेन पर 1.1% तक का इंटरचेंज शुल्क 2024 से लागू होगा ।
क्या ग्राहकों को वॉलेट के माध्यम से किए गए यूपीआई भुगतान पर इंटरचेंज शुल्क देना होगा?
ग्राहकों को Peer to Peer (P2P) and Peer to Merchant (P2M) लेनदेन के लिए पीपीआई के माध्यम से किए गए यूपीआई भुगतान के लिए इंटरचेंज शुल्क नहीं देना होगा । P2P transactions का मतलब है यूपीआई के माध्यम से दो व्यक्तियों या व्यक्तिगत खातों के बीच राशि का हस्तांतरण। P2M वह है जहां ग्राहक खरीदारी के लिए व्यापारियों को यूपीआई के माध्यम से भुगतान करते हैं।
एक बैंक किसी लेनदेन को प्रोसेस करने के लिए दूसरे बैंक से इंटरचेंज शुल्क लेता है। यूपीआई लेनदेन के मामले में, मर्चेंट बैंक (भुगतान प्राप्त करने वाला व्यवसाय या व्यक्ति) भुगतानकर्ता बैंक (भुगतान करने वाला व्यक्ति) को इंटरचेंज शुल्क का भुगतान करता है ।
इस प्रकार, इंटरचेंज शुल्क केवल PPI मर्चेंट लेनदेन पर लागू होता है, और ग्राहकों को कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है। जब UPI बैंक से जुड़ा होता है, तो ग्राहकों या उपयोगकर्ताओं को UPI भुगतान के लिए इंटरचेंज शुल्क नहीं देना पड़ता है। जब UPI Wallet से जुड़ा होता है, तो व्यापारी इंटरचेंज शुल्क का भुगतान करेंगे। इंटरचेंज शुल्क उन ग्राहकों को भी प्रभावित नहीं करेगा जो परिवार, दोस्तों, अन्य व्यक्तियों या व्यापारी के बैंक खाते में UPI भुगतान करते हैं।
कितने UPI लेनदेन निःशुल्क होंगे?
UPI लेनदेन शुल्क पर 1.1% तक की नई गाइडलाइन उन व्यापारियों पर लागू होती है जो मोबाइल वॉलेट जैसे PPI का उपयोग करके 2,000 रुपये से अधिक का भुगतान स्वीकार करते हैं। UPI का उपयोग करके व्यक्तिगत लेनदेन करने वाले व्यक्तियों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। इस प्रकार, व्यक्तिगत लेनदेन के लिए किसी भी राशि का UPI भुगतान निःशुल्क है।
क्या यूपीआई भुगतान निःशुल्क है या शुल्क देय है?
UPI के ज़रिए भुगतान करने पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लगता। इस प्रकार, व्यक्तिगत लेनदेन के लिए व्यक्तियों द्वारा UPI भुगतान निःशुल्क है। हालाँकि, 2,000 रुपये से अधिक के डिजिटल वॉलेट लेनदेन पर शुल्क लगेगा। उपयोगकर्ताओं को यह शुल्क नहीं देना पड़ता है, और व्यापारियों को इंटरचेंज शुल्क देना पड़ता है।
इंटरचेंज शुल्क का भुगतान कौन करेगा? | Who will pay the interchange fee?
व्यापारी कार्ड जारीकर्ता या वॉलेट को इंटरचेंज फीस का भुगतान करते हैं। इंटरचेंज फीस छोटे दुकानदारों पर लागू होती है, इसलिए इसका उन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। मध्यम श्रेणी के दुकानदारों को केवल 2,000 रुपये से अधिक के लेन-देन के लिए इंटरचेंज फीस का भुगतान करना होगा। हालांकि, उच्च मूल्य के लेन-देन के लिए, इंटरचेंज फीस का भुगतान इस बात पर निर्भर करेगा कि व्यापारी उच्च लागत को खुद उठाना चाहते हैं या ग्राहकों पर उच्च लागत डालने का फैसला करते हैं।
इस प्रकार, NPCI ने PPI issuers को 2,000 रुपये से अधिक के वॉलेट रिचार्ज करने पर धन प्रेषक बैंकों को वॉलेट-लोडिंग सेवा शुल्क के रूप में 15 आधार अंकों का भुगतान करने को कहा है।
उदाहरण के लिए, यदि आप अपने Phonepe Wallet को 2,000 रुपये से अधिक से रिचार्ज करते हैं, तो फोनपे आपके बैंक को 0.15% का वॉलेट-लोडिंग सेवा शुल्क देगा।
इस प्रकार, आपको UPI लेनदेन करने के लिए अपने वॉलेट को रिचार्ज करने के लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा।
पीसीआई ने सरकार से शून्य एमडीआर नीति पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया, बड़े व्यापारियों के लिए 0.3% शुल्क का प्रस्ताव रखा
पेमेंट्स काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) ने औपचारिक रूप से प्रधानमंत्री कार्यालय से यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) और RuPay debit card लेनदेन पर शून्य मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) नीति पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है।
यह अपील ऐसे समय में आई है जब सरकार कथित तौर पर MDR शुल्कों को फिर से लागू करने की संभावना की समीक्षा कर रही है, खासकर बड़े व्यापारियों के लिए, ताकि भुगतान सेवा प्रदाताओं पर वित्तीय दबाव कम किया जा सके और भारत के डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।
MDR एक शुल्क है जो बैंकों या भुगतान सेवा प्रदाताओं द्वारा डिजिटल लेनदेन को संसाधित करने के लिए व्यापारियों से लिया जाता है, जिसकी गणना आमतौर पर लेनदेन मूल्य के प्रतिशत के रूप में की जाती है।
क्या है मर्चेंट डिस्काउंट रेट ? | What is Merchant Discount Rate?
बता दें कि कोरोना से पहले 2 हजार रुपये से कम के UPI ट्रांजैक्शन पर MDR लगता था लेकिन इसे साल 2020 में माफ कर दिया गया था। इसका मकसद यूपीआई ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देना था। बता दें कि मर्चेंट डिस्काउंट रेट को MDR कहा जाता है। यह चार्ज आमतौर पर दुकानदार यानी मर्चेंट, बैंक को ऑनलाइन पेमेंट प्रोसेस करने के लिए देते हैं। कहने का मतलब ये है कि सरकार का नया फैसला उन लोगों के लिए है जो अपनी दुकान या कारोबार करते हैं।
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पेमेंट काउंसिल ऑफ इंडिया की सरकार से मांग: UPI और RuPay ट्रांजैक्शन पर फिर लागू हो MDR!
मुख्य बिंदु:
- PCI की अपील: प्रधानमंत्री से UPI और RuPay debit card लेनदेन पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) फिर से लागू करने की गुहार।
- MDR सब्सिडी में कटौती: उद्योग को ₹5,500-6,000 करोड़ की उम्मीद थी, लेकिन सरकार ने केवल ₹1,500 करोड़ आवंटित किए।
- UPI और RuPay पर शुल्क: 2020 से पहले UPI पर 30 बेसिस पॉइंट (0.3%) MDR था, जिसे सरकार ने हटा दिया था।
- बड़े व्यापारियों पर प्रभाव: ₹40 लाख से अधिक turnover वाले व्यापारियों के लिए 30bps MDR लागू करने की मांग।
- RuPay debit card पर MDR: इसे क्रेडिट कार्ड (2%) और अन्य debit card (0.75-0.9%) के समान लाने की सिफारिश।
- बैंकिंग सेक्टर का दबाव: कम सब्सिडी के कारण बैंकों को घाटा, सरकार जल्द MDR लागू कर सकती है।
- UPI Transactions का दबदबा: हर महीने 17 अरब से ज्यादा ट्रांजैक्शन, कुल मूल्य ₹24 लाख करोड़ से अधिक।
- UPI और RuPay कार्ड लेनदेन को प्रोत्साहन देने के लिए 2023 में यह सब्सिडी योजना शुरू की गई थी।
- 2024 में कुल 172 अरब UPI ट्रांजेक्शन दर्ज किए गए थे, लेकिन इसके बावजूद सब्सिडी घटाई गई।
- बैंकों, UPI ऐप प्रदाताओं और NPCI को ट्रांजेक्शन प्रोसेसिंग लागत को कवर करने के लिए यह सब्सिडी दी जाती थी, क्योंकि UPI ट्रांजेक्शन पर MDR शुल्क (Merchant Discount Rate) नहीं लगता।
- सरकार का मानना है कि डिजिटल भुगतान प्रणाली का विस्तार हो चुका है, और अब यह बिना अतिरिक्त सरकारी सहायता के आगे बढ़ सकती है।
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MDR पर सरकार और उद्योग जगत की स्थिति
विषय | वर्तमान स्थिति | PCI की मांग |
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UPI पर MDR | 2020 में हटाया गया | बड़े व्यापारियों के लिए 30bps MDR लागू हो |
RuPay debit card पर MDR | 0% (छूट) | अन्य debit card और क्रेडिट कार्ड की तरह शुल्क लागू हो |
सरकारी सब्सिडी | ₹1,500 करोड़ | ₹5,500-6,000 करोड़ की अपेक्षा थी |
छोटे व्यापारियों पर प्रभाव | कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं | केवल बड़े व्यापारियों पर लागू हो |
बैंकों को नुकसान | कम सब्सिडी के कारण वित्तीय दबाव | MDR लागू करने से संतुलन बनेगा |
MDR लागू करने से संभावित लाभ
✔ बैंकिंग सेक्टर को राहत: डिजिटल पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर को बनाए रखने के लिए बैंकों को स्थिर आय मिलेगी।
✔ फिनटेक कंपनियों का विकास: MDR लागू होने से डिजिटल पेमेंट कंपनियां बेहतर सेवाएं दे पाएंगी।
✔ सरकार को राजस्व बढ़ाने का मौका: बिना ज्यादा वित्तीय भार डाले डिजिटल ट्रांजैक्शन को बढ़ावा मिलेगा।
✔ UPI का सतत विकास: बैंकों और पेमेंट कंपनियों के लिए UPI सेवाओं में सुधार करने की प्रेरणा मिलेगी।
New Amendments on UPI transaction: क्या हो सकता है आगे?
- वित्त मंत्रालय बड़े व्यापारियों के लिए 25bps MDR लागू करने पर विचार कर सकता है।
- इस साल की सब्सिडी केवल छोटे व्यापारियों तक सीमित, इसलिए अगले कुछ महीनों में बड़े व्यापारियों पर शुल्क लग सकता है।
- बड़े भुगतान ऐप्स जैसे PhonePe, Google Pay, Paytm को ऑपरेशंस के लिए नई रणनीति अपनानी होगी।
- छोटे भुगतान सेवा प्रदाताओं के लिए UPI ट्रांजेक्शन को बनाए रखना मुश्किल हो सकता है।
- सरकार UPI ट्रांजेक्शन के लिए MDR शुल्क लागू करने पर विचार कर सकती है, ताकि कंपनियों को राजस्व प्राप्त हो।
- उद्योग जगत सरकार के इस कदम को डिजिटल भुगतान व्यवस्था की स्थिरता के लिए जरूरी मान रहा है।
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New Amendments on UPI transaction: इससे आम आदमी को क्या लाभ होगा?
MDR (Merchant Discount Rate) को फिर से लागू करने से आम उपभोक्ताओं को कई प्रकार के अप्रत्यक्ष लाभ मिल सकते हैं। हालाँकि यह व्यापारियों पर लागू होगा, लेकिन इसका प्रभाव संपूर्ण डिजिटल भुगतान इकोसिस्टम पर पड़ेगा, जिससे आम जनता को भी फायदा होगा।
जब भी क्रेडिट कार्ड जैसे भुगतान लेनदेन पर महत्वपूर्ण MDR (मर्चेंट डिस्काउंट रेट) लागू होता है, तो व्यापारी अक्सर यह शुल्क उपभोक्ताओं से अतिरिक्त शुल्क के रूप में वसूलते हैं। हालांकि, सरकार की नई प्रोत्साहन योजना बैंकों, भुगतान सेवा प्रदाताओं (PSP) और तृतीय-पक्ष सेवा प्रदाताओं (TPAP) को छोटे मूल्य के UPI लेनदेन पर MDR शुल्क न लेने के लिए प्रेरित करेगी।
अब, क्योंकि व्यापारियों से भुगतान अधिग्रहण करने वाले बैंक द्वारा MDR नहीं लिया जाएगा, यह लागत उपभोक्ताओं तक नहीं पहुँचेगी। इसका सीधा लाभ यह होगा कि 2,000 रुपये से कम के भुगतान पर कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा, जिससे UPI लेनदेन पहले से अधिक सुविधाजनक और किफायती हो जाएगा।
1. UPI और डिजिटल भुगतान सेवाओं में सुधार: MDR लागू होने से बैंकों और फिनटेक कंपनियों को एक स्थायी आय का स्रोत मिलेगा। इससे वे अपनी डिजिटल भुगतान सेवाओं को और अधिक सुरक्षित, तेज़ और सुविधाजनक बना सकेंगे।
2. धोखाधड़ी और साइबर अपराध में कमी: जब बैंक और पेमेंट कंपनियों को डिजिटल भुगतान से आय होगी, तो वे फ्रॉड प्रिवेंशन सिस्टम को मजबूत कर सकेंगे। इससे ऑनलाइन लेनदेन अधिक सुरक्षित हो जाएगा और आम लोगों को धोखाधड़ी से बचाव मिलेगा।
3. डिजिटल पेमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार: MDR लागू होने से बैंकों को नए ATM, POS मशीनें और अन्य डिजिटल पेमेंट सुविधाएं विकसित करने में मदद मिलेगी, जिससे छोटे शहरों और गाँवों में भी डिजिटल भुगतान आसान होगा।
4. बेहतर कस्टमर सपोर्ट और कैशबैक ऑफर्स: जब फिनटेक कंपनियों और बैंकों को UPI से कमाई होगी, तो वे ग्राहकों को अधिक कैशबैक, डिस्काउंट और बेहतर कस्टमर सपोर्ट दे पाएंगे।
5. कैशलेस अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: डिजिटल भुगतान को बनाए रखने के लिए एक संतुलित शुल्क प्रणाली जरूरी है। इससे UPI और RuPay जैसी सेवाएं लंबे समय तक चल सकेंगी और नकद लेनदेन पर निर्भरता घटेगी।
6. व्यापारियों पर सीमित असर, उपभोक्ताओं को राहत: MDR केवल बड़े व्यापारियों (₹40 लाख से अधिक टर्नओवर वाले) पर लागू होगा। आम दुकानदारों और छोटे व्यापारियों को इससे कोई असर नहीं पड़ेगा, जिससे आम उपभोक्ताओं के लिए लेनदेन पहले की तरह ही आसान बना रहेगा।
विशेषज्ञों की राय “NTT DATA Payment Services India के CFO राहुल जैन के अनुसार, यह पहल छोटे मूल्य के लेनदेन में MDR शुल्क को समाप्त करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। वे कहते हैं, “सरकार द्वारा बैंकों और PSP को प्रोत्साहित करने का उद्देश्य छोटे व्यापारियों से लेनदेन शुल्क हटाना है, जिससे डिजिटल भुगतान को बढ़ावा मिलेगा। “
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UPI लेनदेन में किए गए प्रमुख बदलाव
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सरकार ने ₹2,000 तक के BHIM-UPI (व्यक्ति-से-व्यापारी) लेनदेन को प्रोत्साहित करने के लिए दी जाने वाली सब्सिडी में कटौती की है।
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अब ₹2,000 से कम राशि के यूपीआई लेनदेन पर कोई शुल्क नहीं लगेगा।
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत बजट के अनुसार, इस योजना के लिए वित्त वर्ष 2024-25 में ₹2,000 करोड़ आवंटित किए गए थे, जिसे अब 2025-26 में घटाकर ₹437 करोड़ कर दिया गया है।
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2024 में इस योजना का प्रारंभिक आवंटन ₹1,441 करोड़ था, जिसे बाद में संशोधित कर ₹2,000 करोड़ किया गया था।
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जनवरी 2024 में यूपीआई लेनदेन अपने उच्चतम स्तर पर पहुंचा, जहां 16.99 बिलियन ट्रांजैक्शन दर्ज किए गए, जो दिसंबर 2023 के 16.73 बिलियन से 1.5% अधिक था।
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जनवरी 2024 में कुल यूपीआई लेनदेन मूल्य ₹23.48 लाख करोड़ रहा, जो दिसंबर 2023 के ₹23.25 लाख करोड़ से अधिक था।
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इस बजटीय बदलाव का असर फिनटेक कंपनियों पर पड़ा, जिससे उनके शेयरों में गिरावट देखी गई:
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मोबिक्विक: 2.08% की गिरावट
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पेटीएम: 4.18% की गिरावट
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PB फिनटेक: 0.8% की गिरावट
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हालांकि, व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा बढ़ाने जैसे अन्य बजटीय उपाय यूपीआई लेनदेन की मात्रा को बनाए रखने में सहायक हो सकते हैं।
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RuPay debit card में किए गए प्रमुख बदलाव
- सरकार ने RuPay debit card के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए दी जाने वाली सब्सिडी को भी कम कर दिया है।
- वित्तीय वर्ष 2023-24 में इस योजना के लिए ₹2,000 करोड़ का आवंटन किया गया था, जिसे अब घटाकर ₹437 करोड़ कर दिया गया है।
- पिछले कुछ वर्षों में इस योजना के बजट में लगातार कटौती देखी गई है।
- 2023 में, इस योजना के लिए प्रारंभिक बजट ₹2,484 करोड़ था, जिसे बाद में संशोधित किया गया।
- इस नीति परिवर्तन से फिनटेक सेक्टर में हलचल देखी गई और इससे जुड़े शेयरों में गिरावट आई।
- सरकार की यह नीति डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने की दीर्घकालिक रणनीति को प्रभावित कर सकती है।
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RuPay debit card और UPI लेनदेन में बदलाव की जरूरत क्यों पड़ी?
सरकार द्वारा RuPay debit card और UPI लेनदेन से जुड़ी सब्सिडी में कटौती के पीछे कई प्रमुख कारण हैं। ये बदलाव भारत के डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र को अधिक आत्मनिर्भर और टिकाऊ बनाने की दिशा में किए गए हैं।
1. वित्तीय बोझ कम करना:
- सरकार पर डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए दी जाने वाली सब्सिडी का वित्तीय बोझ बढ़ता जा रहा था।
- बजट में अन्य विकास योजनाओं और सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों के लिए धनराशि आवश्यक थी, इसलिए यूपीआई और RuPay कार्ड सब्सिडी में कटौती की गई।
2. डिजिटल भुगतान प्रणाली को आत्मनिर्भर बनाना:
- शुरुआत में सरकार ने UPI और RuPay कार्ड के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी दी थी, लेकिन अब जब ये सिस्टम व्यापक रूप से अपनाए जा चुके हैं, तो इन्हें बाजार आधारित मॉडल पर स्थानांतरित करने की जरूरत थी।
- फिनटेक कंपनियों और बैंकों को स्वयं के संसाधनों से इस प्रणाली को बनाए रखने की दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित किया गया।
3. UPI लेनदेन में तेज वृद्धि:
- यूपीआई लेनदेन की संख्या और मूल्य में भारी वृद्धि हुई है।
- जनवरी 2024 में 16.99 बिलियन यूपीआई लेनदेन हुए, जो संकेत देता है कि यह प्रणाली अब बिना सरकारी प्रोत्साहन के भी सफलतापूर्वक काम कर सकती है।
4. बैंकों और भुगतान सेवा प्रदाताओं को सशक्त बनाना:
- सरकारी सब्सिडी के कारण बैंक और भुगतान कंपनियां पूरी तरह सरकारी समर्थन पर निर्भर थीं।
- इन बदलावों से बैंक और फिनटेक कंपनियां अपने स्वयं के संसाधनों से यूपीआई लेनदेन और RuPay कार्ड को अधिक प्रभावी बनाने के लिए काम करेंगी।
5. बजटीय प्राथमिकताओं को पुनर्संतुलित करना:
- सरकार को स्वास्थ्य, शिक्षा, बुनियादी ढांचे और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में निवेश बढ़ाने की जरूरत थी।
- सब्सिडी कम करने से सरकार अन्य विकास योजनाओं में अधिक धनराशि आवंटित कर सकती है।
6. निजी कंपनियों की भागीदारी को बढ़ाना:
- सरकार चाहती है कि फिनटेक कंपनियां और बैंक डिजिटल भुगतान को बेहतर बनाने में अधिक निवेश करें।
- इससे नवाचार (innovation) और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा, जिससे उपभोक्ताओं को बेहतर सेवाएं मिलेंगी।
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