हम सभी के लिए चुनौती, खतरा या वरदान? क्या Artificial Intelligence (AI) से इंसानियत खत्म होने का खतरा है?
Artificial Intelligence (AI) आजकल हर जगह चर्चा का विषय बना हुआ है, खासकर नौकरी के बाजार में। AI के बढ़ते प्रभाव से कई लोगों की नौकरियां जाने का खतरा मंडरा रहा है। गोल्डमैन सैक्स (goldman sachs) की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक करोड़ों लोग AI की वजह से बेरोजगार हो सकते हैं। कोडर, प्रोग्रामर, डेटा एनालिस्ट (Coder, Programmer, Data Analyst) जैसी नौकरियां तो पहले ही निशाने पर हैं, लेकिन जल्द ही यह अन्य क्षेत्रों में भी फैल सकता है। लोग समझना चाहते हैं कि आखिर यह AI क्या है जो इतनी तेजी से हमारी जिंदगियों में प्रवेश कर रहा है। क्या यह एक वरदान है या अभिशाप? AI, रोबोट्स, और साइबॉर्ग (AI, Robots, and Cyborgs) जैसी अवधारणाएं अब हमारे भविष्य का हिस्सा बनती जा रही हैं। यह तकनीक इतनी तेजी से विकसित हो रही है कि इंसानों के लिए इसके साथ तालमेल बिठाना मुश्किल होता जा रहा है। AI ने न केवल नौकरी के बाजार में बल्कि हमारे समाज और अर्थव्यवस्था पर भी गहरा प्रभाव डाला है। सवाल यह है कि क्या हम AI के इस युग में खुद को ढाल पाएंगे या फिर यह हमारे लिए एक बड़ी चुनौती साबित होगी?
AI यानी विज्ञान और तकनीक का सबसे ताजा आविष्कार जिसकी आज दुनिया में सबसे ज्यादा चर्चा है| जिसने आज एक आम इंसान को सबसे ज्यादा चौंक दिया है| नौकरीपेशा लोगों में सबसे ज्यादा खौफ है और जिसे पूरी दुनिया में, इंसानों की जिंदगी में किसी आने वाले क्रांतिकारी बदलाव के आने के शुरुआती संकेत के रूप में देखा जा रहा है| अब सवाल उठता है कि आखिर ये AI है क्या और क्या काम करता है जो इंसान नहीं कर सकता?
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आखिर ये Artificial Intelligence (AI) है क्या?
AI यानी Artificial Intelligence को आसान शब्दों में कहें तो ये मशीनों में इंसानों की तरह की बुद्धि यानी बौद्धिक क्षमता है| इसे आर्टिफिशियल तरीके से विकसित किया गया है| कोडिंग के जरिए मशीनों में इंसानों की तरह इंटेलिजेंस विकसित की जाती है ताकि वह इंसानों की तरह सीख सकें, खुद से फैसले ले सकें, कामों को खुद से कर सकें और एक साथ बहुत सारे कामों को पूरा कर सकें|
इस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के ज़रिए कंप्यूटर सिस्टम या रोबोटिक सिस्टम को ऐसे तैयार किया जाता है, जिसे ये उन्हीं तर्कों के आधार पर चलाने का प्रयास करते हैं, जिनके आधार पर मानव मस्तिष्क काम करता है|
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Artificial Intelligence (AI) काम कैसे करता है?
AI, दरअसल मशीन लर्निंग (machine learning) के जरिए बिल्कुल इंसान जैसी बुद्धि के विकास की प्रक्रिया है| इससे मशीन इंसान की मदद के बिना कंप्यूटर प्रोग्राम से ऑटोनॉमस रूप से सीखती है| यानी आप मशीन को कोई कमांड देते हैं और वो अपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के हिसाब से फैसला करती है और फिर उस कमांड पर काम करती है|
आसान शब्दों में कहें, तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंसानों की तरह सोचने वाला सॉफ्टवेयर है, जो इंसानों की ही फैसलों से सीखता है| AI ये अध्ययन करता है कि मानव मस्तिष्क कैसे सोचता है और समस्या को हल करते समय कैसे सीखता है, कैसे निर्णय लेता है और कैसे काम करता है? इन सभी लॉजिक के बदौलत ही AI उस जैसी परिस्थिति में फैसले लेता है|
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Artificial Intelligence (AI) का इस्तेमाल किन जगहों पर हो रहा है?
AI का दखल तमाम क्षेत्रों में तेजी से बढ़ रहा है| इसके जरिए न केवल सॉफ्टवेयर और ऐप्स की कोडिंग, बल्कि लिखने, फोटोग्राफी, फोटो और ग्राफिक्स डिजाइनिंग, एडिटिंग, मेडिकल, एजुकेशन (Coding of software and apps, but also writing, photography, photo and graphics designing, editing, medical, education.) जैसे काम आसानी से और चुटकी में बड़े पैमाने पर संभव हो रहे हैं| साथ ही, रोड-रेल-विमान ट्रांसपोर्टेशन में ट्रैफिक कंट्रोल, स्मार्ट कार, सेल्फ ड्राइविंग कार, वैक्यूम क्लीनर, पर्सनल असिस्टेंट रोबोट आदि (Traffic control, smart car, self-driving car, vacuum cleaner, personal assistant robot etc. in road-rail-aircraft transportation.) के रूप में भी दुनिया भर में तेजी से AI का इस्तेमाल बढ़ा है|
पिछले कुछ सालों में AI का इस्तेमाल दुनियाभर में तेजी से बढ़ा है और पिछले कुछ महीनों में तो AI ने क्रांतिकारी तरीके से अपनी जगह बनाई है| जैसे चैटबॉट (chatbot) जो वेबसाइटों पर या Alexa जैसे स्मार्ट स्पीकर, जो हमारे आसपास दिखाई देते हैं| इसके अलावा AI का इस्तेमाल एजुकेशन, गेमिंग, मौसम का पूर्वानुमान लगाने, उद्योगों में प्रोडक्शन सिस्टम ठीक करने, अकाउंटिंग आदि (Education, gaming, weather forecasting, setting up production systems in industries, accounting etc.) कई कामों में दुनिया कर रही है| भारत में भी अमेरिका-जापान जैसे देशों से तेजी से AI आधारित तकनीक आ रही है जो आने वाले दिनों में हमारे-आपके कई कामों का हिस्सा होगी|
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Artificial Intelligence (AI) का इतिहास
- AI की कहानी की शुरुआत 1950 के दशक में होती है जब एलेन ट्यूरिंग (Alan Turing) ने मशीन लर्निंग के परीक्षण के लिए Three Laws of Robotics पब्लिश की और ट्यूरिंग टेस्ट पेश किया| इसमें दिखाया गया कि इंसानों की तरह मशीनों को सिखाया जा सकता है|
- 1958 में MIT में जॉन मैकार्थी ने Lips प्रोग्रामिंग लैंगुएज (LIPS Programming language) डेवलप किया जिससे AI एप्लीकेशन बनने का रास्ता खुला|
- साल 1968 में इंटेलिजेंट नॉलेज बेस्ड चेस प्लेइंग प्रोग्राम के बनने से एआई की दिशा में सफलता का पहला रास्ता खुला|
- साल 1979 में डेवलप हुए नॉलेज बेस्ड मेडिकल डायगनोस्टिक प्रोग्राम INTERNIST के विकास ने नए-नए क्षेत्रों में AI के विकास का रास्ता खोला|
- फिर साल 1987 में पहला कमर्शियल स्ट्रैटजिक एंड मैनेजरियल एडवाइजरी सिस्टम (Commercial Strategic and Managerial Advisory System) के डेवलपमेंट ने AI के फील्ड को और विस्तार दिया|
- इसके अगले दशक में फिर इस दिशा में काम आगे बढ़ा कि कैसे मशीनें अपने आसपास के वातावरण को समझ सकती हैं, उसमें बदलावों का संदर्भ, उसका कारण समझ सकती हैं और ऐसा करते हुए ठीक इंसानों की बुद्धि की तरह वे अपने इंटेलिजेंस का भी इस्तेमाल कर सकती हैं|
- AI के इस्तेमाल से मशीनों को इस तरह से ट्रेन किया जाने लगा कि वे प्रॉब्लम्स की पहचान कर सकें, उनके कारणों को समझ सकें और एलगोरिद्म (ALGORITHM) के जरिए उस लेवल पर तैयार की जा सकें कि वे इस लर्निंग के आधार पर आगे की रणनीति भी बना सकें और फिर से वैसी प्रॉब्लम आने पर उसे पहचान कर उनका समाधान भी कर सकें|
- 1997 में दुनिया ने फिर एक बड़ा रोमांचक मोड़ देखा जब IBM के बनाए डीप ब्लू चेस मशीन (Deep Blue Chess Machine made by IBM) ने उस समय के वर्ल्ड चैंपियन गैरी कास्परोव को हरा दिया| ये एक मशीन और इंसान के ब्रिलिएंस के बीच एक ऐतिहासिक टेस्ट था जिसमें मशीन के इंटेलिजेंस के सामने इंसानी बुद्धि मात खा गई और ये साबित भी हुआ कि बौद्धिक काम मशीन भी कर सकती हैं और वो भी इंसानों की तरह बुद्धि का इस्तेमाल करके और खुद से फैसले करके|
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क्यों दुनिया में Artificial Intelligence (AI) को लेकर है खौफ?
दुनिया में पिछले दो दशकों से जिन नए-नए प्रोफेशनल जॉब्स ने युवाओं के लिए प्रगति के रास्ते खोल दिए थे आज उन्हीं क्रिएटिव नौकरियों पर AI से सबसे ज्यादा खतरा मंडराता दिख रहा है| उदाहरण के लिए सॉफ्टवेयर जॉब्स, PR, राइटिंग, एडिटिंग, डिजाइनिंग (Software Jobs, PR, Writing, Editing, Designing) जैसी नौकरियों पर, ChatGPT जैसे एआई टूल्स (AI tools) इन्हीं कामों को सिस्टमेटिक तरीके से और चंद सेकंडों में पूरा कर रहे हैं| एआई के साथ सबसे खास बात है कि वह दिए हुए टास्क को न केवल पूरा करता है बल्कि हर बार पुराने अनुभव से सीखता है और सुधार करते जाता है| उसकी स्पीड का मुकाबला करना इंसान के वश का नहीं है|
इसी साल मार्च महीने में Goldman Sachs की आई एक रिपोर्ट के अनुसार- आने वाले कुछ सालों में AI दुनिया भर में 30 करोड़ नौकरियों को रिप्लेस करने की क्षमता रखेगा| पिछले साल आई PwC की रिपोर्ट के अनुसार तकनीक के तेजी से बदलने के कारण एक तिहाई लोग अगले तीन सालों में अपने रोजगार पर संकट देख रहे हैं| भारत में भी एआई के तेजी से पांव पसारते जाने के कारण वर्किंग क्लास के अंदर डर बढ़ता जा रहा है| माइक्रोसॉफ्ट के एक हाल के सर्वे के अनुसार ChatGPT, Google Bard और Microsoft Bing जैसे एआई टूल्स के कारण कई कामों में कंपनियों को आसानी होती जा रही है और ह्यूमैन वर्क फोर्स पर निर्भरता कम होती जा रही है|
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