विश्व दूरसंचार दिवस 17 मई: जानिए, विश्व दूरसंचार दिवस का इतिहास, उद्देश्य और इस साल की थीम! | World Telecommunication and Information Society Day | Special Days
संचार, मानव जीवन का आधार है। विचारों, भावनाओं और सूचनाओं के आदान-प्रदान के बिना, जीवन की कल्पना करना भी मुश्किल है। यह एक ऐसा उपकरण है जो हमें दूसरों से जुड़ने, संबंध बनाने और समाज में योगदान करने में मदद करता है। डिजिटल युग ने हमें संचार के अनेक माध्यम प्रदान किए हैं, जिनके कारण हम दुनिया भर के लोगों से आसानी से जुड़ सकते हैं। ऐसे में कम विकसित देशों में डिजिटल परिवर्तन लाने के लिए हर साल विश्व दूरसंचार दिवस मनाया जाता है। यहाँ World Telecommunication Day in Hindi के बारे में विस्तार से बताया गया है।
विश्व दूरसंचार दिवस 2025 अवलोकन | World Telecommunication Day 2025 Overview
पहलू | विवरण |
दिवस का नाम |
World Telecommunication Day 2025 |
तारीख | 17 मई 2025 |
द्वारा स्थापित | अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू) |
कब से मनाया गया | 1969 |
अवसर | ITU की 160वीं वर्षगांठ |
2025 के लिए थीम | डिजिटल परिवर्तन में लैंगिक समानता क्यों महत्वपूर्ण है |
उद्देश्य | आईसीटी के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना और डिजिटल विभाजन को पाटना |
मुख्य फोकस क्षेत्र (2025) | महिलाओं और लड़कियों के लिए डिजिटल समावेशन को बढ़ावा देना |
वैश्विक महत्व | डिजिटल विकास, नवाचार और सतत विकास को गति प्रदान करता है |
संबंधित पहल | विश्व सूचना समाज शिखर सम्मेलन (WSIS) |
विश्व दूरसंचार दिवस क्यों मनाया जाता है? | Why is World Telecommunication Day celebrated?
विश्व दूरसंचार दिवस हर साल इसलिए मनाया जाता है क्योंकि सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) आज हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा बन चुकी है। फिर चाहे बात हो दूर से काम करने की, ऑनलाइन पढ़ाई की या दुनियाभर में अपने अपनों से जुड़े रहने की — यह तकनीक हमें निरंतर जोड़ती है।
इस दिन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर व्यक्ति, चाहे वह कहीं भी हो, इन आधुनिक तकनीकों तक समान रूप से पहुँच प्राप्त कर सके। यह दिन एक ऐसे समावेशी और मानव-केंद्रित सूचना समाज के निर्माण की ओर प्रेरित करता है, जिसमें हर कोई सूचना और ज्ञान को स्वतंत्र रूप से प्राप्त, उपयोग और साझा कर सके।
साथ ही, यह दिवस दूरसंचार की निरंतर प्रगति और इसके ज़रिये सूचना तक पहुँच को आसान बनाने में इसके योगदान को उजागर करता है।
विश्व दूरसंचार एवं सूचना समाज दिवस का इतिहास (17 मई) | History of World Telecommunication and Information Society Day (May 17)
विश्व दूरसंचार दिवस की शुरुआत 17 मई 1865 को मानी जाती है, जब पेरिस में पहली बार अंतरराष्ट्रीय टेलीग्राफ समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। इसी के साथ अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) की नींव रखी गई थी। साल 1969 से इस दिन को ITU की स्थापना की याद और वैश्विक संवाद में इसकी भूमिका को सम्मान देने के लिए हर वर्ष मनाया जाने लगा।
वर्ष 2005 में, जब इंटरनेट और डिजिटल तकनीकों की भूमिका तेजी से बढ़ने लगी, तो विश्व सूचना समाज पर शिखर सम्मेलन (WSIS) ने संयुक्त राष्ट्र से अपील की कि 17 मई को ‘विश्व सूचना समाज दिवस’ घोषित किया जाए। 2006 में इन दोनों दिवसों को मिलाकर इसे नया नाम दिया गया – विश्व दूरसंचार एवं सूचना समाज दिवस (WTISD), जिससे डिजिटल विकास और तकनीकी समावेशन पर संयुक्त रूप से ध्यान केंद्रित किया जा सके।
- इस दिवस की जड़ें 1865 से जुड़ी हैं, जब वैश्विक स्तर पर दूरसंचार सहयोग की दिशा में पहला कदम उठाया गया था। 1934 में संगठन का नाम बदलकर अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) कर दिया गया और 1947 में यह संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष संस्था बन गया, जिसका उद्देश्य दुनिया भर में संचार तकनीक से जुड़ी नीतियों और मानकों का विकास करना है।
- पहली बार यह दिवस 1969 में मनाया गया था, जिसका उद्देश्य था – ITU की भूमिका को पहचानना और यह समझाना कि दूरसंचार हमारे जीवन के हर क्षेत्र में कैसे परिवर्तन ला रहा है। इंटरनेट, मोबाइल तकनीक और डिजिटल प्लेटफॉर्म ने समाज में जो बदलाव लाए हैं, उन्हें समझाने और डिजिटल खाई को पाटने के लिए यह दिन जागरूकता फैलाने का कार्य करता है।
- संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव और WSIS की सिफारिशों के आधार पर जब 2006 में इसे नया नाम मिला, तो इसका उद्देश्य और भी व्यापक हो गया – एक समावेशी, तकनीक-सक्षम वैश्विक समाज का निर्माण।
- हर वर्ष इस दिन पर एक नया विषय निर्धारित किया जाता है, जो ICT (सूचना और संचार प्रौद्योगिकी) की भूमिका को विभिन्न क्षेत्रों में रेखांकित करता है – जैसे साइबर सुरक्षा, ब्रॉडबैंड पहुंच, स्वास्थ्य, शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण।
इस प्रकार, यह दिन हमें याद दिलाता है कि ICT न केवल वैश्विक विकास के लिए जरूरी है, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए भी कि दुनिया के हर व्यक्ति तक तकनीकी लाभ पहुँच सके।
विश्व दूरसंचार दिवस कैसे मनाएं | How to Celebrate World Telecommunication Day?
17 मई को विश्व दूरसंचार और सूचना समाज दिवस मनाना न केवल रोचक होता है बल्कि ज्ञानवर्धक भी हो सकता है। इस दिन को खास बनाने के लिए आप निम्नलिखित तरीकों को अपना सकते हैं:
- ऑनलाइन इवेंट्स में भाग लें: कई वैश्विक संगठन, जैसे अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU), दूरसंचार और सूचना तकनीक से जुड़ी नई खोजों और उनके सामाजिक प्रभावों पर चर्चा करने के लिए डिजिटल सेमिनार और वेबिनार का आयोजन करते हैं। इनमें शामिल होकर आप डिजिटल टेक्नोलॉजी की बदलती दुनिया को बेहतर समझ सकते हैं।
- शैक्षणिक गतिविधियों में जुड़ें: इंटरनेट और दूरसंचार की दुनिया को जानने का यह बेहतरीन अवसर है। आप ऑनलाइन उपलब्ध संसाधनों की मदद से यह समझ सकते हैं कि सूचना तकनीक ने हमारी जीवनशैली को कैसे बदला है।
- सोशल मीडिया पर जागरूकता फैलाएं: Twitter, Instagram or Facebook जैसे प्लेटफॉर्म पर #WorldTelecommunicationAndInformationSocietyDay जैसे हैशटैग का इस्तेमाल करके इस दिवस से जुड़ी जानकारी साझा करें और दूसरों को भी जोड़ने के लिए प्रेरित करें।
- डिजिटल समावेशन को बढ़ावा दें: हर वर्ग के लोगों तक तकनीक की पहुँच सुनिश्चित करने के लिए आप ऐसे प्रयासों का समर्थन कर सकते हैं जो डिजिटल डिवाइड को कम करने में मदद करें। यह वंचित समुदायों के लिए डिजिटल सुविधा बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है।
- आपदा में तकनीक की भूमिका को समझें: जैसे कोविड-19 जैसी वैश्विक आपदाओं के समय सूचना तकनीक ने दुनिया को जोड़े रखने में अहम भूमिका निभाई। इस अवसर पर आप उस कनेक्टिविटी के महत्व पर विचार कर सकते हैं जिसने समाज को दूर रहकर भी साथ रखा।
- आईटीयू के डिजिटल संसाधनों का उपयोग करें: आईटीयू द्वारा उपलब्ध टूलकिट, पॉडकास्ट और गाइड आपको यह समझने में मदद कर सकते हैं कि डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन कैसे दुनिया को आकार दे रहा है।
- तकनीक से बदलती ज़िंदगियों की कहानियाँ साझा करें: उन प्रेरणादायक कहानियों को साझा करें जिनमें बताया गया हो कि कैसे डिजिटल तकनीक ने किसी व्यक्ति या समुदाय के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया। इससे दूसरों को भी प्रेरणा मिल सकती है।
विश्व दूरसंचार दिवस 2025 की थीम: डिजिटल बदलाव में लैंगिक समानता का महत्व
वर्ष 2025 में विश्व दूरसंचार दिवस की थीम है – “डिजिटल परिवर्तन में लैंगिक समानता क्यों जरूरी है”। यह विषय दुनिया का ध्यान इस ओर आकर्षित करता है कि कैसे डिजिटल दुनिया में महिलाएं और लड़कियां अब भी कई अवसरों से वंचित हैं।
महत्वपूर्ण आँकड़े इस असमानता की गंभीरता को दर्शाते हैं:
- वैश्विक स्तर पर लगभग 70% पुरुष इंटरनेट का उपयोग करते हैं, जबकि महिलाओं की हिस्सेदारी लगभग 65% है।
- सबसे कम विकसित देशों (एल.डी.सी.) में यह अंतर और अधिक गहरा है, जहां केवल 29% महिलाएं इंटरनेट तक पहुँच बना पाती हैं।
- महिलाएं आज भी डिजिटल पहुँच, affordability (सामर्थ्य), डिजिटल शिक्षा, और तकनीकी नेतृत्व जैसे क्षेत्रों में पीछे हैं।
डिजिटल तकनीकें समाज को आगे ले जाने की अपार क्षमता रखती हैं, लेकिन यह शक्ति हर किसी तक समान रूप से नहीं पहुँच रही है। आज भी 2.6 अरब लोग इंटरनेट से वंचित हैं, जिनमें बड़ी संख्या महिलाओं और लड़कियों की है। डिजिटल साधनों की उपलब्धता, affordability और डिजिटल कौशल की कमी आज भी महिलाओं की सामाजिक और आर्थिक भागीदारी में रुकावट बन रही है।
इस असमानता को दूर करना न केवल समान अवसरों की दिशा में एक कदम होगा, बल्कि यह आर्थिक विकास, नवाचार और सतत प्रगति के रास्ते भी खोलेगा।
World Telecommunication and Information Society Day 2025 इस बात पर ज़ोर देता है कि digital gender equality को प्राथमिकता देना समय की माँग है, ताकि महिलाएं और लड़कियां भी इस परिवर्तनकारी युग का लाभ उठा सकें और इसके निर्माण में अपनी भूमिका निभा सकें।
भारत में दूरसंचार का विकास: एक ऐतिहासिक झलक
भारत में दूरसंचार की शुरुआत 1851 में हुई थी, जब अंग्रेजों ने कोलकाता के पास पहली बार लैंडलाइन सेवा शुरू की। इसके बाद 1881 में औपचारिक रूप से टेलीफोन सेवाओं की शुरुआत हुई और 1883 में इन्हें डाक प्रणाली के साथ जोड़ दिया गया।
दूरसंचार के सफर को हम तीन प्रमुख चरणों में बाँट सकते हैं:
चरण 1: 1990 से पहले – सरकारी नियंत्रण का दौर
- 1851: ब्रिटिश शासन के दौरान बंगाल में पहली लैंडलाइन सेवा शुरू हुई।
- 1881: टेलीफोन सेवा की शुरुआत हुई।
- 1985: डाक विभाग से दूरसंचार विभाग (DOT) को अलग किया गया, जिससे प्रबंधन में गति आई।
चरण 2: 1990–2000 – निजी क्षेत्र की एंट्री
- 1994: नई राष्ट्रीय दूरसंचार नीति लागू हुई, जिससे निजी कंपनियों के लिए रास्ता खुला।
- 1995: कोलकाता में पहली बार मोबाइल सेवा शुरू हुई।
- 1997: दूरसंचार नियमन के लिए TRAI (भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण) की स्थापना।
- 2000: विवाद निपटान के लिए TDSAT (दूरसंचार विवाद और अपीलीय न्यायाधिकरण) का गठन।
चरण 3: 2000 से अब तक – डिजिटल क्रांति का दौर
- 2005: 2G के प्रसार से मोबाइल फोन आम जनता तक पहुँचे।
- 2008–2012: 3G और 4G तकनीक के आने से इंटरनेट और डेटा सेवाओं में उछाल आया।
- 2016 के बाद: स्मार्टफोन, सस्ते डेटा और डिजिटल सेवाओं ने दूरसंचार को आम आदमी के लिए और भी सुलभ बना दिया।
- 2022–2025: 5G और उन्नत डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर से तकनीकी विकास को नया आयाम मिलने की उम्मीद है।
भारत में दूरसंचार की मौजूदा स्थिति
- 1.17 अरब से अधिक ग्राहक
- 90% से ज्यादा टेली-घनत्व
- GDP में 8% योगदान अनुमानित
- करीब 45 लाख नई नौकरियाँ सृजित होने की संभावना
FAQs: World Telecommunication Day- 17 May, 2025
विश्व दूरसंचार दिवस कब मनाया जाता है?
हर साल 17 मई को विश्व दूरसंचार दिवस मनाया जाता है। 17 मई का दिन इसलिए तय किया गया क्योंकि इसी दिन साल 1865 को अंतरराष्ट्रीय संचार संघ (International Telecommunication Union) की स्थापना हुई थी।
हम विश्व दूरसंचार दिवस कैसे मनाते हैं?
हम विश्व दूरसंचार दिवस निम्नलिखित तरीकों से मना सकते हैं :
- अपने दोस्तों, परिवार और सोशल मीडिया पर डिजिटल संचार के महत्व और लाभों के बारे में शिक्षित कर कर।
- डिजिटल तकनीक का उपयोग कर के।
- विश्व दूरसंचार दिवस के अवसर पर आयोजित स्थानीय कार्यक्रमों और सम्मेलनों में भाग लेकर।
विश्व दूरसंचार दिवस क्यों मनाया जाता है?
विश्व दूरसंचार दिवस का मुख्य उद्देश्य दुनिया भर में टेलीकम्यूनिकेशन के महत्व को संवेदनशील बनाना है और टेलीकम्यूनिकेशन से जुड़ी नवीनतम प्रौद्योगिकियों व उनके उपयोग को प्रचारित करना है।
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