Mysterious temples of India: भारत के 10 सबसे रहस्यमयी मंदिर !

इन मंदिरों में होते हैं चमत्कार! क्या आप जानते हैं इन मंदिरों के पीछे छिपे रहस्य?

Mysterious temples of India! भारत, प्राचीन सभ्यताओं का उद्गम स्थल, रहस्यवाद और आध्यात्मिकता का एक विशाल भंडार है। इस विशाल देश में ऐसे अनेक मंदिर हैं जो अपनी रहस्यमयीता के कारण दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। इन मंदिरों की वास्तुकला, इतिहास, और उनसे जुड़ी अद्भुत कहानियां सदियों से लोगों को आकर्षित करती रही हैं। कुछ मंदिर अपने निर्माण की जटिल तकनीक के कारण रहस्यमयी हैं, तो कुछ अपनी दिव्य शक्तियों के कारण। इन मंदिरों के बारे में अनेक किंवदंतियां और लोककथाएं प्रचलित हैं जो उनके रहस्यमय आभा को और बढ़ाती हैं। इस लेख में हम भारत के ऐसे ही दस सबसे रहस्यमयी मंदिरों के बारे में जानेंगे और उनके रहस्यों से पर्दा उठाने का प्रयास करेंगे।

भारत को आध्यात्म और साधना का केंद्र माना जाता है। यहां पर कई प्राचीन मंदिर हैं जिनका विशेष महत्व है। इनमें से कई मंदिर बेहद चमत्कारिक और रहस्यमयी हैं। देवी-देवताओं में आस्था रखने वाले लोग इसे भगवान की कृपा मानते हैं, तो वहीं अन्य लोगों के लिए यह आश्चर्य का विषय है। आईए आपको बताते हैं भारत के रहस्यमयी मंदिर (Mysterious temples of India)के बारे में जिनका रहस्य आज तक वैज्ञानिक भी नहीं सुलझा पाए हैं।

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1. मां कामाख्या देवी मंदिर (Maa Kamakhya Devi Temple)

मां कामाख्या देवी का मंदिर, असम में राजधानी गुवाहाटी के नजदीक स्थित है। यह चमात्कारिक मंदिर मां भगवती के 51 शक्तिपीठों में शामिल हैं। लेकिन प्राचीन मंदिर में देवी भगवती की एक भी मूर्ति नहीं है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, जब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से मां सती के शव को काटा था, तो कामाख्या में उनके शरीर का एक भाग गिरा था। जहां-जहां माता सती के अंग गिरे थे वह जगह शक्तिपीठ कहलाती है। यहां पर कोई मूर्ति नहीं है मां सती के शरीर के अंग की पूजा की जाती है।

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कामाख्या मंदिर को शक्ति-साधना का केंद्र माना जाता है। यहां पर हर किसी की कामना पूरी होती है। इस वजह से इस मंदिर का नाम कामाख्या पड़ा है। यह मंदिर तीन भागों में बंटा है। इसके पहले हिस्से में हर किसी को जाने की इजाजत नहीं है। दूसरे हिस्से माता के दर्शन होते हैं। यहां पर एक पत्थर से हमेशा पानी निकलता रहता है। बताया जाता है कि इस पत्थर से महीने में एक बार खून की धारा बहती है। यह क्यों और कैसे होता है। इस बात का पता आज तक वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाए। Mysterious temples of India

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2. ज्वाला देवी (ज्वालामुखी) मंदिर (Jwala Devi (Jwalamukhi) Temple)

हिमाचल प्रदेश के कालीधार पहाड़ी के बीच माता ज्वाला देवी का प्रसिद्ध ज्वालामुखी मंदिर है। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, यहां पर माता सती की जीभ गिरी थी। मान्यताओं के मुताबिक, माता सती के जीभ के प्रतीक के तौर पर ज्वालामुखी मंदिर में धरती से ज्वाला निकलती है। यह ज्वाला नौ रंग की होती है। यहां नौ रंगों की निकलने वाली ज्वालाओं को देवी शक्ति का नौ रूप माना जाता है। यह ज्वाला महाकाली, अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विन्ध्यवासिनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका और अंजी देवी की रूप है। मंदिर में निकलने वाली ज्वालाएं कहां से निकलती हैं और इनका रंग कैसे परिवर्तित होता है। आज तक इस बात की कोई जानकारी नहीं मिल पाई है। इस ज्वाला को मुस्लिम शासकों ने कई बार बुझाने की कोशिश की, लेकिन उनको सफलता नहीं मिली।
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3. करणी माता मंदिर (Karni Mata Temple)

राजस्थान के बीकानेर में करणी माता का मंदिर पर्यटकों के बीच काफी मशहूर है। यह मंदिर करणी माता को समर्पित है। यहां रहने वाले लोगों का मानना है कि करणी माता लोगों की रक्षा करने वाली देवी दुर्गा का अवतार हैं। करणी माता चारण जाति की योद्धा ऋषि थीं। एक तपस्वी का जीवन जीते हुए, यहां रहने वाले लोगों के बीच वह पूजी जाती थी। जोधपुर और बीकानेर के महाराजाओं से अनुरोध प्राप्त करने के बाद, उन्होंने मेहरानगढ़ और बीकानेर किलों की आधारशिला भी रखी।

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हालांकि उन्हें समर्पित कई मंदिर हैं, लेकिन बीकानेर से 30 किलोमीटर की दूरी पर देशनोक शहर में स्थित इस मंदिर की सबसे ज्‍यादा मान्यता है। बीकानेर में करणी माता मंदिर अपनी वास्तुकला के लिए ही लोकप्रिय नहीं है, बल्कि यह मंदिर 25,000 से ज्‍यादा चूहों का घर है, जिन्‍हें अक्‍सर ही यहां घूमते देखा जाता है। आमतौर पर कोई भी चूहों की झूठी चीज खाने के बजाय फेंक देता है, लेकिन यहां पर भक्‍तों को चूहों का झूठा प्रसाद ही दिया जाता है। यह इस मंदिर की पवित्र प्रथा है। यही वजह है कि भारत और विदेशों के विभिन्न कोनों से लोग इस अद्भुत नजारे को देखने आते हैं।

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4. मेहंदीपुर बाला जी मंदिर (Mehndipur Bala Ji Temple)

महेंदीपुर बालाजी मंदिर भी राजस्थान में है। यह चमात्कारिक मंदिर राज्य के दौसा जिले में स्थित है। मेहंदीपुर बालाजी धाम हनुमान जी के 10 प्रमुख सिद्धपीठों में शामिल है। माना जाता है कि यहां पर भगवान हनुमान जागृत अवस्था में विराजमान हैं। बताया जाता है कि जिन लोगों के ऊपर भूत-प्रेत और बुरी आत्मा का साया होता है। वह प्रेतराज सरकार और कोतवाल कप्तान के मंदिर में आते ही लोगों के शरीर से बुरी आत्माएं और भूत-पिशाच पीड़ित व्यक्ति के शरीर से निकल जाता है। इस मंदिर में रात को रुका नहीं जा सकता है और यहां का प्रसाद भी घर नहीं लेकर जाया जा सकता है।

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5. काल भैरव मंदिर (Kaal Bhairav ​​Temple)

मध्य प्रदेश के उज्जैन में भगवान काल भैरव का प्राचीन मंदिर स्थित है। यह मंदिर उज्जैन शहर से 8 किमी दूरी पर है। परंपराओं के मुताबिक, भगवान कालभैरव को भक्त सिर्फ शराब चढ़ाते हैं। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि शराब के प्याले को काल भैरव की प्रतिमा के मुख से जैसे ही लगाते हैं, तो वह एक पल में गायब हो जाता है। इस बात की भी जानकारी आज तक नहीं मिल पाई।

जैसा कि नाम से पता चलता है, यह मंदिर काल भैरव (या काला भैरव) को समर्पित है। देवता की छवि कुमकुम या सिंदूर से लदी एक चट्टान के रूप में एक चेहरा है। देवता के चांदी के सिर को मराठा शैली की पगड़ी से सजाया गया है, यह परंपरा महादजी शिंदे के दिनों से चली आ रही है।
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अष्ट भैरव (“आठ भैरव”) की पूजा शैव परंपरा का एक हिस्सा है, और काल भैरव को उनका प्रमुख माना जाता है। काल भैरव की पूजा पारंपरिक रूप से कपालिक और अघोरा संप्रदायों के बीच लोकप्रिय थी, और उज्जैन इन संप्रदायों का एक प्रमुख केंद्र था। काल भैरव उज्जैन के संरक्षक देवता हैं: उन्हें शहर का सेनापति (कमांडर-इन-चीफ या मुख्य जनरल) माना जाता है।

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6. स्तम्भेश्वर महादेव मंदिर, गुजरात (Stambheshwar Mahadev Temple, Gujarat)

स्तम्भेश्वर महादेव मंदिर, गुजरात की राजधानी गांधीनगर से लगभग 175 किमी दूर जंबूसर के कवि कंबोई गांव में मौजूद है। अगर ट्रैफिक जाम न मिले तो आप गांधीनगर से इस जगह तक 4 घंटे में ड्राइव करके पहुंच सकते हैं। मंदिर 150 साल पुराना है, जो अरब सागर और खंभात की खाड़ी से घिरा हुआ है। इस मंदिर की महिमा देखने के लिए आपको यहां सुबह से लेकर रात तक रुकना पड़ेगा।
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यह मंदिर भारत के अविश्वसनीय और रहस्यमय मंदिरों में (Mysterious temples of India) आता है। कहा जाता है कि ये मंदिर दिन में कुछ समय के लिए पूरी तरह से गायब हो जाता है। गायब होने के बाद इस मंदिर का एक भी हिस्सा दिखाई नहीं देता। यह हाई टाइड के दौरान रोजाना पानी में डूब जाता है। पानी हटने के बाद इसे फिर से श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है। माना जाता है इस मंदिर को भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय ने बनवाया था।

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7. कोडुंगल्लूर भगवती मंदिर, केरल (Kodungallur Bhagavathi Temple, Kerala)

कोडुंगल्लूर देवी मंदिर अत्यंत प्राचीन मंदिर है, जो कि केरल राज्य के त्रिशूर जिले में है। वैसे तो दक्षिण भारत में बहुत से मंदिर है परंतु यह मंदिर सबसे अद्भुत है। कोडुंगल्लूर देवी मंदिर को श्री कुरम्बा भगवती मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर में मां भद्रकाली उपस्थित हैं, उनकी काली रूप में पूजा की जाती है। यहां आने वाले लोग देवी को कुरम्बा या कोडुंगल्लूर अम्मा के नाम से बुलाते है। ऐसा माना जाता है कि यहां होने वाली पूजा-अर्चना या अनुष्ठान देवी के निर्देशों पर ही किए जाते हैं।

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8. लेपाक्षी मंदिर (वीरभद्र मंदिर), आंध्र प्रदेश (Lepakshi Temple (Virabhadra Temple), Andhra Pradesh)

आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में भगवान शिव का लेपाक्षी नामक एक मंदिर है। इस मंदिर में भगवान शिव के क्रूर और रौद्र रूप भगवान वीरभद्र विराजमान हैं। इसी कारण से इस मंदिर को वीरभद्र मंदिर भी कहा जाता है। यह मंदिर हैंगिंग पिलर टेंपल के नाम से भी अब दुनियाभर में विख्यात हो चुका है। इस मंदिर में यूं तो 70 खंभे हैं लेकिन इस मंदिर का आकर्षण केंद्र हवा में लटका वो खंबा जिस पर मंदिर का पूरा भार आधारित है। मंदिर में मौजूद हवा में लटके इस खंबे को आकाश स्तंभ के रूप में माना जाता है। यह खंबा जमीन से आधा इंच के करीब ऊपर उठा हुआ है।

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इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि हवा में लटके इस खंबे के नीचे से अगर कपड़ा निकाला जाए तो उस व्यक्ति के घर में सुख-समृद्धि का वास हमेशा बना रहता है। खंबे के हवा में लटकने के पीछे एक कथा भी प्रचलित है। माना जाता है कि भगवान वीरभद्र की उत्पत्ति दक्ष प्रजापति के यज्ञ के बाद हुई थी। जब महादेव ने माता सती के आत्मदाह के बाद वीरभद्र को अपनी जटा से उत्पन्न कर दक्ष प्रजापति को मारने भेजा था। तब दक्ष के वध के बाद भगवान वीरभद्र का क्रोध शांत होने के नाम ही नहीं ले रहा था। पाताल से लेकर आकाश तक उनकी हुंकार से सब भयभीत हो उठे थे।

तब भगवान शिव ने उन्हें क्रोध शांत करने के लिए तपस्या का आदेश दिया। जिसके बाद कहा जाता है कि जहां आज लेपाक्षी मंदिर है उसी स्थान पर वीरभद्र भगवान ने तपस्या की थी और क्रोध पर नियंत्रण पाया था। मान्यता है कि इस मंदिर में जो हवा में लटका खंबा है वो भगवान वीरभद्र के क्रोध के कारण ही है।

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9. असीरगढ़ के किले में स्थित शिव मंदिर (Shiva temple located in Asirgarh fort)

मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के असीरगढ़ में एक शिव मंदिर स्थित है। असीरगढ़ किले में स्थित शिव मंदिर की प्राचीन महिमा कई धार्मिक ग्रंथों में भी मिलती है। इतना ही नहीं इस प्राचीन शिव मंदिर में विराजमान भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने दूर-दूर से श्रद्धालु असीरगढ़ के किले में पहुंचते हैं। इस मंदिर का एक बड़ा रहस्य है कि इस मंदिर के रोजाना शाम को बंद होने के बावजूद जब सुबह मंदिर के द्वार खुलते हैं, तो शिवलिंग पर फूल और रोली चढ़ी हुई होती है। इतना ही नहीं शिव मंदिर में किसी के पूजन करने के प्रमाण भी मिलते हैं। बहरहाल, यह खोज का विषय है कि, आखिर मंदिर के कपाट बंद होने के बावजूद सुबह द्वार खुलते ही शिवलिंग पर फूल और रोली आखिर कहां से आकर चढ़ते हैं।

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महाभारत के अश्वत्थामा को पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के दौरान हुई एक चूक भारी पड़ी और भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें युगों-युगों तक भटकने का श्राप दे दिया। ऐसा कहा जाता है कि पिछले लगभग 5 हजार वर्षों से अश्वत्थामा भटक रहे हैं। कहा जाता है कि इस शिव मंदिर में अश्वत्थामा आज भी पूजा करने आते हैं। स्थानीय निवासी अश्वत्थामा से जुड़ी कई कहानियां सुनाते हैं। वे बताते हैं कि अश्वत्थामा को जिसने भी देखा, उसकी मानसिक स्थिति हमेशा के लिए खराब हो गई (Mysterious temples of India)।

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10. खजुराहो के मंदिर (Temples of Khajuraho)

खजुराहो, भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त में  स्थित एक प्रमुख शहर है जो अपने प्राचीन एवं मध्यकालीन मंदिरों के लिये विश्वविख्यात है। यह मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। खजुराहो को प्राचीन काल में ‘खजूरपुरा’ और ‘खजूर वाहिका’ के नाम से भी जाना जाता था। यहां बहुत बड़ी संख्या में प्राचीन हिन्दू और जैन मंदिर हैं। मंदिरों का शहर खजुराहो पूरे विश्व में मुड़े हुए पत्थरों से निर्मित मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। खजुराहो को इसके अलंकृत मंदिरों की वजह से जाना जाता है (Mysterious temples of India) जो कि देश के सर्वोत्कृष्ठ मध्यकालीन स्मारक हैं। भारत के अलावा दुनिया भर के आगन्तुक और पर्यटक प्रेम के इस अप्रतिम सौंदर्य के प्रतीक को देखने के लिए निरंतर आते रहते हैं। हिन्दू कला और संस्कृति को शिल्पियों ने इस शहर के पत्थरों पर मध्यकाल में उत्कीर्ण किया था। विभिन्न कामक्रीडाओं को इन मंदिरों में बेहद खूबसूरती के उभारा गया है। खजुराहो का मंदिर एक सभ्य सन्दर्भ, जीवंत सांस्कृतिक संपत्ति, और एक हजार आवाजें, जो सेरेब्रम, से अलग हो रही हैं, खजुराहो ग्रुप ऑफ मॉन्यूमेंट्स, समय और स्थान के अन्तिम बिंदु की तरह हैं, जो मानव संरचनाओं और संवेदनाओं को संयुक्त करती सामाजिक संरचनाओं की भरपाई करती है, जो हमारे पास है। सब रोमांच में। यह मिट्टी से पैदा हुआ एक कैनवास है, जो अपने शुद्धतम रूप में जीवन का चित्रण करने और जश्न मनाने वाले लकड़ी के ब्लॉकों पर फैला हुआ है।

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चंदेल वंश द्वारा 950 – 1050 CE के बीच निर्मित, खजुराहो मंदिर भारतीय कला के सबसे महत्वपूर्ण नमूनों में से एक हैं। हिंदू और जैन मंदिरों के इन सेटों को आकार लेने में लगभग सौ साल लगे। मूल रूप से 85 मंदिरों का एक संग्रह, संख्या 25 तक नीचे आ गई है। एक यूनेस्को विश्व विरासत स्थल, मंदिर परिसर को तीन क्षेत्रों में विभाजित किया गया है: पश्चिमी, पूर्वी और दक्षिणी। पश्चिमी समूह में अधिकांश मंदिर हैं, पूर्वी में नक्काशीदार जैन मंदिर हैं जबकि दक्षिणी समूह में केवल कुछ मंदिर हैं (Mysterious temples of India)। पूर्वी समूह के मंदिरों में जैन मंदिर चंदेला शासन के दौरान क्षेत्र में फलते-फूलते जैन धर्म के लिए बनाए गए थे। पश्चिमी और दक्षिणी भाग के मंदिर विभिन्न हिंदू देवी-देवताओं को समर्पित हैं। इनमें से आठ मंदिर विष्णु को समर्पित हैं, छह शिव को, और एक गणेश और सूर्य को जबकि तीन जैन तीर्थंकरों को हैं। कंदरिया महादेव मंदिर उन सभी मंदिरों में सबसे बड़ा है, जो बने हुए हैं।

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