Kargil Vijay Diwas 26 July, 2025: जानिए कारगिल विजय की दास्तान!

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एक ऐसा दिन जो हर भारतीय को गर्व से भर देता है! शौर्य, बलिदान और भारत माता की जय! | Kargil Vijay Diwas Date | What is Kargil Vijay Diwas? | Vijay Diwas 1971

हर साल 26 जुलाई को भारत में Kargil Vijay Diwas 26 July, 2025 मनाया जाता है, जो 1999 में हुए कारगिल युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की ऐतिहासिक जीत का प्रतीक है। यह दिन भारतीय सशस्त्र बलों के उन वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि देने का अवसर है, जिन्होंने लद्दाख के कारगिल जिले की ऊंची चोटियों पर अपनी बहादुरी और बलिदान से देश की संप्रभुता की रक्षा की। कारगिल युद्ध, जिसे कारगिल संघर्ष के नाम से भी जाना जाता है, मई और जुलाई 1999 के बीच जम्मू-कश्मीर के कारगिल जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर लड़ा गया था। जैसे-जैसे हम कारगिल विजय दिवस 2025 की ओर बढ़ रहे हैं, जो इस जीत की 24वीं वर्षगांठ को चिह्नित करता है, आइए हम इस युद्ध के इतिहास, महत्व और इसके नायकों की वीरता पर विचार करें। यह ब्लॉग कारगिल युद्ध के विवरण, सैनिकों के बलिदान और देशभक्ति की भावना को प्रेरित करने वाली शिक्षाओं को सरल और विस्तृत रूप में प्रस्तुत करता है। History of 26 July in Hindi

this is the image of Operation Vijay, kargil war, India

कारगिल विजय दिवस की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

  • तारीख: 26 जुलाई 1999
  • स्थान: कारगिल, जम्मू और कश्मीर (अब लद्दाख का हिस्सा)
  • विरोधी: पाकिस्तान की सेना और पाकिस्तानी घुसपैठिए
  • भारतीय अभियान का नाम: ऑपरेशन विजय

भारतीय सेना ने इस युद्ध में साहसिक “ऑपरेशन विजय” चलाकर दुश्मन द्वारा कब्जा की गई सामरिक चोटियों को वापस हासिल किया था। इस ऑपरेशन में भारतीय सैनिकों ने विषम भूगोल, ऊंचाई और मौसम की कठोर चुनौतियों के बावजूद अद्भुत पराक्रम का परिचय दिया।

कारगिल विजय दिवस का परिचय | What is Kargil Vijay Diwas?

कारगिल विजय दिवस हर साल 26 जुलाई को कारगिल युद्ध में लड़ने वाले सैनिकों के सम्मान में मनाया जाता है। यह युद्ध 1999 में लद्दाख के कारगिल जिले में हुआ था, जब पाकिस्तानी सैनिकों और अर्धसैनिक बलों ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) के भारतीय हिस्से में घुसपैठ कर सामरिक स्थानों पर कब्जा कर लिया था। भारतीय सशस्त्र बलों ने ऑपरेशन विजय के तहत इन घुसपैठियों को खदेड़कर अपनी जमीन वापस ली। यह जीत न केवल सैन्य शक्ति का प्रदर्शन थी, बल्कि भारतीय सैनिकों की अदम्य साहस और देशभक्ति का प्रतीक भी थी।

यह दिन उन 527 सैनिकों को श्रद्धांजलि देने का अवसर है, जिन्होंने इस युद्ध में अपने प्राणों की आहुति दी। पूरे भारत में, विशेष रूप से नई दिल्ली में, इस दिन समारोह आयोजित किए जाते हैं, जहां भारत के प्रधानमंत्री इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। कारगिल विजय दिवस न केवल जीत का उत्सव है, बल्कि देश की एकता और सैनिकों के बलिदान को याद करने का एक गंभीर अवसर भी है।

कारगिल युद्ध का ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

युद्ध की पृष्ठभूमि

कारगिल युद्ध का मूल कारण भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर को लेकर लंबे समय से चला आ रहा विवाद है। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद, जिसमें बांग्लादेश का निर्माण हुआ, दोनों देशों के बीच प्रत्यक्ष सैन्य संघर्ष अपेक्षाकृत कम रहे। हालांकि, 1980 के दशक में सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र में दोनों देशों ने सैन्य चौकियां स्थापित कीं, जिसके कारण छिटपुट झड़पें हुईं। 1990 के दशक में कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों और 1998 में दोनों देशों द्वारा किए गए परमाणु परीक्षणों ने तनाव को और बढ़ा दिया।

फरवरी 1999 में, भारत और पाकिस्तान ने लाहौर घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए, जिसमें कश्मीर मुद्दे का शांतिपूर्ण और द्विपक्षीय समाधान करने का वादा किया गया था। यह घोषणापत्र भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बीच ऐतिहासिक मुलाकात के बाद हुआ था। हालांकि, इस समझौते के बावजूद, पाकिस्तानी सेना ने गुप्त रूप से एक सैन्य योजना शुरू की।

ऑपरेशन बद्री: पाकिस्तानी घुसपैठ

1998-1999 की सर्दियों में, पाकिस्तानी सैनिकों और अर्धसैनिक बलों ने, जिन्हें शुरू में कश्मीरी आतंकवादी बताया गया, नियंत्रण रेखा के भारतीय हिस्से में घुसपैठ की। इस घुसपैठ को ऑपरेशन बद्री का कोड नाम दिया गया था और इसे तत्कालीन पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ और जनरल अशरफ रशीद के नेतृत्व में अंजाम दिया गया। लगभग 5,000 पाकिस्तानी सैनिकों और अर्धसैनिक बलों ने कारगिल की ऊंची चोटियों पर कब्जा कर लिया, जिसका उद्देश्य कश्मीर और लद्दाख के बीच की कड़ी को तोड़ना, भारतीय सेना को सियाचिन ग्लेशियर से हटने के लिए मजबूर करना और कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर लाना था।

शुरुआत में, पाकिस्तान ने अपनी संलिप्तता से इनकार किया और दावा किया कि यह घुसपैठ कश्मीरी आतंकवादियों द्वारा की गई थी। हालांकि, युद्धबंदियों की गवाही, हताहतों से प्राप्त दस्तावेज और बाद में नवाज शरीफ और परवेज मुशर्रफ के बयानों ने पाकिस्तानी सेना की प्रत्यक्ष भागीदारी को साबित कर दिया। घुसपैठियों ने लगभग 130-200 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था।

भारत की प्रतिक्रिया: ऑपरेशन विजय

मई 1999 में जब भारतीय सेना को घुसपैठ का पता चला, तो शुरू में यह माना गया कि घुसपैठिए जिहादी हैं। लेकिन जैसे-जैसे अन्य स्थानों पर घुसपैठ का पता चला और उनकी रणनीति का विश्लेषण किया गया, यह स्पष्ट हो गया कि यह एक बड़े पैमाने पर सैन्य हमला था। भारत सरकार ने ऑपरेशन विजय के तहत लगभग 2,00,000 सैनिकों को जुटाकर जवाब दिया।

कारगिल युद्ध 14,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर, बर्फीले और कठिन इलाकों में लड़ा गया। पाकिस्तानी सैनिकों ने ऊंची चोटियों पर कब्जा कर लिया था, जिससे भारतीय सैनिकों के लिए उन तक पहुंचना और युद्ध करना बेहद चुनौतीपूर्ण था। फिर भी, भारतीय सैनिकों ने असाधारण साहस और रणनीतिक कौशल का प्रदर्शन किया। टाइगर हिल और तोपोलिंग जैसे प्रमुख स्थानों को वापस लेने में उनकी सफलता ने युद्ध का रुख मोड़ दिया। 26 जुलाई 1999 को, भारतीय सेना ने सभी घुसपैठियों को खदेड़ दिया, और युद्ध आधिकारिक रूप से समाप्त हो गया, जिसे कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।

कारगिल युद्ध: साहस और संकल्प की परीक्षा

इलाके की चुनौतियां

कारगिल युद्ध की सबसे बड़ी चुनौती इसका इलाका था। हिमालय की ऊंची चोटियों पर बर्फीले तापमान और ऑक्सीजन की कमी ने सैनिकों के लिए युद्ध को और कठिन बना दिया। नंगे ढलानों पर कोई आड़ नहीं थी, जिसके कारण सैनिक दुश्मन की गोलियों का आसान निशाना बन जाते थे। पाकिस्तानी सैनिकों ने ऊंची चोटियों पर कब्जा कर लिया था, जिससे उन्हें रणनीतिक लाभ प्राप्त था।

प्रमुख लड़ाइयां और उपलब्धियां

कारगिल युद्ध में कई महत्वपूर्ण लड़ाइयां लड़ी गईं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

  • तोपोलिंग की लड़ाई: 12-13 जून 1999 को तोपोलिंग पर कब्जा भारत की पहली बड़ी जीत थी। इसने सैनिकों का मनोबल बढ़ाया और युद्ध में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।
  • टाइगर हिल की लड़ाई: 4 जुलाई 1999 को टाइगर हिल पर कब्जा युद्ध का एक निर्णायक क्षण था। इसकी रणनीतिक स्थिति के कारण यह एक महत्वपूर्ण लक्ष्य था।
  • ऑपरेशन विजय की सफलता: जुलाई के मध्य तक, भारतीय सेना ने अधिकांश कब्जे वाले क्षेत्रों को वापस ले लिया। 26 जुलाई 1999 को अंतिम घुसपैठियों को खदेड़कर युद्ध समाप्त हुआ।

भारतीय वायुसेना और नौसेना की भूमिका

ऑपरेशन सफेद सागर के तहत भारतीय वायुसेना ने दुश्मन के ठिकानों पर सटीक हमले किए और जमीनी सैनिकों को महत्वपूर्ण सहायता प्रदान की। मिग-21 और मिराज 2000 जैसे लड़ाकू विमानों का उपयोग उच्च ऊंचाई पर युद्ध के लिए एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। भारतीय नौसेना ने भी अरब सागर में युद्धपोत तैनात किए, जिसने पाकिस्तान पर कूटनीतिक दबाव डाला।

मानवीय क्षति

कारगिल युद्ध में भारतीय सशस्त्र बलों के 527 सैनिक शहीद हुए, और हजारों अन्य घायल हुए। कैप्टन विक्रम बत्रा जैसे नायकों की वीरता, जिनका नारा “ये दिल मांगे मोर!” देश का प्रेरणा स्रोत बना, आज भी याद की जाती है।

कारगिल विजय दिवस 2025 का महत्व

कारगिल विजय दिवस भारत के लिए गहरा महत्व रखता है। यह दिन निम्नलिखित कारणों से विशेष है:

  • शहीदों को श्रद्धांजलि: कारगिल विजय दिवस उन सैनिकों को सम्मान देने का दिन है जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। द्रास, लद्दाख में स्थित कारगिल युद्ध स्मारक इस दिन का केंद्र बिंदु है, जहां शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है। यह स्मारक सैनिकों की वीरता और बलिदान का प्रतीक है।
  • सैन्य विजय का उत्सव: कारगिल युद्ध में भारत की जीत ने सशस्त्र बलों की ताकत और समन्वय को प्रदर्शित किया। कठिन परिस्थितियों में भी भारत ने अपनी जमीन को वापस लिया, जो राष्ट्रीय गौरव का विषय है।
  • राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा: कारगिल युद्ध ने भारत के लोगों को एकजुट किया। विभिन्न धर्मों, क्षेत्रों और समुदायों के लोग सैनिकों के समर्थन में एक साथ आए। कारगिल विजय दिवस यह एकता बनाए रखने की प्रेरणा देता है।
  • भावी पीढ़ियों के लिए प्रेरणा: कारगिल युद्ध के नायकों की कहानियां युवाओं को देश सेवा के लिए प्रेरित करती हैं। स्कूलों और कॉलेजों में कैप्टन विक्रम बत्रा, लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे जैसे शहीदों की कहानियां पढ़ाई जाती हैं, जो देशभक्ति की भावना को जीवित रखती हैं।

Kargil Vijay Diwas 2025: समारोह और आयोजन

कारगिल विजय दिवस 2025, जो इस युद्ध की 24वीं वर्षगांठ होगी, देश भर में विभिन्न आयोजनों के साथ मनाया जाएगा। कुछ प्रमुख आयोजन इस प्रकार हैं:

राष्ट्रीय समारोह (National celebration)

नई दिल्ली में, प्रधानमंत्री इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि देंगे। इस समारोह में सैन्य अधिकारी, सरकारी गणमान्य व्यक्ति और शहीदों के परिवार शामिल होंगे। देश भर में राज्य सरकारें और स्थानीय समुदाय भी सैनिकों को सम्मान देने के लिए कार्यक्रम आयोजित करेंगे।

  • कारगिल युद्ध स्मारक में आयोजन: द्रास में कारगिल युद्ध स्मारक में भव्य समारोह आयोजित किया जाएगा। इस स्मारक में पुष्पांजलि समारोह, सांस्कृतिक कार्यक्रम और शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। स्मारक में युद्ध से संबंधित हथियार, तस्वीरें और कहानियां प्रदर्शित की जाती हैं, जो आगंतुकों को युद्ध की तीव्रता का अनुभव कराती हैं।
  • शैक्षिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम: देश भर के स्कूलों, कॉलेजों और समुदायों में कारगिल युद्ध के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सेमिनार, प्रदर्शनियां और फिल्म स्क्रीनिंग आयोजित की जाएंगी। “कारगिल: द अनटोल्ड स्टोरी” जैसे वृत्तचित्र और “ऐ मेरे वतन के लोगो” जैसे देशभक्ति गीत इस अवसर पर प्रस्तुत किए जाते हैं।
  • सामुदायिक भागीदारी: नागरिकों को सोशल मीडिया अभियानों, रक्तदान शिविरों और युद्ध स्मारकों की यात्रा के माध्यम से कारगिल विजय दिवस में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। भारतीय सेना भी युवाओं के साथ जुड़ने के लिए कार्यक्रम आयोजित करती है।

Kargil Vijay Diwas 2025 के लिए प्रेरणादायक उद्धरण!

कारगिल युद्ध ने कई प्रेरणादायक उद्धरण दिए, जो देशभक्ति और बलिदान की भावना को दर्शाते हैं। कुछ प्रमुख उद्धरण इस प्रकार हैं:

  • “या तो मैं तिरंगा फहराकर वापस आऊंगा, या फिर तिरंगे में लिपटा हुआ वापस आऊंगा, लेकिन मैं वापस जरूर आऊंगा।” कैप्टन विक्रम बत्रा, परम वीर चक्र प्राप्तकर्ता, जिनके शब्द सैनिकों की नन्हीं हिम्मत को दर्शाते हैं।
  • “स्वतंत्रता की रक्षा केवल सैनिकों का काम नहीं है। पूरे देश को मजबूत होना होगा।” लाल बहादुर शास्त्री, पूर्व प्रधानमंत्री, जो नागरिकों की सामूहिक जिम्मेदारी पर जोर देते हैं।
  • “सैनिक सिर्फ एक व्यक्ति नहीं, हमारा गौरव है, सेना हमारा गौरव है, हमारा सम्मान है।” कौशिक धकाते, जो सशस्त्र बलों के प्रति सम्मान को दर्शाते हैं।
  • “हम हमेशा कारगिल के लोगों के साहस को याद करते हैं! हम कारगिल को भारत के सबसे विकसित जिलों में से एक बनाना चाहते हैं।” नरेंद्र मोदी, भारत के प्रधानमंत्री, जो क्षेत्र की प्रगति की दिशा में प्रतिबद्धता दिखाते हैं।

कारगिल युद्ध की विरासत

कारगिल युद्ध ने भारत के इतिहास पर गहरी छाप छोड़ी। इसकी कुछ प्रमुख विरासतें इस प्रकार हैं:

  1. सैन्य तैयारी में सुधार: युद्ध ने सीमा सुरक्षा में कमियों को उजागर किया, जिसके बाद सैन्य खुफिया, निगरानी और लॉजिस्टिक्स में सुधार किए गए। कारगिल समीक्षा समिति की सिफारिशों ने सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण और बेहतर समन्वय को बढ़ावा दिया।
  2. कूटनीतिक प्रभाव: युद्ध ने भारत-पाकिस्तान संबंधों की जटिलताओं को उजागर किया। भारत की संयमित और निर्णायक प्रतिक्रिया ने वैश्विक सम्मान अर्जित किया, जबकि पाकिस्तान को अपनी भूमिका के लिए आलोचना झेलनी पड़ी।
  3. कारगिल में सामाजिक-आर्थिक विकास: युद्ध ने कारगिल क्षेत्र पर ध्यान आकर्षित किया, जिसके बाद वहां बुनियादी ढांचे, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार किया गया। सरकार की कारगिल को विकसित जिला बनाने की प्रतिबद्धता इस दिशा में एक कदम है।
  4. सांस्कृतिक प्रभाव: कारगिल युद्ध ने देशभक्ति की लहर पैदा की, जिसने फिल्मों, साहित्य और संगीत को प्रभावित किया। एलओसी कारगिल और लक्ष्य जैसी फिल्में और “ये दिल मांगे मोर!” जैसे नारे आज भी लोकप्रिय हैं।

कारगिल विजय दिवस से सबक!

कारगिल विजय दिवस हमें कई महत्वपूर्ण सबक सिखाता है:

  • विविधता में एकता: युद्ध ने सभी भारतीयों को एकजुट किया, जो राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है।
  • संकल्प की शक्ति: सैनिकों की कठिन परिस्थितियों में जीत ने दृढ़ता का महत्व दिखाया।
  • बलिदान की भावना: शहीदों ने राष्ट्र के लिए अपने जीवन को सर्वोपरि रखने की प्रेरणा दी।
  • सतर्कता और तैयारी: युद्ध ने सीमाओं की सुरक्षा और सतर्कता की आवश्यकता पर जोर दिया।

कारगिल विजय दिवस 2025 की थीम: “याद रखने लायक 30 दिन”

कारगिल विजय दिवस 2025 की थीम है – “याद रखने लायक 30 दिन”, जो भारतीय सैनिकों की वीरता और बलिदान को सम्मान देने के उद्देश्य से चुनी गई है। यह दिवस हर साल 26 जुलाई को मनाया जाता है, ताकि 1999 के कारगिल युद्ध में भारत की ऐतिहासिक जीत को याद किया जा सके।

थीम का उद्देश्य है देशवासियों को उन 30 दिनों की याद दिलाना, जब भारतीय सैनिकों ने विषम परिस्थितियों में अदम्य साहस दिखाकर दुश्मन को पीछे हटने पर मजबूर किया। यह थीम ना केवल ऐतिहासिक घटना को रेखांकित करती है, बल्कि सैनिकों के अद्वितीय बलिदान को राष्ट्रीय स्मृति में स्थायी रूप से अंकित करने का कार्य करती है।

Kargil Vijay Diwas 26 July, 2025 Theme के प्रमुख पहलू

1. “याद रखने लायक 30 दिन”

इस विचार के अंतर्गत कारगिल युद्ध के दौरान 30 दिन तक चली कार्रवाई और उससे जुड़े सैनिकों के संघर्ष की याद को प्रमुखता दी गई है। ये दिन सिर्फ एक सैन्य अभियान नहीं, बल्कि भारतीय जज़्बे, अनुशासन और देशभक्ति की मिसाल हैं।

2. बहादुरों को श्रद्धांजलि

थीम का मुख्य उद्देश्य उन सैनिकों को श्रद्धा-सुमन अर्पित करना है, जिन्होंने इस युद्ध में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। यह उनके साहस, समर्पण और वीरता को राष्ट्र की ओर से नमन है।

3. साहस की प्रतिध्वनि

यह संदेश देता है कि सैनिकों का साहस समय के साथ फीका नहीं पड़ता, बल्कि हर पीढ़ी को प्रेरणा देता रहता है। ये गाथाएं हमें आज भी साहस, नेतृत्व और जिम्मेदारी का पाठ पढ़ाती हैं।

4. सदैव अंकित

यह थीम इस बात को दर्शाती है कि कारगिल के शहीदों का बलिदान भारत के इतिहास और राष्ट्र की आत्मा में स्थायी रूप से अंकित हो चुका है। उनकी गाथाएं सदैव स्मरणीय रहेंगी।

FAQs: Kargil Vijay Diwas 26 July, 2025

2025 में Kargil Vijay Diwas कब है?

Sat, 26 Jul, 2025

कारगिल विजय दिवस का विषय क्या है?

कारगिल विजय दिवस, जो हर साल 26 जुलाई को मनाया जाता है, 1999 के कारगिल युद्ध में भारत की जीत की स्मृति में आयोजित किया जाता है। इसका मुख्य विषय भारतीय सैनिकों की बहादुरी और बलिदान को सम्मान देना होता है। यह दिवस राष्ट्रीय एकता, देशभक्ति और युद्ध की स्थायी विरासत पर भी बल देता है।

कारगिल युद्ध किसने जीता?

कारगिल युद्ध भारत ने जीता था। डेक्कन हेराल्ड और ब्रिटानिका के अनुसार, 1999 में हुए इस युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों द्वारा कब्जा किए गए सभी क्षेत्रों को सफलतापूर्वक वापस हासिल कर लिया था। इस जीत की घोषणा 26 जुलाई को की गई, जो अब ‘कारगिल विजय दिवस’ के रूप में मनाई जाती है।

कारगिल युद्ध के दौरान भारत के प्रधानमंत्री कौन थे?

कारगिल युद्ध के समय भारत के प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी थे।

कारगिल किस देश में स्थित है?

कारगिल भारत देश में स्थित है। यह लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश का एक जिला है और अपने पहाड़ी भूगोल तथा कारगिल युद्ध में अहम भूमिका के लिए जाना जाता है।

कारगिल का पुराना नाम क्या था?

कारगिल जिले का ऐतिहासिक नाम “पुरीग” था। पुरीग क्षेत्र में कारगिल शहर, सुरू घाटी, शागर (या शाकर), चिकतन, पश्कयुम, बोध खरबू और मुलबेक शामिल थे।

कारगिल युद्ध का असली हीरो कौन था?

कैप्टन विक्रम बत्रा को कारगिल युद्ध का एक प्रमुख हीरो माना जाता है। उन्हें युद्ध के दौरान अदम्य साहस और वीरता दिखाने के लिए मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। उनका योगदान भारत के इतिहास में अमर है।

क्या कारगिल कश्मीर का हिस्सा है?

वर्तमान में कारगिल लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश का हिस्सा है। पहले यह जम्मू और कश्मीर राज्य का हिस्सा हुआ करता था।

निष्कर्ष: Kargil Vijay Diwas 26 July, 2025

कारगिल विजय दिवस 2025 के अवसर पर, आइए हम उन नायकों को सम्मान दें जिन्होंने हमारी आजादी और सुरक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर किए। कारगिल युद्ध न केवल एक सैन्य जीत थी, बल्कि भारत की एकता, संकल्प और देशभक्ति का प्रतीक भी था। 26 जुलाई 2025 को, इस ऐतिहासिक विजय की 24वीं वर्षगांठ पर, हम 527 शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं और ऑपरेशन विजय की विरासत को गर्व के साथ याद करते हैं। आइए, उनकी वीरता से प्रेरणा लेकर एक मजबूत और एकजुट भारत के निर्माण में योगदान दें। जय हिंद!

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