Mutual Fund in Hindi: जानिए क्या है और कैसे करें निवेश?

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म्यूचुअल फंड के बारे में सबकुछ जानिए – म्यूचुअल फंड में निवेश कैसे करें, इसके लाभ, नुकसान और प्रकार। Mutual Fund in Hindi

Mutual Fund in Hindi: अगर आप अपने पैसे को सुरक्षित और बेहतर तरीके से बढ़ाना चाहते हैं, लेकिन शेयर बाजार की जटिलताओं से बचना चाहते हैं, तो Mutual Fund आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। म्यूचुअल फंड एक ऐसा माध्यम है, जहाँ कई निवेशकों का पैसा एकत्र किया जाता है और उसे विशेषज्ञ फंड मैनेजर द्वारा विभिन्न शेयरों (shares), बॉन्ड (bonds) और अन्य निवेश विकल्पों (Other investment options) में लगाया जाता है। यह उन लोगों के लिए खास तौर पर फायदेमंद है, जिन्हें निवेश के बारे में अधिक जानकारी नहीं है या जिनके पास समय की कमी है। आइए, म्यूचुअल फंड को सरल शब्दों में समझते हैं और जानते हैं कि यह आपके वित्तीय लक्ष्य पूरे करने में कैसे मदद कर सकता है।

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म्यूचुअल फंड क्या है? | What is Mutual Fund in Hindi?

Mutual Fund म्यूचुअल फंड एक ऐसा वित्तीय साधन है, जिसमें कई निवेशकों का पैसा एकत्रित किया जाता है और उसे विशेषज्ञ फंड मैनेजर द्वारा अलग-अलग निवेश विकल्पों जैसे शेयर (share), बॉन्ड (bond), सरकारी सिक्योरिटीज़ (government securities) या अन्य परिसंपत्तियों (other assets) में लगाया जाता है। यह छोटे या बड़े निवेशकों को एक ऐसा प्लेटफॉर्म प्रदान करता है, जहाँ वे अपने पैसे को प्रोफेशनल तरीके से प्रबंधित करवा सकते हैं। म्यूचुअल फंड का मुख्य उद्देश्य निवेशकों को उनके वित्तीय लक्ष्यों के अनुसार रिटर्न प्रदान करना और जोखिम को कम करना होता है। इसे निवेश का सरल और सुविधाजनक तरीका माना जाता है

म्यूचुअल फंड में निवेश करने के फायदे | Benefits of Investing in Mutual Fund in Hindi

  • विविधीकरण (Diversification):

म्यूचुअल फंड विभिन्न प्रकार के शेयरों, बांडों और अन्य वित्तीय साधनों में निवेश करता है, जिससे जोखिम कम होता है। म्यूचुअल फंड में पैसा कई अलग-अलग जगहों पर निवेश किया जाता है (Diversification), जिससे जोखिम कम होता है।

  • पेशेवर प्रबंधन:

Mutual Fund को विशेषज्ञ फंड मैनेजर्स द्वारा संचालित किया जाता है, जो आपके निवेश को सही दिशा में प्रबंधित करते हैं।

  • छोटे निवेश से शुरुआत:

म्यूचुअल फंड में निवेश शुरू करने के लिए बड़ी राशि की आवश्यकता नहीं होती। आप केवल ₹500 से एसआईपी (SIP) के जरिए निवेश कर सकते हैं।

  • तरलता (Liquidity):

ओपन-एंडेड म्यूचुअल फंड में निवेशक अपनी आवश्यकता के अनुसार कभी भी पैसे निकाल सकते हैं।

  • पारदर्शिता (Transparency):

Mutual Fund नियमित रूप से अपने प्रदर्शन, पोर्टफोलियो और शुल्क की जानकारी प्रदान करता है, जिससे निवेशक को निर्णय लेने में सुविधा होती है।

  • टैक्स लाभ:

ईएलएसएस (ELSS) जैसे म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर आयकर अधिनियम (Income Tax Act) की धारा (Article) 80C के तहत टैक्स छूट मिलती है।

  • सुविधाजनक निवेश:

म्यूचुअल फंड में निवेश करना आसान है। आप इसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, मोबाइल ऐप या फंड हाउस की वेबसाइट के माध्यम से कर सकते हैं

  • कम लागत:

म्यूचुअल फंड की प्रबंधन फीस और अन्य शुल्क आमतौर पर कम होते हैं, जिससे यह एक किफायती निवेश विकल्प बनता है।

  • लचीलापन (Flexibility):

फंड में निवेशक को एसआईपी, लंपसम, या सिस्टेमैटिक विद्ड्रॉल प्लान (Systematic Withdrawal Plan (SWP) के जरिए निवेश और निकासी की सुविधा मिलती है।

  • रिटर्न की संभावना:

म्यूचुअल फंड, खासकर इक्विटी फंड, लंबे समय में एफडी (Fixed Deposit) या आरडी (Recurring Deposit) जैसे पारंपरिक निवेश विकल्पों की तुलना में अधिक मुनाफा दे सकते हैं।

म्यूचुअल फंड काम कैसे करता है? | How does a mutual fund work?

म्यूचुअल फंड एक ऐसा वित्तीय साधन है, जो निवेशकों के पैसे को एकत्रित करके उन्हें अलग-अलग जगहों पर निवेश करता है। इसे समझने के लिए इसे कुछ सरल चरणों में विभाजित किया जा सकता है:

  1. पैसा इकट्ठा करना

म्यूचुअल फंड में कई निवेशक अपना पैसा एकमुश्त (लंप सम) या हर महीने (SIP Investment) के जरिए निवेश करते हैं। यह पैसा एक बड़े फंड (Pool) में इकट्ठा किया जाता है। हर निवेशक को उसके निवेश के अनुपात में फंड की यूनिट दी जाती है। उदाहरण के लिए, अगर आपने 10,000 रुपये लगाए और फंड की कुल कीमत 1,00,000 रुपये है, तो आपको कुल यूनिट का 10% मिलेगा।

  1. फंड मैनेजर का काम

फंड का प्रबंधन एक विशेषज्ञ फंड मैनेजर (specialist fund manager) करता है। यह व्यक्ति यह तय करता है कि फंड का पैसा कहाँ-कहाँ निवेश करना है। Mutual Fund का मुख्य उद्देश्य होता है निवेशकों को बेहतर रिटर्न देना और जोखिम को कम करना। फंड मैनेजमेंट (Fund Management) के लिए म्यूचुअल फंड कंपनियाँ एक छोटी फीस चार्ज करती हैं। यह फीस फंड के प्रदर्शन और प्रकार पर निर्भर करती है।

  1. निवेश का तरीका

फंड मैनेजर इस पैसे को अलग-अलग निवेश विकल्पों में लगाता है, जैसे:

  • शेयर बाजार (Share Market): जहाँ कंपनियों के शेयर खरीदे जाते हैं। जब कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है तो शेयरों की कीमत बढ़ जाती है, जिससे फंड का मूल्य भी बढ़ जाता है
  • बॉन्ड्स (Bonds): इन बांड्स को सरकार या कंपनियाँ पैसा उधार लेने के लिए जारी करती हैं। ये शेयरों की तुलना में कम जोखिम वाले होते हैं
  • सरकारी योजनाएँ (Government Schemes): सरकारें कई तरह की योजनाएँ चलाती हैं जिनमें निवेश किया जा सकता है। ये योजनाएँ आम तौर पर सुरक्षित होती हैं।
  • अन्य परिसंपत्तियाँ (Other Assets): इसके अलावा, फंड मैनेजर सोना, चांदी, या रियल एस्टेट जैसे अन्य चीजों में भी निवेश कर सकता है।
  1. रिटर्न कमाना

जब ये निवेश अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो फंड की कुल संपत्ति बढ़ती है। इससे यूनिट की कीमत (NAV in Mutual Fund– Net Asset Value) भी बढ़ती है। निवेशकों को उनका पैसा यूनिट की कीमत के आधार पर वापस मिलता है, जिसे हम रिटर्न (Return) कहते है। निवेशक अपनी यूनिट्स को बेच कर अपने पैसे को निकाल सकते हैं, या वे उन्हें लंबे समय तक फंड में इन्वेस्ट रख सकते हैं और रिटर्न बढ़ने का इंतजार कर सकते हैं।

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म्यूचुअल फंड के प्रकार | Types of Mutual Funds in Hindi

1. इक्विटी म्यूचुअल फंड (Equity Mutual Fund):

ये फंड मुख्य रूप से शेयर बाजार (Share Market)  में निवेश करते हैं। इन फंड्स में निवेश करने से उच्च रिटर्न की संभावना होती है, लेकिन इसमें जोखिम भी ज्यादा होता है। इक्विटी फंड को लंबी अवधि के लिए उपयुक्त माना जाता है। उदाहरण: Large-cap, Mid-cap, Small-cap Funds

2. डेब्ट म्यूचुअल फंड (Debt Mutual Fund):

ये फंड बॉन्ड्स (Bonds) और कम जोखिम वाली सरकारी योजनाओं (low risk government schemes) में निवेश करते हैं। इनका उद्देश्य निवेशकों को स्थिर रिटर्न देना होता है, और इनमें जोखिम कम होता है। यह फंड्स उन लोगों के लिए अच्छे होते हैं जो सुरक्षा और स्थिरता चाहते हैं। उदाहरण: सरकारी बॉन्ड फंड्स (Government Bond Funds), कॉर्पोरेट बॉन्ड फंड्स (Corporate Bond Funds)

3. हाइब्रिड म्यूचुअल फंड (Hybrid Mutual Fund):

ये फंड्स इक्विटी (Equity) और डेब्ट (Debt) दोनों प्रकार के निवेश में पैसे लगाते हैं। इसका उद्देश्य दोनों प्रकार के निवेश के फायदों को जोड़ना होता है, ताकि जोखिम और रिटर्न का संतुलन बने। उदाहरण: बैलेंस्ड फंड्स (Balanced Funds), आक्रामक बैलेंस्ड फंड्स (Aggressive Hybrid Funds)

4. लिक्विड म्यूचुअल फंड (Liquid Mutual Fund):

ये फंड्स बहुत कम अवधि के निवेश के लिए होते हैं और मुख्य रूप से कम जोखिम वाली योजनाओं जैसे शॉर्ट टर्म बॉन्ड्स में निवेश करते हैं। इनका उद्देश्य निवेशकों को तात्कालिक लिक्विडिटी प्रदान करना होता है।

5. सातत्य (Closed-End Funds):

ये फंड्स केवल एक निर्धारित अवधि के लिए खुले होते हैं, और इनकी यूनिट्स को सीमित समय में खरीदी और बेची जा सकती हैं। ये आमतौर पर फिक्स्ड इनकम निवेश पर आधारित होते हैं।

6. इंडेक्स फंड (Index Funds):

ये म्यूचुअल फंड शेयर बाजार के एक इंडेक्स (जैसे Nifty, Sensex) के प्रदर्शन के अनुसार निवेश करते हैं। इन फंड्स का उद्देश्य उस इंडेक्स को ट्रैक करना होता है, और यह कम लागत (Cost) वाला होता है।

7. एलएसएस (ELSS – Equity Linked Savings Scheme):

यह एक प्रकार का इक्विटी म्यूचुअल फंड होता है जो कर लाभ प्रदान करता है। इसमें निवेश करने पर आपको आयकर अधिनियम  80C के तहत छूट मिलती है। यह लंबी अवधि के निवेश के लिए अच्छा होता है।

8. गोल्ड म्यूचुअल फंड (Gold Mutual Fund):

इन फंड्स का निवेश गोल्ड (Gold) में किया जाता है, ताकि सोने की कीमतों में वृद्धि से रिटर्न मिल सके। यह उन निवेशकों के लिए है जो सोने में निवेश करना चाहते हैं, लेकिन उसे सीधे तौर पर खरीदने के बजाय म्यूचुअल फंड के माध्यम से उसमें निवेश करना चाहते हैं।

9. फंड ऑफ फंड्स (Fund of Funds):

ये म्यूचुअल फंड्स अन्य म्यूचुअल फंड्स में निवेश करते हैं। इसका मतलब यह है कि यह फंड सीधे किसी कंपनी के शेयरों या बॉन्ड्स में निवेश नहीं करता, बल्कि वह किसी अन्य म्यूचुअल फंड में पैसा निवेश करता है और उसका हिस्सा बनता है।

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म्यूचुअल फंड में निवेश कैसे करें? (Step-by-Step Guide of How to invest in Mutual Funds in Hindi)

1. सही म्यूचुअल फंड का चयन करें

Mutual Fund में निवेश करने से पहले यह समझना जरूरी है कि आपके निवेश के लिए कौन सा फंड सही रहेगा। म्यूचुअल फंड के विभिन्न प्रकार होते हैं, जैसे: इक्विटी फंड (Equity Fund), डेब्ट फंड (Debt Fund), हाइब्रिड फंड (Hybrid Fund), एलएसएस (ELSS) आदि। अपने निवेश का उद्देश्य, जोखिम सहनशीलता और निवेश की अवधि के आधार पर म्यूचुअल फंड का चयन करें। उदाहरण के लिए, अगर आपको लंबी अवधि में अधिक रिटर्न चाहिए और आप जोखिम उठा सकते हैं, तो इक्विटी फंड (Equity Fund) उपयुक्त रहेगा। वहीं, अगर आप सुरक्षित निवेश चाहते हैं, तो डेब्ट फंड (Debt Fund) को चुन सकते हैं।

2. KYC (Know Your Customer) प्रक्रिया पूरी करें

Mutual Fund में निवेश करने के लिए सबसे पहले आपको KYC (Know Your Customer) प्रक्रिया पूरी करनी होती है। यह प्रक्रिया आपको अपनी पहचान और पते की पुष्टि करने के लिए करनी होती है। यह प्रक्रिया म्यूचुअल फंड निवेश के लिए अनिवार्य है और इसमें आमतौर पर निम्नलिखित दस्तावेज़ों की आवश्यकता होती है:

  • आधार कार्ड (Aadhar Card)
  • पैन कार्ड (PAN Card)
  • निवास प्रमाण पत्र (Address Proof) जैसे कि बिजली का बिल (electricity bill), पासपोर्ट (Passport), आदि।

KYC प्रक्रिया ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों तरीके से की जा सकती है।

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3. निवेश का तरीका चुनें: SIP या लंप सम

म्यूचुअल फंड में निवेश करने के दो प्रमुख तरीके होते हैं:

  • SIP (Systematic Investment Plan): SIP के तहत आप हर महीने एक निश्चित राशि म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं। यह तरीका उन लोगों के लिए अच्छा होता है जो नियमित रूप से कम राशि निवेश करना चाहते हैं। SIP के बारे में और अच्छे से जानने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें- SIP Investment.
  • लंप सम (Lump Sum): इसमें आप एकमुश्त (बड़ी राशि) निवेश करते हैं। यह तरीका उन लोगों के लिए उपयुक्त होता है जो एक साथ बड़ा निवेश करना चाहते हैं।

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4. निवेश के लिए म्यूचुअल फंड प्लैटफॉर्म चुनें

आप म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए कई तरीकों का उपयोग कर सकते हैं:

  • म्यूचुअल फंड वेबसाइट (Mutual Fund Website): आप म्यूचुअल फंड कंपनी की वेबसाइट (website) पर जाकर निवेश कर सकते हैं।
  • ब्रोकर या वितरक (Broker or Distributor): आप किसी वितरक या ब्रोकर के जरिए भी म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं।
  • म्यूचुअल फंड ऐप्स (Mutual Fund Apps): अब कई मोबाइल ऐप्स भी हैं, जिनके जरिए आप आसानी से म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं (जैसे Groww, Zerodha, Paytm Money आदि)।
  • बैंक (Bank): कई बैंक भी म्यूचुअल फंड निवेश की सुविधा प्रदान करते हैं। आप बैंक के काउंटर या उनकी वेबसाइट से निवेश कर सकते हैं।

जब आपने सही म्यूचुअल फंड चुन लिया और अपनी निवेश राशि तय कर ली, तो आपको भुगतान करना होता है। SIP में, आप हर महीने थोड़ी-थोड़ी रकम निवेश करते हैं और लंप सम में, आप एक बार में सारी रकम एक साथ निवेश कर देते हैं। म्यूचुअल फंड में निवेश के बाद यह जरूरी है कि आप समय-समय पर अपने निवेश का मूल्यांकन करें। आप अपनी म्यूचुअल फंड यूनिट्स की Net Asset Value (NAV in Mutual Fund) देख सकते हैं, जिससे यह पता चलता है कि आपके फंड का प्रदर्शन कैसा है।

ध्यान दें: जब आप SIP (Systematic Investment Plan) के माध्यम से निवेश करते हैं, तो बैंक द्वारा आपके खाते से एक निश्चित तारीख पर स्वचालित रूप से राशि काटी जाती है।

5. म्यूचुअल फंड से निकासी (Withdrawal)

जब आपको अपने निवेश से पैसा निकालना हो, तो आप म्यूचुअल फंड यूनिट्स (Mutual Fund Units) को बेच सकते हैं। आप चाहे तो पूरे फंड को बेच सकते हैं या केवल उसका एक हिस्सा निकाल सकते हैं। फंड की यूनिट्स की कीमत (NAV) के आधार पर आपको रकम मिलती है। ध्यान रखें कि कुछ फंड्स में आपको बिक्री शुल्क (exit load) देना पड़ सकता है, अगर आपने निवेश को निश्चित समय से पहले निकाल लिया हो तो।

म्यूचुअल फंड के नुकसान | Demerits of Mutual Fund in Hindi

म्यूचुअल फंड के कई फायदे होने के बावजूद इसमें कुछ कमियां या नुकसान भी होते हैं, जो इस प्रकार हैं:

  • जोखिम का तत्व: म्यूचुअल फंड का प्रदर्शन पूरी तरह से बाजार की स्थिति पर निर्भर करता है। यदि बाजार गिरता है, तो फंड में निवेश की गई राशि में भी कमी आ सकती है।
  • फीस और शुल्क: म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए एग्जिट लोड (exit load), फंड मैनेजमेंट फीस (fund management fees) और अन्य शुल्क चुकाने पड़ सकते हैं, जो आपकी रिटर्न को प्रभावित कर सकते हैं।
  • नियंत्रण की कमी: निवेशक को यह तय करने का अधिकार नहीं होता कि फंड कहाँ और कैसे निवेश किया जाएगा। यह पूरी जिम्मेदारी फंड मैनेजर की होती है।
  • लंबी अवधि का निवेश आवश्यक: म्यूचुअल फंड से बेहतर रिटर्न प्राप्त करने के लिए लंबी अवधि तक निवेश बनाए रखना पड़ता है। अल्पकालिक निवेश में रिटर्न सीमित या नकारात्मक हो सकता है।
  • लॉकइन अवधि: कुछ म्यूचुअल फंड जैसे ईएलएसएस (ELSS) में 3 साल की लॉक-इन अवधि (lock-in period) होती है, जिसमें निवेशक अपनी राशि नहीं निकाल सकता।
  • फंड प्रदर्शन की अनिश्चितता: पिछले प्रदर्शन के आधार पर फंड का चयन किया जा सकता है, लेकिन यह भविष्य में बेहतर रिटर्न की गारंटी नहीं देता।
  • सिस्टमेटिक रिस्क: बाजार में व्यापक गिरावट (Systematic Risk) के समय सभी प्रकार के म्यूचुअल फंड प्रभावित हो सकते हैं, चाहे फंड मैनेजमेंट कितना ही अच्छा क्यों न हो।

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FAQs | Mutual Fund in Hindi

1. म्यूचुअल फंड में निवेश करना सुरक्षित है?

म्यूचुअल फंड में जोखिम बाजार की स्थितियों पर निर्भर करता है। हालांकि, विविधीकरण (Diversification) के कारण जोखिम कम हो सकता है। सही योजना और जानकारी के साथ ही म्यूच्यूअल फंड में निवेश करना सही है।

2. म्यूचुअल फंड से पैसे कैसे निकालें?

आप अपने डीमैट खाते (Demat Account) के माध्यम से म्यूचुअल फंड से पैसे निकाल सकते हैं।

3. म्यूचुअल फंड का नियम क्या है?

म्यूचुअल फंड के लिए 20/25 नियम है जो कहता है कि किसी म्यूचुअल फंड स्कीम में कम से कम 20 निवेशक होने चाहिए और किसी भी एक निवेशक के पास स्कीम के कुल मूल्य का 25% से अधिक हिस्सा नहीं होना चाहिए। यह नियम सभी नए New Fund Offers (NFO) और मौजूदा म्यूचुअल फंड स्कीम पर लागू होता है।

4. म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए न्यूनतम राशि कितनी होनी चाहिए?

एसआईपी के माध्यम से निवेश शुरू करने के लिए न्यूनतम राशि ₹500 हो सकती है, जबकि एकमुश्त (lump-sum) निवेश के लिए राशि फंड के अनुसार भिन्न हो सकती है।

5. क्या म्यूचुअल फंड निवेश के लिए एजेंट जरूरी है?

नहीं, आप म्यूचुअल फंड में निवेश ऑनलाइन प्लेटफॉर्म या फंड हाउस की वेबसाइट के माध्यम से भी कर सकते हैं। हालांकि, शुरुआती निवेशकों के लिए एजेंट से मार्गदर्शन लेना मददगार हो सकता है।

6. क्या म्यूचुअल फंड निवेश करने के लिए उम्र की कोई सीमा है?

नहीं, म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए कोई उम्र सीमा नहीं है। आप अपनी कमाई शुरू करते ही इसमें निवेश कर सकते हैं, और यह बच्चों के नाम पर भी किया जा सकता है।

7. क्या म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए लोन लिया जा सकता है?

हाँ, कई बैंक और वित्तीय संस्थान Mutual Fund के यूनिट्स को गिरवी रखकर लोन प्रदान करते हैं। हालांकि, यह फंड के प्रकार और बाजार मूल्य पर निर्भर करता है।

निष्कर्ष | Conclusion

Mutual Fund in Hindi: Mutual Fund एक शक्तिशाली निवेश उपकरण है जो आपको अपने वित्तीय लक्ष्यों को हासिल करने में मदद कर सकता है। यह पेशेवर प्रबंधन, विविधीकरण (Diversification), और लिक्विडिटी (Liquidity) जैसे कई फायदे प्रदान करता है

हालांकि, म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले आपको अपनी वित्तीय जरूरतों और जोखिम सहन क्षमता को ध्यान में रखना चाहिए। इसके अलावा, आपको एक अच्छे फंड मैनेजर और एक विश्वसनीय फंड हाउस का चयन करना चाहिए।

म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले, आपको अपने वित्तीय सलाहकार से परामर्श लेना चाहिए। वे आपको सही Mutual Fund का चयन करने में मदद कर सकते हैं और आपके निवेश के बारे में मार्गदर्शन दे सकते हैं।

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