Dark Oxygen: 3,000 फीट नीचे प्रशांत महासागर में मिली ऑक्सीजन!

समंदर की तलहटी में कौन छोड़ रहा है प्राण वायु ? 13,000 फीट नीचे मिली डार्क ऑक्सीजन: विज्ञान के लिए एक नई चुनौती!

वैज्ञानिकों ने गहरे समुद्र में ‘Dark Oxygen’ की खोज की है। रिसर्च कहती है कि प्रशांत महासागर के निचले भाग में बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन पंप हो रही है। ये इतनी ज्यादा गहराई में स्थित है कि वहां सूरज की रोशनी का ना होना फोटोसिंथेसिस (प्रकाश संश्लेषण) को असंभव बना देता है। नेचर जियोसाइंस पत्रिका में पब्लिश इस रिसर्च में पाया गया कि समुद्र की सतह से करीब 4,000 मीटर (13,100 फीट) नीचे पूर्ण अंधेरे में ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है, इसे डार्क ऑक्सीजन (Dark Oxygen) का नाम दिया गया है। वैज्ञानिक मानते रहे हैं कि बिना सूरज की रोशनी के ऑक्सीजन नहीं बन सकती है। ऐसे में इस खोज ने विशेषज्ञों को हैरान कर दिया है क्योंकि यह प्रकाश संश्लेषण के जरिए ऑक्सीजन के पैदा होने की समझ को चुनौती देती है।

showing the image of Dark Oxygen secreat in pacific ocean

प्रशांत महासागर के क्लेरियन-क्लिपरटन जोन (CCZ) के समुद्र तल पर समुद्र की सतह से 4,000 मीटर नीचे यानी कि करीब 13,000 फीट नीचे खनिज भंडार से उत्सर्जित ऑक्सीजन मौजूद है | इसकी गहराई माउंट एवरेस्ट की सबसे ऊंची चोटी की लंबाई से करीब आधी है | समुद्र की गहराई में धातु के छोटे-छोटे नॉड्यूल्स (small nodules of metal) पाए गए हैं, ये छोटी गेदों जैसे दिखते हैं, ये समुद्र की सतह पर फैले हुए हैं | ये गेदें अपनी खुद की ऑक्सीजन बनाती हैं, जो कि हैरानी भरा है | वैज्ञानिक इसको डार्क ऑक्सीजन कह रहे हैं | अंधेर में ऑक्सीजन पैदा होने की वजह से इसे डार्क ऑक्सीजन कहा जाता है, क्यों कि सूरज की किरणें और रोशनी यहां तक पहुंचती ही नहीं है |

क्लेरियॉन-क्लिपर्टन जोन में समंदर के अंदर का मैदानी इलाका है | हवाई और मेक्सिको के बीच यह करीब 45 लाख वर्ग किलोमीटर के इलाके में फैला है | समंदर की गहराई में ऑक्सीजन धीरे-धीरे कम होती जाती है | क्योंकि यहां पर फोटोसिंथेसिस करने वाले जीव नहीं होते | लेकिन ये नॉड्यूल्स डार्क ऑक्सीजन पैदा कर रहे हैं |

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Dark Oxygen की रिसर्च से खड़े हो गए हैं कई नए सवाल!

रिसर्च में कहा गया है कि ऑक्सीजन धातु के ‘नोड्यूल्स’ से निकलती है जो कोयले के ढेर के समान होते हैं। वे H2O अणुओं को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में बांटते हैं। रिसर्च के सहलेखक एंड्रयू स्वीटमैन का कहना है कि ग्रह पर एरोबिक जीवन की शुरुआत के लिए ऑक्सीजन होना जरूरी था। हमारी समझ यह रही है कि पृथ्वी की ऑक्सीजन की आपूर्ति प्रकाश संश्लेषक जीवों से शुरू हुई। अब नई रिसर्च कहती है कि गहरे समुद्र में ऑक्सीजन बन रही है, जहां कोई रोशनी नहीं है। अब इस पर फिर से विचार करने की जरूरत है कि जीवन की शुरुआत कहां से हुई। उन्होंने कहा कि ये इसलिए भी चौंकाती है क्योंकि महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन के अनुसार पृथ्वी की आधी ऑक्सीजन समुद्र से आती है। प्रशांत महासागर के क्लेरियन-क्लिपर्टन क्षेत्र में सतह से 4,000 मीटर (13,000 फीट) नीचे स्थित खनिज भंडारों से डार्क ऑक्सीजन निकलती पाई गई।

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डार्क ऑक्सीजन का पता कैसा चला? | How was dark oxygen discovered?

डार्क ऑक्सीजन के स्रोत की खोज के 10 साल से ज्यादा समय के बाद यह खोज की गई है | साल 2013 की रिसर्च मिशन का मकसद यह समझना था कि क्लेरियन-क्लिपरटन ज़ोन पर जीवों द्वारा कितनी ऑक्सीजन का उपभोग किया गया था | समुद्र की सतह कर नीचे गिरने वाले लैंडर्स, यांत्रिक प्लेटफ़ॉर्म को 4,000 मीटर (13,000 फीट) नीचे भेजा गया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि पानी में ऑक्सीजन का स्तर गहराई के साथ कैसे कम हुआ | हालांकि, रिसर्चर्स ने पाया कि समुद्र तल पर ऑक्सीजन का स्तर बढ़ा है | यह देखकर वैज्ञानिक एंड्र्यू स्वीटमैन और उनकी टीम हैरान रह गई |

दरअसल अब तक वैज्ञानिकों का मानना ​​था कि गहरे समुद्र में मौजूद ऑक्सीजन समुद्र के ऊपरी हिस्से और जमीन से आती है, पौधों, प्लवक और शैवाल प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया का उपयोग करके इसे पैदा करते हैं | आमतौर पर जैसे-जैसे पानी की गहराई में जाया जाता है, ऑक्सीजन का स्तर कम होता जाता है | लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ | यहां पर ऑक्सीजन का लेवल बढ़ा हुआ पाया गया | Scientist sweetman को पहले तो लगा कि उनके उपकरण के sensors खराब हो गए हैं लेकिन दोबारा जांच करने पर भी नतीजे हैरान कर देने वाले ही थे |

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धातु की बॉल्स से निकल रहा ऑक्सीजन | Oxygen coming out of metal balls

स्कॉटिश एसोसिएशन फॉर मरीन साइंस (SAMS) के वैज्ञानिक एंड्र्यू स्वीटमैन ने बताया कि पहले हमें जब यह डेटा मिला तो लगा कि हमारे सेंसर्स खराब हो गए हैं | क्योंकि आजतक किसी ने भी समंदर की तलहटी में ऐसा कुछ नहीं देखा था | वहां हमेशा ऑक्सीजन कंज्यूम होता है, न कि प्रोड्यूस, इसलिए हम हैरान थे, तब फिर से जांच की गई |

दोबारा जांच करने पर पता चला कि एंड्र्यू और उनकी टीम कुछ ग्राउंडब्रेकिंग खुलासा करने वाले थे | इसकी स्टडी रिपोर्ट नेचर जियोसाइंस में 22 जुलाई 2024 को प्रकाशित हुई है | ये धातु की गेंदें इलेक्ट्रोलाइसिस के जरिए ऑक्सीजन का प्रोडक्शन करते हैं, यानी इलेक्ट्रिक चार्ज की मौजूदगी में ऑक्सीजन और हाइड्रोजन को अलग करना |

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प्रकृति की छिपी रसायन विज्ञान प्रयोगशाला: 13,000 फीट नीचे!

परंपरागत रूप से, यह माना जाता था कि पृथ्वी की लगभग आधी ऑक्सीजन समुद्री पौधों द्वारा समुद्री प्रकाश संश्लेषण से आती है, जो सूर्य के प्रकाश पर बहुत अधिक निर्भर करती है। यह प्रकाश संश्लेषण मुख्य रूप से समुद्र की ऊपरी परतों में फाइटोप्लांकटन, शैवाल और अन्य समुद्री पौधों जैसे जीवों द्वारा किया जाता है। हालाँकि, इन चरम गहराई पर, ऑक्सीजन का उत्पादन एक पूरी तरह से अलग तंत्र की ओर इशारा करता है।

इस खोज के निहितार्थ चौंका देने वाले हैं। यह सुझाव देता है कि ऑक्सीजन युक्त वातावरण उन जगहों पर मौजूद हो सकता है, जिनके बारे में हमने कभी सोचा भी नहीं था – विदेशी महासागरों की प्रकाशहीन गहराई में या दूर के चंद्रमाओं की बर्फीली परतों के नीचे। यह नाटकीय रूप से अलौकिक जीवन की हमारी खोज का विस्तार कर सकता है, जो हमारे नीले ग्रह से परे जीवन के संकेतों की तलाश कर रहे खगोल विज्ञानियों को आशा प्रदान करता है।

यह खोज खनन दिग्गजों को भी उत्साहित कर सकती है। कोबाल्ट, निकल और लिथियम जैसी प्रतिष्ठित धातुओं से भरपूर इन पिंडों को हरित प्रौद्योगिकी उद्योग के लिए संभावित सोने की खान के रूप में देखा जाता है। लेकिन किस कीमत पर? इन संसाधनों का दोहन करने की हड़बड़ी एक प्राचीन पारिस्थितिकी तंत्र को अपूरणीय क्षति पहुंचा सकती है जिसे हम अभी समझना शुरू ही कर रहे हैं। यह प्रकृति के नाजुक संतुलन के साथ मानवीय महत्वाकांक्षा के टकराव का एक क्लासिक मामला है।

Dark Oxygen उत्पादन की खोज केवल एक वैज्ञानिक जिज्ञासा नहीं है; यह इस बात की विनम्र याद दिलाती है कि हम अपने ग्रह के बारे में वास्तव में कितना कम जानते हैं। हर बार जब हम सोचते हैं कि हमने प्राकृतिक दुनिया के रहस्यों को सुलझा लिया है, तो प्रकृति हमें एक और कर्वबॉल फेंकती है। यह जीवन की अविश्वसनीय सरलता और लचीलेपन का प्रमाण है, जो उन परिस्थितियों में अनुकूलन और पनपता है जिन्हें हम कभी असंभव मानते थे।

जब हम इस अभूतपूर्व खोज के कगार पर खड़े हैं, तो हमारे सामने एक महत्वपूर्ण प्रश्न है: कि क्या हम इस नए आश्चर्य की रक्षा और अध्ययन करना चुनेंगे, या हम समुद्र के संसाधनों का दोहन करने की हड़बड़ी में इसे खोने का जोखिम उठाएँगे? इसका उत्तर न केवल हमारे महासागरों के भविष्य को आकार दे सकता है, बल्कि जीवन के बारे में हमारी समझ को भी आकार दे सकता है।

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FAQ: Secret of Dark Oxygen

1. समुद्र तल पर ऑक्सीजन की मात्रा कितनी पाई जाती है?

मूल्यांकन किए गए अधिकांश क्षेत्रों में, समुद्र तल के पास घुली हुई ऑक्सीजन की सांद्रता 6 मिलीग्राम/लीटर की सीमा से ऊपर है।

2. विश्व का कितना प्रतिशत ऑक्सीजन समुद्र से आता है?

धरती की 80% जैव विविधता और 97 % पानी समुद्रों में है। धरती की 50 % ऑक्सीजन समुद्र बनाते हैं।

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3. 14000 फीट पर ऑक्सीजन कितनी कम है?

14,000 फीट की ऊंचाई पर हवा में समुद्र तल की तुलना में 43% कम ऑक्सीजन होती है। उच्च ऊंचाई पर कम वायु दाब के कारण, आपके द्वारा सांस के साथ फेफड़ों में ली जाने वाली हवा की मात्रा में प्रत्येक सांस में कम ऑक्सीजन अणु होते हैं।

4. पृथ्वी पर सबसे ज्यादा ऑक्सीजन कौन देता है?

समुद्र की सतह पर प्रकाश संश्लेषक प्लवक बहुतायत में हैं। हालांकि वे नंगी आंखों से दिखाई नहीं देते, लेकिन वे सबसे बड़े रेडवुड से भी ज़्यादा ऑक्सीजन पैदा करते हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि पृथ्वी पर ऑक्सीजन उत्पादन का लगभग आधा हिस्सा समुद्र से आता है।

5. महासागर की गहराई ऑक्सीजन के स्तर को कैसे प्रभावित करती है?

जैसे-जैसे गहराई बढ़ती है, घुली हुई ऑक्सीजन घटती जाती है , तथा कुछ सौ मीटर से लेकर 1000 मीटर की गहराई तक न्यूनतम स्तर पर पहुंच जाती है, जिसे उपयुक्त रूप से ऑक्सीजन न्यूनतम परत कहा जाता है।

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