Make in India Yojana | MIIY का मकसद देश को मैन्युफैक्चरिंग का हब (Manufacturing hub) बनाना है। घरेलू और विदेशी दोनों निवेशकों को मूल रूप से एक अनुकूल माहौल उपलब्ध कराने का वायदा किया गया है ताकि 125 करोड़ की आबादी वाले मजबूत भारत को एक विनिर्माण केंद्र के रूप में परिवर्तित करके रोजगार के अवसर पैदा हों। इससे एक गंभीर व्यापार में व्यापक प्रभाव पड़ेगा और इसमें किसी नवाचार के लिए आवश्यक दो निहित तत्वों– नये मार्ग या अवसरों का दोहन और सही संतुलन रखने के लिए चुनौतियों (New paths or challenges to exploit opportunities and keep the right balance) का सामना करना शामिल हैं। राजनीतिक नेतृत्व के व्यापक रूप से लोकप्रिय होने की उम्मीद है। लेकिन ‘मेक इन इंडिया’ पहल वास्तव में आर्थिक विवेक, प्रशासनिक सुधार के न्यायसंगत मिश्रण के रूप में देखी जाती है। इस प्रकार यह पहल जनता जनादेश के आह्वान- ‘एक आकांक्षी भारत’ का समर्थन करती है।
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भारत में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने एवं देश की इकनॉमी के संवर्धन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 सितम्बर 2014 को Make in India Initiative की शुरुआत की थी| इसका उद्देश्य यह था कि भारत को महत्वपूर्ण निवेश एवं निर्माण, संरचना तथा अभिनव प्रयोगों के वैश्विक केंद्र के रुप में बदला जा सके|
मोदी सरकार का Make in India Initiative मुख्यत: निर्माण क्षेत्र पर केंद्रित था, लेकिन इसका उद्देश्य देश में उद्यमशीलता को बढ़ावा देना भी है| मेक इन इंडिया का दृष्टिकोण निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाना, आधुनिक और कुशल बुनियादी संरचना, विदेशी निवेश के लिए नये क्षेत्रों को खोलना और सरकार एवं उद्योग के बीच एक बेहतर साझेदारी का निर्माण करना है|
Make in India Initiative के बाद सरकार को देश एवं विदेशों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली थी| योजना के शुरु होने के समय से इसकी वेबसाईट (website) पर इनवेस्ट इंडिया के निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ (Investor Facilitation Cell) को लाखों सवाल मिले हैं| जापान, चीन, फ्रांस और दक्षिण कोरिया (Japan, China, France and South Korea) जैसे देशों नें विभिन्न औद्योगिक और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में भारत में निवेश करने हेतु अपना समर्थन दिखाया है|
मेक इन इंडिया | Make in India Yojana | MIIY का अर्थ है रोजमर्रा की वस्तुये भारत में ही बनायीं जाये जिस से देश में रोज़गार के अवसर पैदा हो। इस योजना का मतलब है “Make in India ” जिसका हिंदी में अर्थ है जिन वस्तुओं का निर्माण हमारे देश में ही किया गया हो। वस्तुये जब भारत में ही बनने लगेगी तो इनका आयत कम होगा और टैक्स कम लगेगा जिस से उपभोग्ताओ को सामान सस्ते रेट पर उपलब्ध होगा और अगर वस्तुओं का निर्माण हमारे देश में होगा तो अन्य देशों में वस्तुओं के निर्यात करने की संभावना बढ़़ेगी जिस से देश की विदेशी आय बढ़ेगी और देश प्रगति की और अग्रसर होगा।
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मेक इन इंडिया के प्रमुख चार स्तंभ हैं | Make in India Yojana Has Four Main Pillars
1. नई प्रक्रियाएँ
- ‘मेक इन इंडिया योजना ‘ उद्यमिता को बढ़ावा देने हेतु Ease of doing business (ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस) को एकमात्र सबसे महत्त्वपूर्ण कारक के रूप में मान्यता देती है, जिसके लिये पहले ही कई पहलें की जा चुकी हैं।
- इसका उद्देश्य व्यवसाय की संपूर्ण अवधि में इस क्षेत्र को लाइसेंस और विनियमन से मुक्त करना है।
2. नई अवसंरचना
- इस क्षेत्र का विस्तार करने के लिये सरकार ने औद्योगिक गलियारों का निर्माण, मौजूदा बुनियादी ढाँचे का उन्नयन और त्वरित पंजीकरण प्रक्रिया प्रदान करने की योजना बनाई है।
3. नए क्षेत्र
- “मेक इन इंडिया” द्वारा विनिर्माण, बुनियादी ढाँचे और सेवा गतिविधियों के लिये 27 उद्योगों की पहचान की गई है तथा एक इंटरैक्टिव वेब पेज एवं पैम्फलेट (An interactive web page and pamphlet) के माध्यम से इस संबंध में व्यापक जानकारी दी जा रही है।
4. नई सोच
- “मेक इन इंडिया” पहल मूल रूप से व्यवसाय के साथ सरकार के काम करने के तरीके को बदलना चाहती है।
- सरकार देश की अर्थव्यवस्था को विकसित करने के लिये विभिन्न उद्योगों के साथ साझेदारी करेगी और नियामक रुख की बजाय एक सुविधाजनक तरीका अपनाएगी।
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मेक इन इंडिया परिणाम/लाभ | Make in India Results/Benefits
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) अंतर्वाह: विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिये भारत सरकार ने एक उदार और खुली नीति लागू की है जो स्वचालित मार्ग के माध्यम से अधिकांश क्षेत्रों को FDI के लिये सुलभ बनाती है।
- वर्ष 2014-2015 में भारत में FDI अंतर्वाह 45|15 अरब अमेरिकी डॉलर था और तब से लगातार आठ वर्षों के रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गया है।
- वर्ष 2021-22 में अब तक का सबसे अधिक 83|6 बिलियन अमेरिकी डॉलर का FDI दर्ज किया गया।
- आर्थिक सुधारों और पिछले वर्षों (2022-23) में व्यापार करने में सुगमता के परिणामस्वरूप वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान भारत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर के लक्ष्य को प्राप्त करने की ओर अग्रसर है।
- उत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहन (Production Linked Incentive- PLI): 14 प्रमुख विनिर्माण क्षेत्रों में प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव योजनाओं को मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 2020-21 में लॉन्च किया गया था।
- मुख्य उद्योग जिनको के तहत शामिल किया है वो है ऑटोमोबाईल, रसायन, आईटी तथा बीपीएम, विमानन उद्योग, औषधीय, निर्माण, बिजली से संबंधित मशीन, खाद्य प्रसंस्करण, रक्षा, विनिर्माण, अंतरिक्ष, टेक्सटाईल्स, कपड़ा उद्योग, बंदरगाह, चमड़ा, मीडिया और मनोरंजन, स्वास्थ्य, खनन, पर्यटन और मेहमानदारी, रेलवे, ऑटोमोबाईल घटक, नवीकरणीय ऊर्जा, बायोटेक्नोलॉजी, सड़क और हाईवे, इलेक्ट्रानिक निकाय और थर्मल ऊर्जा आदि (Automobile, Chemical, IT & BPM, Aviation Industry, Pharmaceutical, Construction, Electrical Machinery, Food Processing, Defence, Manufacturing, Space, Textiles, Clothing Industry, Ports, Leather, Media & Entertainment, Healthcare, Mining, Tourism & Hospitality, Railways, automobile components, renewable energy, biotechnology, roads and highways, electronic components and thermal energy etc.), इस योजना में product के रूप में शामिल हैं।
- सरकार ने माना है की 14 प्राथमिकता वाले क्षेत्र हैं जिन्हें 1$ ट्रिलियन में विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन की आवश्यकता होगी जिसमें धातु और खनन, पर्यटन, पूंजीगत सामान और नवीकरणीय ऊर्जा (Metals and Mining, Tourism, Capital Goods and Renewable Energy) शामिल हैं।
- राज्य सरकार के स्तर पर लाइसेंसिंग नियमों को सुव्यवस्थित और तर्कसंगत बनाना श्रम कानून में संशोधन से लेकर ऑनलाइन रिटर्न दाखिल करने तक जैसे कई बदलाव इस योजना के तहत किये गए है।
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मेक इन इंडिया की शुरूआत के पीछे क्या तर्क/उद्देश्य | What is the logic/objective behind the launch of Make in India?
- मेक इन इंडिया को वर्ष 2014 में एक सुदृढ़ एवं प्रतिस्पर्द्धी विनिर्माण क्षेत्र का निर्माण करने के लिये डिज़ाइन की गई पिछली पहलों (जैसे NIP 2011, अर्थव्यवस्था का उदारीकरण आदि) की अगली कड़ी के रूप में लॉन्च किया गया।
- भारतीय विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि अपर्याप्त भौतिक अवसंरचना, एक जटिल एवं भ्रष्ट नियामक वातावरण और कुशल श्रमबल की अपर्याप्त उपलब्धता जैसे कारकों से बाधित थी।
- मेक इन इंडिया को सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्र के योगदान को 1980 के दशक की शुरुआत से ही गतिहीन 15% से बढ़ाकर कम से कम 25% करने और 100 मिलियन अतिरिक्त रोज़गार अवसर सृजित करने के लिये लॉन्च किया गया।
- राष्ट्रीय विनिर्माण नीति (NMP) 2011 के गतिशील उद्देश्यों के अलावा, इसका उद्देश्य “भारत को एक वैश्विक डिज़ाइन और विनिर्माण निर्यात केंद्र में बदलना” था। दूसरे शब्दों में, विश्व के लिये मेक इन इंडिया का लक्ष्य रखा गया था।
- पिछले वित्त वर्ष यानी 2022 तक ही यह बढ़कर 83|6 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया था और अब भारत तीव्र आर्थिक सुधारों की वजह से ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की तालिका में भी ऊपर आ गया है और यह बढ़कर 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करने वाला है| खिलौनों का आयात 70 फीसदी तक घट गया है, जबकि इसी अवधि में भारतीय खिलौनों के निर्यात में 600 फीसदी से अदिक की शानदार बढ़ोतरी दर्ज की गयी है|
- इसके तहत सरकार ने कुछ क्षेत्रों में विदेशी निवेश सीमा में भी बढ़ोतरी की है। जैसे की रक्षा और ऑटोमोबाइल क्षेत्र में FDI सीमा को बढ़ाना ताकि विदेशी कम्पनीया भारत में आ कर और निवेश करे ,उत्पाद भारत में ही बने।
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मेक इन इंडिया प्रोग्राम की चुनौतियाँ | Challenges of Make in India Program
- भारत सरकार ने ‘मेक इन इंडिया’ के तहत घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने और आयात के बोझ को कम करने के लिए मार्च 2020 में एक अनूठी योजना शुरू की, जिसका नाम प्रोडक्शन लिंक्ड इनसेन्टिव स्कीम (Production Linked Incentive Scheme) (PLI) है|
- इस योजना के माध्यम से सरकार भारतीय कंपनियों को उनके उत्पादों की बिक्री के आधार पर प्रोत्साहन प्रदान करती है| फिलहाल डिक्सन नाम की भारतीय कंपनी को हम इस योजना का झंडाबरदार कह सकते हैं|
- इसने इस साल यानी 2023 में श्याओमी, इंटेल, मोटोरोला और जियो (Xiaomi, Intel, Motorola and Jio) जैसी अग्रणी वैश्विक कंपनियों से कई ठेके हासिल किए और हाल ही में इसने चीन की प्रमुख कंपनी लेनोवो (lenov0)के साथ भी करार किया है| डिक्सन कंपनी पीएलआई योजना के सबसे बड़े प्रचारक हैं, जिनके नतीजे बताते हैं कि किस तरह यह योजना भारत में मैन्युफैक्चरिंग की तस्वीर बदल सकती है|
- हालांकि, पीएम मोदी के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम ‘मेक इन इंडिया’ की बुनियाद वाली यह योजना कुछ मामलों में पीछे भी रही| पीएलआई की वजह से मोबाइल डिवाइस (ऐपल व सैमसंग के कारण), इलेक्ट्रॉनिक्स, खाद्य प्रसंस्करण और फार्मा (Electronics, Food Processing and Pharma) जैसे क्षेत्रों में बहुत प्रगति रही, लेकिन आईटी उत्पाद, रसायनिक बैटरी और कपड़ा (IT products, chemical batteries and textiles) जैसे क्षेत्रों में भारत को संघर्ष करना पड़ा है|
- 2020 में शुरू पीएलआई योजना के तहत शुरुआत में 1|97 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था, लेकिन मार्च 2023 तक महज 2,874 करोड़ रुपये जारी हुए| आशा थी कि योजना के चौथे साल यानी वित्त वर्ष 2024 में सबसे ज्यादा फंड मिलेगा, लेकिन वैश्विक महामारी के कारण कई योजनाएं शुरू ही नहीं हो सकीं या उन्हें आगे बढ़ा दिया गया|
- अक्टूबर 2023 में सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र के लिए 1,000 करोड़ रुपये के वितरण को मंजूरी दी थी| विशेषज्ञ मानते हैं कि 80 फीसदी से अधिक आवंटन मोबाइल, फार्मा और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए है, जो पहले ही वृद्धि कर रहे हैं| ऐसे में सरकार को उन क्षेत्रों के लिए रकम बढ़ानी चाहिए, जो पीछे चल रहे हैं|
- कपड़ा, बैटरी और स्टील जैसे क्षेत्रों के लिए रकम बढ़ानी होगी और इस वित्त वर्ष में वाहनों के फील्ड में जो 605 करोड़ रुपए आवंटित हुए थे, उनको सरकार को जल्दी से जारी करना चाहिए| जाहिर है कि भारत को मेक इन इंडिया के नाखून और दांत तेज करने होंगे, वरना जो भी रफ्तार उसने पकड़ी है, वह धीमी हो जाएगी|
प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (Production Linked Incentive Scheme) योजना भारत के मेक इन इंडिया पहल (Make in India Initiative) और आत्मनिर्भर भारत अभियान (Aatma nirbhar Bharat Abhiyan) के जवाब में शुरू की गई थी। पीएलआई योजना का उद्देश्य आयात प्रतिस्थापन और रोजगार सृजन को बढ़ाते हुए घरेलू विनिर्माण क्षमता को बढ़ाना है।
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मेक इन इंडिया योजना से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य। Some important facts related to Make in India scheme
- मेक इन इंडिया निवेश के द्वार खोल रहा है। कई उद्यम इसके मंत्र की तारीफ कर रहे है । दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र देश दुनिया की सबसे शक्तिशाली अर्थव्यवस्था बनने की और अडिंग है ।
- भारत सरकार को ढेरों इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन कंपनी (Electronics and Communication Company) ने भारत में आदि इस योजना के तहत काम करने के प्रस्ताव भेजे है, जो भारत में अपना उद्योग लगाना चाहते है । Huawei, vivo, Lenovo, Samsung, Spice, Kia Motors, MG hector आदि, कुछ ऐसी कम्पनियाँ है जिन्होंने भारत में अपना उद्योग स्थापित किया है और हज़ारो लोगो को रोज़गार दिया है।
- एक रिपोर्ट के अनुसार 1|20 लाख करोड़ रूपए भारत सरकार को FDI के तहत बाहरी कंपनियों के द्वारा मिले है। इस योजना में प्रोजेक्ट के लिए जापान ने भी भारत में रूचि दिखाई है और 12 लाख करोड़ का फण्ड दिया है।|जापान बुलेट रेल में भी भारत की सहायता कर रहा है।
- इसके साथ ही जब नरेन्द्र मोदी दिसम्बर में रूस गए थे , तब उन्होंने मेक इन इंडिया कैम्पेन के तहत अब तक कि सबसे बड़ी डील साइन की अब मल्टी रोल हेलीकॉप्टर भारत में बनते है, जिसे रूस ने खरीदने का फैसला किया है ।
FAQs on Make in India Yojana (MIIY)
Q. ‘मेक इन इंडिया कार्यक्रम’ कब शुरू किया गया था?
नई दिल्ली के विज्ञान भवन में श्री मोदी द्वारा 25 सितंबर, 2014 को ‘मेक इन इंडिया कार्यक्रम’ शुरू किया गया था|
Q. केंद्रीय बजट 2020-21 में ‘मेक इन इंडिया’ के लिए बजट का आवंटन कितना है?
2019-20 में मेक इन इंडिया कार्यक्रम के लिए कुल आवंटन 651|58 करोड़ रुपये था। केंद्रीय बजट 2020-21 में, इसके लिए कुल आवंटन बढ़कर 1,281|97 करोड़ रुपये कर दिया गया है|
Q. मेक इन इंडिया कार्यक्रम भारतीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में सुधार के लिए शुरू किया गया था?
मेक इन इंडिया कार्यक्रम, देश में एक स्वदेशी आंदोलन की तरह है| यह योजना भारत में कई चीजों के विनिर्माण को बढ़ाने के लिए शुरू की गई थी| अर्थव्यवस्था के विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए मेक इन इंडिया की शुरुआत की गई थी|
Q. मेक इन इंडिया कार्यक्रम में कितने सेक्टर लक्षित हैं?
मेक इन इंडिया कार्यक्रम भारतीय अर्थव्यवस्था के 25 क्षेत्रों के विकास पर केंद्रित है; खनन, तेल और गैस, ऑटोमोबाइल, ऑटोमोबाइल घटकों, रक्षा विनिर्माण विद्युत मशीनरी, इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम, विमानन, जैव प्रौद्योगिकी, खाद्य प्रसंस्करण, आईटी, चमड़ा, मीडिया और मनोरंजन, फार्मास्यूटिकल्स, बंदरगाह और शिपिंग, कपड़ा और वस्त्र, सड़कों और राजमार्गों, रेलवे, अंतरिक्ष, थर्मल पावर, नवीकरणीय ऊर्जा, पर्यटन और आतिथ्य और कल्याण और रसायन, निर्माण (Mining, Oil & Gas, Automobiles, Automobile Components, Defense Manufacturing Electrical Machinery, Electronic Systems, Aviation, Biotechnology, Food Processing, IT, Leather, Media & Entertainment, Pharmaceuticals, Ports & Shipping, Textiles & Clothing, Roads & Highways, Railways , Space, Thermal Power, Renewable Energy, Tourism & Hospitality & Wellness and Chemicals, Construction.)
Q. मेक इन इंडिया कार्यक्रम के बारे में सही कथन क्या है ?
मेक इन इंडिया कार्यक्रम के बारे में सभी कथन सही हैं| मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत 25 सेक्टर शामिल हैं जिनके नाम ऊपर दिए जा चुके हैं|
Q. निम्नलिखित में से कौन मेक इन इंडिया कार्यक्रम का उद्देश्य नहीं है?
भ्रष्टाचार मुक्त भारत मेक इन इंडिया कार्यक्रम के प्रमुख उद्देश्यों में से नहीं है| हालाँकि भारत सरकार डिजिटल इंडिया और लाल-फीताशाही आदि के नियमन जैसे अन्य प्रयासों से भारत को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए पुरजोर कोशिश कर रही है|
Q. “Zero Defect Zero Effect” नारा क्या है?
“Zero Defect Zero Effect” नारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिया गया था| इसका अर्थ है ऐसी कुशल प्रौद्योगिकी का उपयोग जिसके कारण उत्पादों में कोई दोष न हो और पर्यावरण पर भी कोई प्रतिकूल प्रभाव ना पड़े|
Q. मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत कौन-कौन से कार्यक्रम शुरू किया गया/गये है?
दोनों कार्यक्रम मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत शुरू किए गए हैं| गातिमान एक्सप्रेस पहली सेमी-हाई स्पीड ट्रेन (semi-high speed train) है| इसकी टॉप स्पीड 160 किमी / घंटा है| जीपीएस – एडेड जियो ऑगमेंटेड नेविगेशन सिस्टम (GPS-Aided Geo Augmented Navigation System) (GAGAN), 10 नवंबर 2015 को लॉन्च किया गया था|
Q. मेक इन इंडिया कार्यक्रम में कौन सा क्षेत्र शामिल नहीं है?
शिक्षा सेवा क्षेत्र के अंतर्गत आती है और मेक इन इंडिया कार्यक्रम, विनिर्माण क्षेत्र को टारगेट करता है|
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