Types of Debentures: जानिए किस प्रकार के डेबेंचर में करें निवेश!

जानें डिबेंचर के विभिन्न प्रकार- उनके उपयोग और फ़ायदे! | Types of Debentures

आज के समय में निवेश करने के लिए कई विकल्प मौजूद हैं, लेकिन डिबेंचर एक ऐसा निवेश है जिसे अक्सर लोग समझ नहीं पाते। डिबेंचर एक प्रकार का ऋण साधन है, जिसे कंपनियां अपने फंड की जरूरतों को पूरा करने के लिए जारी करती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि डिबेंचर के भी कई प्रकार होते हैं? हर प्रकार के डिबेंचर के अपने फायदे और जोखिम होते हैं। इस ब्लॉग में हम आपको Types of Debentures के बारे में सरल भाषा में बताएंगे, ताकि आप समझ सकें कि किस प्रकार का डेबेंचर आपके लिए सबसे उपयुक्त है।

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डिबेंचर क्या हैं? | What are Debentures?

कॉर्पोरेट फाइनेंस में, डिबेंचर एक प्रकार का ऋण उपकरण है जो मध्यम से लंबी अवधि के लिए होता है। इसे बड़ी कंपनियों और सरकार दोनों द्वारा जारी किया जा सकता है। डेबेंचर मुख्य रूप से जारीकर्ता की प्रतिष्ठा और तय ब्याज दर पर काम करते हैं। जब कोई संस्था जनता से एक निश्चित ब्याज दर पर धन उधार लेना चाहती है, तब वे डेबेंचर जारी करती हैं।

कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2(30) के अनुसार, ‘डेबेंचर‘ में डेबेंचर इन्वेंटरी, बॉन्ड्स और किसी भी अन्य प्रकार की प्रतिभूतियां शामिल होती हैं। यह प्रतिभूतियां किसी कंपनी की संपत्तियों पर चार्ज हो सकती हैं या नहीं भी हो सकती हैं।

इस ब्लॉग में हम Types of Debentures पर चर्चा करेंगे Debentures के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहाँ क्लिक करें- Debentures.

डेबेंचर के विभिन्न प्रकार | Different types of Debentures

डेबेंचर एक तरह का कर्ज़ पत्र होता है जो कंपनियाँ पैसे जुटाने के लिए जारी करती हैं। इन्हें अलग-अलग आधार पर बाँटा जा सकता है:

1. सुरक्षा के दृष्टिकोण से (Point of View of Security)

  • सुरक्षित डेबेंचर (Secured Debentures): ये डेबेंचर कंपनी की संपत्ति द्वारा सुरक्षित होते हैं। यानी अगर कंपनी दिवालिया हो जाती है, तो इन डेबेंचर धारकों को अपनी रकम वापस पाने का ज़्यादा हक़ होता है, क्योंकि कंपनी की संपत्ति बेचकर उनका पैसा चुकाया जा सकता है। इस सुरक्षा को चार्ज (Charge) कहते हैं, जो दो तरह का हो सकता है:
    • फिक्स्ड चार्ज (Fixed Charge): ये कंपनी की उन संपत्तियों पर होता है जो रोज़ाना के इस्तेमाल के लिए होती हैं, बेचने के लिए नहीं, जैसे कि मशीनें, इमारतें आदि।
    • फ्लोटिंग चार्ज (Floating Charge): ये कंपनी की उन संपत्तियों पर होता है जो बदलती रहती हैं, जैसे कि स्टॉक (stock), कच्चा माल (raw material) आदि। अगर कंपनी पर कर्ज़ ज़्यादा हो जाए तो ये चार्ज लागू होता है।
  • असुरक्षित डेबेंचर (Unsecured Debentures): इन डिबेंचर पर कोई संपत्ति गिरवी नहीं रखी जाती। इसलिए, इनमें जोखिम ज़्यादा होता है। अगर कंपनी दिवालिया हो जाती है, तो इन डेबेंचर धारकों को पैसा वापस मिलने की संभावना कम होती है। आजकल ऐसे डेबेंचर कम ही जारी किए जाते हैं।

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2. कार्यकाल के दृष्टिकोण से (Point of View of Tenure)

  • पुनः भुगतान योग्य डेबेंचर (Redeemable Debentures):इन डेबेंचरों का एक निश्चित समय होता है, जिसके बाद कंपनी इन्हें वापस खरीद लेती है और निवेशकों का पैसा लौटा देती है। इसका भुगतान एक साथ या किश्तों में हो सकता है।
  • अपरिवर्तनीय डेबेंचर (Irredeemable Debentures):इन्हें स्थायी डेबेंचर (permanent debentures) भी कहते हैं। इनका कोई निश्चित समय नहीं होता। कंपनी इन्हें तभी वापस करती है जब वह बंद हो जाती है या बहुत लंबी अवधि बीत जाती है।

3. परिवर्तनीयता के दृष्टिकोण से (Point of View of Convertibility)

  • परिवर्तनीय डेबेंचर (Convertible Debentures): इन डेबेंचरों को एक निश्चित समय के बाद कंपनी के शेयरों में बदला जा सकता है। ये दो तरह के हो सकते हैं:
    • पूरी तरह परिवर्तनीय (Fully Convertible): सारें डिबेंचर एक समय के बाद शेयर्स में बदल जाते है।
    • आंशिक रूप से परिवर्तनीय (Partly Convertible): डेबेंचर का कुछ हिस्सा ही शेयरों में बदलता है, बाकी का पैसा वापस कर दिया जाता है।
  • अपरिवर्तनीय डेबेंचर (Non-Convertible Debentures): ऐसे डेबेंचर जिन्हें शेयर या अन्य प्रतिभूतियों में नहीं बदला जा सकता। अधिकांश कंपनियां इसी प्रकार के डेबेंचर जारी करती हैं।

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4. ब्याज दर के दृष्टिकोण से (Point of View of Coupon Rate)

  • निश्चित कूपन दर डेबेंचर (Specific Coupon Rate Debentures):इन पर ब्याज दर पहले से ही तय होती है और पूरी अवधि के दौरान वही रहती है।
  • शून्य कूपन दर डेबेंचर (Zero-Coupon Rate Debentures):इन पर कोई ब्याज नहीं दिया जाता, लेकिन इन्हें कम कीमत पर जारी किया जाता है। मैच्योरिटी पर इन्हें ज़्यादा कीमत पर वापस खरीदा जाता है, और यही अंतर निवेशकों का मुनाफ़ा होता है।

5. पंजीकरण के दृष्टिकोण से (Point of View of Registration)

  • पंजीकृत डेबेंचर (Registered Debentures): इन डेबेंचरों का पूरा विवरण, जैसे धारकों के नाम, पते और होल्डिंग विवरण, कंपनी के रजिस्टर में दर्ज होता है। इन डेबेंचरों का स्थानांतरण सामान्य ट्रांसफर डीड (General Transfer Deed) के माध्यम से किया जा सकता है।
  • बियरर डेबेंचर (Bearer Debentures):ये बिना किसी के नाम के जारी किए जाते हैं। जिसके पास ये होते हैं, वही इसका मालिक माना जाता है। इन्हें बस एक हाथ से दूसरे हाथ देकर ही बेचा जा सकता है। इन पर लगे कूपन दिखाकर ब्याज लिया जा सकता है। आजकल ऐसे डेबेंचर कम ही जारी होते हैं।

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FAQs: Types of Debentures in Hindi

1. डेबेंचर में निवेश करना कितना सुरक्षित है?

डेबेंचर को शेयरों की तुलना में कम जोखिम वाला माना जाता है, लेकिन इनमें भी कुछ जोखिम होता है, जैसे कि कंपनी का दिवालिया हो जाना या ब्याज दरों में बदलाव।

2. डेबेंचर ट्रस्टी (Debenture Trustee) की भूमिका क्या होती है?

डेबेंचर ट्रस्टी (Debenture Trustee) निवेशकों के हितों की रक्षा करता है और यह सुनिश्चित करता है कि कंपनी डेबेंचर की शर्तों का पालन करे।

3. डेबेंचर में निवेश करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

कंपनी की वित्तीय स्थिति, क्रेडिट रेटिंग (credit rating), ब्याज दर, परिपक्वता अवधि, और डेबेंचर की शर्तों का ध्यान रखना चाहिए।

4. क्या डेबेंचर को स्टॉक एक्सचेंज में खरीदा या बेचा जा सकता है?

हाँ, सूचीबद्ध डेबेंचर को स्टॉक एक्सचेंज में खरीदा और बेचा जा सकता है।

5. प्राइवेट प्लेसमेंट (Private Placement) के माध्यम से जारी किए गए डेबेंचर क्या होते हैं?

ये डेबेंचर सार्वजनिक रूप से जारी नहीं किए जाते हैं, बल्कि कुछ चुनिंदा निवेशकों को ही बेचे जाते हैं।

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निष्कर्ष | Conclusion

हमने देखा कि डेबेंचर कई प्रकार के होते हैं, जिन्हें सुरक्षा, अवधि, बदलाव की संभावना, ब्याज दर और पंजीकरण जैसे आधारों पर बाँटा जा सकता है। ये सभी “Types of Debentures” निवेशकों और कंपनियों दोनों के लिए अलग-अलग विकल्प प्रदान करते हैं। निवेशकों को अपनी ज़रूरतों और जोखिम लेने की क्षमता के अनुसार सही प्रकार के डेबेंचर में निवेश करना चाहिए, वहीं कंपनियों को अपनी वित्तीय ज़रूरतों के अनुसार उचित प्रकार के डेबेंचर जारी करने चाहिए। इसलिए, डेबेंचर के प्रकारों को समझना वित्तीय बाज़ार में एक महत्वपूर्ण पहलू है।

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