राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन | National Hydrogen Mission | NHM, हरित ऊर्जा संसाधनों से हाइड्रोजन के उत्पादन पर केन्द्रित होगा और भारत की बढ़ती नवीकरणीय क्षमता को हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था से जोड़ेगा। हाइड्रोजन, मीथेन (Mthane) का एक स्वच्छ विकल्प है, जिसे प्राकृतिक गैस भी कहा जाता है। यह सबसे प्रचुर रासायनिक तत्व है जो ब्रह्मांड के द्रव्यमान का लगभग 75% योगदान करता है। (राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन, राष्टीय हाइड्रोजन मिशन की एक उप-योजना हैं |)
एक अध्ययन के मुताबिक, यदि भारत गैस आधारित अर्थव्यवस्था, गन्ने से प्राप्त एथेनॉल को पेट्रोल में मिलाकर उपयोग करने के तौर-तरीकों तथा बिजली से चलने वाली रेल व वाहनों को प्रोत्साहित करता है तो वह इसके जरिये ही ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकता है।
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय-एमएनआरई (Ministry of New and Renewable Energy-MNRE) ने अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों को कार्बन (carbon) मुक्त करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन विकसित किया है, जो भारत की ऊर्जा स्वतंत्रता में योगदान देता है और वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण के लिए एक प्रेरणा के रूप में कार्य करता है। यह मिशन मांग सृजित करने, उभरते क्षेत्रों में स्वदेशी निर्माण, अनुसंधान और विकास, पायलट परियोजनाओं और नीतियों, विनियमों और मानकों के एक सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र को समर्थन देने और नीतियों, नियमों और मानकों का एक इकोसिस्टम बनाने के लिए राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन तदनुसार एक रूपरेखा विकसित करना चाहता है।
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राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन | National Hydrogen Mission | NHM
आपको पता होगा कि स्वतंत्रता दिवस 2021 के मौके पर ही लालकिले के प्राचीर से उन्होंने नवीकरणीय ऊर्जा से कार्बन मुक्त ईंधन पैदा करने के लिये National Hydrogen Mission शुरू करने की औपचारिक घोषणा कर डाली थी। तब उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा था कि आजादी के 100 साल पूरे होने से पहले यानी 2047 तक ऊर्जा के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने की जरूरत है।
एक हरित और टिकाऊ भविष्य के लिए, वित्त मंत्री ने हरित ऊर्जा स्रोतों से हाइड्रोजन बनाने के लिए नवंबर 2020 में प्रधानमंत्री द्वारा की गई घोषणा को पूरा करने के लिए 2021-22 में व्यापक नेशनल हाइड्रोजन एनर्जी मिशन (राष्ट्रीय हाइड्रोजन ऊर्जा अभियान) को शुरू करने का प्रस्ताव रखा। केंद्र सरकार का यह एलान देश को स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में आगे ले जाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। सरकार का मानना है कि हाइड्रोजन एनर्जी स्वच्छ और हरित ऊर्जा के तौर पर प्रदूषण कम करने में बहुत कारगर साबित होगी।
प्राकृतिक संसाधनों (नेचुरल रिसोर्सेस) के लगातार दोहन की वजह से यह एक दिन खत्म हो जाएंगे। इसके एक ठोस विकल्प के रूप में अक्षय ऊर्जा वक्त की मांग है। ऐसे में हाइड्रोजन एनर्जी की अहमियत हर बीतते हुए दिन के साथ बढ़ती जा रही है।
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क्या होती है हाइड्रोजन (H2) ऊर्जा | What is hydrogen energy?
h एक बहुत ही किफायती ईंधन है, लेकिन इससे भी खास बात यह है कि यह पूरी तरह क्लीन एनर्जी है। इसे वाहनों में ईंधन के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है और इससे प्रदूषण भी नहीं होता है। हाइड्रोजन को जलाने पर वेस्टेज के रूप में सिर्फ पानी निकलता है। इस वजह से यह पूरी तरह से पॉल्यूशन फ्री मानी जाती है। इसकी उच्च ईंधन कारगरता की वजह से इसका इस्तेमाल अंतरिक्ष यान प्रक्षेपण के लिए रॉकेट के ईंधन के रूप में होता है।
हाइड्रोजन को बनाना और स्टोरेज कठिन | Making and storing hydrogen is difficult
H2 के साथ सबसे बड़ी समस्या यह पेश आती है कि इसका उत्पादन मुश्किल है। इसके साथ-साथ इसको स्टोर करना भी थोड़ा मुश्किल है और खर्चीला सौदा है। हाइड्रोजन बहुत जल्दी प्रतिक्रिया देती है इसलिए यह तीव्र ज्वलनशील पदार्थ की श्रेणी में है।
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हाइड्रोजन की खासियतें | Characteristics of Hydrogen
- हाइड्रोजन कारें एक बार टैंक फुल होने पर 400 से 600 किलोमीटर तक चल सकती हैं।
- दिग्गज ऑटोमोबाइल कंपनियां भी अब हाइड्रोजन फ्यूल सेल चलित कारें बना रही हैं।
- महज 7 मिनट में हाइड्रोजन कारों की टैंक फुल की जा सकती है। जबकि इलेक्ट्रिक कारों को फुल चार्ज करने में 12 घंटे से ज्यादा तक का समय लग जाता है।
- एविएशन टरबाइन फ्यूल (Aviation Turbine Fuel) (ATF) की हिस्सेदारी 40 फीसदी है। हवाई जहाजों में इस्तेमाल होने वाले ईंधन के विकल्प के रूप में अगर किफायती हाइड्रोजन एनर्जी का इस्तेमाल हो तो विमानन सेवाओं की लागत में भारी कमी आ सकती है।
इस योजना से जुडी कुछ अन्य जानकारी | Some other information related to this scheme
बता दें कि देश के रणनीतिकारों द्वारा भी राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन के जरिए भारत को ग्रीन हाइड्रोजन में ग्लोबल हब बनाने का लक्ष्य रखा गया है। क्योंकि फ्यूचर फ्यूल ग्रीन एनर्जी ही है जिससे भारत को आत्मनिर्भर होने में मदद मिलेगी। आपको पता होना चाहिए कि वर्तमान में देश में जो भी हाइड्रोजन की खपत होती है, वह जीवाश्म ईंधन से आती है। इसलिए वर्ष 2050 तक कुल हाइड्रोजन का तीन चौथाई हरित यानी पर्यावरण अनुकूल किये जाने का कार्यक्रम है। इसे नवीकरणीय बिजली और इलेक्ट्रोलायसिस से तैयार किया जायेगा।
- इस मिशन के तहत, भारत में साल 2030 तक लगभग 125 गीगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता विकसित करने का लक्ष्य है साथ ही, हर साल कम-से-कम 5 मिलियन मीट्रिक टन हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता विकसित करने का लक्ष्य है |
- इसके तहत, कुल 8 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा का निवेश कर 6 लाख नौकरियां पैदा करने की उम्मीद है |
- राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत, अगले 12 साल में देश के सभी प्रमुख बंदरगाहों पर ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया ईंधन भरने वाले केंद्र स्थापित करने का लक्ष्य है |
- राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत, हाइड्रोजन के उत्पादन और उपयोग के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास किया जाएगा
- इसके तहत, उन आपूर्ति श्रृंखलाओं के विकास में भी मदद की जाएगी, जो हाइड्रोजन का कुशलतापूर्वक परिवहन और वितरण कर सकें |
- हाइड्रोजन, मीथेन का एक स्वच्छ विकल्प है यह सबसे प्रचुर रासायनिक तत्व है, जो ब्रह्मांड के द्रव्यमान का लगभग 75% हिस्सा है हाइड्रोजन, पेट्रोल से 2-3 गुना हल्का, अधिक ऊर्जा-सघन, और ऊर्जा कुशल है |
- हाइड्रोजन से बिजली बनाने से प्रदूषण नहीं होता, क्योंकि इसका उप-उत्पाद केवल गर्मी और पानी होता है हालांकि, हाइड्रोजन बनाने की प्रक्रिया से प्रदूषण हो सकता है |
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राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन 2024 के अंतर्गत क्या काम होगा | What work will be done under National Hydrogen Mission 2024
दरअसल, हरित हाइड्रोजन पर सबसे अधिक ध्यान दिया जा रहा है। जब पानी से बिजली गुजरती है तो हाइड्रोजन पैदा होती है। इस हाइड्रोजन का इस्तेमाल ऊर्जा के तौर पर किया जाता है। अगर हाइड्रोजन बनाने में इस्तेमाल होने वाली बिजली किसी रिन्यूएबल सोर्स से आती है, मतलब ऐसे स्रोत से आती है, जिसमें बिजली बनाने में प्रदूषण नहीं होता है तो इस तरह बनी हाइड्रोजन को ग्रीन हाइड्रोजन कहा जाता है।
90 करोड़ की लागत से तैयार होंगे प्लांट
- पहला चरण 2023-2027 : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अनुसार, 90 करोड़ की लागत से वैली में हाइड्रोजन उत्पादन के लिए प्लांट तैयार किए जाएंगे।
- दूसरा चरण 2028-2033 : वैली में भंडार कक्ष तैयार होंगे। सुरक्षा के मददेनजर भी इंतजाम किए जाएंगे, ताकि आगजनी जैसी घटनाओं से बचा जा सके।
- तीसरा चरण 2034-2050 : वैली में वितरण को लेकर क्षेत्र बनाए जाएंगे। सीमेंट-स्टील उद्योग के लिए भी हाइड्रोजन उत्पादन के लिए अलग से क्षेत्र बनाया जाएगा।
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