क्या आपकी आँखें हैं सुरक्षित? 50% भारतीयों को होगी ये बीमारी! अगली महामारी!
Epidemic of Myopia: आज, हम निकट दृष्टि दोष की बढ़ती महामारी पर चर्चा करेंगे, जो दृष्टि स्पष्टता को प्रभावित करने वाली एक स्थिति है, जिसने पिछले दो दशकों में भारत में 5-15 वर्ष की आयु के व्यक्तियों में 4.5% से 21% से अधिक की दर में नाटकीय वृद्धि देखी है। हम इस आम गलत धारणा का पता लगाते हैं कि निकट दृष्टि दोष केवल आनुवंशिकी या विकास कारकों के कारण होता है, इस व्यापक समस्या में हमारे पर्यावरण और जीवनशैली विकल्पों की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करता है। यह अनुमान लगाते हुए कि 2050 तक दुनिया की आधी आबादी निकट दृष्टि दोष से ग्रस्त हो सकती है, हम इस वृद्धि के पीछे के वास्तविक कारणों की जांच करते हैं, निवारक उपायों पर चर्चा करते हैं, और अंत में हमारे माता-पिता द्वारा बहुत अधिक टीवी देखने के बारे में दी जाने वाली सदियों पुरानी चेतावनी पर चर्चा करते हैं। निकट दृष्टि दोष, इसके प्रभावों और इस बढ़ती महामारी (Epidemic of Myopia)से निपटने के लिए हम क्या कर सकते हैं, के बारे में सच्चाई को उजागर करने के लिए हमारे साथ जुड़ें।
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क्या है मायोपिया महामारी (निकटदृष्टि दोष)? | What is myopia epidemic?
निकट दृष्टि दोष (Epidemic of Myopia) को चिकित्सीय भाषा में मायोपिया कहते हैं, इसमें दूर की चीजों को स्पष्ट रूप से देखने में परेशानी आती है। मायोपिया में आंख की पुतली (आई बॉल) का आकार बढ़ने से प्रतिबिंब रेटिना पर बनने के बजाय थोड़ा आगे बनता है। ऐसा होने से दूर की वस्तुएं धुंधली और अस्पष्ट दिखाई देती हैं, लेकिन पास की वस्तुएं देखने में कोई परेशानी नहीं होती है। एक अनुमान के अनुसार भारत की 20-30 प्रतिशत जनसंख्या मायोपिया से पीड़ित है।
मायोपिया तब होता है, जब आंख की पुतली बहुत लंबी हो जाती है या कार्निया (आंखों की सबसे बाहरी सुरक्षात्मक परत) की वक्रता बहुत बढ़ जाती है। इससे जो रोशनी आंखों में प्रवेश करती है वो ठीक प्रकार से फोकस नहीं होती है, जिससे प्रतिबिंब रेटिना के थोड़ा आगे फोकस होते हैं। इससे नज़र धुंधली हो जाती है। जब मायोपिया की समस्या बहुत बढ़ जाती है तो मोतियाबिंद और ग्लुकोमा होने का खतरा बढ़ जाता है।
मायोपिया धीरे-धीरे या तेजी से विकसित हो सकता है। बच्चों में यह समस्या तेजी से बढ़ती है क्योंकि उनका शरीर और आंखें विकसित हो रही होती हैं। आंखों का आकार बढ़ने से कार्निया और रेटिना में तेज खिंचाव हो सकता है। हालांकि, जिन बच्चों को मायोपिया है अट्ठारह वर्ष की आयु होने तक उनका दृष्टि स्थिर हो जाती है।
दिल्ली स्थित, ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (All India Institute of Medical Sciences (AIIMS) द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, भारत में 5-15 वर्ष की आयुवर्ग के 17 प्रतिशत बच्चे निकट दृष्टि दोष से पीड़ित हैं।
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मायोपिया महामारी के प्रकार | Types of Myopia Epidemic
मायोपिया (Epidemic of Myopia) को अक्सर इसके कारण के आधार पर दो श्रेणियों में विभाजित किया जाता है: `
- अक्षीय मायोपिया (Axial myopia): अक्षीय मायोपिया नेत्रगोलक के आगे से पीछे की ओर बहुत लंबा होने (अक्षीय लंबाई) के कारण होता है। यह मायोपिया का सबसे आम कारण है, खासकर बचपन में।
- अपवर्तक मायोपिया (Refractive myopia): अपवर्तक मायोपिया तब हो सकता है जब कॉर्निया या लेंस बहुत अधिक घुमावदार हो। यह तब भी हो सकता है जब लेंस कॉर्निया के बहुत करीब हो, लेकिन यह दुर्लभ है।
कुछ लोगों में अक्षीय और अपवर्तक मायोपिया का संयोजन हो सकता है।
मायोपिया महामारी (निकट दृष्टि दोष) के कारण | Causes of Myopia Epidemic (nearsightedness)
निकट दृष्टि दोष (Epidemic of Myopia) विश्वभर में दृष्टि प्रभावित होने का सबसे प्रमुख कारण है। अनुवांशिक कारण, पर्यावर्णीय स्थितियां और जीवनशैली इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- अगर आपके माता या पिता दोनों में से किसी को यह समस्या है तो आपके लिए इसका खतरा बढ़ जाता है। अगर माता-पिता दोनों को निकट दृष्टि दोष है तो खतरा अधिक बढ़ जाता है।
- स्क्रीन (टीवी, कम्प्युटर, मोबाइल) के सामने अधिक समय बिताना।
- किताबों या स्क्रीन से आवश्यक दूरी न रखना मायोपिया के खतरे को अधिक बढ़ा देता है।
- कुछ अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि प्रकृतिक रोशनी में कम समय बिताने से मायोपिया का खतरा बढ़ जाता है।
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मायोपिया महामारी के लक्षण | Symptoms of Myopia Epidemic
मायोपिया (Epidemic of Myopia) का सबसे प्रमुख लक्षण है दूर की चीजें स्पष्ट दिखाई न देना, इसके अलावा निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं;
- बार-बार आंखे झपकाना।
- दूर की चीजें देखने पर आंखों में तनाव और थकान महसूस होना।
- ड्रायविंग करने में परेशानी आना खासकर रात के समय में।
- सिरदर्द।
- पलकों को सिकुड़कर देखना।
- आंखों से पानी आना।
बच्चों में इनके अलावा निम्न लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं;
- क्लासरूम में ब्लैक बोर्ड या व्हाइट बोर्ड से ठीक प्रकार से दिखाई न देना।
- लगातार आंखें मसलना।
- पढ़ाई पर फोकस न कर पाना।
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मायोपिया महामारी का उपचार | Treatment of Myopia Epidemic
उपचार का उद्देश्य दृष्टि को सुधारना होता है। इसके लिए सर्जिकल और नान सर्जिकल दोनों तरह के उपचार उपलब्ध हैं।
1. नान-सर्जिकल (Non-surgical): मायोपिया के नान-सर्जिकल उपचार में नेगेटिव नंबर के चश्मे या कांटेक्ट लेंसों की आवश्यकता पड़ती है। जितना नंबर अधिक होगा उतना ही आपका मायोपिया गंभीर है।
2. चश्में (Glasses): यह दृष्टि को स्पष्ट और तेज करने का एक सामान्य और सुरक्षित तरीका है। इनमें जो आई ग्लास लेंस इस्तेमाल किए जाते हैं वो कईं प्रकार के होते हैं जैसे सिंगल विज़न, बाइ-फोकल्स, ट्राय-फोकल्स और प्रोग्रेसिव मल्टी-फोकल (Single vision, bi-focals, tri-focals and progressive multi-focals)।
3. कांटेक्ट लेंसेस (Contact lenses): यह लेंस सीधे आंखों पर लगाए जाते हैं। ये विभिन्न प्रकार के पदार्थों से बने होते हैं और इनकी डिजाइनें भी अलग-अलग होती हैं, जिनमें सम्मिलित हैं मुलायम और कठोर, टोरिक और मल्टी-फोकल डिजाइन्स।
4. रिफ्रेक्टिव सर्जरी (Refractive surgery): मायोपिया (Epidemic of Myopia) को रिफ्रेक्टिव इरर (refractive error) कहते हैं, इसलिए इसे दूर करने के लिए की जाने वाली सर्जरी को रिफ्रेक्टिव सर्जरी कहते हैं। रिफ्रेक्टिव सर्जरी, चश्मों और कांटेक्ट लेंसों पर निर्भरता कम कर देती है। इसमें आई सर्जन कार्निया को पुनः आकार देने के लिए लेज़र बीम का इस्तेमाल करता है। इससे निकट दृष्टि दोष में काफी सुधार आ जाता है। कईं लोगों को सर्जरी के बाद चश्मे या कांटेक्ट लेंसों की जरूरत नहीं पड़ती है, जबकि कईं लोगों को इनकी जरूरत पड़ सकती है। रिफ्रेक्टिव सर्जरी की सलाह तब तक नहीं दी जाती जब तक कि आपके लेंस का नंबर स्थिर नहीं हो जाता।
लेसिक और फोटो-रिफ्रेक्टिव केरैटेक्टोमी (LASIK and photo-refractive keratectomy (PRK) सबसे सामान्य रिफ्रेक्टिव सर्जरियां हैं। दोनों में कार्निया का आकार बदला जाता है ताकि प्रकाश बेहतर तरीके से रेटिना पर केंद्रित हो सके।
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मायोपिया महामारी की रोकथाम | Myopia epidemic prevention
मायोपिया (Epidemic of Myopia) को रोकना संभव नहीं है, लेकिन कईं उपाय हैं, जिनके द्वारा आप इसके विकास को धीमा कर सकते हैं। आप अपनी आंखों और दृष्टि को सुरक्षित रखने के लिए निम्न कदम उठा सकते हैं।
- नियमित अंतराल पर अपनी आंखों की जांच कराएं।
- अगर आपको डायबिटीज और उच्च रक्तदाब है तो अपना उपचार कराएं, क्योंकि इनके कारण आपकी दृष्टि प्रभावित हो सकती है।
- अपनी आंखों को सूरज की परा-बैंगनी किरणों के हानिकारक प्रभाव से बचाने के लिए जब भी घर से बाहर निकलें तो गॉगल लगाकर जाएं।
- अपने डाइट चार्ट में रंग-बिरंगे फलों और सब्जियों तथा मछलियों को को शामिल करें।
- पढ़ने और कम्प्युटर पर काम करने के दौरान थोड़ी-थोड़ी देर का ब्रेक लें।
- अच्छी रोशनी में पढ़ें।
- धुम्रपान न करें; धुम्रपान आपकी आंखों के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है।
- बच्चों को चहारदीवारी में बंद न रखें। उन्हें बाहर धूप में खेलने दें।
- स्क्रीन के सामने कम समय बिताएं।
- किताबों और आंखों के बीच में सही दूरी बनाकर रखें।
- बच्चों को दो घंटे से अधिक टीवी और मोबाइल न चलाने दें।
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