ग्राम पंचायत विकास योजना | Gram Panchyat Vikas Yojana | GPVY

ग्राम पंचायतों के समग्र एवं समेकित विकास हेतु ग्राम पंचायत विकास योजना | Gram Panchyat Vikas Yojana | GPVY, “हमारी योजना हमारा विकास” की प्रक्रिया को प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों में वर्ष 2015-16 से लागू किया गया है। ग्राम पंचायतों द्वारा सहभागी नियोजन से तैयार की गई वार्षिक कार्ययोजना, संसाधनों के बेहतर प्रबंधन एवं विभिन्न संसाधनों के अभिसरण (कनवर्जेन्स) पर आधारित है। ग्राम पंचायतो की विकास योजना का उद्धेश्य ग्राम पंचायतो को सामाजिक, आर्थिक एवं वैयक्तिक विकास की दिशा में प्रगतिशील करना एवं समुदाय को निर्णय लेने में सक्षम बनाना है।

ग्राम पंचायत विकास योजना विकेन्द्रित नियोजन (Decentralized Planning) है। ग्राम पंचायतें दीर्घकालिन विकास, स्थानीय प्राथमिकताओं और उपलब्ध संसाधनों को ध्यान में रखते हुए एक निश्चित समय सीमा में स्वयं की पंचवर्षीय एवं एक वार्षिक ग्राम पंचायत विकास योजना तैयार करती हैं जो सहभागी नियोजन एवं विभिन्न वित्तीय संसाधनों के अभिसरण पर आधारित है।

ग्राम पंचायत विकास योजना के अन्तर्गत ग्राम सभाओं की बैठक के माध्यम से जनसमुदाय की आवश्यकताओं का चिन्हीकरण एवं प्राथमिकीकरण कर, विभिन्न स्त्रोतों एवं योजनाओं से उपलब्ध होने वाले संसाधनों को समेकित कर सहभागी नियोजन द्वारा वार्षिक एवं पंचवर्षीय कार्य योजना तैयार की जाती है। इस प्रकार तैयार की गई वार्षिक कार्ययोजनाओं को पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार के साॅफ्टवेयर-‘प्लान-प्लस’ पर अंकित किया जाता है। तत्पश्चात क्रियान्वयन से सम्बन्धित साॅफ्टवेयर- ‘एक्शन -साॅफ्ट’ पर प्रत्येक वर्क आई.डी. (Work ID) के सापेक्ष तकनीकी एवं प्रशासनिक अनुमोदन के उपरान्त भौतिक एवं वित्तीय प्रगति अंकित की जानी है। नागरिकों को अवसर प्रदान करना ताकि वह अपने हित से जुडे़ सामाजिक और आर्थिक विषयों पर खुद विचार करें और गांव के विकास के लिए योजना बनाएं।

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ग्राम पंचायत विकास योजना | Gram Panchyat Vikas Yojana | GPVY

73वें एवं 74वें संविधान संशोधन द्वारा भारत सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं के सुदृढिकरण एवं सुशासन हेतु विकेन्द्रित स्तर पर ग्रामीण व शहरी विकास की योजनाएं स्थानीय स्तर पर जनता की आवश्यकताओं, प्राथमिकताओं एवं आंकाक्षाओं के अनुरूप वार्ड सभा/ग्राम सभा स्तर से तैयार की जायेगी। ग्राम पंचायत विकास योजना निर्माण में समुदाय की पूर्ण जनसहभागिता सुनिश्चित करते हुए केन्द्र एवं राज्य से प्राप्त राशि के आधार पर एकीकृत पंचवर्षीय/वार्षिक जिला योजनाओं को ग्राम सभा, पंचायत समितिजिला परिषद की साधारण सभा एवं जिला आयोजना समिति के अनुमोदन उपरांत पंचायती राज संस्थाओं द्वारा क्रियान्वित की जायेगी।

ग्राम-पंचायत-विकास-योजना--Gram-Panchyat-Vikas-Yojana-GPVY

14वें वित्त आयोग की सिफारिशों में उल्लेखित आयोग की पंचाट अवधि (वर्ष 2015 – 2020) में सभी राज्यों को लगभग राशि रूपये 2.00 लाख करोड़ शत् प्रतिशत ग्राम पंचायतों के सर्वांगीण विकास हेतु ग्राम पंचायतों के खातों में हस्तांतरित किये जायेंगे। नागरिकों की बुनियादी न्यूनतम जरूरतों की पूर्ति के लिए ग्राम पंचायत विकास योजना का जमीनी स्तर पर निर्माण कर प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जायेगा। ग्राम पंचायत स्तर पर उपलब्ध संसाधनों, स्थानीय क्षमताओं, वंचित समूह, नागरिकों व जनप्रतिनिधियों का विकास से संबंधित अनुभवों का समावेश, केन्द्र एवं राज्य की निधियों का समुचित उपयोग, विशेष योग्यजन, वरिष्ठ नागरिकों तथा सामाजिक व आर्थिक विकास को दृष्टिगत रखते हुए यह आवश्यकता महसूस की गई कि ग्राम पंचायत विकास योजना का निर्माण एवं प्रभावी क्रियान्वयन हेतु एक विस्तृत राज्य विशिष्ट मार्गदर्शिका मानवीय अधिकार के तौर पर सभी का विकास तर्ज पर तैयार की जाए ।

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ग्राम पंचायत विकास योजना की आवश्यकता क्यों ? | Why is Gram Panchyat Vikas Yojana needed?

1. ग्राम पंचायतों का समान सामाजिक, आर्थिक एवं वैयक्तिक विकास
2. समुदाय को निर्णय लेने हेतु सक्षम बनाना।
3. विकास कार्यो में पारदर्शिता एवं उत्तरदायित्वों में बढ़ोत्तरी।
4. सहयोगी नियोजन एवं संसाधनों के अभिसरण को बढ़ावा।
5. वंचित वर्गो की आवश्यकता के साथ सामाजिक सुरक्षा को प्रमुखता से सम्मिलित करते हुए अनुसूचित जनजाति व अनुसूचित जाति के कल्याण को प्राथमिकता।
6. नियोजन की प्रक्रिया को मांग आधारित बनाना।

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ग्राम पंचायत विकास योजना के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य | Some important facts of Gram Panchyat Vikas Yojana

  • शासन के पत्रांकः 1824(1)/33-3-2015-10 जी0आई0/2015 दिनांक 26 जून, 2015 के कार्यालय ज्ञाप द्वारा ग्राम पंचायत विकास योजना के कार्यान्वयन हेतु कृषि उत्पादन आयुक्त, उ0प्र0 शासन की अध्यक्षता में 9 सदस्यी समिति का गठन।
  • ग्राम पंचायत विकास योजना का शासनादेश तथा संलग्नक के रूप में मार्गनिर्देशिका संख्याः 2168/33-3-2015-10 जीआई/2015, दिनांक 29 सितम्बर, 2015 द्वारा जारी।
  • ग्राम पंचायत विकास योजना की प्रक्रिया को जनपद स्तर से ग्राम पंचायत तक चरणबद्ध तरीके से कराने संबंधी दिशा निर्देश संबंधी शासनादेश संख्याः 3215/33-3-2015-10 जी.आई./2015 दिनांक 11 दिसम्बर, 2015 को प्रमुख सचिव, पंचायती राज के हस्ताक्षर से जारी।
  • रू0 2.00 लाख तक के कार्यो की प्रशासनिक, तकनीकी एवं वित्तीय स्वीकृति का अधिकार ग्राम सभा को एवं वार्षिक कार्ययोजना की स्वीकृति पूर्ण रूप से ग्राम सभा की खुली बैठक में लिए जाने की स्वीकृति प्रदान करने सम्बंधी आदेश शासनादेश सं0 3/2016/3038/33-1-2016, दिनांक 22 नवम्बर 2016 से निर्गत।
  • कार्यवार प्राक्कलन तैयार करने एवं तकनीकी अनुमोदन हेतु खण्ड स्तर पर उपलब्ध तकनीकी कर्मी यथा- जे.ई.एम.आई. एवं जे.ई.आर.ई.डी., मण्डी परिषद, जिला पंचायत के उपलब्ध तकनीकी कर्मियों (J.E.M.I. And available technical personnel of JERED, Mandi Parishad, District Panchayat) के साथ जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा अन्य नियमित तकनीकी कर्मियों को भी नामित किये जाने सम्बंधी आदेश शासनादेश सं0 5/2017/158/33-3-2016-10 जी.आई./2015, दिनांकः 23 जनवरी, 2017 से निर्गत।
  • ग्राम सभा के अनुमोदन के पश्चात् वार्षिक कार्ययोजना को प्लान-प्लस (Plan-Plus) में अपलोड करना एवं वर्क आई.डी. के सापेक्ष कार्य का क्रियान्वयन अनिवार्य।
  • ग्राम पंचायतों की वार्षिक कार्ययोजनाओं में लो-कास्ट/ नो-कास्ट (Low-cast/no-cast) गतिविधियों के समावेश हेतु शासन द्वारा 2/2018/143/33-3-2108-10 जी.आई/2015, दिनांक 16 जनवरी, 2018 से निर्देश निर्गत।

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ग्राम पंचायत विकास योजना निर्माण के पांच चरण | Five stages of of Gram Panchyat Vikas Yojana preparation

प्रथम चरण- वातावरण निर्माण (First stage- environment creation)

किसी भी कार्य को करने के लिए सबसे पहले उसके अनुकूल एक माहौल बनाया जाता है जिस प्रक्रिया को हम वातावरण निर्माण करना कहते हैं इस प्रक्रिया के मध्यम से हम निम्नलिखित लाभ उठा सकते हैं :-

  • समुदाय की सक्रिय भागीदारी से सही नियोजन की संभावनाएं बढ़ती हैं।
  • वंचित समुदाय के दृष्टिकोण से समस्याओं और संसाधनों के अधिक विकल्प सामने आने की सम्भावना बढ़ जाती है।
  • योजन निर्माण के आगे के चरण आसान हो जाते हैं तथा पूरी प्रक्रिया के प्रति स्वामित्व का भाव जागृत होता है।
  • प्रतिनिधियों के अलावा समुदाय के युवा, वंचित वर्ग, महिला, दिव्यांग, समुदाय (Youth, deprived class, women, disabled, community) आधारित संगठन हाशिए पर खड़े व्यक्ति तथा धार्मिक प्रतिनिधि भी महत्त्वपूर्ण भूमिका में आ जाते हैं।
  • सामाजिक विषयों जैसे- कन्या भ्रूण हत्या, कुपोषण, बाल-विवाह, बालश्रम, घरेलु हिंसा आदि (Female feticide, malnutrition, child marriage, child labour, domestic violence etc.) पर दृष्टिकोण/ व्यवहार में बदलाव आता है।

ग्राम पंचयत विकास योजना के अंतर्गत वातावरण निर्माण करने हेतु हम कुछ तकनीकों का इस्तेमाल भी कर सकते हैं, जो निम्नलिखित हैं :–

  • प्रचार सामग्री का वितरण। (Distribution of promotional material.)
  • ग्राम पंचायत विकास योजना का परिचय देते हुए ग्राम पंचायत के सभी परिवारों को पात्र भेजना तथा योजना निर्माण की प्रक्रिया में प्रतिभाग करने हेतु आमंत्रित करना। (Distributing information about the Gram Panchayat Development Plan to all families of the Gram Panchayat, and inviting them to participate in the planning process.)
  • स्पीकर से घोषणा करवाना। (Organizing announcements through a speaker.)
  • रैली निकालना। (Conducting rallies.)
  • स्थानीय मिडिया द्वारा प्रचार प्रसार। (Promotion and publicity through local media.)
  • स्कूली छात्र-छात्राओं आदि के द्वारा अभियान चलाना। (Conducting campaigns through school students and others.)
  • सोशल मिडिया का उपयोग। (Utilizing social media.)
  • स्वयं सहायता समूहों द्वारा अभियान चलाना। (Running campaigns through self-help groups.)
  • मुनादी कराना। (Arranging public announcements.)
  • बैनर पोस्टर का प्रयोग करना। (Using banners and posters.)

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द्वितीय चरण:- परिस्थितिकीय विश्लेषण (Second step:- ecological analysis)

जब पूरी ग्राम पंचायत में विकास योजना के लिए उपयुक्त वातावरण का निर्माण हो जाये तो इसके बाद अगला चरण आता है, जिसमे गाँव के सभी सदस्यों के साथ मिलकर आंकडें एकत्र करने का कार्य किया जाता है, उसे परिस्थितिकीय विश्लेषण का चरण कहते हैं | इस चरण के अंतर्गत आने किये जाने वाले कार्य निम्नलिखित हैं :–

  • प्राथमिक एवं द्वितीयक/ सहयोगी आंकडे एकत्र करना (Collecting primary and secondary/supportive data)
  • बैठकों की फोटोग्राफी/ वीडियोग्राफी कराना (Taking photographs/videos of meetings)
  • आंकड़ों का विश्लेषण/ तुलनात्मक अध्ययन करना एवं ग्राम पंचायत के विकास स्थति की ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार करना (Analyzing data/conducting comparative studies and preparing a draft report on the development status of the village council)
  • मिशन अन्त्योदय का डाटा (Data on Mission Antyodaya)

ग्राम पंचायत विकास योजना के आंकड़ों के संग्रह हेतु ग्रामीण सहभागी आंकलन (Participatory Rural Appraisal) पद्धति का उपयोग किया जाता है आइये PRA की मुख्य पद्धतियों के अंतर्गत किये जाने वाले करों को जानते हैं, जो निम्नलिखित हैं :–

  • घर- घर का सर्वेक्षण (Household Survey)
  • ग्राम भ्रमण (Transect Walk)
  • सामाजिक मानचित्र/ संसाधन मानचित्र (Social Mapping/ Resource Mapping)
  • समूह केन्द्रित चर्चा (Focus Group Discussion)

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तृतीय चरण: –आवश्यकताओं/ समस्याओं की पहचान एवं प्राथमिकताओं का निर्धारण (Third step: -Identification of needs/problems and determination of priorities.)

  • परिस्थिकीय विश्लेषण के फलस्वरूप निकली समस्याओं की लिस्ट बनाना
  • जो भी समस्याएं निकल कर आये उन्हें एक फोर्मेट पर समेकित कर लिखें।
  • जिससे की गाँव की पूरी समस्याओं को एक जगह लाकर आगे की प्रक्रिया अर्थात प्राथमिकता का निर्धारण किया जा सके।
  • उपलब्ध संसाधनों के अनुसार ही प्राथमिकताओं को निर्धारित करना।

प्राथमिकता का निर्धारण करते समय निम्न बातों का विशेष ध्यान रखना कि

  • ज्यादा से ज्यादा लोगों का हित समाहित हो। (Ensure the welfare of the maximum number of people.)
  • अनुसूचित जाति/जनजाति एवं वंचित व कमजोर वर्ग के हित में हो। (Prioritize the welfare of scheduled castes/tribes and marginalized and weaker sections.)
  • महिलाओं और बच्चों के हित में हो। (Focus on the welfare of women and children.)
  • गंभीर प्रकृति की समस्या जो वर्तमान या भविष्य में घटित होने की सम्भावना हो जैसे बाढ़ की समस्या, संक्रमण रोगों की समस्या , सूखे से निपटान की समस्या आदि। (Address serious nature problems likely to occur in the present or future, such as issues related to floods, infectious diseases, drought management, etc.)
  • ऐसी समस्यायें जिनका निराकरण स्थानीय स्तर पर किया जा सके। (Resolve problems that can be tackled at the local level.)

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चतुर्थ चरण:- संसाधनों का निर्धारण एवं ड्राफ्ट प्लान तैयार करना (Fourth step:- Determining resources and preparing draft plan)

वित्तीय एवं सामाजिक प्राथमिकताओं का निर्धारण हो जाने के पश्चात् समस्त प्राथमिकताओं के लिए ग्राम पंचायत विकास योजना का ड्राफ्ट प्लान तैयार किया जायेगा\ ड्राफ्ट प्लान बनाते समय निम्नलिखित बिन्दुओं का होना आवशयक है:-

  • प्रस्तावित क्षेत्र- इसमें प्रस्तावित क्षेत्र के लिए सम्पूर्ण गतिविधियों की सूची होगी जी पर ग्राम सभा के दौरान निर्णय लिया गया है।
  • प्राथमिकतायें- इसमें केवल उन गतिविधियों की सूची जिसे वार्षिक कार्ययोजना हेतु स्वीकृत किया गया है।
  • फंड का आवंटन- इसमें प्रत्येक क्षेत्र हेतु बनायी गयी परियोजना को पूरा करने के लिए आवंटित धनराशि का पूर्ण विवरण होगा।
  • फंड का स्त्रोत- फंड का स्त्रोत (Centrally/State sponsored, FFC, SFC, OSR, Community Contribution, CSR etc.) का विवरण प्रत्येक गतिविधि के साथ होना चाहिए।

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पांचवा चरण- तकनीकी एवं प्रशासनिक स्वीकृति (Fifth phase- Technical and administrative approval)

वित्तीय स्वीकृति के मापदंड –

  • 5,00,000 रुपये तक :- ग्राम पंचायत द्वारा (Up to 5,00,000 rupees: By the Village Panchayat)
  • 5,00,001 रुपये से 7,50,000 रूपये तक :- ADO पंचायत द्वारा (From 5,00,001 rupees to 7,50,000 rupees: By the ADO Panchayat)
  • 7,50,001 रुपये से 10,00,000 रूपये तक:- DPRO के द्वारा (From 7,50,001 rupees to 10,00,000 rupees: By the DPRO)
  • 10,00,001 रुपये से अधिक के लिए :- जिलाधिकारी के द्वारा (For more than 10,00,001 rupees: By the District Magistrate)

प्रत्येक परियोजना दस्तावेज ग्राम पंचायत विकास योजना का हिस्सा होती है। निर्मित ग्राम पंचायत विकास योजना को अगली ग्राम सभा में रखा जाता है।

FAQs on Gram Panchyat Vikas Yojana | GPVY

प्रश्न 1: ग्राम पंचायत विकास योजना | Gram Panchyat Vikas Yojana | GPVY क्या है?

उत्तर 1: ग्राम पंचायत विकास योजना | Gram Panchyat Vikas Yojana | GPVY, एक वार्षिक योजना है जो ग्राम पंचायत द्वारा तैयार की जाती है। यह योजना गांव के समग्र विकास के लिए बनाई जाती है और इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, जल संसाधन, स्वच्छता, और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों को शामिल किया जाता है।

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प्रश्न 2: GPVY कैसे तैयार की जाती है?

उत्तर 2: जीपीडीपी को तैयार करने की प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण शामिल होते हैं:

  1. ग्राम सभा की बैठक: ग्राम सभा की बैठक आयोजित की जाती है जिसमें गांव के सभी नागरिक भाग ले सकते हैं। बैठक में, गांव के विकास के लिए आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं पर चर्चा की जाती है।
  2. जनमत संग्रह: ग्राम पंचायत द्वारा जनमत संग्रह आयोजित किया जा सकता है ताकि गांव के लोगों की राय और सुझाव प्राप्त किए जा सकें।
  3. तकनीकी सहायता: ग्राम पंचायत को योजना तैयार करने में तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए विभिन्न सरकारी विभागों और संस्थानों से संपर्क किया जा सकता है।
  4. योजना का प्रारूप: ग्राम पंचायत द्वारा योजना का प्रारूप तैयार किया जाता है, जिसमें विभिन्न कार्यों की सूची, उनकी लागत, और क्रियान्वयन की समयसीमा शामिल होती है।
  5. अनुमोदन: योजना को ग्राम सभा और संबंधित सरकारी विभागों द्वारा अनुमोदित किया जाता है।

प्रश्न 3: ग्राम पंचायत विकास योजना | Gram Panchyat Vikas Yojana | GPVY, के मुख्य उद्देश्य क्या हैं?

उत्तर 3: जीपीडीपी के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  • गांव के समग्र विकास को सुनिश्चित करना (Ensuring holistic development of the village)
  • ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास करना (Developing basic infrastructure in rural areas)
  • ग्रामीणों के जीवन स्तर में सुधार करना (Improving the standard of living of rural inhabitants)
  • गरीबी और बेरोजगारी को कम करना (Reducing poverty and unemployment)
  • ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं और बच्चों के सशक्तिकरण को बढ़ावा देना (Promoting empowerment of women and children in rural areas)

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प्रश्न 4: ग्राम पंचायत विकास योजना| GPVY के क्रियान्वयन में क्या चुनौतियाँ हैं?

उत्तर 4: जीपीडीपी के क्रियान्वयन में निम्नलिखित चुनौतियाँ शामिल हैं:

  • वित्तीय संसाधनों की कमी (lack of financial resources): ग्राम पंचायतों के पास अक्सर योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन नहीं होते हैं।
  • मानव संसाधनों की कमी (shortage of human resources): ग्राम पंचायतों के पास अक्सर योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए आवश्यक कुशल और अनुभवी कर्मियों की कमी होती है।
  • राजनीतिक हस्तक्षेप (political interference): राजनीतिक हस्तक्षेप योजनाओं के क्रियान्वयन में बाधा डाल सकता है।
  • भ्रष्टाचार (Corruption): भ्रष्टाचार योजनाओं के क्रियान्वयन में बाधा डाल सकता है और धन का दुरुपयोग हो सकता है।

प्रश्न 5: Gram Panchyat Vikas Yojana | GPVY को सफल बनाने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?

उत्तर 5: जीपीडीपी को सफल बनाने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  • वित्तीय संसाधनों में वृद्धि: सरकार द्वारा ग्राम पंचायतों को वित्तीय संसाधनों में वृद्धि प्रदान की जानी चाहिए।
  • मानव संसाधनों का विकास: ग्राम पंचायतों के कर्मियों को प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
  • राजनीतिक हस्तक्षेप को कम करना: योजनाओं के क्रियान्वयन में राजनीतिक हस्तक्षेप को कम करने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए।
  • भ्रष्टाचार को कम करना: भ्रष्टाचार को कम करने के लिए सख्त उपाय किए जाने चाहिए।

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