Biography of Atal Bihari Vajpayee: भारत रत्न अटल जी की पूरी जीवनी – बचपन से प्रधानमंत्री बनने तक का सफर!

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अटल बिहारी वाजपेयी की जीवनी: प्रारंभिक जीवन, राजनीतिक पार्टी, जन्म स्थान, करियर, आयु, मृत्यु और अन्य विवरण! | Atal Bihari Vajpayee Date of Birth | Atal Bihari Vajpayee Family | Atal Bihari Vajpayee Jeevan Parichay

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Biography of Atal Bihari Vajpayee in Hindi: भारत के इतिहास में कुछ नेता ऐसे होते हैं जिनकी छवि राजनीति से कहीं आगे जाती है — अटल बिहारी वाजपेयी उन्हीं में से एक थे। एक ऐसा नेता जो न केवल शब्दों का जादूगर था, बल्कि जिसकी सादगी, विचारशीलता और दूरदृष्टि ने भारतीय राजनीति को नई दिशा दी। क्या आप जानते हैं कि एक कवि कैसे तीन बार देश का प्रधानमंत्री बना? कैसे एक साधारण पत्रकार देश का सबसे बड़ा नेतृत्वकर्ता बन गया? इस लेख में हम आपको बताएंगे अटल बिहारी वाजपेयी जी के जीवन की अनसुनी कहानियाँ, संघर्ष, उपलब्धियाँ और वे मोड़ जो उन्हें “भारत रत्न” बनाने की ओर ले गए। पढ़ते रहिए!

Biography of Atal Bihari Vajpayee: परिचय

अटल बिहारी वाजपेयी भारत के उन महान नेताओं में से एक थे जिन्होंने न केवल भारतीय राजनीति को नई दिशा दी, बल्कि अपनी कविताओं, भाषणों और नेतृत्व के माध्यम से देशवासियों के दिलों में विशेष स्थान बनाया। वे भारत के 10वें प्रधानमंत्री थे और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के संस्थापक नेताओं में से एक थे। वाजपेयी ने अपने तीन गैर-लगातार प्रधानमंत्री कार्यकालों (1996, 1998-1999, और 1999-2004) के दौरान भारत को वैश्विक मंच पर एक मजबूत शक्ति के रूप में स्थापित किया। उनकी दूरदर्शिता, कूटनीतिक कौशल, और राष्ट्र के प्रति समर्पण ने उन्हें एक युगपुरुष के रूप में अमर बना दिया।

अटल बिहारी वाजपेयी का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

जन्म और परिवार

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक मध्यमवर्गीय हिंदू ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता, पंडित कृष्ण बिहारी वाजपेयी, एक स्कूल शिक्षक और कवि थे, जिनकी साहित्यिक रुचि ने अटल जी के जीवन पर गहरा प्रभाव डाला। उनकी माता, कृष्णा देवी, एक समर्पित गृहिणी थीं, जिन्होंने परिवार को एकजुट रखा। अटल जी सात भाई-बहनों में से एक थे, और उनका बचपन सादगी और संस्कारों के बीच बीता।

शिक्षा

वाजपेयी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्वालियर के सरस्वती शिशु मंदिर से प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने उज्जैन जिले के बड़नगर में एंग्लो-वर्नाकुलर मिडिल (एवीएम) स्कूल में पढ़ाई की। उनकी रुचि पढ़ाई और साहित्य की ओर थी, जिसके कारण उन्होंने ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज (वर्तमान में महारानी लक्ष्मी बाई सरकारी कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस) में प्रवेश लिया। वहां उन्होंने हिंदी, अंग्रेजी, और संस्कृत विषयों के साथ स्नातक (बीए) की डिग्री हासिल की। इसके बाद, उन्होंने कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर (एमए) की पढ़ाई पूरी की। उनकी शैक्षिक पृष्ठभूमि ने उन्हें राजनीति और विदेश नीति में गहरी समझ प्रदान की, जो बाद में उनके करियर में महत्वपूर्ण साबित हुई।

अटल बिहारी वाजपेयी का व्यक्तिगत जीवन

वाजपेयी ने अविवाहित जीवन जिया और अपना पूरा जीवन देश सेवा को समर्पित किया। उन्होंने अपनी लंबे समय की मित्र राजकुमारी कौल और बी.एन. कौल की बेटी नमिता भट्टाचार्य को दत्तक पुत्री के रूप में स्वीकार किया। नमिता और उनके पति रंजन भट्टाचार्य वाजपेयी के साथ रहते थे।

Biography of Atal Bihari Vajpayee: स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी!

छात्र जीवन के दौरान, अटल बिहारी वाजपेयी ने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया। इस आंदोलन के दौरान, उन्हें और उनके बड़े भाई को 24 दिनों के लिए गिरफ्तार किया गया। इस अनुभव ने उनके मन में देशभक्ति और स्वतंत्रता के प्रति समर्पण को और गहरा कर दिया। उनकी यह शुरुआती भागीदारी उनके राजनीतिक जीवन की नींव बनी।

अटल बिहारी वाजपेयी की राजनीतिक यात्रा की शुरुआत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय जनसंघ

अटल बिहारी वाजपेयी ने 1939 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में एक स्वयंसेवक के रूप में शामिल होकर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। 1942 तक, वे आरएसएस के एक सक्रिय सदस्य बन चुके थे। उनकी संगठनात्मक क्षमता और विचारधारा ने उन्हें जल्द ही प्रमुखता दिलाई। 1951 में, आरएसएस ने उन्हें नवगठित भारतीय जनसंघ (जिसे बाद में भारतीय जनता पार्टी के रूप में जाना गया) के लिए काम करने का दायित्व सौंपा। वाजपेयी को भारतीय जनसंघ का राष्ट्रीय सचिव नियुक्त किया गया, और उन्होंने इस भूमिका में पार्टी को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

लोकसभा और राज्यसभा में प्रवेश

वाजपेयी ने 1957 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा और बलरामपुर (उत्तर प्रदेश) से सांसद चुने गए। उनकी वाक्पटुता और तर्कशक्ति ने तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को भी प्रभावित किया। नेहरू ने उनकी भाषण कला की प्रशंसा की और भविष्यवाणी की कि वाजपेयी भविष्य में एक महान नेता बनेंगे। इसके बाद, वाजपेयी 9 बार लोकसभा और 2 बार राज्यसभा के लिए चुने गए, जो उनकी लोकप्रियता और राजनीतिक कौशल का प्रमाण है।

आपातकाल और जेल जीवन

1975 में, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की, वाजपेयी ने इसका कड़ा विरोध किया। वे आपातकाल के खिलाफ प्रदर्शनों में शामिल हुए और अगले दिन गिरफ्तार कर लिए गए। उन्हें 19 महीने से अधिक समय तक जेल में रखा गया। इस दौरान, उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से अपनी भावनाओं को व्यक्त किया, जो बाद में “कैदी कविराय की कुण्डलियाँ” के रूप में प्रकाशित हुईं। आपातकाल ने वाजपेयी के राजनीतिक दृढ़ संकल्प को और मजबूत किया।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का गठन और नेतृत्व

1977 में, भारतीय जनसंघ ने अन्य विपक्षी दलों—भारतीय लोकदल, समाजवादी पार्टी, और कांग्रेस (ओ)—के साथ मिलकर जनता पार्टी का गठन किया। जनता पार्टी ने 1977 के आम चुनावों में इंदिरा गांधी की कांग्रेस पार्टी को हराकर सत्ता हासिल की। इस सरकार में मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने, और वाजपेयी को विदेश मंत्री की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई।

1980 में, जनता पार्टी में आंतरिक मतभेदों के कारण टूट हो गई। इसके बाद, वाजपेयी ने भारतीय जनसंघ के सदस्यों के साथ मिलकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की स्थापना की और इसके पहले अध्यक्ष बने। भाजपा ने हिंदू राष्ट्रवाद और आर्थिक उदारीकरण को अपने प्रमुख सिद्धांतों के रूप में अपनाया। वाजपेयी के नेतृत्व में, भाजपा धीरे-धीरे एक राष्ट्रीय पार्टी के रूप में उभरी।

अटल बिहारी वाजपेयी का प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल

अटल बिहारी वाजपेयी ने तीन बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया, जिनमें से प्रत्येक कार्यकाल ने देश की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

  1. पहला कार्यकाल (मई 1996): 1996 के आम चुनावों में, भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी, और वाजपेयी को प्रधानमंत्री बनाया गया। हालांकि, बहुमत साबित करने में असमर्थता के कारण उनकी सरकार केवल 15 दिन तक चली। यह कार्यकाल छोटा था, लेकिन इसने वाजपेयी और भाजपा की लोकप्रियता को बढ़ाने में मदद की।
  2. दूसरा कार्यकाल (1998-1999): 1998 में, वाजपेयी ने दोबारा प्रधानमंत्री पद संभाला। इस कार्यकाल के दौरान, भारत ने पोखरण-II परमाणु परीक्षण किए, जिसने भारत को एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र के रूप में स्थापित किया। हालांकि, 1999 में गठबंधन सहयोगी दलों के समर्थन वापस लेने के कारण उनकी सरकार गिर गई।
  3. तीसरा कार्यकाल (1999-2004): 1999 के आम चुनावों में, भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने 303 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत हासिल किया। वाजपेयी ने 13 अक्टूबर 1999 को तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। यह उनका सबसे लंबा और सबसे प्रभावशाली कार्यकाल था। इस दौरान, उन्होंने आर्थिक सुधारों, बुनियादी ढांचे के विकास, और विदेश नीति में कई ऐतिहासिक कदम उठाए।

अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में पोखरण-II और परमाणु कार्यक्रम

वाजपेयी के नेतृत्व में, भारत ने मई 1998 में पोखरण में पांच परमाणु परीक्षण किए, जिन्हें “ऑपरेशन शक्ति” के नाम से जाना गया। इन परीक्षणों ने भारत को वैश्विक मंच पर एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र के रूप में स्थापित किया। वाजपेयी ने इन परीक्षणों की गोपनीयता को इतनी कुशलता से बनाए रखा कि पश्चिमी देशों की खुफिया एजेंसियों को इसकी भनक तक नहीं लगी।

परीक्षणों के बाद, कई देशों ने भारत पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए, लेकिन वाजपेयी ने दृढ़ता के साथ इनका सामना किया। उन्होंने पहले परमाणु उपयोग न करने की नीति को अपनाकर भारत की जिम्मेदार परमाणु शक्ति की छवि को मजबूत किया। इस उपलब्धि में वैज्ञानिकों जैसे अब्दुल कलाम, राजगोपाला चिदंबरम, और अनिल काकोडकर की महत्वपूर्ण भूमिका थी।

अटल बिहारी वाजपेयी के समय कारगिल युद्ध और राष्ट्रीय सुरक्षा

1999 में, पाकिस्तानी सेना और आतंकवादियों ने कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ की, जिसके परिणामस्वरूप कारगिल युद्ध हुआ। वाजपेयी के नेतृत्व में, भारतीय सेना ने इस घुसपैठ को विफल किया और क्षेत्र को मुक्त कराया। इस युद्ध में भारत ने अंतरराष्ट्रीय सीमाओं का सम्मान करते हुए संयम बरता, जिसके लिए वाजपेयी की कूटनीति को वैश्विक स्तर पर सराहा गया।

2001 में, भारतीय संसद पर आतंकवादी हमले के बाद, वाजपेयी ने सैन्य तैनाती के साथ कड़ा रुख अपनाया, लेकिन कूटनीतिक संयम के साथ स्थिति को नियंत्रित किया। उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा नीतियों ने भारत को एक मजबूत और जिम्मेदार राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत किया।

अटल बिहारी वाजपेयी का विदेश नीति में योगदान

वाजपेयी की विदेश नीति का मुख्य उद्देश्य भारत को वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित करना था। उन्होंने पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने के लिए कई पहल कीं, जैसे 1999 में दिल्ली-लाहौर बस सेवा (सदा-ए-सरहद) की शुरुआत और 2001 में आगरा शिखर सम्मेलन। इसके अलावा, उन्होंने चीन के साथ सीमा विवादों को सुलझाने और अमेरिका के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए।

1977 में, विदेश मंत्री के रूप में, वाजपेयी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी में भाषण देकर भारत की सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया। यह ऐतिहासिक क्षण था, जिसने हिंदी भाषा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गौरव प्रदान किया।

अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत की अर्थव्यवस्था में कैसे सुधार किया?

अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिनमें से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं:

  1. आर्थिक उदारीकरण और सुधार : वामपंथी सरकार ने 1990 के दशक में आर्थिक उदारीकरण को आगे बढ़ाना शुरू किया। उन्होंने औद्योगिक क्षेत्र में सुधारों का सिलसिला जारी रखा, जिससे विदेशी निवेश को प्रोत्साहन मिला और व्यापार आसान हो गया।
  2. इन्फ्रा अपार्टमैंट का विकास : बीएचके के लक्ष्य में ‘स्वर्णिम चतुर्भुज प्रोजेक्ट’ जैसे महत्वाकांक्षी कलाकारों की शुरुआत हुई, इसी उद्देश्य से प्रमुख शहरों को जोड़ने वाले राजमार्गों का निर्माण करना था। इस परियोजना में परिवहन और व्यापार में सुधार और आर्थिक असमानता को बढ़ावा दिया गया।
  3. सूचना प्रौद्योगिकी का विकास : भारत सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी और सॉफ्टवेयर सेवाओं के क्षेत्र में भारत को एक प्रमुख खिलाड़ी बनाने के लिए नीतिगत समर्थन प्रदान किया। इससे भारत के आईटी उद्योग में तेजी से वृद्धि हुई और निजीकरण में बढ़ोतरी हुई।
  4. वित्तीय सुधार : उद्यमों के उद्यमों में उद्यमों के उद्यमों और उद्यमों के उद्यमों को उदार बनाने जैसे कदम शामिल थे। इससे वित्तीय प्रणाली के इलेक्ट्रॉनिक्स में सुधार हुआ।
  5. ग्रामीण विकास :ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिए भी रूपरेखा तैयार की गई, जिसमें सबसे पहले प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना को शामिल किया गया था, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र के विकास के माध्यम से जुड़ना था।

इन कदमों के अनुरूप भारत की अर्थव्यवस्था ने उच्च विकास दर हासिल की और वैश्विक मंच पर भारत की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई। दिल्ली के नेतृत्व में इन सुधारों का आदर्श प्रभाव डाला गया और भारत की आर्थिक संरचना को मजबूत किया गया।

अटल बिहारी वाजपेयी का कवि के रूप में योगदान

अटल बिहारी वाजपेयी न केवल एक राजनेता, बल्कि एक उत्कृष्ट कवि भी थे। उनकी कविताएं देशभक्ति, मानवीय संवेदनाओं, और सामाजिक मुद्दों को दर्शाती हैं। उनकी प्रमुख रचनाओं में “मेरी इक्यावन कविताएँ”, “कैदी कविराय की कुण्डलियाँ”, और “अमर आग है” शामिल हैं। उनकी कविता “हिन्दू तन-मन, हिन्दू जीवन” उनकी देशभक्ति की भावना को दर्शाती है, जिसे उन्होंने किशोरावस्था में लिखा था।

वाजपेयी की कविताओं को गायक जगजीत सिंह ने संगीतबद्ध किया, जिसने उनकी रचनाओं को व्यापक लोकप्रियता दिलाई। उनकी कविता “ताजमहल” में उन्होंने सामाजिक असमानता और शोषण पर गहरी टिप्पणी की, जो उनकी संवेदनशीलता को दर्शाती है।

अटल बिहारी वाजपेयी को पुरस्कार और सम्मान

वाजपेयी को उनके योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें शामिल हैं:

  • पद्म विभूषण (1992): भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान।
  • भारत रत्न (2015): भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान।
  • फ्रेंड्स ऑफ बांग्लादेश लिबरेशन वॉर अवार्ड (2015): बांग्लादेश सरकार द्वारा 1971 के युद्ध में योगदान के लिए।
  • लोकमान्य तिलक पुरस्कार (1994) और सर्वश्रेष्ठ सांसद पुरस्कार (1994)

अटल बिहारी वाजपेयी के राजनीतिक सफर की महत्वपूर्ण झलकियां (संभाले गए प्रमुख पदों की सूची)

वर्ष पद / भूमिका
1951 भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक
1957 दूसरी लोकसभा में सांसद चुने गए
1957-1977 भारतीय जनसंघ संसदीय दल के नेता
1962 राज्यसभा के सदस्य बने
1966-1967 सरकारी आश्वासन समिति के अध्यक्ष
1967 चौथी लोकसभा में पुनः निर्वाचित (दूसरी बार)
1967-1970 लोक लेखा समिति के अध्यक्ष
1968-1973 भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष
1971 पाँचवीं लोकसभा में पुनः निर्वाचित (तीसरी बार)
1977 छठी लोकसभा में पुनः निर्वाचित (चौथी बार)
1977-1979 विदेश मंत्री, भारत सरकार
1977-1980 जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक
1980 सातवीं लोकसभा में पुनः निर्वाचित (पाँचवीं बार)
1980-1986 भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष
1980-1984, 1986, 1993-1996 भाजपा संसदीय दल के नेता
1986 राज्यसभा के सदस्य एवं सामान्य प्रयोजन समिति के सदस्य
1988-1990 आवास समिति एवं व्यापार सलाहकार समिति के सदस्य
1990-1991 याचिका समिति के अध्यक्ष
1991 दसवीं लोकसभा में पुनः निर्वाचित (छठी बार)
1991-1993 लोक लेखा समिति के अध्यक्ष
1993-1996 विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष व लोकसभा में विपक्ष के नेता
1996 ग्यारहवीं लोकसभा में पुनः निर्वाचित (सातवीं बार)
1998 13 महीनों के लिए पुनः भारत के प्रधानमंत्री बने
1999 भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए की जीत के बाद 13 अक्टूबर को तीसरी बार प्रधानमंत्री बने

अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में हुए अन्य प्रमुख कार्य!

  • एक सौ वर्ष से भी ज्यादा पुराने कावेरी जल विवाद को सुलझाया।
  • संरचनात्मक ढाँचे के लिये कार्यदल, सॉफ्टवेयर विकास के लिये सूचना एवं प्रौद्योगिकी कार्यदल, विद्युतीकरण में गति लाने के लिये केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग आदि का गठन किया।
  • राष्ट्रीय राजमार्गों एवं हवाई अड्डों का विकास; नई टेलीकॉम नीति तथा कोकण रेलवे की शुरुआत करके बुनियादी संरचनात्मक ढाँचे को मजबूत करने वाले कदम उठाये।
  • राष्ट्रीय सुरक्षा समिति, आर्थिक सलाह समिति, व्यापार एवं उद्योग समिति भी गठित कीं।
  • आवश्यक उपभोक्ता सामग्रियों के मूल्योंं को नियन्त्रित करने के लिये मुख्यमन्त्रियों का सम्मेलन बुलाया।
  • उड़ीसा के सर्वाधिक निर्धन क्षेत्र के लिये सात सूत्रीय निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम शुरू किया।
  • आवास निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए अर्बन सीलिंग एक्ट समाप्त किया।
  • ग्रामीण रोजगार सृजन एवं विदेशों में बसे भारतीय मूल के लोगों के लिये बीमा योजना शुरू की।

ये सारे तथ्य सरकारी विज्ञप्तियों के माध्यम से समय समय पर प्रकाशित होते रहे हैं।

अटल बिहारी वाजपेयी की कुछ प्रमुख रचनाएं!

भारतीय राजनीति के ध्रुवतारे अटल बिहारी वाजपेयी केवल एक राजनेता ही नहीं, बल्कि एक प्रखर कवि और चिंतक भी थे। उनकी कई साहित्यिक कृतियाँ आज भी पाठकों को प्रेरित करती हैं। नीचे उनकी प्रमुख कृतियों की सूची दी गई है:

क्रम कृति का नाम विवरण / विषयवस्तु
1 रग-रग हिंदू मेरा परिचय राष्ट्र और सांस्कृतिक चेतना पर आधारित लेखन
2 मृत्यु या हत्या श्रीलाल शुक्ल की मृत्यु के संदर्भ में विश्लेषणात्मक रचना
3 अमर बलिदान लोकसभा में दिए गए उनके ऐतिहासिक भाषणों का संकलन
4 कैदी कविराय की कुण्डलियाँ जेल में लिखी गई हास्य-व्यंग्यात्मक कविताएं
5 संसद में तीन दशक तीन दशकों की संसदीय यात्रा का अनुभव-संग्रह
6 अमर आग है राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत प्रेरणात्मक कविताएं
7 कुछ लेख: कुछ भाषण विभिन्न अवसरों पर लिखे गए लेख और भाषणों का संग्रह
8 सेक्युलर वाद धर्मनिरपेक्षता की भारतीय दृष्टिकोण से विवेचना
9 राजनीति की रपटीली राहें भारतीय राजनीति के उतार-चढ़ाव पर आधारित लेख
10 बिंदु-बिंदु विचार विचारों और अनुभवों की लघु टिप्पणियों का संग्रह
11 मेरी इक्यावन कविताएं आत्मचिंतन, राष्ट्रप्रेम और संवेदना से भरी कविताओं का संकलन

Biography of Atal Bihari Vajpayee: जीवन के कुछ प्रमुख तथ्य!

  • आजीवन अविवाहित रहे।
  • वे एक ओजस्वी एवं पटु वक्ता (ओरेटर) एवं सिद्ध हिन्दी कवि भी रहे है।
  • परमाणु शक्ति सम्पन्न देशों की सम्भावित नाराजगी से विचलित हुए बिना उन्होंने अग्नि-दो और परमाणु परीक्षण कर देश की सुरक्षा के लिये साहसी कदम भी उठाये।
  • सन् १९९८ में राजस्थान के पोखरण में भारत का द्वितीय परमाणु परीक्षण किया जिसे अमेरिका की सी०आई०ए० को भनक तक नहीं लगने दी।
  • अटल जी सबसे लम्बे समय तक सांसद रहे हैं और जवाहरलाल नेहरू व इन्दिरा गाँधी के बाद सबसे लम्बे समय तक गैर कांग्रेसी प्रधानमन्त्री भी। वह पहले प्रधानमन्त्री थे जिन्होंने गठबन्धन सरकार को न केवल स्थायित्व दिया अपितु सफलता पूर्वक संचालित भी किया।
  • अटल जी ही पहले विदेश मन्त्री थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी में भाषण देकर भारत को गौरवान्वित किया था।

Biography of Atal Bihari Vajpayee: मृत्यु और स्मृति

2009 में, वाजपेयी को स्ट्रोक हुआ, जिसके कारण उनकी बोलने की क्षमता प्रभावित हुई। जून 2018 में, उन्हें किडनी में संक्रमण और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के कारण दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती किया गया। 16 अगस्त 2018 को, 93 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।

उनके निधन पर, भारत में सात दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया। उनकी अंतिम यात्रा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई नेता शामिल हुए। उनकी दत्तक पुत्री नमिता ने उन्हें मुखाग्नि दी। उनकी समाधि दिल्ली के शांति वन में बनाई गई, और उनकी अस्थियों को देश की प्रमुख नदियों में विसर्जित किया गया।

उपसंहार: Biography of Atal Bihari Vajpayee

Biography of Atal Bihari Vajpayee हमें एक ऐसे व्यक्तित्व से परिचित कराती है जो राजनीति, साहित्य और कूटनीति का अद्वितीय संगम थे। अटल जी का जीवन राष्ट्रभक्ति, सादगी और दूरदृष्टि का प्रतीक रहा है। उन्होंने न केवल भारतीय राजनीति को नई दिशा दी, बल्कि अपने कवि हृदय से करोड़ों लोगों को प्रेरित भी किया। उनका योगदान भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है। चाहे प्रधानमंत्री के रूप में हो या विपक्ष के नेता के रूप में, उनका दृष्टिकोण हमेशा राष्ट्रहित पर केंद्रित रहा। अटल जी की जीवनी हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन एक प्रेरणादायक कहानी है, जो देशभक्ति, नेतृत्व, और साहित्यिक संवेदनशीलता का अनूठा संगम प्रस्तुत करता है। उन्होंने भारत को परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र बनाया, आर्थिक सुधारों को बढ़ावा दिया, और विदेश नीति में भारत की स्थिति को मजबूत किया। उनकी कविताएं और भाषण आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं। वाजपेयी का जीवन और कार्य आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मिसाल बना रहेगा।

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