भारत के 10 ऐतिहासिक किले: रहस्य और किवदंतियाँ! जिनके बारे में आप नहीं जानते | Rahasyamayi Rajmahal | Mysterious palaces
Mysterious palaces of India: भारत, ऐतिहासिक धरोहर और समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं का अद्वितीय मिश्रण है। यहाँ के महलों की भव्यता और भव्यता केवल उनकी स्थापत्य कला तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उनके पीछे छिपे रहस्यों और कहानियों ने भी उन्हें अधिक आकर्षक बना दिया है। इन रहस्यमयी राजमहलों की वास्तुकला, उनकी कहानियाँ और उनसे जुड़ी पौराणिक कथाएँ एक रोमांचक यात्रा की तरह हैं, जो हमें अतीत की गहराइयों में ले जाती हैं। इस ब्लॉग में हम भारत के दस ऐसे रहस्यमयी राजमहलों के बारे में चर्चा करेंगे, जो न केवल ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि जिनके बारे में अनेक रहस्यमयी घटनाएँ और लोककथाएँ प्रचलित हैं। इन महलों के रहस्यों को उजागर करते हुए, हम जानेंगे कि कैसे ये महल समय के साथ अपने रहस्यों को संजोए हुए हैं और आज भी इतिहास प्रेमियों और खोजियों के लिए एक अनसुलझी गुत्थी बने हुए हैं। प्रत्येक महल की अपनी एक विशेष कहानी है, जो न केवल उसकी ऐतिहासिक महत्वता को दर्शाती है बल्कि यह भी बताती है कि कैसे काल के साथ इन महलों ने अपनी पहचान को बनाए रखा है। तो चलिए, इन रहस्यमयी राजमहलों (Mysterious palaces of India) की यात्रा पर निकलते हैं और उनके अतीत के गहरे रहस्यों को उजागर करते हैं।
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1. नंदा किला: उत्तराखंड (Nanda Fort: Uttarakhand)
- किसने बनवाया: नंदा किले के बारे में कोई निश्चित जानकारी नहीं है कि इसे किसने बनवाया था। कुछ किंवदंतियों के अनुसार, इसे एक स्थानीय राजा ने बनवाया था।
- कब बनवाया गया: किले के निर्माण की कोई सटीक तारीख नहीं मिलती है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इसे 8वीं शताब्दी के आसपास बनाया गया था।
- रहस्य का कारण: किले के आसपास कई रहस्यमयी घटनाएं होने के कारण इसे रहस्यमयी माना जाता है। जैसे कि यहां अक्सर अजीब आवाजें सुनाई देती हैं, रोशनी दिखाई देती है और कई लोगों ने यहां अज्ञात उड़न तश्तरी देखने का दावा किया है।
- क्षेत्रफल: किले का क्षेत्रफल बहुत बड़ा है और इसमें कई इमारतें, मंदिर और सुरंगें हैं।
- विशेषताएं: किला एक पहाड़ी पर स्थित है और चारों ओर से घने जंगलों से घिरा हुआ है। किले की दीवारें मोटी और मजबूत हैं और इसमें कई गुप्त मार्ग और सुरंगें हैं।
उत्तराखंड के रहस्यमयी किलों में से एक नंदा किला, अपनी अद्भुत वास्तुकला और रहस्यमयी वातावरण के लिए जाना जाता है। इस किले के बारे में कई कहानियाँ प्रचलित हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यह किला एक प्राचीन सभ्यता का अवशेष है, जबकि अन्य का मानना है कि यह एक देवताओं का निवास था।
किले की वास्तुकला भी बेहद अद्भुत है। किले की दीवारें मोटी और मजबूत हैं और इसमें कई गुप्त मार्ग और सुरंगें हैं। किले में कई मंदिर और अन्य संरचनाएं भी हैं, जिनमें से कुछ का निर्माण 11वीं शताब्दी से पहले का है। किले से धौलाधार पर्वतमाला (Dhauladhar Range) का भी सुंदर दृश्य दिखाई देता है।
इस किले के बारे में कई रहस्यमयी कहानियां (Mysterious palaces of India) प्रचलित हैं। कुछ लोग मानते हैं कि नंदा किला में एक खजाना छिपा हुआ है, जबकि अन्य का मानना है कि यह किला भूतों का बसेरा है। कुछ लोगों ने यहां अजीब आवाजें सुनी हैं और अज्ञात उड़ने वाली वस्तुओं (UFO) के देखे जाने की भी रिपोर्टें मिली हैं। नंदा किला की रहस्यमयीता के कारण, यह कई फिल्मों और टीवी शो में भी दिखाया गया है। यहां तक कि कुछ लोग इस किले में भूतों की तलाश में भी आते हैं। हालांकि, नंदा किला की दुर्गमता और खतरनाक परिस्थितियों के कारण, यहां आने के लिए विशेष अनुमति लेनी होती है।
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2. कांगड़ा किला: हिमाचल प्रदेश (Kangra Fort: Himachal Pradesh)
- किसने बनवाया?: कटोच राजपूतों ने (निर्माण का सटीक समय ज्ञात नहीं है)
- कब बनवाया?: प्राचीन काल (महाभारत काल से इसका उल्लेख मिलता है)
- रहस्य का कारण: प्राचीनता, कई बार नष्ट और पुनर्निर्मित होना, खजाने की किंवदंतियाँ, और अज्ञात इतिहास के कई अध्याय।
- क्षेत्रफल: विशाल, सटीक क्षेत्रफल का उल्लेख नहीं मिलता
- विशेषताएँ: हिमालय का सबसे बड़ा किला, रणनीतिक स्थान, कई मंदिर और मूर्तियाँ, प्राचीन वास्तुकला, और कई बार भूकंपों का सामना करना।
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित कांगड़ा किला भारत के सबसे प्राचीन किलों में से एक है। कटोच राजपूतों द्वारा निर्मित इस किले का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। किले के विशाल क्षेत्रफल और रणनीतिक स्थान ने इसे हमेशा से महत्वपूर्ण बनाया है। कहा जाता है कि यह किला कई बार नष्ट हुआ और पुनर्निर्मित हुआ। इसके अलावा, यहां खजाने की कई किंवदंतियाँ भी प्रचलित हैं। कांगड़ा किला अपनी प्राचीन वास्तुकला और कई मंदिरों और मूर्तियों के लिए भी जाना जाता है। यह किला कई बार भूकंपों का सामना कर चुका है, जिसके कारण इसका मूल स्वरूप बदल गया है। कांगड़ा किला न केवल इतिहास प्रेमियों बल्कि रहस्यों में रुचि रखने वालों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र है।
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3. मेहरानगढ़ किला: जोधपुर (Mehrangarh Fort: Jodhpur)
- किसने बनवाया?: राव जोधा ने
- कब बनवाया?: 1459 में
- रहस्य का कारण: किले से जुड़ी कई किंवदंतियाँ और रहस्यमयी घटनाएँ।
- क्षेत्रफल: लगभग 1200 एकड़
- विशेषताएँ: राजस्थानी वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण, विशाल दीवारें, भव्य महल, संग्रहालय, और कई ऐतिहासिक कलाकृतियाँ
भारत के रहस्यमयी महलों की बात हो और मेहरानगढ़ का नाम न आए, ऐसा हो ही नहीं सकता। जोधपुर शहर में स्थित यह विशाल किला 1459 में राव जोधा ने बनवाया था। लगभग 1200 एकड़ में फैला यह किला, 410 फीट ऊंची पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। मेहरानगढ़, राजस्थानी वास्तुकला का एक शानदार उदाहरण है। इसकी विशाल दीवारें, भव्य महल और कई ऐतिहासिक कलाकृतियाँ देखने लायक हैं। किले में एक संग्रहालय भी है जिसमें राजपूत शासकों के जीवन और संस्कृति से जुड़ी कई वस्तुएँ प्रदर्शित की गई हैं।- Mysterious palaces of India
मेहरानगढ़ किला केवल अपनी वास्तुकला के लिए ही प्रसिद्ध नहीं है, बल्कि यहां से जुड़ी कई किंवदंतियाँ और रहस्यमयी घटनाएँ भी हैं। कहा जाता है कि किले में कई रानियों ने अपनी जान ली थी और उनकी आत्माएँ आज भी यहां भटकती रहती हैं। इन किंवदंतियों ने मेहरानगढ़ को और भी रहस्यमयी बना दिया है।
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4. चित्तौड़ किला: राजस्थान (Chittor Fort: Rajasthan)
- किसने बनवाया?: मौर्य राजवंश के सम्राट चित्रांगद मौर्य ने
- कब बनवाया?: 7वीं शताब्दी
- रहस्य का कारण: जौहर, शौर्य, त्याग और बलिदान की कहानियां
- क्षेत्रफल: लगभग 700 एकड़
- विशेषताएँ: भारत का सबसे विशाल किला, विश्व धरोहर स्थल, तीन जौहर, मेवाड़ की राजधानी
भारत के रहस्यमयी किलों में चित्तौड़ किला एक प्रमुख नाम है। राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में स्थित यह विशाल किला 7वीं शताब्दी में मौर्य राजवंश के सम्राट चित्रांगद मौर्य ने बनवाया था। लगभग 700 एकड़ में फैला यह किला, 590 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। चित्तौड़गढ़ किला केवल भारत का सबसे बड़ा किला ही नहीं है, बल्कि यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल भी घोषित किया गया है।
यह किला अपने भव्य वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। चित्तौड़गढ़, मेवाड़ की राजधानी हुआ करता था और यहां तीन बार जौहर हुआ था। रानियों और महिलाओं द्वारा अपने सम्मान की रक्षा के लिए आग में कूदने की ये घटनाएं, चित्तौड़गढ़ को शौर्य और बलिदान का प्रतीक बनाती हैं। किले में कई महल, मंदिर और अन्य इमारतें हैं जो राजपूत शासकों के वैभवशाली जीवन को दर्शाती हैं। चित्तौड़गढ़ किला इतिहास प्रेमियों और रहस्यों में रुचि रखने वालों के लिए एक आकर्षण का केंद्र है।
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5. जैसलमेर किला (स्वर्ण किले): जैसलमेर (Jaisalmer Fort (Golden Fort): Jaisalmer)
- किसने बनवाया?: राव जैसल ने
- कब बनवाया?: 1156 में
- रहस्य का कारण: रेगिस्तान के बीच स्थित होने के कारण, प्राचीन वास्तुकला, और कई राजपूत किंवदंतियाँ।
- क्षेत्रफल: लगभग 1000 एकड़
- विशेषताएँ: सुनहरे बलुआ पत्थर से बना, जटिल नक्काशी, कई महल और मंदिर, और एक विशाल संग्रहालय।
भारत के सुनहरे रेगिस्तान में स्थित जैसलमेर का किला, देश के सबसे रहस्यमयी किलों में से एक है। 1156 में राव जैसल द्वारा बनवाया गया यह किला, लगभग 1000 एकड़ में फैला हुआ है। सुनहरे बलुआ पत्थर से बने इस किले की जटिल नक्काशी और विशाल दीवारें देखते ही बनती हैं। किले के अंदर कई महल, मंदिर और एक विशाल संग्रहालय है, जिसमें राजपूत शासकों के जीवन और संस्कृति से जुड़ी कई वस्तुएँ प्रदर्शित की गई हैं।
रेगिस्तान के बीच स्थित होने के कारण, जैसलमेर का किला सदियों से रहस्यों से घिरा रहा है। कई किंवदंतियों के अनुसार, इस किले में सोने और कीमती रत्नों का खजाना छुपा हुआ है। किले की प्राचीन वास्तुकला और राजपूतों की शौर्य गाथाएँ भी इस किले को और भी रहस्यमयी बनाती हैं। जैसलमेर का किला न केवल इतिहास प्रेमियों बल्कि रहस्यों में रुचि रखने वालों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र है।
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6. कुंभलगढ़ किला: मेवाड़ (Kumbhalgarh Fort: Mewar)
- किसने बनवाया?: महाराणा कुम्भा ने
- कब बनवाया?: 15वीं शताब्दी
- रहस्य का कारण: किले की विशाल दीवारें, दुर्गम स्थान, और कई अनसुलझे रहस्य
- क्षेत्रफल: लगभग 36 किलोमीटर लंबी दीवार
- विशेषताएँ: भारत की सबसे लंबी दीवारों में से एक, कई मंदिर, महल और हवेलियाँ, महाराणा प्रताप का जन्मस्थान
कुंभलगढ़ किला, राजस्थान के राजसमंद जिले में स्थित एक भव्य किला है। 15वीं शताब्दी में महाराणा कुम्भा ने इस किले का निर्माण करवाया था। लगभग 36 किलोमीटर लंबी दीवार के साथ, यह किला भारत की सबसे लंबी दीवारों में से एक है। कुंभलगढ़ किला न केवल अपनी विशालता के लिए बल्कि अपनी दुर्गम स्थिति और कई अनसुलझे रहस्यों के लिए भी प्रसिद्ध है। किले के अंदर कई मंदिर, महल और हवेलियाँ हैं। एक विशेष बात यह है कि महान योद्धा महाराणा प्रताप का जन्म इसी किले में हुआ था। किले की भव्यता और इसके इतिहास ने इसे एक रहस्यमयी आभा दी है। कुंभलगढ़ किला न केवल इतिहास प्रेमियों बल्कि रहस्यों में रुचि रखने वालों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र है।
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7. भानगढ़ किला: राजस्थान (Bhangarh Fort: Rajasthan)
- किसने बनवाया?: भानु प्रताप सिंह
- कब बनवाया?: 16वीं शताब्दी
- रहस्य का कारण: किले से जुड़ी कई भूतों और शाप की कहानियाँ
- क्षेत्रफल: लगभग एक किलोमीटर
- विशेषताएँ: राजस्थानी वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण, विशाल दीवारें, मंदिर, और कई ऐतिहासिक अवशेष
भारत के सबसे रहस्यमयी किलों में से एक, भानगढ़ किला राजस्थान में स्थित है। 16वीं शताब्दी में भानु प्रताप सिंह द्वारा बनवाया गया यह किला अपनी भूतिया कहानियों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि एक तांत्रिक ने किले की एक राजकुमारी पर प्रेम जाहिर किया था, लेकिन जब राजकुमारी ने उसे ठुकरा दिया, तो तांत्रिक ने किले पर शाप लगा दिया। शाप के अनुसार, किला हमेशा के लिए खंडहर बना रहेगा और यहां रहने वाला कोई भी व्यक्ति कभी खुश नहीं रह पाएगा।
इस किले से जुड़ी कई भूतिया घटनाओं के कारण, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने इस किले में सूर्यास्त के बाद प्रवेश को प्रतिबंधित कर रखा है। किले के अंदर कई मंदिर, महल और अन्य इमारतें हैं जो राजस्थानी वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण हैं। भानगढ़ किला अपनी रहस्यमयी कहानियों के कारण पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यदि आप रहस्यों में रुचि रखते हैं, तो भानगढ़ किला आपके लिए एक अनोखा अनुभव हो सकता है।
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8. ग्वालियर किला: ग्वालियर (Gwalior Fort: Gwalior)
- किसने बनवाया?: राजा मान सिंह तोमर, राजा सूरजसेनपाल
- कब बनवाया?: 5-6 शताब्दी के आसपास
- रहस्य का कारण: किले से जुड़ी कई किंवदंतियाँ और रहस्यमयी घटनाएँ, जैसे कि रानी लक्ष्मीबाई का बलिदान, राजा भोज और गंगू तेली की कहानियाँ।
- क्षेत्रफल: लगभग 30 हेक्टेयर
- विशेशताएँ: भारतीय पहाड़ी किलों का ‘मोती’, विशाल दीवारें, विभिन्न शासकों द्वारा बनवाए गए महल, मंदिर, और अन्य संरचनाएँ।
पारस पत्थर की रहस्यमयी कहानी ग्वालियर किला भारत के सबसे प्रसिद्ध किलों में से एक माना जाता है। इस किले को मध्य भारत का गहना भी कहा जाता है। इस किले का इतिहास 8वीं शताब्दी का है। कहा जाता है कि इस किले के संस्थापक राजा मान सिंह तोमर थे। इसके बाद यहां कई शासकों ने राज किया, जिनमें मुगल भी शामिल थे। इस किले के सबसे प्रसिद्ध शासक राजा मान सिंह तोमर थे। कहा जाता है कि राजा मान सिंह तोमर के पास पारस पत्थर नामक एक जादुई पत्थर था। यह पत्थर इतना शक्तिशाली था कि यह लोहे को सोने में बदल सकता था। इस पत्थर को लेकर कई युद्ध हुए। कई राजाओं ने राजा सेन से पत्थर छीनने की कोशिश भी की, लेकिन कहते हैं राजा अपनी जान दे देंगे लेकिन अपने सामान की रक्षा पूरे दिल से करेंगे। कहा जाता है कि राजा राज सेन ने पारस पत्थर को किले में ही स्थित एक तालाब में फेंक दिया था, जिसे खोजने की कई राजाओं ने कोशिश की लेकिन असफल रहे। आज भी कई लोग इसे खोजने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह आज तक नहीं मिल पाया है।
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9. गढ़कुंडार किला: मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में (Garhkundar Fort: in Tikamgarh district of Madhya Pradesh)
- किसने बनवाया?: यशोवर्मा चंदेल ने (लगभग 925-940 ई.)
- कब बनवाया?: 11वीं सदी
- रहस्य का कारण: किले की भ्रमित निर्माण शैली, गायब होने वाली बारात की कहानियां, और छिपे हुए खजाने की अफवाहें।
- क्षेत्रफल: एक हेक्टेयर से अधिक
- विशेषताएँ: 5 मंजिला, 3 ऊपर और 2 नीचे, दूर से दिखाई देता है लेकिन पास जाने पर गायब हो जाता है, भूतल में गुप्त कमरे।
भारत के सबसे रहस्यमयी किलों में से एक है गढ़कुंडार किला, जो मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले में स्थित है। 11वीं सदी में यशोवर्मा चंदेल ने इस किले का निर्माण करवाया था। यह किला अपनी भ्रमित निर्माण शैली के लिए जाना जाता है। यह एक हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में फैला हुआ है और 5 मंजिला है, जिसमें से तीन मंजिल ऊपर और दो मंजिल भूमिगत हैं। सबसे रहस्यमयी बात यह है कि यह किला दूर से तो दिखाई देता है, लेकिन पास जाने पर गायब हो जाता है। किले के बारे में कई किंवदंतियां प्रचलित हैं, जैसे कि यहां एक बारात गायब हो गई थी और किले में छिपा हुआ खजाना है। इसकी भूतल में कई गुप्त कमरे भी हैं। गढ़कुंडार किला इतिहास और रहस्यों से भरा हुआ है, जो इतिहास प्रेमियों और रहस्य खोजने वालों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
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10. रायसेन किला, भोपाल (Raisen Fort, Bhopal)
- किसने बनवाया?: विभिन्न राजवंशों ने (सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं)
- कब बनवाया?: 10वीं शताब्दी के आसपास (अनुमानित)
- रहस्य का कारण: किले से जुड़ी कई किंवदंतियाँ, खोया हुआ खजाना, और अधूरी कहानियां।
- क्षेत्रफल: लगभग 100 एकड़
- विशेषताएँ: प्राचीन वास्तुकला, पहाड़ी पर स्थित, ऐतिहासिक महत्व, और कई मंदिर।
भोपाल के निकट स्थित रायसेन किला भारत के सबसे रहस्यमयी किलों में से एक है। इस किले का निर्माण किसने और कब करवाया, इस बारे में सटीक जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन अनुमान है कि इसका निर्माण 10वीं शताब्दी के आसपास हुआ होगा। लगभग 100 एकड़ में फैला यह किला, एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। रायसेन किला न केवल अपनी प्राचीन वास्तुकला बल्कि कई रहस्यों के लिए भी जाना जाता है। किले से जुड़ी कई किंवदंतियाँ प्रचलित हैं, जिनमें खोए हुए खजाने और अधूरी कहानियां शामिल हैं।
कहा जाता है कि इस किले में एक गुप्त रास्ता है जो किसी खोए हुए खजाने तक जाता है, लेकिन यह रास्ता अब तक नहीं मिला है। किले के अंदर कई मंदिर भी हैं, जिनमें से कुछ काफी पुराने हैं। रायसेन किला न केवल इतिहास प्रेमियों बल्कि रहस्यों में रुचि रखने वालों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र है। यदि आप भोपाल जाते हैं, तो रायसेन किले को देखना न भूलें।
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