Biography of Nelson Mandela: जानिए एक महान नेता की प्रेरणादायक कहानी!

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नेल्सन मंडेला की प्रेरणादायक यात्रा: रंगभेद के खिलाफ एक ऐतिहासिक आवाज़! | Nelson Mandela Biography | Nelson Mandela Spouse | Nelson Mandela Education | Nelson Mandela Books | Nelson Mandela Died | Nelson Mandela Death | Nelson Mandela Born | Nelson Mandela Children | Biography of Nelson Mandela In Hindi | Nelson Mandela Biography

जब भी दुनिया में साहस, इंसानियत और सच्चे नेतृत्व की बात होती है, तो एक नाम स्वर्ण अक्षरों में उभरता है — नेल्सन मंडेला। क्या आप जानते हैं कि एक व्यक्ति जिसने अपने जीवन के 27 साल जेल में बिताए, वही आगे चलकर लाखों लोगों की आज़ादी का प्रतीक बना? Biography of Nelson Mandela सिर्फ एक राजनीतिक सफर नहीं, बल्कि अत्याचार से न्याय की ओर, नफ़रत से क्षमा की ओर, और विभाजन से एकता की ओर बढ़ती एक अद्वितीय यात्रा है। एक ऐसा जीवन जिसने दुनिया को सिखाया कि बदलाव बंदूक से नहीं, बल्कि विचारों से आता है। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि कैसे एक साधारण बालक “नेल्सन रोलिहलाहला मंडेला” बन गया “मदीबा”, और कैसे उन्होंने इतिहास की दिशा बदल दी। अगर आप जानना चाहते हैं कि असली नेता कैसे बनते हैं, तो यह कहानी आपको जरूर पढ़नी चाहिए।

this is the image of Nelson Mandela life story

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

बचपन और पारिवारिक पृष्ठभूमि

नेल्सन मंडेला का जन्म 18 जुलाई 1918 को दक्षिण अफ्रीका के केप प्रांत के म्वेज़ो गाँव में एक थेम्बू शाही परिवार में हुआ था। उनका जन्म नाम रोलिहलाहला था, जिसका ज़ोसा भाषा में अर्थ “उपद्रवी” होता है। बाद में उन्हें उनके कबीले के नाम मदीबा से जाना गया। उनके परदादा न्गुबेंगकुका थेम्बू साम्राज्य के शासक थे, लेकिन मंडेला की शाखा मोर्गनेटिक थी, जो सिंहासन के लिए अयोग्य थी, परंतु शाही परामर्शदाता के रूप में मान्यता प्राप्त थी। उनके पिता, गदला हेनरी म्फाकनीस्वा, एक स्थानीय प्रमुख और परामर्शदाता थे, जिनकी चार पत्नियाँ और कई बच्चे थे। मंडेला की माँ, नोसेकेनी फैनी, उनकी तीसरी पत्नी थीं।

मंडेला का बचपन ज़ोसा परंपराओं और रीति-रिवाजों के बीच बीता। वे अपनी माँ के क्राल में क्यूनु गाँव में पले-बढ़े, जहाँ उन्होंने मवेशी चराने और अन्य बच्चों के साथ समय बिताया। सात साल की उम्र में, उनकी माँ ने उन्हें मेथोडिस्ट स्कूल में भर्ती कराया, जहाँ उनकी शिक्षिका ने उन्हें “नेल्सन” नाम दिया। नौ साल की उम्र में उनके पिता की फेफड़ों की बीमारी से मृत्यु हो गई, जिसके बाद मंडेला को थेम्बू रीजेंट जोंगिंटाबा दलिंद्येबो के संरक्षण में मखेकेज़वेनी के “ग्रेट प्लेस” में भेजा गया। यहाँ उन्होंने ईसाई धर्म और पश्चिमी शिक्षा को अपनाया, साथ ही अफ्रीकी इतिहास के प्रति प्रेम विकसित किया। 16 वर्ष की आयु में, उन्होंने ज़ोसा परंपरा के अनुसार उलवालुको खतना अनुष्ठान में भाग लिया, जिसने उनके पुरुषत्व में प्रवेश को चिह्नित किया।

शिक्षा और प्रारंभिक करियर

मंडेला ने अपनी माध्यमिक शिक्षा क्लार्कबरी मेथोडिस्ट हाई स्कूल में शुरू की, जहाँ उन्होंने खेल, बागवानी और सामाजिक मेलजोल में रुचि विकसित की। बाद में, उन्होंने हील्डटाउन मेथोडिस्ट कॉलेज में पढ़ाई की, जहाँ वे लंबी दूरी के धावक और मुक्केबाज बने। 1939 में, वे फोर्ट हरे विश्वविद्यालय में बीए की पढ़ाई के लिए गए, जो उस समय अश्वेत छात्रों के लिए एक प्रतिष्ठित संस्थान था। यहाँ उन्होंने अंग्रेजी, नृविज्ञान, राजनीति और रोमन डच कानून का अध्ययन किया। हालाँकि, भोजन की गुणवत्ता के खिलाफ छात्रों के बहिष्कार में भाग लेने के कारण उन्हें निलंबित कर दिया गया, और वे अपनी डिग्री पूरी नहीं कर सके।

1941 में, जोंगिंटाबा द्वारा तय की गई शादी से बचने के लिए मंडेला जोहान्सबर्ग भाग गए। वहाँ उन्होंने क्राउन माइंस में चौकीदार के रूप में काम किया और बाद में वाल्टर सिसुलु की मदद से एक लॉ फर्म में क्लर्क बन गए। जोहान्सबर्ग में, वे अफ्रीकी राष्ट्रवादी और कम्युनिस्ट कार्यकर्ताओं के संपर्क में आए, जिन्होंने उनके राजनीतिक विचारों को आकार दिया। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका विश्वविद्यालय से पत्राचार के माध्यम से अपनी बीए की डिग्री पूरी की और बाद में विटवाटरसैंड विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई शुरू की।

व्यक्तिगत जीवन और व्यक्तित्व

मंडेला की तीन शादियाँ हुईं। उनकी पहली पत्नी एवलिन मेस थीं, जिनसे उनके चार बच्चे थे। यह शादी 1958 में तलाक में समाप्त हुई। उसी वर्ष, उन्होंने विनी मैडिकिज़ेला से शादी की, जिनसे उनकी दो बेटियाँ हुईं। यह रिश्ता 1996 में तलाक के साथ खत्म हुआ। 1998 में, उन्होंने ग्रासा माचेल से शादी की। मंडेला एक करिश्माई, विनम्र और विनोदी व्यक्ति थे, जो अपनी सादगी और दृढ़ता के लिए जाने जाते थे। वे भारतीय व्यंजनों और मुक्केबाजी के शौकीन थे।

नेल्सन मंडेला के बच्चे – Nelson Mandela’s Children – Nelson Mandela’s Wife

नेल्सन मंडेला के कुल छह बच्चे थे, जो उनकी तीन शादियों से हुए। नीचे उनके बच्चों के नाम और उनकी माताओं के बारे में जानकारी दी गई है:

1. एवलिन मेस (पहली पत्नी)

  • थेम्बेकाइल “थेम्बी” मंडेला (1945-1969): मंडेला का सबसे बड़ा बेटा। वे एक कार दुर्घटना में मारे गए, जब मंडेला जेल में थे।
  • मकगथो मंडेला (1950-2003): दूसरा बेटा। वे एड्स से संबंधित बीमारी से मरे। मंडेला ने उनके निधन के बाद एचआईवी/एड्स जागरूकता के लिए 46664 अभियान को और बढ़ावा दिया।
  • मकाजीवे मंडेला (1947): पहली बेटी, जो जन्म के नौ महीने बाद शिशु अवस्था में ही मर गई।
  • मकाजीवे मंडेला (दूसरी) (1954): मंडेला की जीवित बेटी, जो उनके नाम की दूसरी मकाजीवे हैं। वे एक सामाजिक कार्यकर्ता और व्यवसायी हैं।

2. विनी मैडिकिज़ेला-मंडेला (दूसरी पत्नी)

  • ज़ेनानी मंडेला-ध्लमिनी (1959): मंडेला की बड़ी बेटी। वे दक्षिण अफ्रीका की राजनयिक रहीं और स्वाज़ीलैंड के राजा मस्वाती III से शादी की।
  • ज़िंदज़िस्वा “ज़िंदज़ी” मंडेला-ह्लोंगवाने (1960-2020): छोटी बेटी। वे एक कवयित्री, कार्यकर्ता और दक्षिण अफ्रीका की राजनयिक थीं।

3. ग्रासा माचेल (तीसरी पत्नी)

  • ग्रासा माचेल से मंडेला का कोई बच्चा नहीं था। ग्रासा की पहली शादी से एक बेटी, जोसिना, थी, जो मंडेला की सौतेली बेटी थी।

मंडेला अपने बच्चों से बहुत प्यार करते थे, लेकिन जेल में लंबे समय तक रहने के कारण वे अपने परिवार के साथ ज्यादा समय नहीं बिता पाए। उनकी बेटियाँ, विशेष रूप से ज़ेनानी और ज़िंदज़ी, ने उनके सामाजिक और राजनीतिक कार्यों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

रंगभेद विरोधी आंदोलन में प्रवेश

अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस और युवा लीग

1943 में, मंडेला अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस (ANC) में शामिल हुए और 1944 में इसके युवा लीग (ANCYL) के सह-संस्थापक बने। उस समय, नेशनल पार्टी की श्वेत सरकार ने रंगभेद नीति लागू की थी, जो गोरों को विशेषाधिकार देती थी और अश्वेतों को हाशिए पर धकेलती थी। मंडेला ने रंगभेद के खिलाफ अहिंसक प्रतिरोध की वकालत की और 1952 के अवज्ञा अभियान में हिस्सा लिया, जिसके लिए उन्हें गिरफ्तार किया गया। इस अभियान ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमुख नेता के रूप में स्थापित किया। 1955 में, उन्होंने कांग्रेस ऑफ द पीपल में भाग लिया, जहाँ स्वतंत्रता चार्टर को अपनाया गया, जो सभी दक्षिण अफ्रीकियों के लिए समानता की माँग करता था।

मंडेला ने शुरू में अफ्रीकी राष्ट्रवाद को अपनाया, लेकिन बाद में उन्होंने बहु-नस्लीय गठबंधन के विचार को स्वीकार किया। मार्क्सवादी साहित्य और मूसा कोटाने जैसे कम्युनिस्ट मित्रों से प्रभावित होकर, उन्होंने समाजवादी विचारों को अपनाया। हालाँकि, उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल होने से इनकार किया, क्योंकि यह उनके ईसाई विश्वासों से टकराता था। 1952 में, उन्हें ट्रांसवाल ANC का अध्यक्ष चुना गया, जिसने उनकी नेतृत्व क्षमता को और मजबूत किया।

उमखोंटो वी सिज़वे और हिंसक प्रतिरोध

1950 के दशक तक, मंडेला अहिंसक प्रतिरोध के पक्षधर थे, लेकिन रंगभेदी सरकार की क्रूरता और दमन ने उन्हें हिंसक कार्रवाइयों की ओर प्रेरित किया। 1961 में, उन्होंने वाल्टर सिसुलु और जो स्लोवो के साथ मिलकर उमखोंटो वी सिज़वे (MK) की स्थापना की, जो ANC की सशस्त्र शाखा थी। MK ने सरकारी ढांचों के खिलाफ तोड़फोड़ अभियान शुरू किया। मंडेला, जिन्हें “ब्लैक पिम्परनेल” के नाम से जाना गया, ने गुप्त रूप से देश का दौरा किया और संगठन को मजबूत किया। 1962 में, उन्हें हॉविक के पास गिरफ्तार कर लिया गया और पाँच साल की जेल की सजा सुनाई गई।

1963 में, लिलीसलीफ फ़ार्म पर छापेमारी के बाद मंडेला और उनके साथियों पर रिवोनिया ट्रायल में सरकार को उखाड़ फेंकने की साजिश का आरोप लगाया गया। मंडेला ने अपने ऐतिहासिक भाषण में कहा, “मैं एक ऐसे लोकतांत्रिक और स्वतंत्र समाज के लिए लड़ने को तैयार हूँ, जिसमें सभी लोग समान अवसरों के साथ रहें।” उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।

कारावास के वर्ष

रॉबेन द्वीप और अन्य जेलें

मंडेला ने 27 साल जेल में बिताए, जिनमें से 18 साल रॉबेन द्वीप पर, फिर पोल्समूर जेल और विक्टर वेरस्टर जेल में। रॉबेन द्वीप पर, उन्हें कठोर परिस्थितियों का सामना करना पड़ा, जिसमें छोटी कोठरी, कठिन श्रम और सेंसरशिप शामिल थी। फिर भी, उन्होंने अपनी LLB की डिग्री पर काम किया और साथी कैदियों के साथ “रॉबेन द्वीप विश्वविद्यालय” की शुरुआत की, जहाँ वे सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा करते थे।

1982 में, उन्हें पोल्समूर जेल में स्थानांतरित किया गया, जहाँ परिस्थितियाँ बेहतर थीं। यहाँ उन्होंने छत पर एक बगीचा बनाया और पत्राचार के माध्यम से अपनी पढ़ाई जारी रखी। 1988 में, तपेदिक के इलाज के बाद, उन्हें विक्टर वेरस्टर जेल में ले जाया गया, जहाँ उन्हें बेहतर सुविधाएँ दी गईं। इस दौरान, उन्होंने गुप्त रूप से ANC नेताओं और सरकार के साथ बातचीत शुरू की।

रिहाई की ओर

1980 के दशक में, मंडेला की रिहाई के लिए अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ा। रंगभेद के खिलाफ वैश्विक प्रतिबंध और दक्षिण अफ्रीका में बढ़ती हिंसा ने सरकार को मजबूर किया। 1985 में, राष्ट्रपति पीडब्ल्यू बोथा ने उनकी रिहाई की पेशकश की, बशर्ते वे हिंसा का त्याग करें, लेकिन मंडेला ने इसे ठुकरा दिया। अंततः, 11 फरवरी 1990 को, राष्ट्रपति एफडब्ल्यू डी क्लार्क ने उन्हें रिहा कर दिया। उनकी रिहाई ने दक्षिण अफ्रीका में एक नए युग की शुरुआत की।

रंगभेद का अंत और राष्ट्रपति पद

वार्ताएँ और चुनाव

रिहाई के बाद, मंडेला ने डी क्लार्क के साथ मिलकर रंगभेद को समाप्त करने के लिए बातचीत की। 1991 में, डेमोक्रेटिक साउथ अफ्रीका (CODESA) वार्ताएँ शुरू हुईं, जो एक नए संविधान की नींव रखीं। हिंसा और असहमति के बावजूद, 1994 में पहला बहुजातीय आम चुनाव हुआ, जिसमें ANC ने भारी जीत हासिल की। मंडेला दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने।

राष्ट्रपति के रूप में योगदान

मंडेला ने राष्ट्रीय एकता की सरकार का नेतृत्व किया, जिसमें ANC, नेशनल पार्टी और इंकाथा शामिल थे। उनकी सरकार ने नस्लीय सुलह पर जोर दिया और सत्य और सुलह आयोग की स्थापना की, जो रंगभेद के दौरान हुए मानवाधिकार हनन की जाँच करता था। उनकी नीतियों ने शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास और बुनियादी ढांचे में सुधार पर ध्यान केंद्रित किया। पुनर्निर्माण और विकास कार्यक्रम (RDP) के तहत, लाखों लोगों को बिजली, पानी और घर उपलब्ध कराए गए। हालाँकि, उनकी सरकार ने आर्थिक उदारीकरण को अपनाया, जिसकी कुछ समाजवादी समर्थकों ने आलोचना की।

मंडेला ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने पैन एम फ्लाइट 103 बम विस्फोट मामले में मध्यस्थता की और गुटनिरपेक्ष आंदोलन के महासचिव के रूप में कार्य किया। उन्होंने अफ्रीकी पुनर्जागरण की वकालत की और क्षेत्रीय संघर्षों में शांति स्थापना के लिए काम किया।

राष्ट्रपति पद के बाद और परोपकार

1999 में, मंडेला ने दूसरा कार्यकाल स्वीकार करने से इनकार कर दिया और थाबो मबेकी को सत्ता सौंप दी। इसके बाद, उन्होंने नेल्सन मंडेला फाउंडेशन की स्थापना की, जो गरीबी और एचआईवी/एड्स के खिलाफ काम करता था। उन्होंने मंडेला रोड्स फाउंडेशन और 46664 अभियान शुरू किया, जो एचआईवी/एड्स जागरूकता के लिए था। मंडेला ने वैश्विक मुद्दों, जैसे इराक युद्ध और कोसोवो हस्तक्षेप, पर भी अपनी राय व्यक्त की, जिससे कुछ विवाद उत्पन्न हुए।

नेल्सन मंडेला की संक्षिप्त जीवनी (100 शब्द)

नेल्सन मंडेला (1918-2013) दक्षिण अफ्रीका के रंगभेद विरोधी क्रांतिकारी, राजनीतिक नेता और परोपकारी व्यक्ति थे, जो देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति (1994-1999) बने। कुनु गांव में थेम्बू शाही परिवार में जन्मे, उन्होंने कानून का अध्ययन किया और अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस (ANC) में एक प्रमुख व्यक्ति बन गए। रंगभेद और नस्लीय उत्पीड़न के खिलाफ अपनी लड़ाई के लिए मंडेला ने 27 साल जेल में बिताए। 1990 में उनकी रिहाई ने दक्षिण अफ्रीका के लोकतंत्र में संक्रमण की शुरुआत को चिह्नित किया।

उन्हें मेलमिलाप और समानता को बढ़ावा देने के प्रयासों के लिए 1993 के नोबेल शांति पुरस्कार सहित कई पुरस्कार मिले। शांति, न्याय और मानवाधिकारों के वैश्विक प्रतीक के रूप में मंडेला की विरासत दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रेरित करती है।

नेल्सन मंडेला की जीवनी 150 शब्दों में

नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका के रंगभेद विरोधी क्रांतिकारी, राजनीतिक नेता और परोपकारी व्यक्ति थे, जो 1994 से 1999 तक देश के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने। 18 जुलाई, 1918 को कुनु गांव में जन्मे मंडेला थेम्बू शाही परिवार से थे। उन्होंने कानून की पढ़ाई की और अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस (ANC) में शामिल हो गए, जहाँ उन्होंने रंगभेद, नस्लीय अलगाव की प्रणाली से लड़ने के प्रयासों का नेतृत्व किया।

1962 में, मंडेला को उनके सक्रियता के लिए गिरफ्तार किया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। 27 साल जेल में बिताने के बाद, उन्हें 1990 में रिहा कर दिया गया। मंडेला ने रंगभेद को खत्म करने, लोकतंत्र के लिए शांतिपूर्ण संक्रमण पर बातचीत करने और 1994 में पहले बहुजातीय चुनावों की देखरेख करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जहाँ वे दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने।

मंडेला के नेतृत्व ने राष्ट्रीय सुलह, मानवाधिकार और सामाजिक न्याय को बढ़ावा दिया। राजनीति से संन्यास लेने के बाद, उन्होंने वैश्विक शांति और विभिन्न मानवीय कारणों की वकालत जारी रखी। मंडेला का निधन 5 दिसंबर, 2013 को हुआ, लेकिन प्रतिरोध, शांति और समानता के प्रतीक के रूप में उनकी विरासत दुनिया भर में कायम है।

नेल्सन मंडेला की संक्षिप्त जीवनी 200 -300 शब्दों में

नेल्सन मंडेला का जन्म 18 जुलाई, 1918 को दक्षिण अफ्रीका के पूर्वी केप प्रांत के क्यूनु गांव में थेम्बू शाही परिवार में हुआ था। उनका जन्म का नाम रोलिहलाहला मंडेला था, जिसका अर्थ है “पेड़ की शाखा को खींचना” या “उपद्रव करने वाला।” मंडेला की प्रारंभिक शिक्षा एक स्थानीय मिशन स्कूल में शुरू हुई, और बाद में उन्होंने फोर्ट हरे विश्वविद्यालय और विटवाटरसैंड विश्वविद्यालय में भाग लिया, जहाँ उन्होंने कानून का अध्ययन किया।

मंडेला रंगभेद के खिलाफ संघर्ष में शामिल हो गए, जो दक्षिण अफ्रीका में संस्थागत नस्लीय अलगाव और भेदभाव की व्यवस्था है। 1944 में, वे अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस (ANC) में शामिल हो गए और इसके यूथ लीग के संस्थापक सदस्य थे। मंडेला की सक्रियता के कारण 1962 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और सरकार को उखाड़ फेंकने की साजिश रचने के लिए उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। उन्होंने 27 साल जेल में बिताए, जिनमें से ज़्यादातर रॉबेन द्वीप पर रहे।

1990 में, मंडेला को रिहा कर दिया गया, और उन्होंने 1994 में रंगभेद की समाप्ति और बहुजातीय चुनावों की स्थापना के लिए बातचीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने और अपनी सुलह की नीति के माध्यम से राष्ट्र के घावों को भरने का काम किया। मंडेला के नेतृत्व ने दक्षिण अफ्रीका को एक लोकतांत्रिक समाज में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जहाँ सभी नागरिक, चाहे वे किसी भी जाति के हों, मतदान कर सकते थे।

राजनीति से संन्यास लेने के बाद, मंडेला ने विभिन्न पहलों के माध्यम से शांति और मानवाधिकारों की वकालत जारी रखी। 5 दिसंबर, 2013 को 95 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। न्याय, समानता और शांति के चैंपियन के रूप में मंडेला की विरासत दुनिया भर के लोगों को प्रेरित करती है।

नेल्सन मंडेला के बारे में कुछ तथ्य

  • 1994 से 1999 तक नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति रहे। वे दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति थे और पूर्ण प्रतिनिधि चुनाव में चुने जाने वाले पहले व्यक्ति थे।
  • नेल्सन मंडेला के नेतृत्व का ध्यान देश की रंगभेदी सरकार को उखाड़ फेंकने पर केंद्रित था, जिसने कानून के माध्यम से नस्लीय अलगाव लागू किया था।
  • नेल्सन मंडेला ने स्कूल में कानून की पढ़ाई की और उसके बाद वे दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत वकीलों में से एक बन गये।
  • 1950 के दशक में उन्हें अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस (ANC) मुक्ति आंदोलन के युवा वर्ग का नेता चुना गया।
  • सरकार द्वारा नस्लीय कारणों से ANC पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद मंडेला ने एक गुप्त सैन्य आंदोलन की स्थापना की। उन्होंने पहले अहिंसक विरोध प्रदर्शनों में भाग लिया था, लेकिन जब सरकार ने क्रूरता से जवाब दिया, तो उन्होंने सरकार विरोधी आंदोलन को बढ़ावा देना शुरू कर दिया।

नेल्सन मंडेला पर किताबें – Books on Nelson Mandela – Nelson Mandela Book In Hindi

नीचे कुछ प्रमुख किताबों की सूची दी गई है जो नेल्सन मंडेला के जीवन और कार्यों पर आधारित हैं और हिंदी में उपलब्ध हैं। यह जानकारी उपलब्ध स्रोतों पर आधारित है:

1. नेल्सन मंडेला: फ्रॉम प्रिजनर टू प्रेसिडेंट – सुशील कपूर

  • विवरण: यह जीवनी मंडेला के प्रेरणादायक जीवन को दर्शाती है, जिसमें उनकी रंगभेद विरोधी क्रांति, 27 साल की जेल और दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति के रूप में उनकी भूमिका शामिल है। यह किताब उनकी नस्लीय सुलह को बढ़ावा देने की कोशिशों को भी रेखांकित करती है। इसकी सरल भाषा, स्पष्ट फ़ॉन्ट और संक्षिप्त लेखन इसे पाठकों के लिए आकर्षक बनाता है, खासकर प्रारंभिक जानकारी के लिए।
  • प्रकाशक: प्रभात प्रकाशन
  • ISBN: 9789350483428
  • मूल्य: लगभग ₹300
  • उपलब्धता: Amazon.in और Prabhatbooks.com पर उपलब्ध।
  • समीक्षा: पाठकों ने इसे प्रेरणादायक और शिक्षाप्रद बताया है। टिप्पणियों में शामिल हैं: “शानदार किताब और बहुत रोचक” और “इस महान व्यक्ति के बारे में प्रारंभिक जानकारी प्राप्त करने के लिए उपयुक्त।” Amazon पर इसे 4.0–5.0 स्टार रेटिंग मिली है, जिसमें इसकी सरल भाषा और प्रेरक सामग्री की प्रशंसा की गई है।

2. नेल्सन मंडेला (हिंदी संस्करण) – सुशील कपूर

  • विवरण: यह किताब, जो सुशील कपूर द्वारा लिखी गई है, एक ई-बुक के रूप में उपलब्ध है। यह मंडेला के रंगभेद के खिलाफ संघर्ष, उनकी जेल अवधि और लोकतांत्रिक दक्षिण अफ्रीका के निर्माण में उनके नेतृत्व पर केंद्रित है। यह किताब उनकी न्याय और समानता के प्रति समर्पण को श्रद्धांजलि देती है।
  • प्रकाशक: Amazon Kindle Store
  • ISBN: 9789380186269
  • उपलब्धता: Amazon.in Kindle Store पर उपलब्ध
  • समीक्षा: इसे उच्च रेटिंग मिली है, एक पाठक ने कहा, “अगर मुझसे टॉप 10 किताबें चुनने को कहा जाए तो यह एक किताब है।” यह पाठकों को अपने लक्ष्यों में दृढ़ रहने के लिए प्रेरित करती है।

3. नेल्सन मंडेला (हिंदी में) – राजवीर सिंह “दर्शनिक”

  • विवरण: यह जीवनी मंडेला के जीवन और नस्लीय अन्याय के खिलाफ उनकी लड़ाई को कवर करती है। यह हिंदी पाठकों के लिए सुलभ और आकर्षक है, जो उन्हें स्वतंत्रता सेनानी और वैश्विक प्रतीक के रूप में प्रस्तुत करती है।
  • प्रकाशक: PM Publications
  • ISBN: 9789384558628
  • संस्करण: पहला, 2015
  • उपलब्धता: Flipkart.com पर मुफ्त शिपिंग और 30-दिन की रिप्लेसमेंट गारंटी के साथ उपलब्ध।
  • समीक्षा: Flipkart पर 8 रेटिंग्स के आधार पर 4.5 स्टार रेटिंग, हालांकि विस्तृत समीक्षाएँ उपलब्ध नहीं हैं।

4. नेल्सन मंडेला: लॉन्ग वॉक टू फ्रीडम (हिंदी में अंश)

  • विवरण: मंडेला की आत्मकथा लॉन्ग वॉक टू फ्रीडम का एक अंश NCERT कक्षा 10 की अंग्रेजी पाठ्यपुस्तक फर्स्ट फ्लाइट (अध्याय 2) में शामिल है। यह उनके दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति के रूप में उद्घाटन और रंगभेद के खिलाफ संघर्ष को वर्णित करता है। यह पाठ हिंदी और अंग्रेजी दोनों माध्यमों में उपलब्ध है और CBSE पाठ्यक्रम का हिस्सा है।
  • उपलब्धता: Aglasem.com और Selfstudys.com पर मुफ्त PDF डाउनलोड के लिए उपलब्ध।
  • नोट: यह पूरी किताब नहीं है, बल्कि एक अध्याय है जो शैक्षिक उद्देश्यों के लिए उपयोगी है, विशेष रूप से बोर्ड परीक्षा की तैयारी के लिए। हिंदी में सारांश और समाधान cbsestudyguru.com और doubtnut.com जैसे साइट्स पर उपलब्ध हैं।

बीमारी और मृत्यु – Nelson Mandela Death

2011 से 2013 तक, मंडेला को कई बार श्वसन संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया। 5 दिसंबर 2013 को, 95 वर्ष की आयु में ह्यूटन में उनके घर पर उनका निधन हो गया। उनकी मृत्यु पर विश्व भर में शोक व्यक्त किया गया। दक्षिण अफ्रीका में 10 दिनों का राष्ट्रीय शोक और प्रिटोरिया में राजकीय अंतिम संस्कार आयोजित किया गया।

विरासत और सम्मान

मंडेला को विश्व स्तर पर लोकतंत्र और सामाजिक न्याय के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार, भारत रत्न, और 250 से अधिक अन्य सम्मान प्राप्त हुए। संयुक्त राष्ट्र ने उनके जन्मदिन को “मंडेला दिवस” घोषित किया, जो उनके योगदान को याद करता है। दक्षिण अफ्रीका में उनकी प्रतिमाएँ और स्मारक उनके सम्मान में बनाए गए। उनकी जीवनी, लॉन्ग वॉक टू फ्रीडम, विश्व भर में प्रेरणा का स्रोत है।

मंडेला की विरासत न केवल रंगभेद के खिलाफ उनकी लड़ाई में निहित है, बल्कि उनकी सुलह और समानता की भावना में भी है। वे एक ऐसे नेता थे जिन्होंने नस्ल, धर्म और विचारधारा से परे एकजुटता का संदेश दिया। उनकी कहानी यह सिखाती है कि साहस, दृढ़ता और क्षमा के साथ, कोई भी समाज को बेहतर बना सकता है।

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