भारतीय बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को समर्थन देने के लिये Viability Gap Funding Scheme (VGF)
Viability Gap Funding Scheme (VGF) योजना का मकसद उन बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को आर्थिक रूप से मज़बूत करना है, जो आर्थिक रूप से सही हों, लेकिन वित्तीय रूप से थोड़ी कमज़ोर हों | इस योजना के तहत, सिर्फ़ उन बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को ही मदद मिलती है, जिनमें निजी क्षेत्र के प्रायोजकों का चुनाव प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के ज़रिए (Selection of private sector sponsors through competitive bidding process) किया जाता है | आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने 25 जुलाई, 2005 को अपनी बैठक में भारत सरकार की केंद्रीय क्षेत्र योजना के तौर पर इस योजना को मंज़ूरी दी थी | इस योजना का मकसद Public-Private Partnership (PPP) के तहत निजी क्षेत्र द्वारा खर्च को बढ़ावा देना भी है |
सरकार ने बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (Public-Private Partnership (PPP) के लिए व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण के माध्यम से वित्तीय सहायता के प्रावधान का विस्तार किया है, ताकि स्वास्थ्य, शिक्षा, जल और अपशिष्ट उपचार जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सामाजिक क्षेत्र के निवेश को इसमें शामिल किया जा सके।
वित्त मंत्रालय ने ढांचागत क्षेत्र की परियोजनाओं को वित्तीय समर्थन देने के लिये व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण (VGF- Viability Gap Funding) योजना को अधिसूचित कर दिया। इसके तहत वित्तीय समर्थन देने के लिये ढांचागत क्षेत्र की परियोजनाओं को चुना जायेगा ताकि इस क्षेत्र को बढ़ावा दिया जा सके। वित्त मंत्रालय द्वारा अधिसूचित इस योजना के तहत आर्थिक मामलों के सचिव की अध्यक्षता में गठित अधिकार प्राप्त समिति 200 करोड़ रुपये तक का वित्तपोषण की मंजूरी दे सकेगी जबकि 200 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय सहायता के लिये वित्त मंत्री की मंजूरी लेने के बाद समिति यह काम कर सकेगी। अधिकार प्राप्त समिति के अन्य सदस्यों में नीति आयोग के सीईओ, व्यय सचिव, सबंधित विषय को देखने वाले मंत्रालयों के सचिव तथा आर्थिक मामलों के विभाग के संयुक्त सचिव इस समिति के सदस्य सचिव होंगे।
इस योजना को बुनियादी ढांचा क्षेत्र में सार्वजनिक निजी भागीदारी (Public-Private Partnership (PPP) परियोजनाओं को वित्तीय समर्थन योजना के नाम से जाना जायेगा। यह केन्द्रीय क्षेत्र की योजना होगी जिसे वित्त मंत्रालय द्वारा देखा जायेगा। योजना तुरंत प्रभाव से अमल में आ जायेगी। योजना के तहत परियोजना के पात्रता के बारे में इसमें कहा गया है कि परियोजना को निजी क्षेत्र की कंपनियों द्वारा क्रियान्वित किया जायेगा। योजना का चयन खुली प्रतिस्पर्धी बोली के तहत सरकार अथवा किसी सांविधिक इकाई द्वारा किया जाना चाहिये। जलापूर्ति और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन जैसी सामाजिक क्षेत्र की परियोजनाओं के लिये वीजीएफ राशि उस परियोजनाओं के लिये लगाई गई पूंजी अनुदान की सबसे कम बोली के बराबर होगी। हालांकि, यह राशि परियोजना लागत का 30 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी।
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व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण योजना 2024 की विशेषताएँ | Features of Viability Gap Financing Scheme 2024
- अब इस योजना के तहत, अपशिष्ट जल उपचार, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, स्वास्थ्य, जल आपूर्ति और शिक्षा (Waste water treatment, solid waste management, health, water supply and education) जैसे क्षेत्रों में निजी क्षेत्र की परियोजनाओं को केंद्र सरकार से कुल परियोजना लागत का 30% मिल सकता है।
- इसके अलावा, स्वास्थ्य और शिक्षा में पायलट परियोजनाएं, जिनकी परिचालन लागत वसूली कम से कम 50% है, केंद्र सरकार से कुल परियोजना लागत का 40% तक प्राप्त कर सकती हैं।
- केंद्र और राज्य मिलकर पहले पांच वर्षों के लिए परियोजना की पूंजीगत लागत का 80% और ऐसी परियोजनाओं की परिचालन और रखरखाव लागत का 50% वहन करेंगे।
- व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण का अर्थ है ऐसी परियोजनाओं का समर्थन करने के लिए अनुदान जो आर्थिक रूप से उचित हैं लेकिन वित्तीय रूप से व्यवहार्य नहीं हैं।
- इस योजना को वित्त मंत्रालय द्वारा प्रशासित एक योजना योजना के रूप में डिज़ाइन किया गया है और बजट में राशि वर्ष-दर-वर्ष आधार पर बनाई जाती है।
- वीजीएफ के तहत इस तरह का अनुदान निजी क्षेत्र के खिलाड़ियों को पीपीपी परियोजनाओं में भाग लेने के लिए आकर्षित करने के लिए पूंजी सब्सिडी के रूप में प्रदान किया जाता है जो अन्यथा वित्तीय रूप से अव्यवहारिक हैं।
- लंबी अवधि और भविष्य में छोटे राजस्व प्रवाह के कारण परियोजनाएं व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य नहीं हो सकती हैं।
- वीजीएफ योजना 2004 में सार्वजनिक-निजी भागीदारी के तहत आने वाली परियोजनाओं का समर्थन करने के लिए शुरू की गई थी।
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व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण योजना 2024 का वित्तपोषण और अनुदान | Viability Gap Financing Scheme 2024 Financing and Grants
- Viability Gap Funding Scheme (VGF) के लिए धन सरकार के बजटीय आवंटन से प्रदान किया जाएगा। कभी-कभी यह वैधानिक प्राधिकरण द्वारा भी प्रदान किया जाता है जो परियोजना परिसंपत्ति का मालिक होता है।
- यदि प्रायोजक मंत्रालय/राज्य सरकार/वैधानिक इकाई वीजीएफ के तहत निर्धारित राशि से अधिक सहायता प्रदान करना चाहती है, तो इसे कुल परियोजना लागत के 20% तक सीमित रखा जाएगा।
- वीजीएफ अनुदान केवल उन बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए उपलब्ध होगा जहां प्रतिस्पर्धी बोली की प्रक्रिया के माध्यम से निजी क्षेत्र के प्रायोजकों का चयन किया जाता है।
- Viability Gap Funding Scheme (VGF) अनुदान निर्माण चरण में ही वितरित किया जाएगा, लेकिन केवल तभी जब निजी क्षेत्र के डेवलपर परियोजना के लिए आवश्यक इक्विटी योगदान देते हैं।
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VGF Scheme के लाभ | Benefits of VGF Scheme
- इस परियोजना का लक्ष्य सामाजिक एवं आर्थिक आधारभूत ढाँचे में सार्वजनिक निजी सहभागिता (Public-Private Partnership (PPP) को बढ़ावा देना है ताकि परिसंपत्तियों का बेहतर सृजन हो और इनके उपयुक्त संचालन एवं रखरखाव को सुनिश्चित किया जा सके। साथ ही आर्थिक एवं सामाजिक रूप से आवश्यक परियोजनाओं को वाणिज्यिक रूप से व्यावहारिकता में लाया जा सके।
- ये परियोजनाएँ देश में आधारभूत ढाँचे के विकास में मदद करेंगी।
- प्रस्तावित VGF योजना को नए रूप में लागू करने से सार्वजनिक निजी क्षेत्र की अधिक से अधिक परियोजनाओं को आकर्षित किया जा सकेगा और सामाजिक क्षेत्रों (स्वास्थ्य, शिक्षा, अपशिष्ट जल, ठोस कचरा प्रबंधन, जल आपूर्ति आदि) के लिये निजी निवेश में सहायता मिलेगी।
- नए अस्पतालों एवं स्कूलों के बनने से रोज़गार के नए अवसर उपलब्ध होंगे।
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व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण योजना 2024 के अंतर्गत शामिल व्यय | Expenditure covered under Viability Gap Financing Scheme 2024
वित्त वर्ष | आर्थिक आधारभूत ढाँचा क्षेत्र में सार्वजनिक निजी सहभागिता को वित्तीय समर्थन देने की योजना | सामाजिक क्षेत्र से जुड़ी आधारभूत अवसंरचना को वित्तीय समर्थन देने की योजना |
2020-21 | 1000 करोड़ रुपए | 400 करोड़ रुपए |
2021-22 | 1100 करोड़ रुपए | 400 करोड़ रुपए |
2022-23 | 1200 करोड़ रुपए | 400 करोड़ रुपए |
2023-24 | 1300 करोड़ रुपए | 400 करोड़ रुपए |
2024-25 | 1400 करोड़ रुपए | 500 करोड़ रुपए |
कुल | 6000 करोड़ रुपए | 2100 करोड़ रुपए |
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FAQ of Viability Gap Funding Scheme
1. वायबिलिटी गैप फंडिंग योजना क्या है?
Viability Gap Funding Scheme (VGF) भारत सरकार की एक पहल है जो सामाजिक और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करती है जो निजी क्षेत्र द्वारा पूरी तरह से वित्तपोषित करने योग्य नहीं हैं। इसका उद्देश्य उन परियोजनाओं को प्रोत्साहित करना है जो सामाजिक लाभ प्रदान करती हैं लेकिन जिनमें बाजार आधारित ऋण प्राप्त करने में कठिनाई होती है।
2. इस योजना के तहत कौन सी परियोजनाएं पात्र हैं?
विभिन्न प्रकार की सामाजिक और आर्थिक अवसंरचना परियोजनाएं वीजीएफ के लिए पात्र हैं, जिनमें शामिल हैं:
- स्वास्थ्य: अस्पताल, क्लीनिक, चिकित्सा शिक्षा संस्थान
- शिक्षा: स्कूल, कॉलेज, व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र
- जल और स्वच्छता: पेयजल आपूर्ति, स्वच्छता सुविधाएं, अपशिष्ट जल उपचार
- सामाजिक अवसंरचना: वृद्धाश्रम, अनाथालय, विकलांगों के लिए सुविधाएं
- पर्यटन: पर्यटन अवसंरचना, इको-टूरिज्म
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3. वीजीएफ के लिए धनराशि कैसे प्रदान की जाती है?
वीजीएफ आमतौर पर अनुदान और ऋण के मिश्रण के रूप में प्रदान किया जाता है। अनुदान राशि परियोजना की लागत के 20% से 50% तक हो सकती है, शेष राशि ऋण के रूप में प्रदान की जाती है।
4. वीजीएफ के लिए आवेदन कैसे करें?
वीजीएफ के लिए आवेदन करने के लिए, परियोजना प्रायोजक को वीजीएफ योजना के तहत निर्धारित आवेदन पत्र भरना होगा और इसे संबंधित नोडल एजेंसी को जमा करना होगा। नोडल एजेंसी द्वारा आवेदन की समीक्षा की जाती है और यदि पाया जाता है कि वह योजना के दिशानिर्देशों का अनुपालन करता है, तो उसे अनुमोदन के लिए वित्त मंत्रालय को भेजा जाता है।
5. वीजीएफ योजना के क्या लाभ हैं?
वीजीएफ योजना के कई लाभ हैं, जिनमें शामिल हैं:
- वित्तीय सहायता: यह योजना सामाजिक और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करती है जो अन्यथा वित्तपोषित करने में असमर्थ होंगी।
- निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना: यह योजना सामाजिक क्षेत्रों में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करती है।
- सामाजिक लाभ: यह योजना सामाजिक लाभ प्रदान करती है जैसे बेहतर स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचा।
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