EPFO New Withdrawal Rules: जानिये, पीएफ निकासी में क्या नया है!

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ईपीएफओ के नए निकासी नियम 2025 — जानिए क्या बदला और इसका असर आपके रिटायरमेंट पर! | EPF Withdrawal Form 31 | EPF New Rules, How Many Times We Can Withdraw PF Advance | EPFO rule changes

EPFO New Withdrawal Rules: अक्टूबर 2025 तक कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने अपने निकासी नियमों में बड़े और महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। इन बदलावों का उद्देश्य है — कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति बचत को सुरक्षित रखना, और साथ ही निकासी प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाना। नए नियमों में पुराने प्रावधानों को मिलाया गया है, निकासी की सीमा में संशोधन किया गया है, और बेरोज़गारी के बाद पूरी राशि निकालने की प्रतीक्षा अवधि (waiting period) बढ़ाई गई है। आइए सरल शब्दों में समझते हैं कि नया क्या है और इसका आप पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

this is the image of EPF digital withdrawal EPFO 3.0

सारांश!

ईपीएफओ के नए निकासी नियमों का मुख्य उद्देश्य है —

“आज की ज़रूरतों और भविष्य की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाना।”

यह नियम थोड़े सख्त ज़रूर हैं, लेकिन सेवानिवृत्ति के बाद आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हैं। सरकार का डिजिटल फोकस और ऑनलाइन प्रक्रिया इसे पारदर्शी और तेज़ बनाता है, जबकि 25% न्यूनतम शेष नियम यह सुनिश्चित करता है कि हर कर्मचारी के पास भविष्य के लिए कुछ धन सुरक्षित रहे।

नए बदलावों की झलक!

ईपीएफओ ने अपने नियमों में कई महत्वपूर्ण संशोधन किए हैं:

  • आंशिक निकासी की 13 श्रेणियों को घटाकर अब 3 व्यापक श्रेणियों में बाँटा गया है।
  • कुल ईपीएफ राशि का 25% हिस्सा अब अनिवार्य न्यूनतम शेष (lock-in) के रूप में खाते में रखना होगा।
  • नौकरी छोड़ने के बाद पूरी निकासी की अवधि 2 महीने से बढ़ाकर 12 महीने कर दी गई है।
  • बेरोज़गारी के एक महीने बाद 75% राशि तुरंत निकाली जा सकती है
  • पेंशन (EPS) की निकासी अवधि 2 महीने से बढ़ाकर 36 महीने (3 साल) कर दी गई है।
  • ऑनलाइन दावे की प्रक्रिया सरल की गई है और स्वचालित निपटान सीमा ₹5 लाख तक बढ़ाई गई है।
  • EPFO 3.0” के तहत डिजिटल सेवाओं को और बेहतर किया जा रहा है — भविष्य में ATM/UPI निकासी की सुविधा भी जोड़ी जाएगी।

ईपीएफ ब्याज गणना का मूल सिद्धांत!

ईपीएफ खाते में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों मूल वेतन (बेसिक सैलरी) और महंगाई भत्ता (DA) का 12% योगदान देते हैं। कर्मचारी का पूरा 12% हिस्सा ईपीएफ में जाता है, जबकि नियोक्ता का 12% दो हिस्सों में बंटता है:

  • 8.33% कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) में जाता है (यदि मूल वेतन + DA ₹15,000 से कम है, अन्यथा यह सीमित है)।
  • शेष 3.67% ईपीएफ में जमा होता है।

ईपीएफ खाते की कुल राशि (कर्मचारी + नियोक्ता का योगदान) पर हर साल चक्रवृद्धि ब्याज मिलता है। ब्याज की गणना मासिक आधार पर की जाती है, लेकिन यह सालाना चक्रवृद्धि के साथ साल के अंत में खाते में जमा होता है। इसका मतलब है कि हर महीने आपके खाते की औसत शेष राशि पर ब्याज गणना होती है, और यह ब्याज अगले साल की गणना में शामिल होकर चक्रवृद्धि प्रभाव देता है।

निकासी की नई श्रेणियाँ — अब सिर्फ 3

पहले आंशिक निकासी के लिए 13 अलग-अलग श्रेणियाँ थीं। अब इन्हें 3 मुख्य श्रेणियों में सरल किया गया है:

  1. आवश्यक जरूरतें – बीमारी, विवाह और शिक्षा से जुड़ी आवश्यकताएँ।
  2. आवास जरूरतें – घर खरीदने, निर्माण या ऋण चुकाने के लिए।
  3. विशेष परिस्थितियाँ – जैसे बेरोज़गारी, आपातकालीन स्थिति या प्राकृतिक आपदा।

इससे सदस्य आसानी से समझ पाएंगे कि वे कब और किस उद्देश्य से निकासी कर सकते हैं।

25% न्यूनतम शेष नियम — क्या है इसका मतलब?

नए ढाँचे के अनुसार, अब आपके ईपीएफ खाते में हमेशा कुल जमा राशि का कम से कम 25% रहना अनिवार्य होगा। इसका मतलब यह है कि आप अधिकतम 75% राशि तक की निकासी कर सकते हैं, लेकिन पूरी राशि एक साथ नहीं निकाल सकते।

उद्देश्य: यह सुनिश्चित करना कि सदस्य की सेवानिवृत्ति के समय कुछ न कुछ बचत जरूर रहे।

उदाहरण के लिए —

  • अगर किसी कर्मचारी की सेवानिवृत्ति पर कुल ईपीएफ राशि ₹14 लाख होती है, तो नए नियम के तहत उसे कम से कम ₹3.5 लाख का बैलेंस मिलेगा।
  • ईपीएफओ के अनुसार, पहले बार-बार की निकासी से सदस्यों का रिटायरमेंट फंड बहुत कम रह जाता था — यही वजह है कि यह नियम लागू किया गया है।

विशेष आवश्यकताओं के लिए बढ़ी सुविधा!

पहली बार ईपीएफओ ने यह अनुमति दी है कि सदस्य स्वीकृत उद्देश्यों के लिए अपनी पात्र राशि का 100% तक निकाल सकते हैं (25% न्यूनतम शेष छोड़कर)।
शिक्षा और विवाह जैसी जरूरतों के लिए भी अब सीमा में राहत दी गई है —

  • शिक्षा के लिए अब 10 बार तक निकासी की जा सकती है।
  • विवाह के लिए 5 बार तक निकासी की अनुमति है।

बेरोज़गारी से जुड़े नए प्रावधान!

यह बदलाव सबसे ज्यादा चर्चा में हैं।

  • पूर्ण निकासी की अवधि बढ़ी: पहले नौकरी छूटने के बाद 2 महीने में पूरा ईपीएफ निकाला जा सकता था। अब यह अवधि बढ़ाकर 12 महीने कर दी गई है।
  • आंशिक निकासी की सुविधा: बेरोज़गारी के सिर्फ 1 महीने बाद, सदस्य अपने ईपीएफ बैलेंस का 75% तक निकाल सकते हैं। अगर वे 12 महीने तक बेरोज़गार रहते हैं, तो शेष 25% राशि निकाल सकते हैं।

EPFO का कहना है कि यह कदम कर्मचारियों को अपनी पेंशन और सेवानिवृत्ति निधि समय से पहले ख़त्म होने से बचाने के लिए है।

पेंशन (EPS) निकासी में बदलाव!

पेंशन योजना (Employee Pension Scheme) के नियम भी बदले गए हैं।

  • पहले सदस्य योगदान बंद होने के 2 महीने बाद पेंशन राशि निकाल सकते थे।

  • अब यह अवधि बढ़ाकर 36 महीने (3 साल) कर दी गई है।

उद्देश्य:

  1. सदस्यों को कम से कम 10 साल की सेवा पूरी करने और मासिक पेंशन के लिए पात्र बनने के लिए प्रोत्साहित करना।
  2. अगर कोई सदस्य इन तीन वर्षों के भीतर निधन हो जाता है, तो उसके परिवार को फैमिली पेंशन का लाभ मिलेगा।

इस तरह नया नियम सामाजिक सुरक्षा को मजबूत करता है।

आवास, शिक्षा और चिकित्सा निकासी में संशोधन!

  • चिकित्सा निकासी: गंभीर बीमारियों के लिए स्वचालित निकासी सीमा बढ़ाई गई है।
  • आवास निकासी: सदस्य अपने पीएफ का 90% तक घर खरीदने, निर्माण या लोन चुकाने के लिए निकाल सकते हैं।
  • शिक्षा और विवाह: निकासी के लिए अब कम से कम 12 महीने की सेवा अवधि आवश्यक होगी।

प्रक्रिया में सुधार — अब और आसान निकासी!

EPFO ने निकासी प्रक्रिया को डिजिटल बना दिया है:

  • अगर आपका UAN, आधार, पैन और बैंक अकाउंट लिंक है, तो नियोक्ता की मंजूरी की जरूरत नहीं
  • ऑनलाइन दावा निपटान सीमा ₹5 लाख तक बढ़ा दी गई है।
  • EPFO 3.0 के तहत भविष्य में ATM/UPI निकासी और रियल-टाइम ट्रैकिंग जैसी सुविधाएँ जोड़ी जाएंगी।

ईपीएफ निकासी कैसे करें — स्टेप-बाय-स्टेप गाइड!

  1. UAN Member e-Service Portal पर लॉगिन करें।
  2. Online Services” टैब में जाएँ और “Claim (Form-31, 19, 10C)” चुनें।
  3. अपने बैंक विवरण की पुष्टि करें।
  4. दावे का प्रकार चुनें (आंशिक, पूर्ण, पेंशन)।
  5. ज़रूरी जानकारी भरें और आवेदन सबमिट करें।

अगर आपकी सभी डिटेल्स अपडेट हैं, तो प्रक्रिया बिना किसी नियोक्ता की मंजूरी के पूरी हो जाएगी।

विवाद और प्रतिक्रियाएँ!

नए नियमों को लेकर सोशल मीडिया और राजनीतिक हलकों में मिश्रित प्रतिक्रियाएँ आईं।
कुछ लोगों ने कहा कि सरकार कर्मचारियों के अपने ही पैसे पर रोक लगा रही है, जबकि ईपीएफओ अधिकारियों का कहना है कि यह कदम सदस्यों के हित में है।

आलोचनाएँ:

  • बेरोज़गारी के बाद पूरा पीएफ निकालने की अवधि 2 से 12 महीने बढ़ने पर नाराज़गी।
  • 25% राशि पर स्थायी लॉक-इन को “कर्मचारी के पैसे की बंदिश” बताया गया।

ईपीएफओ का पक्ष:

  • बार-बार की निकासी से “सामाजिक सुरक्षा” का उद्देश्य कमजोर हो गया था।
  • 2024–25 में लगभग 52.95 लाख सदस्यों को अंतिम भुगतान हुआ, जिनमें से 75% को ₹50,000 से कम राशि मिली — यह चिंता का विषय था।
  • इसलिए न्यूनतम शेष राशि रखने का नियम बनाया गया ताकि रिटायरमेंट के समय कुछ धन सुरक्षित रहे।

विशेषज्ञों की चेतावनी

टैक्सबडी.कॉम के संस्थापक सुजीत बांगर ने कहा,

“ईपीएफ पर 8.25% का ब्याज तभी प्रभावी है जब आप इसे छुएँ नहीं। 25 साल तक ₹5 लाख जमा रखने पर यह ₹33.22 लाख बन सकता है, लेकिन अगर बीच में आधा पैसा निकाल लिया तो आपका रिटायरमेंट फंड आधा रह जाएगा।”

उन्होंने कहा कि ये बदलाव भले ही आज की जरूरतों को आसान बनाते हों, परंतु इससे लंबी अवधि की वित्तीय सुरक्षा कमजोर हो सकती है। भारत में पेंशन परिसंपत्तियाँ जीडीपी का सिर्फ 13% हैं,
जबकि अमेरिका में यह 142%, ब्रिटेन में 79% और स्विट्ज़रलैंड में 160% है। इसलिए बांगर ने 25% लॉक-इन को “सुरक्षा बेल्ट” बताया, न कि प्रतिबंध।

नए कर्मचारी भविष्य निधि निकासी और अंतिम निपटान प्रावधानों के बारे में 7 मिथक और तथ्य!

मिथक 1: नौकरी छूटने के बाद आप एक साल तक अपने पैसे तक नहीं पहुंच पाएंगे

तथ्य:

  • नौकरी छूटने पर आप तुरंत अपने PF बैलेंस का 75% निकाल सकते हैं।
  • यह राशि अब कर्मचारी और नियोक्ता दोनों के अंशदान से निकाली जा सकेगी।
  • बाकी 25% राशि 12 महीने बाद अंतिम निपटान के रूप में निकाली जा सकती है।
  • रिटायरमेंट, स्थायी विकलांगता, या भारत छोड़ने की स्थिति में 100% निकासी की अनुमति है।
  • 12 महीने की नई अवधि का उद्देश्य पेंशन निरंतरता बनाए रखना है ताकि 10 साल की सेवा की शर्त पूरी हो सके।

मिथक 2: ईपीएफ अंशदान का 25% हिस्सा आजीवन लॉक रहेगा

तथ्य:

  • 25% राशि केवल अस्थायी रूप से सुरक्षित रहेगी और 12 महीने बाद निकाली जा सकती है
  • आपात स्थिति में, बिना कारण बताए भी 75% तक की निकासी संभव है।
  • यह नियम सेवानिवृत्ति बचत को सुनिश्चित करने और EPF के मूल उद्देश्य – सामाजिक सुरक्षा को बनाए रखने के लिए है।
  • आँकड़ों के अनुसार, 75% सदस्यों के पास PF बैलेंस ₹50,000 से कम रहता है, इसलिए लगातार निकासी रोकना जरूरी है।

मिथक 3: योगदान बंद होने पर परिवार को कोई लाभ नहीं मिलेगा

तथ्य:

  • यदि आपने 3 साल तक योगदान नहीं किया, तब भी आपका परिवार पेंशन लाभ के लिए पात्र रहेगा, बशर्ते आपने अपनी पेंशन राशि नहीं निकाली हो।

मिथक 4: बेरोजगार होने पर भी पैसा नहीं निकाल सकते

तथ्य:

  • बेरोजगारी की स्थिति में आप अपने PF बैलेंस का 75% तुरंत निकाल सकते हैं
  • शेष 25% राशि 12 महीने बाद अंतिम निपटान के समय निकाली जा सकेगी।

मिथक 5: पेंशन प्रावधान अब सीमित कर दिए गए हैं

तथ्य:

  • नए नियम सेवा निरंतरता को बनाए रखते हैं, जिससे कर्मचारी को बेहतर अंतिम निपटान और परिवार को वित्तीय सुरक्षा मिलती है।

मिथक 6: एक साल बाद भी केवल 75% राशि ही निकाली जा सकती है

तथ्य:

  • नौकरी छोड़ने के एक वर्ष बाद आप अपने पूरे EPF बैलेंस (100%) की निकासी कर सकते हैं।

मिथक 7: ईपीएफओ ने पैसा निकालना और मुश्किल बना दिया है

तथ्य:

  • नए नियमों से निकासी प्रक्रिया सरल और पारदर्शी हो गई है।
  • अब आप बिना कोई कारण बताए भी निकासी कर सकते हैं।
  • आप अपने अंशदान और नियोक्ता के अंशदान, दोनों से 75% तक की निकासी कर सकते हैं।

हम कितनी बार पीएफ एडवांस निकाल सकते हैं? | How Many Times We Can Withdraw PF Advance?

1. इलाज के लिए (खुद या परिवार)

  • कितनी बार: जितनी बार जरूरत हो (कोई सीमा नहीं)
  • राशि: कर्मचारी अंशदान + ब्याज या 6 महीने का वेतन, जो कम हो

2. शादी या शिक्षा के लिए

  • कितनी बार: अधिकतम 3 बार
  • सेवा: कम से कम 7 वर्ष
  • राशि: कुल बैलेंस का 50% तक

3. घर खरीदने या बनाने के लिए

  • कितनी बार: 1 बार
  • सेवा: कम से कम 5 वर्ष
  • राशि: 36 गुना वेतन तक

4. होम लोन चुकाने के लिए

  • कितनी बार: 1 बार
  • सेवा: कम से कम 10 वर्ष
  • राशि: PF बैलेंस का 90% तक

5. घर की मरम्मत के लिए

  • कितनी बार: 2 बार
  • समय: पहली बार 5 साल बाद, दूसरी बार 10 साल बाद
  • राशि: 12 गुना वेतन तक

6. बेरोजगारी की स्थिति में

  • कितनी बार: जरूरत अनुसार

  • राशि:

    • 1 महीने बाद 75%

    • 12 महीने बाद शेष 25%

7. प्राकृतिक आपदा या आपात स्थिति

  • कितनी बार: जरूरत अनुसार
  • राशि: ₹5,000 या कर्मचारी अंशदान का 50%, जो कम हो

निष्कर्ष: EPFO New Withdrawal Rules

नई ईपीएफओ नीति कर्मचारियों के हित में एक संरक्षक कदम है। यह सिर्फ पैसे की रोक नहीं, बल्कि आपकी सेवानिवृत्ति की सुरक्षा की गारंटी है। समझदारी यही है कि हम अपने भविष्य निधि को बचत और निवेश के रूप में देखें, खर्च के साधन के रूप में नहीं। EPFO New Withdrawal Rules

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