Types of Solar panels in India: सौर पैनल के प्रकार और उनकी विशेषताएँ!

आज की बदलती दुनिया में ऊर्जा के लिए सौर पैनलों की मांग तेजी से बढ़ रही है। बिजली बिल की बढ़ती कीमतों और पर्यावरण संरक्षण की जरूरत ने सोलर एनर्जी को हर घर और उद्योग की प्राथमिकता बना दिया है। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि सौर पैनल भी कई प्रकार के (Types of Solar panels in India) होते हैं, जिनकी कार्यक्षमता, टिकाऊपन और कीमत में बड़ा अंतर होता है? सही पैनल का चुनाव करना आपकी जरूरत और बजट पर निर्भर करता है। भारत में मुख्य रूप से मोनोक्रिस्टलाइन, पॉलीक्रिस्टलाइन, थिन-फिल्म, पेरोव्स्काइट और बाईफेशियल सोलर पैनल उपलब्ध हैं। ये सभी पैनल अपनी विशेषताओं के लिए जाने जाते हैं। जैसे कि, मोनोक्रिस्टलाइन पैनल कम जगह में ज्यादा बिजली उत्पन्न करते हैं, जबकि पॉलीक्रिस्टलाइन पैनल सस्ते और भरोसेमंद होते हैं। वहीं, थिन-फिल्म पैनल हल्के और पोर्टेबल होते हैं, जिन्हें छोटे उपकरणों और ट्रैवल चार्जर्स में लगाया जा सकता है।

अगर आप भविष्य की तकनीक की ओर देख रहे हैं, तो पेरोव्स्काइट पैनल, जो खिड़कियों और पारदर्शी सतहों पर लगाए जा सकते हैं, आपके लिए सही विकल्प हो सकते हैं। इसके अलावा, बाईफेशियल पैनल, जो दोनों ओर से ऊर्जा उत्पन्न करते हैं, बड़े औद्योगिक प्रोजेक्ट्स के लिए उपयुक्त हैं। इस ब्लॉग में हम आपको भारत में मिलने वाले सभी प्रमुख सौर पैनलों (Types of Solar panels in India) की खासियत, उनकी दक्षता, कीमत और टिकाऊपन के बारे में बताएंगे ताकि आप सही पैनल का चयन कर सकें। तो, अगर आप घर, ऑफिस या फैक्ट्री के लिए सोलर पैनल लगाने की सोच रहे हैं, तो यह ब्लॉग आपकी मदद करेगा। पूरी जानकारी के लिए इस ब्लॉग को अंत तक पढ़े!

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Table of Contents

Solar panels के बारे में

सौर ऊर्जा को बिजली में बदलने के लिए विभिन्न प्रकार के सौर पैनलों का उपयोग किया जाता है। प्रत्येक पैनल में कई सौर सेल होते हैं, जिनकी संख्या आमतौर पर 60 या 72 होती है। इन पैनलों का आकार 1.6m x 1m से लेकर 2m x 1m तक होता है।

सौर सेल मुख्य रूप से Silicon, Phosphorus and Boron की परतों से बने होते हैं। सिलिकॉन, अर्धचालक (semiconductor) के रूप में काम करता है, जबकि फॉस्फोरस और बोरॉन क्रमशः negative and positive आवेश उत्पन्न करते हैं। सूर्य से निकलने वाले प्रकाश कणों को “फोटॉन” कहा जाता है।

जब photon सौर पैनल की सतह पर आते हैं, तो ये सिलिकॉन से इलेक्ट्रॉनों को बाहर निकालते हैं, जिससे एक विद्युत धारा उत्पन्न होती है। यह धारा सौर पैनल में लगे चांदी की उंगलियों और बसबार से होकर बहती है। इस प्रक्रिया को फोटोवोल्टिक प्रभाव कहा जाता है, जिसके माध्यम से सूर्य के प्रकाश से बिजली उत्पन्न होती है।

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भारत में कौन-कौन से Solar panel मिलते हैं? हर पैनल की पूरी जानकारी! जानिए, कौन सा पैनल है सबसे सस्ता और टिकाऊ? Types of Solar panels in India

आज के समय में सौर ऊर्जा की मांग तेजी से बढ़ रही है, और घरों, उद्योगों और व्यवसायों में सोलर पैनल का उपयोग आम हो गया है। भारत में विभिन्न प्रकार के सोलर पैनल उपलब्ध हैं, जिनकी कार्यक्षमता, कीमत और टिकाऊपन अलग-अलग होती है। आइए जानते हैं, भारत में मिलने वाले प्रमुख सोलर पैनल और उनकी खासियतें।

1. मोनोक्रिस्टलाइन सौर पैनल | Monocrystalline Solar Panel

Monocrystalline सोलर पैनल को “सिंगल क्रिस्टल पैनल” भी कहा जाता है, क्योंकि ये शुद्ध सिलिकॉन क्रिस्टल से बनाए जाते हैं, जिन्हें वेफ़र्स में काटा जाता है। ये वेफ़र्स अष्टकोणीय आकार के होते हैं, जिससे पैनल को एक समान रंग और विशेष रूप मिलता है। इन पैनलों को आमतौर पर काले या गहरे नीले रंग में पहचाना जा सकता है।

Monocrystalline पैनल में एक विशेष तकनीक, हाफ कट सेल का उपयोग होता है। इस तकनीक में, पैनल की cells को आधा काटा जाता है, जिससे cells की संख्या दोगुनी हो जाती है। पैनल का ऊपरी भाग एक श्रृंखला में जुड़ा होता है, जबकि निचला भाग दूसरी श्रृंखला में जुड़ा होता है। इससे पैनल के ऊपरी हिस्से में बिजली उत्पादन जारी रहता है, भले ही निचला हिस्सा छाया में हो। इस तकनीक से छाया वाली जगहों में भी पैनल की कार्यक्षमता बढ़ जाती है।

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Monocrystalline Solar Panel की विशेषताएं

विशेषता विवरण
उच्च दक्षता (High Efficiency) मोनोक्रिस्टलाइन सौर पैनल में उच्च ऊर्जा उत्पादन होता है, जो आमतौर पर 15% से 22% तक होता है।
लंबा जीवनकाल (Long Lifespan) मोनोक्रिस्टलाइन पैनल का जीवनकाल 25-30 साल होता है, और ये स्थिर प्रदर्शन प्रदान करते हैं।
कम जगह में अधिक उत्पादन (More Power in Less Space) इन पैनलों का आकार छोटा होने पर भी ये अधिक ऊर्जा उत्पन्न करते हैं, जिससे कम जगह में अधिक उत्पादन संभव होता है।
उच्च तापमान सहनशीलता (High Temperature Tolerance) मोनोक्रिस्टलाइन पैनल अधिक तापमान को सहन करने में सक्षम होते हैं, जिससे ये गर्म क्षेत्रों में भी प्रभावी रहते हैं।
स्थिरता (Durability) मोनोक्रिस्टलाइन पैनल मजबूत होते हैं और वे विभिन्न मौसमों और बाहरी परिस्थितियों का सामना कर सकते हैं।
शानदार डिज़ाइन (Sleek Design) इन पैनलों का डिज़ाइन काले रंग में होता है, जिससे ये बहुत ही आकर्षक और संगठित दिखते हैं।

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2. पॉलीक्रिस्टलाइन सौर पैनल | Polycrystalline solar panel

पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल कई सिलिकॉन क्रिस्टल्स से बने होते हैं। इन पैनलों में सिलिकॉन के छोटे-छोटे टुकड़ों का उपयोग किया जाता है, जिन्हें पिघलाकर चौकोर सांचों में डाला जाता है। पिघले हुए सिलिकॉन को ठंडा होने के बाद पतले वेफ़र के रूप में काटा जाता है। इन वेफ़र्स को फिर एक साथ जोड़कर पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल तैयार किया जाता है। इसे अक्सर “multi-crystalline” पैनल भी कहा जाता है क्योंकि इसमें कई क्रिस्टल होते हैं। इस निर्माण प्रक्रिया के कारण पॉलीक्रिस्टलाइन पैनल की निर्माण लागत कम होती है, जिससे ये सस्ते होते हैं। हालांकि, इनकी दक्षता मोनोक्रिस्टलाइन पैनल की तुलना में थोड़ी कम होती है, लेकिन ये बड़े पैमाने पर उपयोग के लिए उपयुक्त होते हैं। इन पैनलों का उपयोग आमतौर पर घरों और बड़े सोलर प्लांट्स में किया जाता है।

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Polycrystalline सौर पैनलों की विशेषताएं

विशेषता विवरण
उत्पादन क्षमता (Energy Efficiency) पॉलीक्रिस्टलाइन पैनल 15-18% तक दक्षता प्रदान करते हैं, जो ठीक-ठाक ऊर्जा उत्पादन करते हैं।
निर्माण लागत (Manufacturing Cost) इन पैनलों की निर्माण लागत सस्ते होती है क्योंकि इन्हें बनाने में कम सामग्री और सरल प्रक्रिया का उपयोग होता है।
मूल्य (Price) पॉलीक्रिस्टलाइन सौर पैनल आमतौर पर मोनोक्रिस्टलाइन पैनलों की तुलना में सस्ते होते हैं।
ऊर्जा उत्पादन (Energy Output) ये पैनल समान आकार के होते हुए भी मोनोक्रिस्टलाइन पैनलों की तुलना में थोड़ा कम ऊर्जा उत्पन्न करते हैं।
लाइफस्पैन (Lifespan) पॉलीक्रिस्टलाइन पैनल का जीवनकाल 25-30 साल तक हो सकता है।
प्रदर्शन तापमान (Temperature Performance) पॉलीक्रिस्टलाइन पैनल उच्च तापमान में अच्छा प्रदर्शन नहीं करते, और इनके प्रदर्शन में गिरावट हो सकती है।

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3. पैसिवेटेड एमिटर और रियर सेल (पीईआरसी) सौर पैनल | Passivated Emitter and Rear Cell (PERC) solar panel

PERC (Passivated Emitter and Rear Cell) सोलर पैनल, जिन्हें ‘rear cell’ के नाम से भी जाना जाता है, एक उन्नत तकनीक का उपयोग करके बनाए जाते हैं। इन पैनलों में अतिरिक्त परत जोड़ने से सूर्य की रोशनी का अधिकतम उपयोग होता है। पारंपरिक सोलर पैनल केवल कुछ हिस्से में सूर्य की रोशनी को अवशोषित करते हैं, जबकि PERC पैनल की पीछे की परत सूर्य के अवशोषित न हुए प्रकाश को फिर से पैनल में आकर्षित करती है, जिससे इनकी दक्षता बढ़ती है।

आजकल, PERC तकनीक को मोनोक्रिस्टलाइन cells के साथ मिलाकर उच्च दक्षता वाले मोनो-PERC पैनल बनाए जाते हैं, जिनकी पावर रेटिंग सबसे अधिक होती है। इन पैनलों में एक रीयर पैसिवेटेड परत का उपयोग होता है, जो सूर्य की रोशनी को संग्रहित और परावर्तित करती है, जिससे पैनल अधिक ऊर्जा उत्पन्न कर पाते हैं। यह तकनीक कम रोशनी या उच्च तापमान वाली स्थितियों में भी पैनल के प्रदर्शन को बेहतर बनाती है।

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Passivated Emitter and Rear Cell (PERC) सौर पैनलों की विशेषताएं

विशेषता विवरण
उच्च दक्षता (High Efficiency) PERC पैनल पारंपरिक सौर पैनलों की तुलना में 10% अधिक दक्षता प्रदान करते हैं, जिससे अधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है।
बेहतर प्रकाश अवशोषण (Better Light Absorption) PERC पैनल में अधिकतम सूर्य की रोशनी को अवशोषित करने के लिए रीयर पैसिवेटेड परत होती है, जिससे ऊर्जा उत्पादन बढ़ता है।
कम ऊर्जा हानि (Lower Energy Loss) PERC तकनीक के कारण, पैनल में ऊर्जा हानि कम होती है, क्योंकि यह रियर परत से प्रकाश को फिर से परावर्तित करता है।
दृढ़ता और दीर्घायु (Durability and Longevity) PERC पैनल की दीर्घकालिक स्थिरता अधिक होती है और इनका जीवनकाल 25-30 साल तक होता है।
बेहतर प्रदर्शन (Better Performance) PERC पैनल उच्च तापमान और कम रोशनी वाली परिस्थितियों में भी बेहतर प्रदर्शन करते हैं, जिससे अधिक ऊर्जा प्राप्त होती है।
आधुनिक निर्माण तकनीक (Advanced Manufacturing Technology) PERC पैनल में अत्याधुनिक निर्माण तकनीक का उपयोग किया जाता है, जो पैनल को अधिक कुशल और विश्वसनीय बनाता है।

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4. हाइब्रिड सोलर पैनल | Hybrid Solar Panels

हाइब्रिड सोलर पैनल एक ऐसा पैनल है, जो सौर ऊर्जा और बैटरी स्टोरेज सिस्टम का संयोजन प्रदान करता है। इसे पारंपरिक सोलर पैनलों की तुलना में अधिक कुशल और स्मार्ट तकनीक के रूप में देखा जाता है।

इस प्रकार के पैनल में सौर ऊर्जा (DC) का उपयोग बिजली उत्पादन के लिए किया जाता है और यदि अतिरिक्त ऊर्जा उत्पन्न होती है, तो उसे बैटरी में स्टोर कर लिया जाता है। यह बैकअप पावर प्रदान करने में सक्षम होता है और Grid-connected and off-grid systems दोनों में उपयोग किया जा सकता है। On-Grid v/s Off-Grid

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Hybrid Solar Panels की विशेषताएं

संपत्ति विवरण
प्रयुक्त सामग्री सिलिकॉन आधारित पैनल और बैटरी
तकनीकी प्रक्रिया बैटरी स्टोरेज + ग्रिड सिस्टम
उत्पादन दक्षता 30% से 40% (बैटरी स्टोरेज के कारण)
लागत उच्च (बैटरी की वजह से)
पर्यावरण प्रभाव ग्रिड पर निर्भरता कम होती है
लचीलापन ग्रिड और बैकअप के रूप में काम करता है

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5. पतली फिल्म वाले सौर पैनल | Thin Film Solar Panels

मोनोक्रिस्टलाइन और पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल से अलग, पतली फिल्म सोलर पैनल ऐसे फोटोवोल्टिक सामग्री का उपयोग करते हैं जिनमें Amorphous silicon (a-Si), copper indium gallium selenide (CIGS) and cadmium telluride (CdTe) शामिल हैं। इन सामग्रियों को कांच, धातु या प्लास्टिक जैसी सतहों पर जमा किया जाता है, जिससे ये पैनल हल्के और स्थापित करने में आसान हो जाते हैं। Types of Solar panels in India

पतली फिल्म पैनल पारंपरिक सिलिकॉन पैनलों के मुकाबले हल्के और लचीले होते हैं, जिससे इन्हें विभिन्न सतहों पर लगाना आसान हो जाता है। हालांकि, इनकी दक्षता सिलिकॉन पैनलों से कम होती है, लेकिन इनमें कार्बन फुटप्रिंट कम होता है और ये आर्थिक रूप से सस्ते होते हैं। ये पैनल बड़े खुले स्थानों या विस्तृत छतों के लिए आदर्श होते हैं, जहां अधिक क्षेत्र में पैनल स्थापित किए जा सकते हैं।

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पतली फिल्म सौर पैनलों की श्रेणियाँ या प्रकार | Categories or Types of Thin Film Solar Panels

A. कैडमियम टेल्यूराइड (सीडीटीई) | Cadmium Telluride (CdTe)

सीडीटीई सौर पैनलों में सबसे कम कार्बन फुटप्रिंट होता है, लेकिन कैडमियम की विषाक्तता एक बड़ी पर्यावरणीय चिंता है, क्योंकि इसे पुनर्चक्रित करना कठिन होता है। इन पैनलों में फोटोवोल्टिक तकनीक के तहत कैडमियम टेल्यूराइड का उपयोग किया जाता है, जिससे सौर सेल का उत्पादन कम लागत में और कम समय (एक साल से भी कम) में संभव होता है। इन सौर पैनलों का प्रमुख लाभ यह है कि इनका कार्बन पदचिह्न काफी कम रहता है। हालांकि, कैडमियम टेल्यूराइड को निगलने या साँस में लेने से यह विषाक्त हो सकता है, जिससे स्वास्थ्य पर जोखिम हो सकता है।

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Cadmium Telluride (CdTe) सौर पैनलों की विशेषताएं

विशेषता विवरण
मोटाई 2-3 माइक्रोन
दक्षता 9% से 15% (अन्य पतली फिल्म की तुलना में बेहतर)
लागत कम लागत
पर्यावरण प्रभाव विषैले पदार्थ (कैडमियम) के कारण चिंता का विषय
लचीलापन लचीला नहीं, लेकिन हल्का

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B. अनाकार सिलिकॉन | Amorphous Silicon (A-Si)

अनाकार सिलिकॉन पैनल आकारहीन होते हैं और इनका सिलिकॉन आणविक स्तर पर असंरचित होता है। ये पैनल मुख्य रूप से छोटे उपकरणों जैसे pocket calculator में उपयोग होते हैं। अनाकार सिलिकॉन पैनल Triple-Layered Technology का उपयोग करते हैं और इनकी फिल्म की मोटाई लगभग 1 माइक्रोमीटर होती है। इसकी दक्षता केवल 7% होती है, जो क्रिस्टलीय सिलिकॉन पैनल्स (जो लगभग 18% दक्षता प्रदान करते हैं) से काफी कम है। हालांकि, इन पैनलों का मुख्य लाभ उनकी कम कीमत है, जो इन्हें बजट के हिसाब से आकर्षक बनाती है। Types of Solar panels in India

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Amorphous Silicon (a-Si) सौर पैनलों की विशेषताएं

विशेषता विवरण
मोटाई 1 माइक्रोन (सामान्य सोलर पैनल की तुलना में पतले)
दक्षता 6% से 9% (अन्य पैनलों की तुलना में कम)
लागत कम लागत और आसान उत्पादन प्रक्रिया
लचीलापन लचीला और हल्का
पर्यावरण प्रभाव पर्यावरण के अनुकूल

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C. कॉपर इंडियम गैलियम सेलेनाइड (सीआईजीएस) | Copper Indium Gallium Selenide (CIGS)

CIGS सोलर पैनल का निर्माण काँच या प्लास्टिक की शीट पर Copper, Indium, Gallium and Selenium की पतली परत से किया जाता है। इन पैनलों को विशेष रूप से उनकी उच्च अवशोषण क्षमता के कारण पतली-फिल्म सोलर पैनलों में सबसे प्रभावी माना जाता है। CIGS पैनल में चार मुख्य तत्व होते हैं: Copper (Cu), Indium (In), Gallium (Ga), and Selenium (Se)। यह पैनल लचीले होते हैं और इनकी दक्षता 12% से 20% तक होती है, जो इन्हें पतली-फिल्म पैनलों के बीच उच्चतम दक्षता वाला बनाता है। CIGS पैनल अधिक ऊर्जा उत्पादन के लिए उपयुक्त होते हैं।

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कॉपर इंडियम गैलियम सेलेनाइड (CIGS) सौर पैनलों की विशेषताएं

विशेषता विवरण
मोटाई 1-2 माइक्रोन
दक्षता 12% से 20% (सबसे अधिक दक्ष पतली फिल्म पैनल)
लागत उच्च लागत
पर्यावरण प्रभाव पर्यावरण के अनुकूल
लचीलापन हाँ, लचीले और हल्के पैनल

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D. ऑर्गेनिक फोटोवोल्टिक (ओपीवी) सौर पैनल | Organic Photovoltaic (OPV) Solar Panel

ऑर्गेनिक फोटोवोल्टिक (OPV) पैनल जैविक और कार्बनिक सामग्री से बनाए जाते हैं, जिनमें मुख्य रूप से कार्बन आधारित यौगिक होते हैं, जो प्लास्टिक या पॉलिमर से मिलकर बनते हैं। ये पैनल हल्के, लचीले और पारदर्शी होते हैं, जिससे इन्हें विभिन्न सतहों पर उपयोग किया जा सकता है, जैसे windows or smart device screen में। OPV पैनल पारंपरिक सोलर पैनल्स की तुलना में कम लागत और बेहतर लचीलापन प्रदान करते हैं। इनकी अद्वितीय संरचना इन्हें पोर्टेबल और अधिक कार्यक्षम बनाती है, और यह भविष्य में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में एक नई दिशा प्रदान कर सकते हैं।

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Organic Photovoltaic (OPV) सौर पैनलों की विशेषताएं

विशेषता विवरण
मोटाई 100-500 नैनोमीटर (सबसे पतले पैनल)
दक्षता 3% से 11%
लागत अपेक्षाकृत कम (सस्ता)
पर्यावरण प्रभाव पर्यावरण के अनुकूल (बायोडिग्रेडेबल)
लचीलापन हाँ, पूरी तरह से लचीले

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E. ऑर्गेनिक / डाई-सेंसिटाइज़्ड सोलर सेल (डीएसएससी) | Organic/Dye-Sensitized Solar Cell (DSSC)

डाई-सेंसिटाइज़्ड सोलर सेल (DSSC) एक प्रकार का थिन-फिल्म सोलर पैनल है, जिसमें जैविक डाई (रंग) और अर्धचालक सामग्री का उपयोग किया जाता है। DSSC का मुख्य उद्देश्य कम लागत, हल्के और पारदर्शी सोलर पैनल बनाना है, जो खिड़कियों, कांच और अन्य पारदर्शी सतहों पर लगाए जा सकते हैं। Types of Solar panels in India

DSSC में dye (रंग) का उपयोग सूर्य के प्रकाश को अवशोषित करने के लिए किया जाता है और वह प्रकाश को इलेक्ट्रॉनों में बदल देता है। यह प्रक्रिया पौधों की photosynthesis process के समान होती है, लेकिन इसमें पौधों के प्राकृतिक प्रोटीन का उपयोग नहीं किया जाता।

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Dye-Sensitized Solar Cells की विशेषताएं

विवरण जानकारी
प्रयुक्त सामग्री जैविक रंग (डाई), TiO₂, इलेक्ट्रोलाइट
ऊर्जा रूपांतरण डाई द्वारा प्रकाश अवशोषण और इलेक्ट्रॉन ट्रांसफर
प्रभावशीलता 10% से 12% (अभी अनुसंधान चल रहा है)
पर्यावरण प्रभाव पर्यावरण के अनुकूल (टिकाऊ)
लागत अपेक्षाकृत कम
लचीलापन पारदर्शी और हल्के

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F. पेरोव्स्काइट सोलर पैनल | Perovskite Solar Panels

पेरोव्स्काइट सोलर पैनल अगले दौर के सोलर पैनल माने जा रहे हैं, जो उच्च दक्षता, कम लागत और सरल निर्माण प्रक्रिया के कारण तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। इन पैनलों का नाम “पेरोव्स्काइट” खनिज से लिया गया है, जो Calcium Titanate (CaTiO3) जैसी संरचना वाला होता है। पेरोव्स्काइट, अर्धचालक प्रकाश को अवशोषित कर इलेक्ट्रॉनों का उत्पादन करता है, जिससे सौर ऊर्जा का रूपांतरण अधिक कुशल होता है। इन पैनलों का उत्पादन पारंपरिक पैनलों की तुलना में सस्ता और सरल होता है। पेरोव्स्काइट सोलर पैनल एक thin-film प्रकार के पैनल हैं, जिसमें पेरोव्स्काइट क्रिस्टल की परत होती है, जिसे सीसा, टिन, आयोडीन और ब्रोमीन जैसे तत्वों से तैयार किया जाता है।

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Perovskite Solar Panels की विशेषताएं

विशेषता जानकारी
दक्षता (Efficiency) 25% से 30% (टेंडेम पैनल में 30% से अधिक)
लागत (Cost) पारंपरिक सोलर पैनल की तुलना में कम
लचीलापन (Flexibility) लचीले, हल्के और पोर्टेबल पैनल
मोटाई (Thickness) 1 माइक्रोन (बाल से 100 गुना पतले)
पर्यावरण प्रभाव सीसा (Lead) का उपयोग चिंता का विषय है
जीवनकाल सिलिकॉन पैनल से कम (10-15 वर्ष)
पेरोव्स्काइट सोलर पैनल के प्रकार (Types of Perovskite Solar Panels)
  1. सॉलिड-state पेरोव्स्काइट सोलर पैनल (Solid-State Perovskite Solar Panels): इस प्रकार के पैनल में एक स्थिर, ठोस पेरोव्स्काइट परत होती है जो सौर ऊर्जा को अवशोषित करती है और इसे विद्युत ऊर्जा में बदलती है। इन पैनलों में उच्च दक्षता होती है और इनका निर्माण पारंपरिक सोलर पैनल की तुलना में कम लागत में किया जा सकता है।
  2. हाइब्रिड पेरोव्स्काइट सोलर पैनल (Hybrid Perovskite Solar Panels): इस प्रकार के पैनल में पेरोव्स्काइट सामग्री के साथ अन्य सामग्री जैसे कि organic or inorganic पदार्थों का मिश्रण होता है। यह मिश्रण पैनल की स्थिरता और दक्षता को बढ़ाता है। हाइब्रिड पेरोव्स्काइट पैनल अभी भी शोध और विकास के स्तर पर हैं, लेकिन इनमें उच्च प्रदर्शन की संभावना होती है।
  3. ग्रेटेड पेरोव्स्काइट सोलर पैनल (Graded Perovskite Solar Panels): इस प्रकार में पेरोव्स्काइट की परतें विभिन्न गुणवत्ता और संरचना के होते हैं। यह पैनल सौर ऊर्जा को अधिक प्रभावी ढंग से अवशोषित करने में सक्षम होते हैं, और यह कई तकनीकी परीक्षणों में बेहतर प्रदर्शन दिखा सकते हैं। Types of Solar panels in India
  4. ट्रांसपेरेंट पेरोव्स्काइट सोलर पैनल (Transparent Perovskite Solar Panels): इन पैनलों का उपयोग पारदर्शी कांच या अन्य सतहों में किया जा सकता है। ये पैनल उन जगहों पर उपयोगी होते हैं जहाँ पारदर्शिता जरूरी हो, जैसे खिड़कियाँ या भवनों के कांच की दीवारें। वे प्रकाश को अवशोषित करते हुए ऊर्जा उत्पन्न करते हैं।
  5. स्ट्रेचबल पेरोव्स्काइट सोलर पैनल (Stretchable Perovskite Solar Panels): इन पैनलों की एक खासियत यह है कि वे फैले जा सकते हैं और आकार बदल सकते हैं। यह प्रकार पहनने योग्य उपकरणों या अन्य लचीले सतहों पर उपयोग के लिए उपयुक्त है। इनकी दक्षता और स्थायित्व को बढ़ाने पर काम चल रहा है।

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G. बायोहाइब्रिड सौर सेल | Biohybrid Solar Cells

बायोहाइब्रिड सौर पैनल को Vanderbilt University के विशेषज्ञों द्वारा विकसित किया गया है। यह पैनल फोटोसिस्टम 1 का उपयोग कर प्राकृतिक प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया को अनुकरण करता है, जिससे अधिक प्रभावी ऊर्जा उत्पादन संभव होता है। इस तकनीक में पौधों के Proteins, Pigments, and Photosystem-I का इस्तेमाल किया जाता है, जो सूर्य के प्रकाश को अवशोषित कर उसे रासायनिक ऊर्जा में बदलते हैं। यह तकनीक पारंपरिक सौर पैनल की तुलना में 1000 गुना अधिक प्रभावी है। बायोहाइब्रिड पैनल में प्राकृतिक और कृत्रिम सामग्रियों का संयोजन किया जाता है, जिससे इसे उच्च ऊर्जा दक्षता प्राप्त होती है।

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Biohybrid Solar पैनलों की विशेषताएं

विवरण जानकारी
प्रयुक्त सामग्री प्राकृतिक पिगमेंट, प्रोटीन, क्लोरोफिल
ऊर्जा रूपांतरण प्रकाश संश्लेषण के सिद्धांत पर आधारित
प्रभावशीलता अनुसंधान के चरण में (अभी उच्च दक्षता की उम्मीद)
पर्यावरण प्रभाव 100% इको-फ्रेंडली (बायोडिग्रेडेबल)
टिकाऊपन जैविक तत्वों की वजह से सीमित जीवनकाल
लागत उच्च (अभी प्रायोगिक स्टेज में)

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6. संकेन्द्रित सौर पैनल, या सीएसपी | Concentrated Solar Panel, or CSP

संकेन्द्रित सौर पैनल (CSP) एक ऐसी सौर ऊर्जा तकनीक है, जिसमें सूर्य की किरणों को लेंस या परावर्तकों (mirrors) की मदद से संकेंद्रित किया जाता है। यह संकेंद्रित ऊर्जा उच्च तापमान उत्पन्न करती है, जिसे बिजली में बदलने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। CSP तकनीक मुख्य रूप से सौर थर्मल पावर प्लांट्स में उपयोग होती है, जहाँ इसे पानी को गर्म करने, भाप उत्पन्न करने और टर्बाइन घुमाने के लिए उपयोग किया जाता है। Types of Solar panels in India

संकेन्द्रित पी.वी. (Photovoltaic) सेल पारंपरिक फोटोवोल्टिक प्रणालियों की तरह विद्युत उत्पादन करते हैं, लेकिन इनकी दक्षता काफी अधिक होती है। इनकी दक्षता दर 41% तक होती है, जो अन्य सौर पैनलों से कहीं अधिक है। CSP पैनल घुमावदार दर्पण सतहों, लेंस और कभी-कभी शीतलन प्रणालियों का उपयोग करते हैं, जिससे सूर्य की किरणों को प्रभावी ढंग से संकेंद्रित किया जा सकता है।

हालांकि, संकेंद्रित सौर पैनल का निर्माण और रखरखाव महंगा होता है, लेकिन उनकी उच्च दक्षता उन्हें विशेष रूप से बड़े solar thermal power plants के लिए उपयुक्त बनाती है।

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संकेन्द्रित सौर पैनल (CSP) की विशेषताएं

विशेषता विवरण
ऊर्जा उत्पादन क्षमता (Energy Production Capacity) CSP पैनल उच्च दक्षता के साथ 10-30% अधिक ऊर्जा उत्पन्न करते हैं।
संग्रहण क्षमता (Energy Storage) CSP पैनल थर्मल ऊर्जा का संग्रहण करने में सक्षम होते हैं, जिससे रात में भी ऊर्जा का उपयोग किया जा सकता है।
पर्यावरणीय लाभ (Environmental Benefits) CSP पैनल फॉसिल ईंधन के बजाय सौर ऊर्जा का उपयोग करते हैं, जिससे पर्यावरण को कम नुकसान होता है।
स्थायित्व (Durability) CSP पैनल का जीवनकाल 25-30 साल होता है, और ये उच्च तापमान में भी कार्य कर सकते हैं।
स्थान पर निर्भरता (Location Dependency) CSP तकनीक के लिए सूर्य की अधिकतम उपलब्धता वाले रेगिस्तानी और उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों की आवश्यकता होती है।
उच्च प्रारंभिक लागत (High Initial Cost) CSP पैनल की स्थापना महंगी होती है, क्योंकि इसमें विशेष उपकरणों और संरचनाओं की आवश्यकता होती है।

संकेन्द्रित सौर पैनल के प्रकार | Types of CSP Solar Panels

संकेन्द्रित सौर पैनल की तीन मुख्य श्रेणियां हैं:

  • पैराबोलिक ट्रैक्टर (Parabolic Trough): पैराबोलिक ट्रैक्टर सबसे सामान्य प्रकार के CSP पैनल होते हैं, जिसमें पैराबोलिक शेप के दर्पण होते हैं, जो सूर्य की किरणों को संकेंद्रित करके एक लंबी पाइपलाइन में भेजते हैं। यह पाइपलाइन Heat Transfer Fluid (HTF) से भरी होती है, जो सूर्य की किरणों से गर्म होती है और भाप उत्पन्न करने के लिए उपयोग की जाती है।
  • सौर टॉवर (Solar Tower): सौर टॉवर में एक केंद्रीय सिद्धांत के रूप में परावर्तक (mirrors) होते हैं, जो सूर्य की किरणों को एक बड़े केंद्रीय टॉवर पर संकेंद्रित करते हैं। टॉवर के शीर्ष पर एक गर्मी-आवर्धित तरल पदार्थ होता है, जिसे गर्म किया जाता है और फिर भाप टर्बाइन को चलाने के लिए उपयोग किया जाता है।
  • फ्रेशले सौर ट्रैक्टर (Fresnel Reflector): फ्रेशले सौर ट्रैक्टर में फ्रेशले लेंस का उपयोग किया जाता है, जो सौर ऊर्जा को एक संकेंद्रित बिंदु पर फोकस करता है। इस तकनीक में पैराबोलिक ट्रैक्टर की तुलना में कम जगह की आवश्यकता होती है, और यह कम लागत में अधिक दक्षता प्रदान करता है।

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7. द्विमुखीय सौर पैनल | Bifacial Solar Panel

बाइफेसियल सोलर पैनल पैनल के दोनों तरफ से प्रकाश एकत्र करने के लिए बनाए जाते हैं। इनमें पारदर्शी बैक शीट होती है और ये कांच से बने होते हैं। मोनोफेसियल सोलर पैनल की तुलना में, बाइफेसियल सोलर पैनल अधिक प्रभावी होते हैं और 30% तक अधिक बिजली पैदा कर सकते हैं। इनकी कीमत सिंगल-फेस सोलर पैनल से अधिक होती है, लेकिन ये निवेश पर बेहतर रिटर्न दे सकते हैं। Types of Solar panels in India

बिफेशियल सोलर पैनल (Bifacial Solar Panel) ऐसी उन्नत तकनीक है जो पैनल के दोनों पक्षों (सामने और पीछे) से सौर ऊर्जा का उत्पादन करती है। पारंपरिक सोलर पैनल केवल एक तरफ से सूर्य की किरणों को अवशोषित करते हैं, जबकि बिफेशियल पैनल सीधे सूर्य की किरणों और जमीन से परावर्तित (reflected) किरणों दोनों से ऊर्जा प्राप्त करते हैं।

इस तकनीक का उपयोग अधिक ऊर्जा उत्पादन (up to 10-20% अधिक) के लिए किया जाता है, खासकर उन स्थानों पर जहां परावर्तन (reflection) अधिक होता है, जैसे रेगिस्तान, पानी के ऊपर और बर्फीले इलाकों में।

showing the image of a bifacial Panel, which is the Types of Solar panels in India

Bifacial Solar Panel की विशेषताएं

विशेषता जानकारी
दक्षता (Efficiency) 10% से 20% अधिक उत्पादन, फ्रंट और बैक दोनों तरफ से ऊर्जा प्राप्त करते हैं।
बैक साइड (Back Side) कांच या पारदर्शी बैकशीट, जो परावर्तित प्रकाश को कैप्चर करती है।
लंबा जीवनकाल (Lifespan) 25 से 30 साल (पारंपरिक सोलर पैनल के बराबर)।
प्रदर्शन (Performance) उच्च परावर्तन वाली सतहों पर प्रदर्शन बढ़ जाता है (रेत, पानी, बर्फ)।
सौर अनुप्रयोग (Application) शहरी क्षेत्रों, वाणिज्यिक पैनलों और जल पर तैरते सोलर फार्म में उपयोगी।
संयोजन (Installation) ग्राउंड-माउंटेड, छत, तैरते जल पैनल और शहरी संरचनाओं में उपयोग।

बिफेशियल सोलर पैनल के प्रकार | Types of Bifacial Solar Panels

  1. फ्रेम वाले बिफेशियल पैनल (Framed Bifacial Panels): इस पैनल में aluminum frame होता है, जो इसे अधिक मजबूत और टिकाऊ बनाता है। फ्रेम पैनल को स्थापित करना आसान होता है और ये आमतौर पर बड़े सोलर पावर प्लांट्स में उपयोग किए जाते हैं।
  2. फ्रेमलेस बिफेशियल पैनल (Frameless Bifacial Panels): इस पैनल के चारों ओर कोई फ्रेम नहीं होता और इसे केवल कांच की दो परतों के बीच रखा जाता है। यह देखने में अधिक सुंदर और आधुनिक दिखता है और इसका उपयोग शहरों में शहरी वास्तुकला (Building Integrated Photovoltaics – BIPV) में किया जाता है।

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8. बिल्डिंग-एकीकृत फोटोवोल्टिक सौर पैनल | Building-Integrated Photovoltaic Solar Panels

BIPV सौर पैनल इमारत की संरचना के साथ मिश्रण करने के लिए बनाए जाते हैं। इनका उपयोग छत, मुखौटा आवरण या छायांकन घटकों के रूप में किया जा सकता है। हालाँकि BIPV सौर पैनल पारंपरिक सौर पैनलों की तुलना में अधिक महंगे हैं, लेकिन वे बढ़ी हुई सुंदरता और ऊर्जा बचत जैसे अतिरिक्त लाभ प्रदान कर सकते हैं।

बिल्डिंग-एकीकृत फोटोवोल्टिक सौर पैनल (BIPV) एक नवीनतम सौर ऊर्जा तकनीक है, जो सौर पैनलों को भवनों के डिजाइन में एकीकृत करने की प्रक्रिया को संदर्भित करती है। इस तकनीक में, सौर पैनल भवन की बाहरी संरचना में architectural elements के रूप में उपयोग किए जाते हैं, जैसे छत, दीवारें, खिड़कियां, और यहां तक कि फसाद (facade) भी। इसका मुख्य उद्देश्य ऊर्जा उत्पादन के साथ-साथ भवन की सजावट और संरचना को भी सुनिश्चित करना होता है। Types of Solar panels in India

BIPV पैनल सौर पैनल और बिल्डिंग सामग्री का संयोजन होते हैं, जो इमारत को ऊर्जा उत्पादन करने वाली इकाई में बदल देते हैं। इसका लाभ यह है कि इन पैनलों को अलग से स्थापित करने की आवश्यकता नहीं होती, क्योंकि ये पहले से ही भवन के निर्माण में शामिल होते हैं।

showing the image of building-integrated photovoltaic solar panels, which is the type of solar panels in India.

Building-Integrated Photovoltaic Solar Panels की विशेषताएं

विशेषता विवरण
ऊर्जा उत्पादन (Energy Production) BIPV सौर पैनल सौर ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं और भवन की ऊर्जा आवश्यकता को पूरा करते हैं।
स्थायित्व (Durability) BIPV पैनल भवन के निर्माण में एकीकृत होते हैं, जो दीर्घकालिक और मजबूत होते हैं।
आर्किटेक्चरल डिज़ाइन (Architectural Design) BIPV पैनल बिल्डिंग के डिज़ाइन का हिस्सा बनते हैं, जिससे भवन की सुंदरता में वृद्धि होती है।
पर्यावरणीय लाभ (Environmental Benefits) BIPV पैनल स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन करते हैं, जिससे फॉसिल ईंधन की आवश्यकता में कमी आती है और पर्यावरण की रक्षा होती है।
स्थान की अनुकूलता (Space Adaptability) BIPV पैनल छत, दीवारें, खिड़कियां जैसी स्थानों पर लगाए जा सकते हैं, जिससे अन्य संसाधनों की आवश्यकता नहीं होती।
लागत (Cost) BIPV पैनल की प्रारंभिक लागत अधिक हो सकती है, लेकिन यह दीर्घकालिक ऊर्जा बचत और किफायती सौर ऊर्जा समाधान प्रदान करते हैं।

बिल्डिंग-एकीकृत फोटोवोल्टिक सौर पैनल के प्रकार | Types of BIPV Solar Panels

  1. छत में एकीकृत सौर पैनल (Roof-integrated BIPV): इन पैनलों को छत के निर्माण में एकीकृत किया जाता है। ये पैनल छत के डिजाइन और संरचना का हिस्सा बन जाते हैं, जिससे अंतरिक्ष का उपयोग अधिकतम होता है।
  2. दीवार में एकीकृत सौर पैनल (Wall-integrated BIPV): ये पैनल इमारत की बाहरी दीवारों में एकीकृत होते हैं। इनका उपयोग सौर ऊर्जा उत्पादन के अलावा बिल्डिंग के सौंदर्य में वृद्धि के लिए भी किया जाता है।
  3. सौर खिड़कियां (Solar Windows): BIPV तकनीक के तहत खिड़कियों में पारदर्शी सौर पैनल लगाए जाते हैं, जो सूर्य की ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करते हैं, साथ ही खिड़कियों से प्राकृतिक प्रकाश भी प्रवाहित होता है।
  4. सौर फसाद (Solar Facade): फसाद के हिस्से में सौर पैनल को एकीकृत किया जाता है। ये पैनल भवन के बाहरी हिस्से पर स्थापित होते हैं और इमारत को ऊर्जा उत्पन्न करने वाले संरचनात्मक एलिमेंट में बदल देते हैं।

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सौर पैनल चुनते समय ध्यान रखने योग्य कारक- Types of Solar panels in India

  1. ऊर्जा की खपत: सौर पैनल सिस्टम में निवेश करने से पहले अपनी ऊर्जा खपत का मूल्यांकन करना आवश्यक है। यह समझना कि आप हर दिन, महीने और साल में कितनी बिजली का उपयोग करते हैं, यह मदद करेगा। इस जानकारी के आधार पर, आप सही आकार के सौर पैनल का चयन कर सकते हैं और अत्यधिक बड़े या छोटे पैनल खरीदने से बच सकते हैं।
  2. छत की जगह: सौर पैनल की इंस्टॉलेशन के लिए उपलब्ध छत की जगह भी महत्वपूर्ण है। छत का आकार, दिशा और कोण पैनल की क्षमता पर असर डालते हैं। उदाहरण के लिए, दक्षिण दिशा में लगभग 30 डिग्री के झुकाव वाले पैनल सबसे प्रभावी होते हैं। यदि छत उपयुक्त नहीं है, तो आप वैकल्पिक विकल्पों पर विचार कर सकते हैं, जैसे अन्य संरचनाओं या जमीन पर सौर पैनल लगाना।
  3. मौसम और जलवायु: आपकी सौर ऊर्जा प्रणाली की दक्षता स्थानीय मौसम और जलवायु पर निर्भर करती है। उच्च तापमान वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त पैनल का चयन करें, और यदि आपके क्षेत्र में बादल या बारिश अधिक होती है, तो आपको अधिक शक्ति उत्पन्न करने वाले बड़े सौर पैनल की आवश्यकता हो सकती है।
  4. वित्तपोषण विकल्प: सौर पैनल की लागत को देखते हुए उपलब्ध वित्तपोषण विकल्पों का मूल्यांकन करें। सौर पैनल की कीमत महंगी हो सकती है, लेकिन लीजिंग और बिजली खरीद समझौतों जैसी योजनाओं से यह अधिक सस्ती हो सकती है। इन विकल्पों का ध्यान रखना आवश्यक है ताकि आप अपने बजट के हिसाब से सही योजना चुन सकें।
  5. पैनल की गुणवत्ता: सौर पैनल की गुणवत्ता उनकी दक्षता, जीवनकाल और मजबूती को प्रभावित करती है। उच्च गुणवत्ता वाले पैनल अधिक प्रभावी होते हैं, लंबे समय तक चलते हैं और कम रखरखाव की आवश्यकता होती है। इसलिए, उच्च गुणवत्ता वाले पैनल में निवेश करना एक समझदारी भरा कदम होता है।
  6. गारंटी: सौर पैनल की गारंटी भी एक महत्वपूर्ण पहलू है। यदि पैनल में कोई समस्या आती है, तो गारंटी आपकी सुरक्षा प्रदान करती है। इसलिए, एक प्रतिष्ठित निर्माता से गारंटी और विश्वसनीयता के साथ पैनल खरीदना जरूरी है।

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