कौन हैं वो 7 चिरंजीवी जो “भगवान कल्कि” की प्रतीक्षा कर रहे हैं? जो करेंगे असुर “कलि” का विनाश! 7 immortal | Seven Chiranjeevis
Seven Chiranjeevis: “चिरंजीवी” का अर्थ है वह व्यक्ति जो अनन्त काल तक जीवित रहता है। भारतीय पौराणिक कथाओं में चिरंजीवी ऐसे महापुरुष माने गए हैं जिन्हें मृत्यु का वरण नहीं करना पड़ा और वे कलयुग तक जीवित रहेंगे। इनमें प्रमुख रूप से सात चिरंजीवी माने जाते हैं, जो धर्म, नीति, वीरता और तपस्या के प्रतीक हैं। यह माना जाता है कि इन चिरंजीवियों ने विभिन्न युगों में भगवान की कृपा से अमरत्व प्राप्त किया और वे धरती पर मानवता की भलाई के लिए कार्य कर रहे हैं। उनके जीवन और कहानियों में एक अद्वितीय रहस्य और आकर्षण है, जो हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या सच में अमरत्व संभव है। इस ब्लॉग में, हम आपको भारतीय पौराणिक कथाओं के सात चिरंजीवियों के बारे में बताएंगे – अश्वत्थामा, बलि, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य, परशुराम और मार्कण्डेय ऋषि। इन महापुरुषों के जीवन से जुड़े अनकहे पहलुओं, उनके अमरत्व का रहस्य और उनके कलयुग में रहने के कारणों को जानेंगे। क्या ये चिरंजीवी केवल एक मिथक हैं या इनकी कहानियों में छिपे हैं कुछ गहरे सत्य? आइए, इन सात चिरंजीवियों के अद्भुत जीवन और उनके योगदान को जानने के लिए इस रोचक सफर पर चलें। Seven Chiranjeevis
सृष्टि की रचना ब्रह्मा जी ने की है जिसका पालन भगवान विष्णु करते हैं और ऐसी मान्यता है कि जब धरती पर पाप बढ़ जाते हैं तो भगवान शिव सृष्टि का विनाश कर देते हैं, भगवान विष्णु सृष्टि की रक्षा के लिए पाप बढ़ जाने पर अवतार लेकर दुष्टों का विनाश करते हैं। भगवान विष्णु धरती पर 9 अवतार ले चुके हैं अब उनका कलयुग के अंत में 10 वां अवतार होगा भगवान विष्णु का 10 वां अवतार कल्कि के रूप में होगा यह भगवान का सबसे शक्तिशाली अवतार होगा धरती पर 7 दिव्य पुरुष (Seven Chiranjeevis) अभी जीवित हैं जो भगवान विष्णु के 10 वें कल्कि अवतार की प्रतिक्षा कर रहे हैं। कलयुग के ये 7 चिरंजीवी असुर कलि का विनाश करेंगे।
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1. हनुमान जी (Hanuman ji)
इन दिव्य पुरुषों की सूची में सबसे पहले चिरंजीवी महापुरुष राम भक्त हनुमान जी का नाम आता है | हनुमान जी को माता सीता ने चिरंजीवी होने का वरदान दिया था और भगवान श्री राम से बजरंगबली को कलयुग के अंत तक धर्म और रामकथा का प्रचार करने की आज्ञा मिली थी | हनुमान जी के जीवित होने के प्रमाण आज भी कई जगहों पर मिलते हैं | महाभारत के वन पर्व अध्याय के 151 के अनुसार एक बार भीम, द्रौपदी के लिए पुष्प लेने गंधमादन पर्वत जा रहे थे तब उनकी मुलाकात हनुमान जी से हुई थी | कहा यह भी जाता है कि हर 41 साल में बजरंगबली श्रीलंका के मातंग कबीले में ब्रह्म ज्ञान देने आते हैं | कलयुग के अंत में जब पाप की सीमा बढ़ जाएगी तब भगवान कल्कि इस पृथ्वी लोक पर अवतरित होंगे | तब बजरंग वाली एक बार फिर से भगवान कल्कि के रूप में श्री राम जी के दर्शन करेंगे और तब श्री राम द्वारा दिए उन वचनों का कार्यकाल भी समाप्त हो जायेगा |
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2. परशुराम (Parshuram)
चिरंजीवी महापुरुषों की लिस्ट में दूसरा नाम परशुराम जी का आता है | परशुराम जी भगवान विष्णु की छठे अवतार हैं | चिरंजीवी होने के चलते उनके भी प्रमाण महाभारत काल में भी दिखे थे | आपको बता दें की परशुराम जी, भीष्म पितामह, कर्ण और गुरु द्रोणाचार्य के गुरु भी थे | पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान कल्कि के गुरु भी परशुराम जी ही होंगे | महाभारत काल में भी उनका निवास महेन्द्रगिरी पर्वत ही था और आज कलयुग में भी वो इसी पर्वत पर तपस्या में लीन होकर कल्कि अवतार की प्रतीक्षा कर रहे है | Where is Seven Chiranjeevis ?
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3. असुर राज बलि (Asur Raj Bali)
राजा बली, श्री हरिभक्त प्रहलाद के वंशज थे | उन्होंने अपने बल से तीनो लोकों को जीत लिया था | उनको बहुत बड़ा दानवीर भी माना जाता है | पौराणिक कथाओं की मानें तो भगवान विष्णु ने राजा बलि के घमंड को तोड़ने के लिए वामन अवतार लिया था | एक बार श्री हरि राजा बली के यज्ञ में शामिल हुए | यज्ञ के दौरान ही सभी ब्राह्मण अपने लिए राजा बली से कुछ ना कुछ दान मांग रहे थे | जो राजा बली उन्हें दे भी रहे थे | तब वामन देवता की बारी आई तो उन्होंने सिर्फ तीन पग भूमि राजा बलि से मांग ली | तब राजा बली और उपस्थित सभी ब्राह्मण हंस पड़े | राजा बली ने कहा कि आप अपने छोटे-छोटे पैरों से इतनी जमीन नाप पाएंगे और कुछ मांग लो लेकिन वामन देवता अपनी मांग पर डटे रहे | तब राजा बलि ने कहा जहां आप चाहो तीन पग जमीन ले लो | तब वामन देवता ने अपना विराट रूप धारण कर लिया और एक पग में देवलोक और दूसरे पग में पृथ्वी और पाताल लोक नाप दिया | इसके बाद उन्होंने कहा कि तीसरा पग कहां रखूं? राजन राजा बलि ने अपना सिर आगे कर दिया और वामन देवता ने राजा बलि के सिर पर पैर रखकर उन्हें पाताल लोक भेज दिया और उन्हें इसी लोक में बसा दिया | जहां वो आज भी अपनी मुक्ति के लिए कल्कि अवतार की प्रतीक्षा कर रहे हैं |
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4. विभीषण (Vibhishan)
चौथे महापुरुष लंका अधिपति विभीषण के बारे में, विभीषण प्रभु राम के अनन्य भक्ते जब लंका पति रावण ने माता सीता का हरण कर लिया था तब भी भीषण ने अपने भाई रावण को काफी समझाया था की भगवान राम से शतूरता ना करे | जिसके बाद रावण ने उन्हें अपनी लंका से निकाल दिया था | तब भी भीषण भगवान राम की सेवा में चले गए और रावण के अधर्म का अंत करने के लिए धर्म का साथ दिया | यही कारण है की भगवान श्री राम ने विभीषण को चिरंजीवी होने का वरदान दिया था जोकि आज के युग यानी कलयुग के अंत तक जीवित रहेंगे | विभीषण के जीवित होने के प्रमाण रामायण काल के बाद महाभारत काल में भी मिले थे | युधिष्ठिर के राजसी यज्ञ के दौरान सहदेव विभीषण की मुलाकात हुई थी | कलयुग में विभीषण कहां हैं इस बात की जानकारी तो किसी को नहीं है लेकिन यह जरूर पता है कि उनका उस युग में भी होने का सिर्फ एक लक्ष्य है जो है अपने प्रभु के अवतार कल्कि से मिलना | Who are Seven Chiranjeevis?
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5. अश्वत्थामा (Aswathama)
इन सात महापुरुषों में अश्वत्थामा का नाम भी शामिल है | गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा आज भी इस पृथ्वी लोक पर मुक्ति के लिए भटक रहे हैं | महाभारत के युद्ध में अश्वत्थामा ने कौरवों का साथ दिया था | धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने ब्रह्मास्त्र चलाने के कारण अश्वत्थामा को कलयुग के अंत तक भटकने का श्राव दिया था | अश्वत्थामा के संबंध में प्रचलित मान्यता है कि मध्यप्रदेश के असीरगढ़ किले में मौजूद प्राचीन शिव मंदिर में अश्वत्थामा हर दिन भगवान शिव की पूजा करने आते है | अश्वत्थामा भी कल्कि के अवतार की प्रतीक्षा कर रहे है | कहा जाता है की अश्वत्थामा भगवान शिव का इकलौता ऐसा अवतार हैं जिसकी पूजा नहीं की जाती | परन्तु कल्कि अवतार में अश्वत्थामा का एक अहम रोल होगा जो आने वाली पीढि़यों तक उसका गुणगान करेंगी |
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6. महर्षि व्यास (Maharshi Vyas)
छठे चिरंजीवी महापुरुष हैं, महर्षि व्यास। महर्षि व्यास को वेद व्यास के नाम से भी जाना जाता हैं क्योंकि उन्होंने ही चारों वेद महाभारत, 18 पुराण और भागवत गीता लिखी थी | महर्षि वेद व्यास ने भगवान कलकी के जन्म से पहले उनके अवतार के बारे में ग्रंथों में लिख दिया था | महर्षि वेद व्यास बहुत बड़े तपस्वी होने के कारण आज भी कलयुग में भगवान कल्कि के दर्शन के लिए तपस्या में लीन होकर इंतजार कर रहे हैं | Who are Seven Chiranjeevis?
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7. कृपाचार्य (Kripacharya)
कलयुग के आखिरी और सातवें चिरंजीवी महापुरुष हैं | संस्कृत ग्रंथों में उनको चिरंजीवी के रूप में बताया गया हैं | कृपाचार्य, अश्वत्थामा के मामा और पांडवों और कौरवों के आचार्य थे | भागवत गीता के मुताबिक कृपाचार्य की गणना सप्तऋषियों में की जाती है | कहा जाता हैं कि वे इतने बड़े तपस्वी थे कि उन्हें अपने तप के बल पर चिरंजीवी रहने का वरदान मिला था | वहीं कुछ लोगों का मानना है कि उनकी निष्पक्षता के आधार पर उन्हें चिरंजीवी रहने का वरदान मिला था | कलयुग में कृपाचार्य अधर्म का नाश करने में कल्कि अवतार की मदद करेंगे | Who are Seven Chiranjeevis?
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