भारत में लिथियम भंडार की खोज! जम्मू कश्मीर में मिला बड़ा जैकपॉट | क्या यह भारत को अगला सऊदी बना देगा? Lithium discovery in India
Lithium discovery in India: आज के लेख में हम भारत के जम्मू और कश्मीर में लिथियम भंडार की खोज के बारे में चर्चा करेंगे। इस खोज में भारत को अगला सऊदी अरब बनाने की क्षमता है, क्योंकि 1938 में सऊदी अरब के दम्मम क्षेत्र में खोजे गए तेल ने देश को समृद्धि की ओर अग्रसर किया था। हालाँकि, आगे चुनौतियाँ हैं। भारत की घोषणा के बाद, जैश-ए-मोहम्मद ने इन भंडारों की खुदाई करने की कोशिश करने वाले किसी भी व्यक्ति को खत्म करने की धमकी दी। इसके अतिरिक्त, संयुक्त राज्य अमेरिका ने लिथियम की खोज और लाभ साझा करने पर भारत के साथ साझेदारी करने में रुचि दिखाई है। लिथियम भंडार की खोज ने भारत की ओर वैश्विक ध्यान आकर्षित किया है। खान सचिव की रिपोर्ट के अनुसार, भारत दिसंबर तक जम्मू-कश्मीर में पाए गए लिथियम भंडार की नीलामी करेगा | फ़रवरी 2023 में भारत के जियोलॉजिकल सर्वे (GSI) ने जम्मू-कश्मीर के रियासी ज़िले के सलाल-हैमाना इलाक़े में 59 लाख टन लिथियम के भंडार मिलने की तस्दीक़ की | इस खोज के बाद भारत, लिथियम भंडार के मामले में दुनिया का सातवां बड़ा देश बन गया है | Lithium discovery in India
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- 9 फरवरी को भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण द्वारा खोजा गया 5.9 मिलियन टन का यह अप्रयुक्त लिथियम भंडार भारत के लिए एक महत्वपूर्ण खोज है, क्योंकि भारत वर्तमान में चीन से ₹80 बिलियन की लागत से लिथियम आयात करता है।
- दिलचस्प बात यह है कि अगर जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 नहीं हटाया जाता तो यह खोज संभव नहीं होती। 2018 से पहले, स्थानीय मंत्रियों और नौकरशाहों ने जम्मू-कश्मीर की सारी ज़मीन पर नियंत्रण कर रखा था।
- 2001 के रोशनी अधिनियम (Roshni Act) ने गैर-कश्मीरियों को भूमि खरीदने से प्रतिबंधित कर दिया और किसी भी अन्वेषण गतिविधि पर रोक लगा दी। इसके अलावा, सरकार ने 1.6 मिलियन हेक्टेयर सरकारी भूमि को स्थानीय लोगों को न्यूनतम दरों पर पट्टे पर दे दिया। हालाँकि, यह एक बड़ा घोटाला था, क्योंकि सरकार को भूमि पट्टे से अपेक्षित राजस्व का केवल एक अंश ही प्राप्त हुआ।
- 2018 में, आय रोशनी अधिनियम को निरस्त कर दिया गया, और सरकार ने अधिनियम से संबंधित मामलों के खिलाफ कार्रवाई की। जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय ने अधिनियम को अवैध और असंवैधानिक घोषित किया। Lithium discovery in India
- इसके बाद, 2020 में अनुच्छेद 370 को हटाने से भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) के लिए पहले से अज्ञात भूमि पर लिथियम अन्वेषण करने के लिए दरवाजे खुल गए। GSI अध्ययनों ने इन क्षेत्रों में लिथियम की उपस्थिति का संकेत दिया। इसका उद्देश्य आयात को कम करना और लिथियम उत्पादन में आत्मनिर्भर बनना था।
- 9 फरवरी को, खान मंत्रालय ने ट्विटर पर घोषणा की कि इस खोज के लिए अनुच्छेद 370 को हटाना महत्वपूर्ण था। जम्मू-कश्मीर के लोगों को भी कई बदलावों से लाभ मिला है, जिसमें बुनियादी ढांचे का विकास, सरकारी परियोजनाएं और अपराध दर में कमी शामिल है।
- घोषणा के बाद, भारत को विभिन्न संगठनों और व्यक्तियों से मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली। भारत विरोधी संगठन पीपुल्स एंटी-फासीस्ट फ्रंट (People’s Anti-Fascist Front (PAFF) द्वारा समर्थित जैश-ए-मोहम्मद ने भारत को धमकी दी और कश्मीरियों से अपने संसाधनों की रक्षा करने का आग्रह किया। हालांकि, भारत ऐसी धमकियों से अप्रभावित है और उसने जल्द ही लिथियम खनन शुरू करने की योजना की घोषणा की है। Lithium discovery in India
- विश्व के नेताओं ने भी भारत की लिथियम खोज पर ध्यान दिया है। लिथियम की बढ़ती मांग का सामना कर रहे संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत के साथ साझेदारी करने में रुचि व्यक्त की है। लिथियम अन्वेषण और उत्पादन में संभावित सहयोग पर चर्चा करने के लिए अमेरिकी ऊर्जा संसाधन सहायक सचिव, जेफ्री आर. पायट ने भारत का दौरा किया।
- चीन, जो वर्तमान में दुनिया के 60% लिथियम का उत्पादन करता है, अफगानिस्तान में लिथियम भंडार पर भी नज़र रख रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान, चीन ने अफगानिस्तान में लिथियम निष्कर्षण के लिए संभावित सौदों की तलाश के लिए तालिबान के साथ काम किया। चीन का मकसद लिथियम संसाधनों को सुरक्षित करना और लिथियम बाजार में अपना दबदबा बनाए रखना है।
- भारत द्वारा लिथियम भंडार की खोज आयात निर्भरता को कम करने और एक प्रमुख निर्यातक बनने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करती है। हालाँकि, इन भंडारों को सुरक्षित रखने में विभिन्न तत्वों, जिनमें आतंकवादी संगठन और लिथियम संसाधनों पर कब्जा करने वाले अन्य देश शामिल हैं, से चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। Lithium discovery in India
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लिथियम खदान के विकास और प्राप्ति के मार्ग पर आने वाली चुनौतियां क्या हो सकती हैं ?
हालांकि, केवल लिथियम के भंडार मिलना ही पर्याप्त नहीं है | इस क्षेत्र में अभी कई और चुनौतियों से निपटना होगा | लिथियम खदान के विकास और प्राप्ति के मार्ग पर आने वाली दो मुख्य चुनौतियां हैं जिनका ख्याल भारत सरकार को रखना होगा :-
पर्यावरण (Environment)
लिथियम के उत्पादन और इसकी साफ़-सफ़ाई से जुड़े ऐसे कई पहलू हैं, जो इसे स्वच्छ ईंधन के मामले में विरोधाभास की मिसाल बना देते हैं | लिथियम के खनन में बहुत संसाधन लगते हैं और इसको खदान से निकालकर साफ़ करने के दौरान, बहुत सा खनिज कचरा भी निकलता है, जो खदान के आस-पास के पानी और मिट्टी को प्रदूषित कर सकता है, जिससे स्थानीय निवासियों, खेती-बाड़ी और जैव विविधता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है | रियासी ज़िले की ज़्यादातर आबादी ग्रामीण है | यहां काफ़ी हरियाली है और पहाड़ी के पास चेनाब नदी भी है | लिथियम के खनन से इन सबके लिए ख़तरा पैदा होगा | इसके अलावा, जम्मू और कश्मीर, पारिस्थितिकी के लिहाज़ से भी बेहद संवेदनशील है और इस दर्जे में आने वाले इलाक़ों में भूगर्भीय गतिविधियां सबसे ज़्यादा होती हैं | इन सब कारणों से रियासी से लिथियम निकालने के दौरान होने वाली औद्योगिक गतिविधियां बेहद जटिल और नाज़ुक हो जातीं हैं |
तकनीकी (Technology)
मई 2021 में भारत सरकार ने एडवांस केमिस्ट्री सेल (Advanced Chemistry Cell) भारत में बनाने के लिए 217.6 करोड़ डॉलर की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (Production Linked Incentive (PLI) योजना को मंज़ूरी दी थी | हालांकि, आयात पर निर्भरता को प्रभावी ढंग से कम करने के लिए, भारत को अपने यहां बैटरी में इस्तेमाल होने वाले लिथियम की रिफाइनिंग की क्षमता विकसित करनी होगी | इसके अलावा, भारत को ज़मीनी स्तर से इसका मूलभूत ढांचा और तकनीकी दक्षता का निर्माण करना होगा | उल्लेखनीय है कि रियासी में मिले लिथियम भंडारों का तुरंत इस्तेमाल नहीं किया जा सकता | इसकी वजह है यहां की सख़्त चट्टानें| इससे लिथियम के खनन और उसको रिफाइन करने की चुनौती और लागत दोनों बढ़ जाती हैं, और इस मामले में अभी भारत को तजुर्बा नहीं है | अयस्कों को बैटरी ग्रेड वाले लिथियम में तब्दील करने के लिए उसको लिथियम हाइड्रोक्साइड में बदलना होगा और फिर लिथियम आयरन फास्फेट में, जो इलेक्ट्रिक बैटरी बनाने का एक महत्वपूर्ण तत्व है | इस बहुस्तरीय प्रक्रिया के लिए कई रासायनिक तत्वों, जैसे कि कोबाल्ट सल्फेट, निकेल, सल्फेट, और मैंगनीज सल्फेट को भी जुटाना होगा | ये काम बैटरी बनाने की दक्षता रखने वाली कंपनियों को करना होगा और भारत में अभी ऐसी कंपनियां नहीं हैं |
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