शेयर बाजार में Derivative क्या हैं? जानिए इसके प्रकार और फायदे!

Derivatives क्या हैं? जानिए इसकी परिभाषा, प्रकार, प्रक्रिया और फायदे!

अगर आप शेयर बाजार (Stock Market), कमोडिटी मार्केट (Commodity Market) या करेंसी मार्केट में निवेश करते हैं, तो आपने डेरिवेटिव्स Derivative का नाम जरूर सुना होगा। लेकिन यह होता क्या है? सरल शब्दों में कहें तो डेरिवेटिव्स एक ऐसा फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट है, जिसकी कीमत किसी दूसरी एसेट (जैसे स्टॉक, कमोडिटी, करेंसी, या इंडेक्स) पर निर्भर करती है। यह एक तरह का अनुबंध (Contract) होता है, जिसमें दो पार्टियाँ भविष्य में किसी निश्चित तारीख पर किसी संपत्ति (Asset) को तय कीमत पर खरीदने या बेचने का समझौता करती हैं।

डेरिवेटिव्स का उपयोग मुख्य रूप से जोखिम प्रबंधन (Risk Management), हेजिंग (Hedging), और ट्रेडिंग से मुनाफा कमाने के लिए किया जाता है। यह बाजार में उतार-चढ़ाव से बचने और अपने निवेश को सुरक्षित रखने का एक प्रभावी तरीका माना जाता है। इस ब्लॉग में हम डेरिवेटिव्स के प्रकार, इसके फायदे और यह कैसे काम करता है, इसे सरल भाषा में समझेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं!

Also, read: Delivery Trading क्या है? निवेश से पहले जाने इसके फायदे और नुकसान!

showing the image of derivative in hindi

डेरिवेटिव क्या हैं? | What are derivatives?

Derivatives एक ऐसा वित्तीय अनुबंध (Financial Contract) है, जिसकी कीमत किसी दूसरी संपत्ति (Asset) जैसे स्टॉक, मुद्रा, कमोडिटी, या बांड (Bonds) पर निर्भर करती है। इसका उपयोग मुख्य रूप से निवेशकों द्वारा जोखिम कम करने (Risk Management) और ट्रेडिंग से मुनाफा कमाने के लिए किया जाता है।

डेरिवेटिव का उपयोग कई क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे विदेशी मुद्रा (Forex), स्टॉक मार्केट (Stock Market), सरकारी बांड, बिजली, मौसम और कमोडिटी मार्केट (Commodity Market)। उदाहरण के लिए, ऊर्जा से जुड़े डेरिवेटिव को “ऊर्जा डेरिवेटिव” कहा जाता है।

भारतीय प्रतिभूति अनुबंध (विनियमन) अधिनियम, 1956 के अनुसार, डेरिवेटिव को दो भागों में बांटा जा सकता है:

  1. ऐसे अनुबंध जो स्टॉक, बॉन्ड, ऋण, या अन्य वित्तीय साधनों से जुड़े होते हैं।
  2. ऐसे अनुबंध जिनका मूल्य किसी संपत्ति, कीमतों के सूचकांक, या बाजार में होने वाले बदलावों पर आधारित होता है।

सरल शब्दों में, डेरिवेटिव्स एक ऐसा ट्रेडिंग टूल है जो निवेशकों को बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाने और सही रणनीति अपनाकर मुनाफा कमाने में मदद करता है।

Also, read: क्या है Swing Trading और क्यों है ये शॉर्ट टर्म निवेशकों के लिए बेस्ट?

डेरिवेटिव के प्रकार | Types of Derivatives

डेरिवेटिव एक वित्तीय अनुबंध (Financial Contract) है, जिसकी कीमत किसी अन्य संपत्ति जैसे स्टॉक, करेंसी, कमोडिटी आदि पर निर्भर करती है। इसका उपयोग निवेशक जोखिम कम करने (Hedging), बाजार के उतार-चढ़ाव से बचने और मुनाफा कमाने के लिए करते हैं। डेरिवेटिव्स के मुख्य रूप से चार प्रकार होते हैं:

1. ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट (Options Contract)

इस कॉन्ट्रैक्ट के तहत, खरीदार को यह अधिकार मिलता है कि वह किसी संपत्ति को एक तय कीमत पर एक निश्चित समय के अंदर खरीद या बेच सके। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि वह इस अधिकार का इस्तेमाल करे। इसमें दो प्रकार होते हैं:

  • कॉल ऑप्शन (Call Option) – कॉल ऑप्शन वह अनुबंध होता है जिसमें खरीदार को यह अधिकार मिलता है कि वह किसी संपत्ति (जैसे स्टॉक, कमोडिटी, करेंसी) को एक तय कीमत पर एक निश्चित समय के अंदर खरीद सके।
    • उदाहरण:
      मान लीजिए कि किसी स्टॉक की वर्तमान कीमत ₹500 है, और आपने ₹550 के कॉल ऑप्शन को खरीदा है। अगर भविष्य में इस स्टॉक की कीमत ₹600 हो जाती है, तो आप इसे ₹550 में खरीदकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। लेकिन अगर स्टॉक की कीमत गिरकर ₹450 हो जाती है, तो आप अपने ऑप्शन का उपयोग न करके केवल दिया गया प्रीमियम खो देंगे। फायदा: जब बाजार की कीमत बढ़ती है, तो कॉल ऑप्शन से मुनाफा हो सकता है। नुकसान: अगर कीमत नहीं बढ़ती या गिर जाती है, तो निवेशक सिर्फ प्रीमियम खो सकता है।

  • पुट ऑप्शन (Put Option) – पुट ऑप्शन वह अनुबंध होता है जिसमें खरीदार को यह अधिकार मिलता है कि वह किसी संपत्ति को एक निश्चित कीमत पर एक तय समय के भीतर बेच सके।
    • उदाहरण:
      मान लीजिए कि किसी स्टॉक की वर्तमान कीमत ₹500 है, और आपने ₹450 के पुट ऑप्शन को खरीदा है। अगर भविष्य में स्टॉक की कीमत ₹400 हो जाती है, तो आप इसे ₹450 में बेचकर मुनाफा कमा सकते हैं। लेकिन अगर स्टॉक की कीमत बढ़कर ₹550 हो जाती है, तो आप अपने पुट ऑप्शन का उपयोग नहीं करेंगे और आपको केवल प्रीमियम का नुकसान होगा।फायदा: जब बाजार की कीमत गिरती है, तो पुट ऑप्शन से मुनाफा हो सकता है। नुकसान: अगर कीमत नहीं गिरती, तो निवेशक सिर्फ प्रीमियम खो सकता है।

Also, read: Options Trading क्या होता है? और यह काम कैसे करता है?

2. फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट (Futures Contract)

फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट एक वित्तीय अनुबंध (Financial Contract) होता है, जिसमें दो पक्ष किसी संपत्ति (Asset) को एक निश्चित कीमत पर भविष्य की किसी तारीख पर खरीदने या बेचने के लिए बाध्य होते हैं। यह अनुबंध शेयर बाजार, कमोडिटी, करेंसी और अन्य वित्तीय बाजारों में ट्रेडिंग के लिए उपयोग किया जाता है।

उदाहरण:
मान लीजिए कि एक किसान को उम्मीद है कि अगले तीन महीनों में गेहूं की कीमत ₹25 प्रति किलो से कम हो सकती है, लेकिन वह अपने मुनाफे को सुरक्षित रखना चाहता है। दूसरी ओर, एक व्यापारी सोचता है कि गेहूं की कीमत बढ़ सकती है।

  • किसान फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट के जरिए पहले से ही गेहूं को ₹25 प्रति किलो पर बेचने का समझौता कर लेता है।
  • अगर तीन महीने बाद बाजार में गेहूं की कीमत ₹20 प्रति किलो हो जाती है, तो किसान को कोई नुकसान नहीं होगा क्योंकि वह पहले से तय कीमत (₹25) पर गेहूं बेच सकता है।
  • अगर कीमत ₹30 हो जाती है, तो व्यापारी को फायदा होगा क्योंकि उसने गेहूं को ₹25 प्रति किलो के हिसाब से पहले ही खरीद लिया था।

फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट कई प्रकार के होते हैं, जैसे:

  • करेंसी फ्यूचर्स (Currency Futures)
  • इंडेक्स फ्यूचर्स (Index Futures)
  • कमोडिटी फ्यूचर्स (Commodity Futures)

Also, read: Future Trading क्या होता है? इसमें पैसा लगाना सही है या जोखिम भरा?

3. फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट (Forward Contract)

फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट एक वित्तीय अनुबंध (Financial Contract) है, जिसमें दो पक्ष एक निश्चित तिथि पर, एक निश्चित कीमत पर किसी संपत्ति (Asset) की खरीद या बिक्री के लिए सहमति देते हैं। यह अनुबंध ओवर-द-काउंटर (OTC) मार्केट में किया जाता है, यानी इसे स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध नहीं किया जाता। इसका मुख्य उद्देश्य कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव से बचाव (Hedging) और जोखिम को कम करना है। इसे मुख्य रूप से कमोडिटी, मुद्रा (Forex), स्टॉक्स और ब्याज दरों से जुड़े निवेशकों द्वारा उपयोग किया जाता है।

4. स्वैप कॉन्ट्रैक्ट (Swap Contract)

स्वैप एक वित्तीय अनुबंध (Financial Contract) है, जिसमें दो पक्ष अपने वित्तीय दायित्वों या नकदी प्रवाह (Cash Flow) को आपस में एक्सचेंज (अदला-बदली) करते हैं। यह आमतौर पर ब्याज दर, मुद्रा (करेंसी), या किसी अन्य वित्तीय साधन पर आधारित होता है। स्वैप का उपयोग मुख्य रूप से जोखिम कम करने (Hedging), नकदी प्रवाह प्रबंधन और वित्तीय अनिश्चितताओं को संभालने के लिए किया जाता है। इसमें दोनों पक्ष एक समझौते के तहत तय समय सीमा तक एक-दूसरे को भुगतान करने के लिए बाध्य होते हैं।

Also, read: Scalping Trading क्या होता है? जानिए इसके फायदे और नुकसान!

डेरिवेटिव्स की ट्रेडिंग कैसे करें? | How to trade Derivative?

हर वित्तीय बाजार आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक कारकों से प्रभावित होता है। इनमें से किसी एक भी कारक में बदलाव होने से बाजार में बड़ा उतार-चढ़ाव आ सकता है। इसलिए, बाजार की वर्तमान स्थिति और उन कारकों को समझना जरूरी है जो उसे प्रभावित कर सकते हैं। अगर आप पहले से इन बदलावों के लिए तैयार रहेंगे, तो बेहतर निवेश निर्णय ले पाएंगे।

डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग से पैसा कमाने के लिए इन स्टेप्स को फॉलो करें:

स्टेप 1: ट्रेडिंग अकाउंट खोलें

डेरिवेटिव्स में ट्रेडिंग शुरू करने के लिए सबसे पहले एक ऑनलाइन ट्रेडिंग अकाउंट खोलना जरूरी है। अगर आप किसी दलाल (Broker) के माध्यम से ट्रेडिंग कर रहे हैं, तो आप फोन या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए ऑर्डर दे सकते हैं। ट्रेडिंग अकाउंट खोलने की पूरी प्रक्रिया जानने के लिए क्लिक करें- Trading Account

स्टेप 2: मार्जिन अमाउंट जमा करें

डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग शुरू करने के लिए आपको मार्जिन अमाउंट (Margin Amount) जमा करना होता है। यह राशि तब तक निकाली नहीं जा सकती जब तक कि अनुबंध (Contract) पूरा न हो जाए और ट्रेडिंग समाप्त न हो जाएअगर आपका मार्जिन बैलेंस न्यूनतम निर्धारित सीमा से कम हो जाता है, तो आपको “मार्जिन कॉल” मिलेगा, जिसमें आपको बैलेंस दोबारा पूरा करना होगा।

स्टेप 3: अंडरलाइंग एसेट (Underlying Asset) को समझें

किसी भी Derivative कॉन्ट्रैक्ट में निवेश करने से पहले यह समझना महत्वपूर्ण है कि जिस संपत्ति (Asset) पर आप ट्रेड कर रहे हैं, उसकी कीमतें किन कारणों से बदल सकती हैं। बाजार की स्थिति, आर्थिक नीतियों, सरकारी फैसलों, वैश्विक घटनाओं और मांग-आपूर्ति के उतार-चढ़ाव का सीधा प्रभाव इसकी कीमत पर पड़ता है। सही निर्णय लेने के लिए इन सभी कारकों पर नजर रखना जरूरी है।

स्टेप 4: सही ट्रेडिंग रणनीति अपनाएं

डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग में संभावित लाभ और जोखिम दोनों अधिक होते हैं, इसलिए एक ठोस रणनीति बनाना जरूरी है। आप हेजिंग (Hedging) के जरिए जोखिम को कम कर सकते हैं, स्पेकुलेशन (Speculation) से शॉर्ट टर्म मुनाफा कमा सकते हैं, और आर्बिट्राज (Arbitrage) का उपयोग कर बाजार के प्राइस अंतर का फायदा उठा सकते हैं। ट्रेडिंग शुरू करने से पहले अपनी जोखिम सहनशीलता (Risk Tolerance) का मूल्यांकन जरूर करें।

स्टेप 5: अनुबंध (Contract) की समय सीमा का ध्यान रखें

हर डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट की एक निश्चित समाप्ति तिथि (Expiry Date) होती है। ट्रेडिंग करते समय यह तय करना जरूरी है कि आप इसे कब तक होल्ड करना चाहते हैं। कुछ ट्रेडर्स अवधि पूरी होने से पहले ही अनुबंध बेचकर मुनाफा बुक कर लेते हैं, जबकि कुछ इसे पूरी अवधि तक बनाए रखते हैं। सही निर्णय लेने के लिए बाजार की स्थितियों और अपने निवेश लक्ष्यों को ध्यान में रखें।

Also, read: Margin Trading क्या है? जानिए इसका अर्थ, लाभ जोखिम और कार्य प्रणाली!

डेरिवेटिव्स के फायदे | Advantages of Derivatives 

Derivative कई महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करते हैं, जिनमें जोखिम प्रबंधन, मूल्य खोज, नई बाजारों तक पहुंच, बाजार की दक्षता और लीवरेज शामिल हैं। ये वित्तीय साधन निवेशकों को कम पूंजी में भी अधिक जोखिम उठाने और अपने पोर्टफोलियो को सुरक्षित रखने का अवसर देते हैं। आइए विस्तार से इनके लाभों को समझते हैं।

1. जोखिम प्रबंधन (Risk Management): डेरिवेटिव्स का सबसे बड़ा फायदा जोखिम को कम करना है। इनका उपयोग मूल संपत्तियों (Underlying Assets) की कीमतों में उतार-चढ़ाव से सुरक्षा के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी निवेशक को शेयर बाजार में गिरावट का डर है, तो वह हेजिंग के माध्यम से अपने निवेश को सुरक्षित कर सकता है।

2. मूल्य खोज (Price Discovery): डेरिवेटिव्स भविष्य में संपत्तियों की संभावित कीमतों का अनुमान लगाने में मदद करते हैं। इससे निवेशकों और ट्रेडर्स को यह समझने में आसानी होती है कि बाजार की दिशा किस ओर जा सकती है। इससे वे सटीक और सूचित निर्णय ले सकते हैं।

3. नए बाजारों और संपत्तियों तक पहुंच (Access to New Markets and Assets): कई बार कुछ वित्तीय संपत्तियाँ या बाजार प्रत्यक्ष रूप से उपलब्ध नहीं होते, लेकिन डेरिवेटिव्स के माध्यम से निवेशक उन तक पहुंच बना सकते हैं। उदाहरण के लिए, विदेशी मुद्राओं (Forex), अंतरराष्ट्रीय कमोडिटीज़ और अन्य जटिल वित्तीय उत्पादों में निवेश करना डेरिवेटिव्स के जरिए संभव हो जाता है।

4. बाजार की दक्षता में वृद्धि (Market Efficiency): डेरिवेटिव्स से बाजार अधिक तरल (Liquid) और कुशल (Efficient) बनता है। यह वित्तीय प्रणाली में पूंजी के प्रवाह को बेहतर बनाता है और संपत्तियों की अधिक सटीक कीमत निर्धारण (Fair Pricing) में मदद करता है।

5. लीवरेज का लाभ (Leverage Benefit): डेरिवेटिव्स निवेशकों को कम पूंजी में भी बड़े सौदे (High Volume Trades) करने का अवसर देते हैं। यानी, छोटे निवेश के साथ भी वे बड़ी रकम पर ट्रेड कर सकते हैं। हालांकि, यह फायदे के साथ-साथ उच्च जोखिम भी लाता है, क्योंकि अगर बाजार विपरीत दिशा में चला गया, तो नुकसान भी बड़ा हो सकता है।

Also, read: Algo Trading क्या है? क्या यह आपके लिए फायदेमंद है?

डेरिवेटिव्स के नुकसान | Disadvantages of Derivatives

डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग, यदि सही जानकारी और रिसर्च के साथ की जाए, तो हेजिंग (Hedging) और मुनाफा बढ़ाने का अच्छा जरिया बन सकती है। लेकिन ये वित्तीय साधन (Financial Instruments) अपनी जटिलता के कारण कुछ जोखिम भी लेकर आते हैं, जो निवेशकों और कंपनियों के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं।

1. उच्च जोखिम (High Risk)

  • डेरिवेटिव्स की कीमतें बाजार की मांग और आपूर्ति पर निर्भर होती हैं और बहुत अस्थिर (Volatile) हो सकती हैं।
  • बाजार में अचानक उतार-चढ़ाव आने पर निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
  • सही रणनीति न होने पर, यह ट्रेडिंग वित्तीय संकट का कारण बन सकती है।

2. अटकलों पर निर्भरता (Speculation-Based Trading)

  • डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग का एक बड़ा हिस्सा भविष्य की कीमतों का अनुमान लगाने पर आधारित होता है।
  • अगर कोई गलत भविष्यवाणी करता है या बाजार विपरीत दिशा में चला जाता है, तो भारी नुकसान हो सकता है।
  • अनुभवी निवेशक भी कई बार इस अस्थिरता का सही अनुमान नहीं लगा पाते।

3. प्रतिपक्ष जोखिम (Counterparty Risk)

  • फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट तो रेगुलेटेड एक्सचेंजों पर ट्रेड किए जाते हैं, लेकिन ऑप्शन और फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट्स आमतौर पर ओवर-द-काउंटर (OTC) ट्रेड होते हैं।
  • इसका मतलब यह है कि यदि दूसरी पार्टी भुगतान करने में विफल हो जाती है, तो ट्रेडिंग करने वाले को बड़ा नुकसान हो सकता है।
  • इसका कोई निश्चित सुरक्षा तंत्र नहीं होता, जिससे यह एक जोखिम भरा विकल्प बन सकता है।

Also, read: Dividends क्या होता है और यह कैसे काम करता है? इससे कमाई कैसे करें?

FAQs: Derivative in Hindi

1. डेरिवेटिव का उपयोग क्यों किया जाता है?

डेरिवेटिव्स का उपयोग मुख्य रूप से तीन उद्देश्यों के लिए किया जाता है:

  • हेजिंग (Hedging) – बाजार के जोखिम को कम करने के लिए।
  • स्पेकुलेशन (Speculation) – भविष्य में कीमतों का अनुमान लगाकर मुनाफा कमाने के लिए।
  • आर्बिट्राज (Arbitrage) – अलग-अलग बाजारों में कीमतों के अंतर का फायदा उठाने के लिए।

2. क्या डेरिवेटिव्स केवल शेयर बाजार से जुड़े होते हैं?

नहीं, डेरिवेटिव्स केवल शेयर बाजार तक सीमित नहीं होते। इन्हें कमोडिटी, करेंसी, ब्याज दर और क्रेडिट मार्केट में भी ट्रेड किया जाता है।

3. क्या डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग सभी के लिए फायदेमंद होती है?

डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग अनुभवी निवेशकों के लिए अधिक लाभदायक होती है, क्योंकि इसमें बाजार की समझ और सही रणनीति की आवश्यकता होती है। नए निवेशकों के लिए यह जोखिम भरी हो सकती है।

4. भारत में डेरिवेटिव्स मार्केट को कौन रेगुलेट करता है?

भारत में डेरिवेटिव्स बाजार को सेबी (SEBI – भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) द्वारा रेगुलेट किया जाता है।

5. डेरिवेटिव्स में निवेश करने से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

  • बाजार की पूरी जानकारी और रिसर्च करें।
  • अपने जोखिम सहनशीलता (Risk Tolerance) को समझें।
  • सही ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म चुनें।
  • छोटे निवेश से शुरुआत करें और धीरे-धीरे अनुभव बढ़ाएं।

6. ईटीएफ में ‘रिस्क मैनेजमेंट’ कैसे करें?

अपने पोर्टफोलियो को विविधता प्रदान करके और स्टॉप-लॉस ऑर्डर (Stop-Loss Order) का उपयोग करके जोखिम प्रबंधन करें।

Also, read: ETF इन्वेस्टमेंट क्या है? जानें इसके प्रकार, फायदे और इसमें निवेश कैसे करें?

निष्कर्ष | Conclusion

Derivative एक महत्वपूर्ण वित्तीय साधन है, जो निवेशकों और कंपनियों को जोखिम प्रबंधन (Risk Management) और लाभ कमाने के अवसर प्रदान करता है। यह बाजार की अस्थिरता से बचाव करने, हेजिंग, स्पेकुलेशन और आर्बिट्राज जैसे उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता है। हालांकि, Derivative ट्रेडिंग में उच्च जोखिम होता है, क्योंकि इसकी कीमतें बाजार की परिस्थितियों पर निर्भर करती हैं और अचानक बदलाव हो सकते हैं। इसलिए, इसमें निवेश करने से पहले उचित ज्ञान और रणनीति होना जरूरी है। सही समझ और सावधानीपूर्वक निवेश से Derivative एक फायदेमंद वित्तीय विकल्प बन सकता है, लेकिन बिना अनुभव और रिसर्च के इसमें ट्रेडिंग करना नुकसानदायक हो सकता है।

Share on:

Hi, I’m Harshita Gupta, a passionate content writer and digital marketer dedicated to sharing valuable insights through my blogs and writing. I specialize in crafting engaging blogs and informative content across various topics. My goal is to provide helpful, actionable information that resonates with my audience and empowers them to make informed decisions.

Leave a Comment

Terms of Service | Disclaimer | Privacy Policy