भारत का “Sarva Shiksha Abhiyan – पढ़े भारत, बढे भारत 2024 | SSA” दुनिया का सबसे सफल स्कूल कार्यक्रम है। यह 2001 में नौवीं पंचवर्षीय योजना (1997-2002) की परिणति की दिशा में शुरू किया गया था ताकि देश में प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। यह 6-14 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों की अनिवार्य शिक्षा पर केंद्रित है। दूरस्थ क्षेत्रों या ड्रॉपआउट में रहने वाले और समय पर स्कूल में शामिल नहीं होने वाले बच्चों के लिए शिक्षा गारंटी योजना और वैकल्पिक अभिनव शिक्षा योजना (Education Guarantee Scheme and Alternative Innovative Education Scheme) इस Sarva Shiksha Abhiyan (SSA) योजना के दो घटक हैं।
एसएसए स्कूल प्रणाली के प्रदर्शन को बेहतर बनाने और सामुदायिक स्वामित्व वाली प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने का एक प्रयास है। यह प्राथमिक शिक्षा में लिंग और सामाजिक विषमताओं को दूर करने की परिकल्पना करता है। इसमें लड़कियों, एससी और एसटी, विकलांग बच्चों और वंचित बच्चों की शैक्षिक आवश्यकताओं पर विशेष ध्यान दिया गया है। यह स्कूल प्रणाली के सामुदायिक-स्वामित्व द्वारा प्राथमिक शिक्षा को सार्वभौमिक बनाने का भी एक प्रयास है।
Also, read: महात्मा गांधी राष्ट्रीय फैलोशिप योजना | Mahatma Gandhi National Fellowship | MGNF
सर्व शिक्षा अभियान – पढ़े भारत, बढे भारत 2024 | Sarva Shiksha Abhiyan – Padhe Bharat, Badhe Bharat 2024 | SSA | सभी के लिए शिक्षा | Education for All
भारत में बच्चों को साक्षर करने की दिशा में चलाये जा रहे कार्यक्रमों के परिणामस्वरूप वर्ष 2000 के अन्त तक भारत में 94 प्रतिशत ग्रामीण बच्चों को उनके आवास से 1 किमी की दूरी पर प्राथमिक विद्यालय एवं 3 किमी की दूरी पर उच्च प्राथमिक विद्यालय की सुविधाएँ उपलब्ध थीं। अनुसूचित जाति व जनजाति वर्गों के बच्चों तथा बालिकाओं का अधिक से अधिक संख्या में स्कूलों में नामांकन कराने के उद्देश्य से विशेष प्रयास किये गये। प्रथम पंचवर्षीय योजना से लेकर प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में नामांकन लेने वाले बच्चों की संख्या एवं स्कूलों की संख्या मे निरंतर वृद्धि हुई है। 1950-51 में जहाँ प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए 3.1 मिलियन बच्चों ने नामांकन लिया था वहीं 1997-98 में इसकी संख्या बढ़कर 39.5 मिलियन हो गई। उसी प्रकार 1950-51 में प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों की संख्या 0.223 मिलियन थी जिसकी संख्या 1996-97 में बढ़कर 0.775 मिलियन हो गई। एक अनुमान के मुताबिक़ वर्ष 2002-03 में 6-14 आयु वर्ग के 82 प्रतिशत बच्चों ने विभिन्न विद्यालयों में नामांकन लिया था।
‘सर्व शिक्षा अभियान’ भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है, जिसकी शुरूआत अटल बिहारी बाजपेयी द्वारा एक निश्चित समयावधि के तरीके से प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण को प्राप्त करने के लिए किया गया, जैसा कि भारतीय संविधान के 86वें संशोधन द्वारा निर्देशित किया गया है जिसके तहत 6-14 साल के बच्चों (2001 में 205 मिलियन अनुमानित) की मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के प्रावधान को मौलिक अधिकार बनाया गया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य 2010 तक संतोषजनक गुणवत्ता वाली प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण को प्राप्त करना है। एसएसए (SSA) में 8 मुख्य कार्यक्रम हैं। इसमें आईसीडीएस (ICDS) और आंगनवाड़ी आदि शामिल हैं। इसमें केजीबीवीवाई (KGBVY) भी शामिल है। कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना की शुरूआत 2004 में हुई जिसमें सारी लड़कियों को प्राथमिक शिक्षा देने का सपना देखा गया, बाद में यह योजना Sarva Shiksha Abhiyan (SSA) के साथ विलय हो गई।
Also, read: ग्राम पंचायत विकास योजना | Gram Panchyat Vikas Yojana | GPVY
सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत क्रियान्वित क्षेत्र कौन-कौन से हैं? | What are the areas implemented under Sarva Shiksha Abhiyan?
- वैकल्पिक स्कूली व्यवस्था
- विशेष ज़रूरतमंद बच्चे
- सामुदायिक एकजुटता या संघटन
- बालिका शिक्षा
- प्रारंभिक शिक्षा की गुणवत्ता
Also, read: राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान | Rastriya Gram Swaraj Abhiyan | RGSA
सर्व शिक्षा अभियान के उद्देश्य | Objectives of Sarva Shiksha Abhiyan
शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2010 के पारित होने के बाद, एसएसए अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाता है। उद्देश्य पाठ्यक्रम, शिक्षक शिक्षा, शैक्षिक योजना और प्रबंधन पर सकारात्मक प्रभाव लाना चाहते हैं। एसएसए के व्यापक उद्देश्य नीचे उल्लिखित हैं:
- उन बस्तियों में नए स्कूल खोलना जहां स्कूली शिक्षा की सुविधाएं नहीं हैं
- मौजूदा स्कूल के बुनियादी ढांचे को मजबूत करना
- वैकल्पिक स्कूली शिक्षा सुविधाएं प्रदान करना
- नये विद्यालयों का निर्माण करना
- स्कूलों में अतिरिक्त कक्षाएँ, शौचालय, पेयजल सुविधाएँ जोड़ना
- विद्यालय सुधार अनुदान बनाए रखना
- बच्चों को निःशुल्क पाठ्यपुस्तकें, गणवेश उपलब्ध कराना
- जिन विद्यालयों में शिक्षकों की कमी है, वहां शिक्षकों की संख्या बढ़ाना। ऐसे विद्यालयों को अतिरिक्त शिक्षक उपलब्ध कराये जाते हैं
- स्कूलों में मौजूदा शिक्षकों के कौशल और क्षमता को बढ़ाने और मजबूत करने के लिए:
- व्यापक प्रशिक्षण
- अनुदानों को कायम रखकर शिक्षक-अध्ययन की सामग्री विकसित की जाती है
- क्लस्टर, ब्लॉक और जिला स्तर पर शैक्षणिक सहायता संरचना को मजबूत किया जा रहा है
- विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ-साथ जीवन कौशल भी प्रदान करना
- लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देना (महिलाओं की स्थिति में बदलाव लाना, यह व्यापक उद्देश्य है) और दिव्यांगों या विशेष आवश्यकता वाले बच्चों की शिक्षा को भी बढ़ावा देना। इसके अलावा, मानव संसाधन और विकास मंत्रालय का उल्लेख है कि Sarva Shiksha Abhiyan (SSA) निम्नलिखित लोगों के बच्चों को शिक्षा में समान अवसर प्रदान करना चाहता है:
- अनुसूचित जाति
- अनुसूचित जनजाति
- मुस्लिम अल्पसंख्यक
- भूमिहीन कृषि मजदूर, आदि
- परंपरागत रूप से बहिष्कृत श्रेणियों की शैक्षिक आवश्यकताओं को समझना
- Sarva Shiksha Abhiyan (SSA) बच्चों को कंप्यूटर शिक्षा प्रदान करके डिजिटल विभाजन को पाटने का भी प्रयास करता है
- प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण (Universalization of Primary Education (UEE) के तहत फोकस के मुख्य क्षेत्र हैं:
- सार्वभौमिक पहुँच
- सार्वभौमिक नामांकन
- सार्वभौमिक प्रतिधारण
- सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक शिक्षा
Also, read: प्रधानमंत्री आयुष्मान मित्र योजना 2024 | Prime Minister Ayushman Mitra Yojana 2024
सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण के लिए संवैधानिक, कानूनी और राष्ट्रीय घोषणा | Constitutional, legal and national declaration for universalization of primary education under Sarva Shiksha Abhiyan
- संवैधानिक अधिदेश, 1950 – “संविधान के सेवारम्भ से दस साल के भीतर राज्य, जब तक बच्चे 14 साल पूरा नहीं करते तब तक सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा मुहैया करवाएगा. ”
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 – “यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इक्कीसवीं सदी में प्रवेश करने से पहले 14 साल के सभी बच्चों को संतोषजनक गुणवत्ता में मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान की जायेगी.”
- उन्नीकृष्णन फैसला, 1993 – “इस देश के 14 वर्ष तक के प्रत्येक शिशु/नागरिक के पास मुफ्त शिक्षा पाने का अधिकार होता है।” उपस्थिति कम होने के चलते मध्याह्न भोजन की शुरूआत की गई थी।
Also, read: राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्धन योजना | National Apprenticeship Promotion Scheme | NAPS
सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत उपलब्धियाँ | Achievements under Sarva Shiksha Abhiyan
- सर्व शिक्षा अभियान में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। स्कूलों में बच्चों का दाखिला बढा है, बालक-बालिका भेदभाव तथा सामाजिक दूरियों में कमी आई है। प्राथमिक स्तर पर स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं में कमी काफी हद तक दूर हुई है।
- अभियान के तहत 1.29 लाख से ज्यादा स्कूल खोले गए हैं, 1.06 लाख विद्यालय भवनों का निर्माण किया गया है, 3.30 लाख अतिरिक्त कमरे बनाए गए हैं, 1.62 लाख पेयजल सुविधाओं तथा 2.22 लाख शौचालयों का निर्माण किया गया है।
- एक किलोमीटर के दायरे में प्राथमिक विद्यालय तथा 3 किलोमीटर के दायरे में उच्च प्राथमिक विद्यालयों की उपलब्धता क्रमिक रूप से बढ रही है। अधिसंख्य शिक्षा गारंटी स्कीम (ईजीएस) और वैकल्पिक तथा अभिनव शिक्षा (एआईई) विद्यालयों को मुख्यधारा में जोड़ा जा चुका है और इससे कई बच्चों को नियमित स्कूलों में पढने क़ा अवसर मिला है।
- देश प्राथमिक स्तर पर सभी बच्चों को दाखिले के मामले में लक्ष्य के नजदीक पहुंच रहा है। 6 से 14 वर्ष के आयु समूह के 94 प्रतिशत बच्चे इस समय स्कूलों में दाखिला ले चुके हैं। नवीनतम सकल दाखिला अनुपात (जीईआर) आंकड़ों से उल्लेखनीय प्रगति का पता चलता है।
- 2003-04 में यह अनुपात 90 प्रतिशत था जो 2004-05 में बढक़र 98 प्रतिशत तक पहुंच गया। इसी प्रकार शुध्द दाखिला अनुपात (एनईआर) भी इस अवधि में 72 प्रतिशत से बढक़र 82 प्रतिशत पहुंच गया है। उच्च प्राथमिक स्कूलों में दाखिला हर वर्ष 10 प्रतिशत के हिसाब से बढ रहा है। बालक-बालिका भेदभाव लगभग समाप्त हो गया है। बालक-बालिका समानता सूचकांक (जीपीआई) में वृध्दि इसका परिचायक है।
- कई राज्यों में प्राथमिक स्तर पर यह सूचकांक 90 से ऊपर पहुंच चुका है। प्राथमिक स्तर पर जीपीआई बढक़र 83 पर पहुंच गया है।
- वर्ष 2001-02 में 39 प्रतिशत बच्चे बीच में ही पढार्ऌ छोड़ जाते थे। इनकी संख्या में गिरावट आई है और 2003-04 में यह प्रतिशत गिरकर 31 प्रतिशत रह गया है। बीच में पढार्ऌ छोड़ जाने वाले छात्रों की तुलना में छात्राओं की संख्या ज्यादा थी। वर्ष 2001-02 में 40 प्रतिशत बालिकाएं बीच में ही पढार्ऌ छोड़ जाती थीं।
- वर्ष 2003-04 में यह प्रतिशत 28 रह गया है, लेकिन अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजातियों के 37 और 49 प्रतिशत बच्चे अभी भी बीच में पढार्ऌ छोड़ जाते हैं और यह अभी भी एक चुनौती भरा मुद्दा बना हुआ है।
- 2003 में 205 करोड़ बच्चे स्कूल नहीं जा रहे थे। 31 मार्च, 2006 को ऐसे बच्चों की संख्या घटकर 73 लाख रह गई है। लेकिन अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा अल्पसंख्यक वर्ग के अधिकांश बच्चों का स्कूल न जाना अभी भी एक चुनौती बना हुआ है। अब ज्यादा ध्यान ऐसे ही बच्चों को स्कूली व्यवस्था में दाखिल कराने पर दिया जा रहा है।
- सर्व शिक्षा अभियान के तहत राज्यों में शिक्षण की गुणवत्ता में सुधार पर और ज्यादा जोर दिया जा रहा है।
- सर्व शिक्षा अभियान या सभी के लिए शिक्षा कार्यक्रम एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कार्यक्रम है। इसका उद्देश्य राज्यों की सहभागिता से 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को समयबध्द तौर तरीकों से प्राथमिक शिक्षा उपलब्ध कराना है।
Also, read: एनीमिया मुक्त भारत अभियान | Anemia Mukt Bharat Abhiyan | AMBA
सर्व शिक्षा अभियान के तहत कुछ शुरुवाती पहल | Some initial initiatives under Sarva Shiksha Abhiyan
सर्व शिक्षा अभियान भारत के शैक्षिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण बना हुआ है, जो सार्वभौमिक प्रारंभिक शिक्षा के लिए प्रयास कर रहा है और स्कूली शिक्षा प्रणाली के विभिन्न पहलुओं पर सकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। मंत्रालयों और योजनाओं का अभिसरण इसके व्यापक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एक सहयोगात्मक दृष्टिकोण को दर्शाता है। सर्व शिक्षा अभियान के तहत कुछ पहल की गयी है, जिससे की इस अभियान को सुचारु रूप से चलाया जा सके | नीचे दिखाई गई टेबल के माध्यम से आप इस अभियान के तहत की गई पहलों को जान सकते हैं |
पढ़े भारत बढ़े भारत | उद्देश्य – कक्षा I और कक्षा II के बच्चों के पढ़ने और लिखने के कौशल और उनके गणित कौशल में सुधार करना। इसमें एक जुड़वां-ट्रैक दृष्टिकोण है:
|
शगुन पोर्टल | एसएसए की प्रगति की निगरानी के लिए इसे 2017 में लॉन्च किया गया था। |
शाला – सिद्धि | स्कूल मानक मूल्यांकन कार्यक्रम (शाला-सिद्धि) एक पहल है जो एसएसए के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता करती है। |
स्वच्छ विद्यालय | राष्ट्रीय अभियान – स्वच्छ भारत: स्वच्छ विद्यालय
उद्देश्य – यह सुनिश्चित करना कि भारत के प्रत्येक स्कूल में कामकाजी और सुव्यवस्थित जल, स्वच्छता और स्वच्छता सुविधाएं हों। |
Also, read: तेजस कौशल प्रशिक्षण परियोजना | Tejas Skill Training Project | TEJAS
सर्व शिक्षा अभियान की सीमाएँ क्या हैं? | What are the limitations of Sarva Shiksha Abhiyan?
- मुफ़्त शिक्षा, पाठ्यपुस्तकें और वर्दी के प्रावधान के बावजूद, भारत के विभिन्न क्षेत्रों में, विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्रों में, कई माता-पिता अपने बच्चों को स्कूलों में दाखिला दिलाने से झिझकते हैं।
- जबकि सरकार मुफ्त शिक्षा प्रदान करती है, अतिरिक्त खर्च, विशेष रूप से आर्थिक रूप से वंचित परिवारों के लिए बोझ, उन्हें अपने बच्चों को स्कूल भेजने से रोकते हैं।
- गैर सरकारी संगठन प्रथम की एएसईआर रिपोर्ट के अनुसार, कक्षा तीन के 78% छात्र और कक्षा 4 के 50% छात्र कक्षा 2 के स्तर का पाठ पढ़ने के लिए संघर्ष करते हैं।
- आरटीई मानदंडों के अनुसार छात्र-शिक्षक अनुपात को पूरा करने में लगभग 6,89,000 शिक्षकों की भारी कमी है।
- एसएसए में अपर्याप्त जवाबदेही के परिणामस्वरूप कम उपस्थिति और निम्न शिक्षण परिणाम होते हैं।
- उल्लेखनीय ड्रॉपआउट दर के बावजूद, 1.4 मिलियन छात्र अभी भी 6-11 वर्ष की आयु के बीच अपनी शिक्षा बंद कर देते हैं।
Also, read: स्ट्राइव योजना | Strive Yojana | STRIVE
FAQs
Q. Sarva Shiksha Abhiyan (SSA) क्या है?
एसएसए भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों के लिए मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करना है। इसका लक्ष्य सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक शिक्षा तक पहुंच प्रदान करना और उन्हें सामाजिक रूप से सक्षम और राष्ट्रीय विकास में योगदान करने के लिए तैयार करना है।
Q. Sarva Shiksha Abhiyan (SSA) की शुरुआत कब हुई थी?
एसएसए की शुरुआत 2001 में हुई थी और इसे 86वें संविधान संशोधन द्वारा समर्थित किया गया था, जिसने 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए शिक्षा को एक मौलिक अधिकार बना दिया।
Q. SSA के मुख्य उद्देश्य क्या हैं?
- सभी बच्चों के लिए नामांकन, प्रतिधारण और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करना।
- लिंगभेद और सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को दूर करना।
- सभी स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं और संसाधनों का विकास करना।
- शिक्षकों को प्रशिक्षित करना और उनका क्षमता निर्माण करना।
- समुदायों को शिक्षा में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना।
Also, read: संकल्प योजना | Sankalp Yojana | SANKALP
Q. एसएसए ने शिक्षा के क्षेत्र में क्या प्रगति की है?
एसएसए ने नामांकन दर में वृद्धि, लिंगभेद में कमी और साक्षरता दर में सुधार सहित शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है।
Q. Sarva Shiksha Abhiyan (SSA) के सामने क्या चुनौतियां हैं?
एसएसए को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित करने, स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं में सुधार करने और शिक्षकों की कमी को दूर करने जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
Q. मैं एसएसए के बारे में अधिक जानकारी कैसे प्राप्त कर सकता हूं?
आप एसएसए के बारे में अधिक जानकारी http://ssa.nic.in/ पर प्राप्त कर सकते हैं।
Q. Sarva Shiksha Abhiyan (SSA), भारत के शिक्षा क्षेत्र के लिए भविष्य में क्या है?
Sarva Shiksha Abhiyan (SSA), भारत के शिक्षा क्षेत्र को मजबूत बनाने और सभी बच्चों के लिए बेहतर भविष्य सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
Also, read: राष्ट्रीय कौशल विकास निगम | National Skills Development Corporation | NSDC
Also, read: राष्ट्रीय वायोश्री योजना 2024 | Rashtriya Vayoshri Yojana 2024 | RVY
Also, read: वन रैंक, वन पेंशन योजना 2024 | One Rank, One Pension Yojana 2024 | OROP
Also, read: स्किल इंडिया डिजिटल योजना | Skill India Digital Yojana | SIDY
Also, read: स्वदेश दर्शन 2.0 योजना | Swadesh Darshan 2.0 Scheme | SD 2.0
Also, read: स्वदेश दर्शन योजना 2024 | Swadesh Darshan Yojana 2024 | SDY
Also, read: वरिष्ठ नागरिक बचत योजना 2024 | Older Citizen Savings Scheme 2024 | SCSS