जानिए! क्या वाकई है कोई दिव्य शहर? हिमालय के 5 अद्भुद स्थान! Mysterious Place in Himalayas | Immortals Place
Mysterious Places in Himalayas: हिमालय, एशिया की सबसे ऊँची पर्वत श्रृंखला है जो भारतीय उपमहाद्वीप के मैदानों को तिब्बती पठार से अलग करती है, इसमें कई सबसे ऊँची चोटियाँ हैं जिनमें दुनिया की 10 में से 9 सबसे ऊँची चोटियाँ यहीं हैं, जिनमें नेपाल-चीन सीमा पर माउंट एवरेस्ट भी शामिल है। ये पर्वत जो एशिया की कुछ प्रमुख नदियों का स्रोत हैं, और हमारे ग्रह की जलवायु को विनियमित करने में भी मदद करते हैं, तीसरे ध्रुव के रूप में जाने जाते हैं और रहस्यमय प्राकृतिक स्थलों जैसे गुप्त घाटियों और ऊंचे पर्वतीय झीलों से भरा है जो प्राचीन हिंदू धर्म से मिलते जुलते हैं। देवताओं का विश्राम स्थल माना जाने वाला हिमालय में कई मिथक और मान्यताएँ भी हैं जो विशालकाय अर्ध-मानव हिममानव, यति की उपस्थिति की तरह ही अजीब हैं।
हिमालय, पृथ्वी की सबसे ऊंची पर्वत श्रृंखला, सदियों से रहस्य और आकर्षण का केंद्र रही है। इसकी बर्फीली चोटियाँ, गहरी घाटियाँ और प्राचीन मठों ने अनगिनत लोगों को आकर्षित किया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हिमालय में ऐसे भी स्थान हैं जो अपनी रहस्यमयीता और अद्भुत दृश्यों के कारण दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं? इस लेख में, हम आपको हिमालय के पांच ऐसे ही अद्भुत स्थानों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो आपको आश्चर्यचकित कर देंगे। Mysterious Places in Himalayas
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1. ज्ञानगंज (Gyanganj)
आधुनिक समय में ज्ञानगंज तिब्बत में कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील के निकट स्थित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस जगह पर एक आश्रम है, जिसका निर्माण विश्वकर्मा जी ने की है। इस जगह पर आज भी भगवान राम, श्रीकृष्ण, बुद्ध आदि शरीर रूप में उपस्थित हैं। इसके साथ ही इस आश्रम में महर्षि वशिष्ठ, विश्वामित्र, महायोगी गोरखनाथ, श्रीमद शंकराचार्य, भीष्म, कृपाचार्य, कणाद, पुलस्त्य, अत्रि आदि को भौतिक रूपों में देखा जा सकता है। जबकि सैकड़ों ऋषिगण हजारों वर्षों से ध्यान करते देखे जा सकते हैं। इस स्थान के बारे में सर्वप्रथम स्वामी विशुद्धानंद परमहंस ने लोगों को जानकारी दी थी। Mysterious Places in Himalayas
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2. सिद्धाश्रम (Siddhashram)
धर्म शास्त्रों के जानकारों की मानें तो सिद्धाश्रम हिमालय में है, लेकिन हिमालय में किस स्थान पर है, यह पता लगाना मुश्किल है, क्योंकि सिद्धाश्रम को नंगी आंखों से नहीं देखा जा सकता है। सैटेलाइट के माध्यम से भी सिद्धाश्रम को नहीं देखा जा सकता है। सनातन शास्त्रों में सिद्धाश्रम का वर्णन है। ऐसा कहा जाता है कि जगत के पालनहार भगवान विष्णु ने सिद्धाश्रम में ही तपस्या की थी। ये उस समय की बात है, जब भगवान विष्णु ने स्वर्ग नरेश इंद्र की सहायता करने के लिए वामन अवतार लिया था।
इस काल में भगवान विष्णु ने तप हेतु सिद्धाश्रम में अपना आश्रम बनाया था। उस समय से सिद्धि पाने वाले योगी और मुनियों के लिए सिद्धाश्रम तपस्थली रहा है। यह तपस्थली हिमालय की गोद में बसा है और भगवान शिव का निवास स्थान है। सिद्धाश्रम, कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील के समीप है। ऐसा भी कहा जाता है कि सिद्धाश्रम हिमालय की गहराई में बसा है, जो कैलाश मानसरोवर से हजारों फुट नीचे है। सिद्धाश्रम का आशय एक ऐसे आश्रम से है, जहां पर सिद्ध पुरुष ध्यान करते हैं। इसे विश्वामित्र का आश्रम भी कहा जाता है। इस आश्रम का निर्माण भगवान विष्णु के कहने पर विश्वकर्मा जी ने की है। Mysterious Places in Himalayas
सिद्धाश्रम के बारे में कहा जाता है कि कमल समान यह खूबसूरत स्थान सिद्ध क्षेत्र है। इस क्षेत्र में केवल सिद्ध पुरुष ही प्रवेश कर सकते हैं। सामान्य लोग किसी भी तकनीक के माध्यम से सिद्धाश्रम में प्रवेश नहीं कर सकते हैं। इस स्थान पर लोग मरते नहीं है, उन्हें अमरता का वरदान प्राप्त हो जाता है। कृपाचार्य, गंगापुत्र, विश्वामित्र समेत बड़े-बड़े ऋषि मुनियों को सिद्धाश्रम में सजीव रूप में देखा जा सकता है। ये सभी सजीव रूप में विचरण करते हैं। इसके अलावा, कई अन्य देवगण भी सिद्धाश्रम में ध्यान हेतु प्रवास करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि सिद्धाश्रम में खूबसूरत पेड़, पौधे, पशु, पक्षी, दिव्य फूल, क्षील आदि उपस्थित हैं।
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3. गुरुडोंगमार झील (Gurudongmar Lake)
गुरुडोंगमार झील दुनिया की सबसे ऊंची झीलों में से एक है, जो भारत के सिक्किम राज्य में 5,430 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इसे बौद्ध, सिख और हिंदू धर्म के लोग पवित्र मानते हैं। इस झील का नाम गुरु पद्मसंभव के नाम पर रखा गया है – जिन्हें गुरु रिनपोछे (Guru Rinpoche) के नाम से भी जाना जाता है – जो तिब्बती बौद्ध धर्म के संस्थापक थे। Mysterious Places in Himalayas
हिमालय में स्थित यह झील रहस्यमयी मानी जाती है। गुरु पद्मसंभव से इस झील का संबंध है। बताया जाता है कि स्थानीय लोगों के आग्रह पर गुरु पद्मसंभव ने झील के एक भाग पर अपना हाथ रखा जिसके बाद बेहद ठंड के दिनों में भी झील का यह स्थान जमता नहीं है। सबसे हैरानी वाली बात यह है कि इस स्थान को छोड़कर पूरी झील जम जाती है। सदियों से यह झील भी लोगों के लिए पानी का स्त्रोत है। माना जाता है कि गुरु पद्मसंभव तांत्रिक थे। इसकी वजह से झील को रहस्यमयी माना जाता है।
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4. शंगरी ला वैली (Shangri La Valley)
‘शांगरी-ला घाटी’ की, जिसे वायुमंडल के चौथे आयाम यानी दुनिया के समय से प्रभावित जगहों में से एक माना जाता है। कहा जाता है कि ऐसी जगहों पर समय रुक सा जाता है। कई लोगों का मानना है कि ये घाटी धरती का आध्यात्मिक नियंत्रण केंद्र है। अब तक कई लोग ‘शांगरी-ला घाटी’ का पता लगाने की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन आजतक कोई कामयाब नहीं हो सका है। ‘तिब्बत की वह रहस्यमय घाटी’ किताब में अरुण शर्मा ने रहस्यमय घाटी शांगरी-ला का जिक्र किया है। उनका कहना है कि शांगरी-ला घाटी में काल का प्रभाव नगण्य है और यहां मन, प्राण और विचार की शक्ति की सीमा कई गुना बढ़ जाती है। उन्हें इस बात की जानकारी एक युत्सुंग नाम के एक लामा ने दी। अगर कोई वस्तु या व्यक्ति अनजाने में भी वहां पहुंच जाए तो वह इस दुनिया में वापस कभी नहीं लौट पाता है।
तिब्बक के एक मशहूर विद्वान युत्सुंग दावा करते हैं कि वह खुद इस रहस्यमय घाटी में जा चुके हैं। उन्होंने बताया कि उस स्थान पर न सूर्य का प्रकाश था और न ही चंद्रमा की रोशनी, चारों तरफ एक अजीब सा प्रकाश फैला हुआ था। तिब्बत के तवांग मठ के पुस्तकालय में रखी तिब्बती भाषा की किताब ‘काल विज्ञान’ में भी इस रहस्यमय घाटी का जिक्र है। इस जगह का जिक्र महाभारत और वाल्मीकि रामायण के साथ वेदों में भी मिला है। इतना ही नहीं ‘लॉस्ट हॉरिजोन’ नामक अपनी किताब में जेम्स हिल्टन ने भी इस रहस्यमय घाटी का जिक्र किया है। इस जगह के बारे में आज तक अधिक जानकारी नहीं मिल पाई है, क्योकि कोई भी इस जगह तब पहुंच ही नहीं सका है। हालांकि कई लोगों ने यहां जाने और इस घाटी के बारे में पता लगाने का प्रयास किया है, लेकिन जो भी यहां गया वो हमेशा-हमेशा के लिए गायब भी हो गया। Mysterious Places in Himalayas
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5. टाइगर्स नेस्ट मठ (Tiger’s Nest Monastery)
मूल रूप से इसे “तकत्संग” कहा जाता है जिसका अर्थ है “टाइगर का घोंसला”। तकत्संग लखांग भूटान का सबसे प्रतिष्ठित स्थल और धार्मिक स्थल है। यह मंदिर राज्य के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है और पारो घाटी से 900 मीटर ऊपर एक खड़ी चट्टान पर टिका हुआ है। मंदिर में प्रवेश करने के लिए पर्यटकों को आश्चर्यजनक, उदास देवदार के जंगलों से होकर 2-3 घंटे की चढ़ाई करनी पड़ती है। Mysterious Places in Himalayas
ऐसा माना जाता है कि गुरु पद्मसंभव ने इस मठ के केंद्र में एक गुफा में तीन साल, तीन महीने, तीन सप्ताह, तीन दिन और तीन घंटे तक ध्यान किया था। यह भी माना जाता है कि गुरु पद्मसंभव एक बाघिन की पीठ पर सवार होकर तिब्बत से इस स्थान पर आए थे! इसलिए इसका नाम रखा गया। इसकी नाजुक स्थिति पर एक नज़र डालने पर सभी धारणाएँ वास्तविक लग सकती हैं।
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