Mystery of Kaliyuga: क्या हम पहले भी इस युग में रह चुके हैं?

अब तक कितने कलियुग बीत चुके हैं, हम किस कलियुग में हैं! अगला सतयुग कब आएगा? Mystery of Kaliyuga | Kali Yuga | KaliYug

Mystery of Kaliyuga: श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार, कलियुग की अवधि 4 लाख 32 हजार वर्षों की मानी गई है, और अभी तक कलियुग के केवल 5122 वर्ष ही बीते हैं। इतने कम समय में ही ऐसा प्रतीत होता है कि अधर्म और पाप अपनी चरम सीमा पर पहुँच चुके हैं। लेकिन शास्त्रों के अनुसार, जब कलियुग अपने भयंकर रूप में पहुंचेगा, तब धरती पर अम्ल वर्षा (acid rain) होगी, जिसके परिणामस्वरूप पेड़-पौधे और जीव-जंतु नष्ट हो जाएंगे। इंसान अपनी भूख मिटाने के लिए एक-दूसरे का सहारा लेंगे। धन का अत्यधिक महत्व बढ़ जाएगा, और धर्म, दया, एवं इंसानियत पूरी तरह से विलुप्त हो जाएंगी। पारिवारिक रिश्ते सिर्फ औपचारिक रह जाएंगे, और वेदों की गलत व्याख्या की जाएगी। बच्चे अपने माता-पिता की सेवा करना छोड़ देंगे। उस समय धरती पर भूखमरी, बीमारियां, अत्यधिक गर्मी और सर्दी, तूफान, बर्फबारी और बाढ़ जैसे प्राकृतिक आपदाएं अपने चरम पर होंगी, और अंततः यह दुनिया समाप्त हो जाएगी।

हिंदू धर्म में समय की धारणा बहुत व्यापक है। कालगणना की शुरुआत क्षण के हजारवें हिस्से से भी कम से होती है और ब्रह्मा के 100 वर्षों के बाद भी समाप्त नहीं होती। हिंदू मानते हैं कि समय निरंतर चलता रहता है, और समय के साथ जीवन और घटनाओं का चक्र भी चलता रहता है। हालांकि घटनाओं में दोहराव होता है, फिर भी हर घटना नई होती है। दिन, पक्ष, मास, अयन, युग और कल्प के विषय में पुराणों में विस्तार से वर्णन किया गया है। वर्तमान में हम किस नंबर के कलियुग में हैं, यह जानना भी महत्वपूर्ण है। Mystery of Kaliyuga

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विज्ञान के अनुसार, पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति लगभग 60 करोड़ वर्ष पहले हुई थी, और महाद्वीपों का सरकना 20 करोड़ वर्ष पहले शुरू हुआ, जिससे पांच महाद्वीपों का गठन हुआ। लगभग 14 करोड़ वर्ष पूर्व स्तनधारी जीवों का विकास हुआ, और मानव जाति (होमिनिड) की उत्पत्ति 2.6 करोड़ वर्ष पहले हुई। आधुनिक मानव का उद्भव लगभग 2 लाख वर्ष पहले हुआ। पिछले पचास हजार वर्षों में मानव ने समस्त विश्व में जाकर बसना शुरू किया। विज्ञान कहता है कि मानव द्वारा की गई अभूतपूर्व प्रगति सिर्फ 200 से 400 पीढ़ियों के दौरान हुई है, जबकि इससे पहले मानव जीवन पशुओं के समान था। Mystery of Kaliyuga

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कलियुग के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य 

  • हिन्दू धर्म में धरती के इतिहास की गाथा 5 कल्पों में बताई गई है। ये पांच कल्प है:- महत्, हिरण्य, ब्रह्म, पद्म और वराह। वर्तमान में चार कल्प बितने के बाद यह वराह कल्प चल रहा है।
  • यदि हम युगों की बात करेंगे तो 6 मन्वंतर अपनी संध्याओं समेत निकल चुके, अब 7वां मन्वंतर काल चल रहा है जिसे वैवस्वतः मनु की संतानों का काल माना जाता है।
  • 27वां चतुर्युगी (अर्थात चार युगों के 27 चक्र) बीत चुका है। और, वर्तमान में यह वराह काल 28वें चतुर्युगी का कृतयुग (सतुयग) भी बीत चुका है और यह कलियुग चल रहा है।
  • यह कलियुग ब्रह्मा के द्वितीय परार्ध में वराह कल्प के श्वेतवराह नाम के कल्प में और वैवस्वत मनु के मन्वंतर में चल रहा है। इसके चार चरण में से प्रथम चरण ही चल रहा है।
  • आर्यभट्ट के अनुसार महाभारत के युद्ध 3136 ईसा पूर्व को हुआ था। महाभारत युद्ध के 35 वर्ष पश्चात भगवान कृष्ण ने देह छोड़ दी थी तभी से कलियुग का आरंभ माना जाता है। भागवत पुराण ने अनुसार श्रीकृष्ण के देह छोड़ने के बाद 3102 ईसा पूर्व कलिकाल का प्रारंभ हुआ था। Mystery of Kaliyuga
  • श्रीमद्भागवत पुराण अनुसार शुकदेवजी, राजा परीक्षित से कहते हैं जिस समय सप्तर्षि, मघा नक्षत्र में विचरण कर रहे थे तब कलिकाल का प्रारंभ हुआ था। कलयुग की आयु देवताओं की वर्ष गणना से 1200 वर्ष की अर्थात मनुष्य की गणना अनुसार 4 लाख 32 हजार वर्ष की है।
  • युग के बारे में कहा जाता है कि 1 युग लाखों वर्ष का होता है, जैसा कि सतयुग लगभग 17 लाख 28 हजार वर्ष, त्रेतायुग 12 लाख 96 हजार वर्ष, द्वापर युग 8 लाख 64 हजार वर्ष और कलियुग 4 लाख 32 हजार वर्ष का बताया गया है।
  • वर्ष को ‘संवत्सर’ कहा गया है। 5 वर्ष का 1 युग होता है। संवत्सर, परिवत्सर, इद्वत्सर, अनुवत्सर और युगवत्सर ये युगात्मक 5 वर्ष कहे जाते हैं।
  • बृहस्पति की गति के अनुसार 60 वर्षों में 12 युग होते हैं तथा प्रत्येक युग में 5-5 वत्सर होते हैं। 12 युगों के नाम हैं- प्रजापति, धाता, वृष, व्यय, खर, दुर्मुख, प्लव, पराभव, रोधकृत, अनल, दुर्मति और क्षयप्रत्येक युग के जो 5 वत्सर हैं, उनमें से प्रथम का नाम संवत्सर है। दूसरा परिवत्सर, तीसरा इद्वत्सर, चौथा अनुवत्सर और 5वां युगवत्सर है। Mystery of Kaliyuga

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कब प्रारंभ हुआ था कलयुग?

कलियुग की शुरुआत की तिथि और समय 17/18 फरवरी 3102 ईसा पूर्व मध्यरात्रि (00:00) में हुआ था। प्रख्यात खगोलशास्त्री और गणितज्ञ आर्यभट, जिनका जन्म 476 ईस्वी में हुआ था, ने अपनी पुस्तक ‘आर्यभटीय’ को 499 ईस्वी में पूरा किया। इस पुस्तक में उन्होंने लिखा, “जब तीन युग (सतयुग, त्रेतायुग और द्वापरयुग) समाप्त हो चुके हैं और कलियुग के 60 * 60 (3,600) वर्ष बीत चुके हैं, तब मैं 23 वर्ष का हूँ।” इस आधार पर, यह माना जाता है कि कलियुग की शुरुआत 3102 ईसा पूर्व में हुई थी। इसकी गणना 3600 – (476 + 23) + 1 (क्योंकि 1 ईसा पूर्व और 1 ईस्वी के बीच कोई शून्य वर्ष नहीं है) से की जाती है। के. डी. अभ्यंकर के अनुसार, कलियुग की शुरुआत के समय एक अत्यंत दुर्लभ ग्रह संरेखण था, जो मोहनजोदड़ो की मुहरों में दर्शाया गया है। Mystery of Kaliyuga

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कौन सा कलयुग चल रहा है?

पुराणों के अनुसार 27वां चतुर्युगी (अर्थात चार युगों के 27 चक्र) बीत चुका है। और, वर्तमान में यह वराह काल 28वें चतुर्युगी का कृतयुग (सतुयग) भी बीत चुका है और यह कलियुग चल रहा है। यदि यह 28वां कलुग चल रहा है या बीत गया है। यह कलियुग, ब्रह्मा के द्वितीय परार्ध में वराह कल्प के – श्वेतवराह नाम के कल्प में और 7वें वैवस्वत मनु के मन्वंतर में चल रहा है।

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कलयुग की आयु कितनी है?

कलयुग की कुल आयु को लेकर विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में अलग-अलग मत पाए जाते हैं। हालांकि, अधिकांश धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कलयुग सबसे लंबा युग है और इसकी अवधि लाखों वर्षों में मापी जाती है। तो आइए अलग-अलग मान्यताओं के अनुसार कलयुग की आयु (Mystery of Kaliyuga) को समझने का प्रयास करते हैं :-

1. लाखों वर्ष का एक युग : कलयुग की आयु देवताओं की वर्ष गणना से 1200 वर्ष की अर्थात मनुष्य की – गणना अनुसार 4 लाख 32 हजार वर्ष की मानी जाती है। युग के बारे में कहा जाता है कि 1 युग लाखों वर्ष का होता है, जैसा कि सतयुग लगभग 17 लाख 28 हजार वर्ष, त्रेतायुग 12 लाख 96 हजार वर्ष, – द्वापर युग 8 लाख 64 हजार वर्ष और कलियुग 4 लाख 32 हजार वर्ष का बताया गया है।

2. हजारों वर्षों का एक युग: स्व. श्री परमहंस राजनारायणजी षट्शास्त्री के शोधानुसार (जनवरी 1942 के अखंड ज्योति के अंक में प्रकाशित) ‘दिवि भवं दिव्यनु’ अर्थात दिवि में प्रकट होता है वह दिव्य है। दिनों में सूर्य प्रकट होता है। अतः दिव्य केवल सूर्य को ही कहते हैं। दिवि को धु कहते हैं। धु दिन का नाम है। दिव्य वर्षों का देवताओं के वर्ष से नहीं सूर्य के वर्ष से संबंध है। चारों युग मनुष्यों के हैं इनके बराबर देवताओं का एक युग होता है। कई विद्वानों की टिप्पणी पढ़ने के बाद यह सिद्ध हुआ है कि वास्तव में सतयुग के 1200 वर्ष, त्रेता के 2400 वर्ष, द्वापर के 360 वर्ष और कलयुग के 4800 वर्ष होते हैं। Mystery of Kaliyuga

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3. वैदिक धारणा के अनुसार: ऋग्वेद के अन्य 2 मंत्रों से ‘युग’ शब्द का अर्थ काल और अहोरात्र भी सिद्ध होता है। 5वें मंडल के 76वें सूक्त के तीसरे मंत्र में ‘नहुषा युगा मन्हारजांसि दीयथः’ पद में युग शब्द का अर्थ ‘युगोपलक्षितान् कालान् प्रसरादिसवनान् अहोरात्रादिकालान् वा’ किया गया है। इससे स्पष्ट है कि उदय काल में युग शब्द का अन्य अर्थ अहोरात्र विशिष्ट काल भी लिया जाता था। ऋग्वेद के छठे मंडल के नौवें सूक्त के चौथे मंत्र में ‘युगे युगे विदध्यं’ पद में युगे युगे शब्द का अर्थ ‘काले-काले’ किया गया है। वाजसनेयी संहिता के 12वें अध्याय की 11वीं कंडिका में ‘दैव्यं मानुषा युगा’ ऐसा पद आया है। इससे सिद्ध होता है कि उस काल में देव युग और मनुष्य युग ये 2 युग प्रचलित थे। तैतिरीय संहिता के ‘या जाता ओ वधयो देवेभ्यस्त्रियुगं पुरा’ मंत्र से देव युग की सिद्धि होती है।

4. ज्योतिष मान्यता के अनुसार: धरती अपनी धूरी पर 23 घंटे 56 मिनट और 4 सेकंड अर्थात 60 घटी में 1,610 प्रति किलोमीटर की रफ्तार से घूमकर अपना चक्कर पूर्ण करती है। यही धरती अपने अक्ष पर रहकर सौर मास के अनुसार 365 दिन 5 घंटे 48 मिनट और 46 सेकंड में सूर्य की परिक्रमा पूर्ण कर लेती है, जबकि चन्द्रमास के अनुसार 354 दिनों में सूर्य का 1 चक्कर लगा लेती है। अब सौरमंडल में तो राशियां और नक्षत्र भी होते हैं। जिस तरह धरती सूर्य का चक्कर लगाती है उसी तरह वह राशि मंडल का चक्कर भी लगाती है। धरती को राशि मंडल की पूरी परिक्रमा करने या चक्कर लगाने में कुल 25,920 साल का समय लगता है। इस तरह धरती का एक भोगकाल या युग पूर्ण होता है। वैज्ञानिक कहते हैं कि लगभग 26,000 वर्ष बाद हमेशा ही उत्तर में दिखाई देने वाला ध्रुव तारा अपनी दिशा बदलकर पुनः उत्तर में दिखाई देने लगता है। Mystery of Kaliyuga

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कब समाप्त होगा कलयुग?

कलियुग के दोषों के कारण जीवों का शरीर छोटा, कमजोर और रोगग्रस्त हो जाएगा। वर्ण और आश्रम का धर्म सिखाने वाला वेद लुप्तप्राय हो जाएगा, और धर्म में पाखंड का बोलबाला होगा। राजा डाकू की तरह व्यवहार करेंगे, और मनुष्य झूठ, चोरी, और हिंसा से अपना जीवनयापन करेंगे। सभी वर्णों के लोग शूद्रों के समान हो जाएंगे। गायें छोटी और कम दूध देने वाली होंगी। वानप्रस्थी और संन्यासी, गृहस्थों की तरह व्यापार में लग जाएंगे। धान और अन्य अनाज के पौधे छोटे हो जाएंगे, और पेड़ शमी की तरह छोटे और कांटेदार होंगे। बादलों में बिजली अधिक होगी, लेकिन बारिश कम होगी। गृहस्थों के घर अतिथि-सत्कार से रहित और सूने हो जाएंगे।

कलियुग के अंत में, मनुष्यों का स्वभाव असहनीय हो जाएगा, और धर्म की रक्षा के लिए भगवान स्वयं अवतार लेंगे। विष्णुयश नामक ब्राह्मण के घर भगवान कल्कि का अवतार होगा। वे देवदत्त नामक घोड़े पर सवार होकर दुष्टों का संहार करेंगे। भगवान का तेज अनंत होगा, और वे धरती पर सर्वत्र विचरण करेंगे। जब सभी दुष्टों का नाश हो जाएगा, तब प्रजा का हृदय पवित्र हो जाएगा। कल्कि अवतार के साथ सत्ययुग का प्रारंभ होगा, और प्रजा की संतति फिर से बलवान और धर्मनिष्ठ हो जाएगी। श्रीमद्भागवत पुराण के द्वादश स्कंथ के अध्याय दो और श्लोक 24 में बताया गया है कि कलयुग कब समाप्त होगा। आइये जानते हैं ; –

यदा चन्द्रश्च सूर्यश्च तथा तिष्यबृहस्पति।

एकराशौ समेष्यन्ति भविष्यति तदा कृतम् ॥ भागवत पुराण

अर्थात : जब चंद्रमा, सूर्य और बृहस्पति कर्कट नक्षत्र में एक साथ होते हैं, और तीनों एक साथ चंद्र भवन पुष्य में प्रवेश करते हैं ठीक उसी क्षण सत्य, या कृत का युग शुरू होगा। (यानी कलयुग का अंत होकर सतयुग प्रारंभ होगा)

महाभारत के वन पर्व, अध्याय 190, श्लोक 88, 89, 90 और 91 में भी यही बात कही गई है। इसमें बताया गया है कि जब तिष्य में चंद्र, सूर्य और बृहस्पति एक ही राशि में समान अंशों पर स्थित होंगे, तब सतयुग का प्रारंभ होगा। इस संदर्भ में “तिष्य” शब्द के दो अर्थ होते हैं—पहला, पौष मास और दूसरा, पुष्य नक्षत्र। यदि पौष मास को मानें, तो सन 1942 में सतयुग की शुरुआत हो चुकी थी, क्योंकि उस समय ग्रहों और तारों की स्थिति ऐसी बनी थी। यदि पुष्य नक्षत्र को मानें, तो यह योग कृष्ण अमावस्या, संवत 2000 में बना था, जिससे कलयुग समाप्त होकर सतयुग की शुरुआत हो गई थी। यह घटना ठीक 4800 वर्षों के बाद घटी। Mystery of Kaliyuga

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