बेटी बचाओ, दहेज हटाओ: दहेज प्रथा के खिलाफ सामूहिक लड़ाई है ज़रूरी
दहेज के लिए उत्पीड़न (Dowry System Law) करने पर भारतीय दण्ड संहिता की धारा 498-ए जो कि पति और उसके रिश्तेदारों द्वारा सम्पत्ति अथवा कीमती वस्तुओं के लिए अवैधानिक मांग के मामले से सम्बन्धित है, के अन्तर्गत 3 साल की कैद और जुर्माना हो सकता है। दहेज प्रथा (Dowry System) एक गंभीर सामाजिक बुराई है जिसके कारण समाज में महिलाओं के प्रति यातनाएँ और अपराध उत्पन्न हुए हैं और साथ ही भारतीय वैवाहिक पद्धति प्रदूषित हुई है। दहेज शादी के समय दुल्हन के ससुराल वालों को लड़की के परिवार द्वारा नकद या वस्तु के रूप में किया जाने वाला भुगतान है। सरकार ने दहेज प्रथा को मिटाने के लिये तथा बालिकाओं की स्थिति के उत्थान के लिये दहेज निषेध अधिनियम, 1961 में बनाया था |
सभी धर्मों ने भी ऐसा स्त्रीधन पिता की ओर से बेटी को दिए जाने पर बल दिया है। हिंदू शास्त्रों में भी ऐसा स्त्रीधन दिए जाने की व्यवस्था है और इस्लाम धर्म में भी पैगंबर साहब ने अपनी बेटियों को दहेज में कुछ बर्तन दिए थे।
समय के साथ परिस्थितियां बदलती चली गई, दहेज के अर्थ भी बदल गए। दहेज एक विभत्स और क्रूर व्यवस्था बनकर रह गया, जो महिलाओं के लिए एक अजगर के रूप में सामने आया। दहेज की मांग लड़का पक्ष की ओर से की जाने लगी। लड़के के माता पिता शादी करने की शर्त दहेज के आधार पर तय करने लगे। लड़के के परिवार की ओर से लड़की के परिवार से संपत्ति मांगी जाने लगी। ऐसी संपत्ति सोना, चांदी, रुपया, जमीन, मकान में मांगी जाने लगी।
जो दहेज कभी घर गृहस्थी के सामान के रूप में छोटे-मोटे आभूषण के रूप में दिया जाता था वही दहेज मकान और जमीन जैसी अचल संपत्ति का रूप लेकर सामने आ गया। लड़के वालों की ओर से ऐसी संपत्तियां लड़की पक्ष से मांगी जाने लगी है, समय और आगे बड़ा दहेज और विभत्स बन गया तथा लड़की पक्ष से कार जैसी चीजें भी दहेज में मांगी जाने लगी।
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दहेज (Dowry) क्या है?
दहेज भारत में एक प्रथा है जहां दूल्हे का परिवार शादी होने पर दुल्हन के परिवार से पैसे या मूल्यवान वस्तुएं मांगता है। यह प्रथा, लैंगिक असमानता को दर्शाती है, क्योंकि यह माना जाता है कि दूल्हा श्रेष्ठ है और दुल्हन से अपेक्षा करता है कि वह अपने नए परिवार द्वारा स्वीकार किए जाने के लिए एक निश्चित राशि या संपत्ति प्रदान करे।
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दहेज का कानूनी अर्थ | Legal meaning of dowry
भारत के कानूनों में दहेज का कानूनी अर्थ सबसे पहले दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961 के अंतर्गत प्रस्तुत किया गया है। इस अधिनियम में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया कि दहेज क्या होता है। इस अधिनियम के परिभाषा खंड धारा 2 के अनुसार “किसी भी ऐसी मूल्यवान संपत्ति या प्रतिभूति को दहेज माना गया है जो विवाह के समय पक्षकारों द्वारा एक दूसरों को दी जाती है और विवाह के बाद भी दी जा सकती है”।
दहेज की परिभाषा अत्यंत विस्तृत परिभाषा है। इस परिभाषा के अंतर्गत कोई भी चल अचल संपत्ति जिसमें मकान, जमीन, कार, आभूषण, रुपया शामिल है। ऐसी संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति की मांग जब विवाह के किसी भी पक्षकार द्वारा दूसरे पक्षकार से विवाह की शर्त के रूप में की जाती है तब वह दहेज माना जाता है।
यह जरूरी नहीं है कि दहेज केवल लड़की वालों द्वारा ही दिया जाता है बल्कि दहेज की परिभाषा में लड़के पक्ष वाले भी आते हैं क्योंकि अनेक मामलों में लड़की पक्ष द्वारा भी दहेज की मांग की जाती है। अगर किसी लड़की का विवाह किसी व्यक्ति के साथ करने के आधार पर यह शर्त तय की जाती है कि उसके नाम किसी संपत्ति का रजिस्ट्रेशन करवाया जाए, तब इसे दहेज की मांग माना गया है। कोई लड़की भी विवाह की शर्त के आधार पर किसी संपत्ति या प्रतिभूति की मांग लड़के के परिवार से नहीं कर सकती है।
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इच्छा अनुसार भी नहीं दिया जा सकता दहेज: Dowry System Law
दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961 किसी भी प्रकार से दहेज के लेनदेन को ही प्रतिषिद्ध करता है। केवल घर गृहस्थी के कुछ सामान की छूट दी गई है। दहेज उन सामान को नहीं माना जाता है जो साधारण घर गृहस्थी के सामान होते हैं परंतु यदि उनकी भी मांग लड़के पक्ष द्वारा की जाती है तब उसे भी दहेज माना जाएगा।
अगर ऐसी वस्तु लड़की का पिता अपनी इच्छा के अनुसार देता है तब उसे दहेज नहीं माना जाता है।शादी की शर्त के आधार पर किसी भी प्रकार का रुपए पैसे का लेनदेन दहेज की श्रेणी में आता है और इसका लेना और देना दोनों प्रकार से अपराध माना गया है।
इसका किसी भी प्रकार से व्यवहार नहीं होना चाहिए, किसी जमीन संपत्ति का रजिस्ट्रेशन करवाना भी दहेज की मांग के अंतर्गत ही आता है। कोई भी पक्षकार एक दूसरे से शादी की शर्त के आधार पर किसी संपत्ति का रजिस्ट्रेशन करवाने जैसी मांग नहीं कर सकते।
जैसे लड़के वाले अगर लड़की वालों को यह कहते हैं कि उनके बेटे का विवाह उनकी बेटी के साथ किए जाने के लिए पहले कोई जमीन उनके बेटे के नाम करनी होगी तब इसे भी यहां दहेज माना गया है।
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दहेज प्रथा के विरुद्ध कानून पर एक नज़र: Dowry System Law
- दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के अनुसार दहेज लेने, देने या इसके लेन-देन में सहयोग करने पर 5 वर्ष की कैद और 15,000 रुपए के जुर्माने का प्रावधान है।
- दहेज के लिए उत्पीड़न करने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 498-A जो कि पति और उसके रिश्तेदारों द्वारा सम्पत्ति अथवा कीमती वस्तुओं के लिए अवैधानिक मांग के मामले से संबंधित है, के अन्तर्गत 3 साल की कैद और जुर्माना हो सकता है।
- धारा 406 के अन्तर्गत लड़की के पति और ससुराल वालों के लिए 3 साल की कैद अथवा जुर्माना या दोनों, यदि वे लड़की के स्त्रीधन को उसे सौंपने से मना करते हैं।
- यदि किसी लड़की की विवाह के सात साल के भीतर असामान्य परिस्थितियों में मौत होती है और यह साबित कर दिया जाता है कि मौत से पहले उसे दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाता था, तो भारतीय दंड संहिता की धारा 304-B के अन्तर्गत लड़की के पति और रिश्तेदारों को कम से कम सात वर्ष से लेकर आजीवन कारावास की सजा हो सकती है।
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दहेज प्रथा जैसी सामाजिक बुराई से लड़ने के लिए भारत सरकार कौन-कौन से अधिनियम बनाये गए हैं | What acts have been made by the Government of India to fight the social evil like dowry system?
दहेज एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था है जिसका परित्याग करना बेहद जरूरी है। दहेज प्रथा को जड़ से समाप्त करने के लिए समाज सुधारकों द्वारा किए गए महत्वपूर्ण और प्रभावपूर्ण प्रयत्नों के बावजूद इसने अत्यंत भयावह रूप धारण कर लिया है। इसका विकृत रूप मानव समाज को भीतर से खोखला कर रहा है। वर्तमान हालातों के मद्देनजर यह केवल अभिभावकों और जन सामान्य पर निर्भर करता है कि वे दहेज प्रथा के दुष्प्रभावों को समझें। क्योंकि अगर एक के लिए यह अपनी प्रतिष्ठा की बात है तो दूसरे के लिए अपनी इज्जत बचाने की। इसे समाप्त करना पारिवारिक मसला नहीं बल्कि सामूहिक दायित्व बन चुका है। इसके लिए जरूरी है कि आवश्यक और प्रभावी बदलावों के साथ कदम उठाए जाएं और दहेज लेना और देना पूर्णत: प्रतिबंधित कर दिया जाए। दहेज एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था है जिसका परित्याग करना बेहद जरूरी है।
दहेज प्रथा को जड़ से समाप्त करने के लिए (Dowry System Law), समाज सुधारकों द्वारा किए गए महत्वपूर्ण और प्रभावपूर्ण प्रयत्नों के बावजूद इसने अत्यंत भयावह रूप धारण कर लिया है। इसका विकृत रूप मानव समाज को भीतर से खोखला कर रहा है। वर्तमान हालातों के मद्देनजर यह केवल अभिभावकों और जन सामान्य पर निर्भर करता है कि वे दहेज प्रथा के दुष्प्रभावों को समझें। क्योंकि अगर एक के लिए यह अपनी प्रतिष्ठा की बात है तो दूसरे के लिए अपनी इज्जत बचाने की। इसे समाप्त करना पारिवारिक मसला नहीं बल्कि सामूहिक दायित्व बन चुका है। इसके लिए जरूरी है कि आवश्यक और प्रभावी बदलावों के साथ कदम उठाए जाएं और दहेज लेना और देना पूर्णत: प्रतिबंधित कर दिया जाए। दहेज की इसी प्रणाली रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा कई अधिनियम लागु किये गए, जो निम्नवत हैं:-
1. दहेज प्रतिषेध अधिनियम (Dowry Prohibition Act), 1961
दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961 वह कानून है (Dowry System Law),जो दहेज लेने या देने की प्रथा पर रोक लगाता है। यह क़ानून विभिन्न संपत्ति, या विवाह के संबंध में धन को दहेज के रूप में मान्यता देकर दहेज की समझ को व्यापक बनाता है, भले ही यह माता-पिता या विवाह में शामिल किसी अन्य पक्ष द्वारा प्रदान किया गया हो।
यह अधिनियम इसके प्रावधान और दंड को मजबूत करने के उद्देश्य से कई संशोधनों के अधीन रहा है। दहेज प्रतिषेध अधिनियम में संशोधन ने दहेज देने, प्राप्त करने या मांगने के साथ-साथ विवाह के संबंध में धन या संपत्ति के विज्ञापन प्रस्तावों के लिए विशिष्ट दंड भी स्थापित किया है।
दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961 के तहत सजा और जुर्माना
- धारा 3: दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961 की में दहेज लेने और देने पर कम से कम पांच साल की कैद और 15,000 रुपये या दहेज के मूल्य (जो भी अधिक हो) के जुर्माने की सजा का प्रावधान है।
- धारा 4: विवाह मे दहेज की मांग करने के कृत्य को दंडित करती है। इसमें कम से कम छह महीने और अधिकतम पांच साल की सजा के साथ 15000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
- धारा 8: इसके अनुसार धारा 3 और धारा 4 के तहत अपराध गैर-जमानती और संज्ञेय होंगे। उप-धारा (ए) उक्त अपराध करने से इनकार करने वाले व्यक्ति पर सबूत का भार डालकर इसे और अधिक मजबूत करती है।
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2. भारतीय दंड संहिता (IPC), 1980 मे दहेज संबंधित प्रावधान
दहेज पर प्रतिबंध लगाने के लिए 1980 मे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code (IPC) में भी संशोधन किया गया था। इन कानूनों को उनकी अप्रभावीता के कारण सुधारने के लिए 1983 और 1986 में संशोधनों में क्रमशः धारा 304(बी) और धारा 498(ए) जोड़ी गईं। इन आईपीसी धाराओं के बारे में हमने नीचे सरल भाषा में बताया है।
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3. दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 के अंतर्गत दहेज से संबंधित धारा: Dowry System Law
भारत में दहेज देना या लेना गैरकानूनी है और इस अपराध की जांच के लिए विशिष्ट कानूनी प्रक्रियाएं हैं। दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 के अंतर्गत दहेज से संबंधित प्रावधान निम्नलिखित है:
- पुलिस और मजिस्ट्रेट दहेज के मामले मे दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 174 और 176 के तहत कार्यवाही करते हैं।
- यदि किसी व्यक्ति की शादी के सात साल के भीतर संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो जाती है, तो पुलिस के लिए शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजना अनिवार्य है।
- इसके अतिरिक्त, कार्यकारी मजिस्ट्रेटों के पास ऐसी मौतों की जांच करने का अधिकार है, खासकर जब उनमें महिलाएं शामिल हों।
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4. भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 के तहत दहेज से संबंधित धारा
महिलाओं को दहेज संबंधी समस्याओं से बचाने के लिए, 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया गया था जो की निम्नलिखित है:
- धारा 113 (बी) को जोड़ने से स्पष्ट होता है कि दहेज के लिए किसी के साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगने पर किसे अपनी बेगुनाही साबित करनी होगी।
- इस नियम के अनुसार, इन दुर्व्यवहार की घटनाओं को दहेज से संबंधित माने जाने के लिए पीड़िता की मृत्यु से ठीक पहले घटित होना चाहिए।
- महत्वपूर्ण बात यह है कि किसी भी मृत्यु को दहेज मृत्यु तभी कहा जाता है जब वह शादी के सात साल के भीतर होती है।
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5. घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 | Protection of Women from Domestic Violence Act, 2005 under Dowry System Law | PWDVA
यह अधिनियम महिला को उसके वैवाहिक घर में रहने का अधिकार सुनिश्चित करता है। इस अधिनियम में कानून के तहत (Dowry System Law) विशिष्ट प्रावधानों के साथ एक विशेष विशेषता है जो एक महिला को हिंसा मुक्त घर में रहने के लिए सुरक्षा प्रदान करती है। हालांकि इस अधिनियम में दीवानी और आपराधिक प्रावधान हैं, लेकिन एक महिला पीड़ित 60 दिनों के भीतर तत्काल दीवानी उपचार प्राप्त कर सकती है। पीड़ित महिलाएँ इस अधिनियम के तहत किसी भी पुरुष वयस्क अपराधी के खिलाफ मामला दर्ज कर सकती हैं जो उसके साथ घरेलू संबंध में है। वे अपने मामले में उपचार प्राप्त करने के लिए पति और पुरुष साथी के अन्य रिश्तेदारों को भी प्रतिवादी के रूप में शामिल कर सकती हैं।
अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ:
- धारा 17 के तहत निवास का अधिकार सुनिश्चित करता है।
- आर्थिक हिंसा को मान्यता देकर आर्थिक राहत सुनिश्चित करता है।
- मौखिक और भावनात्मक हिंसा को मान्यता देता है।
- बच्चे की अस्थायी हिरासत प्रदान करता है।
- मामला दर्ज होने के 60 दिनों के भीतर निर्णय।
- एक ही मामले में कई निर्णय।
- पीडब्ल्यूडीवी अधिनियम के तहत मामले दर्ज किए जा सकते हैं, भले ही पक्षों के बीच अन्य मामले लंबित हों।
- याचिकाकर्ता और प्रतिवादी दोनों अपील कर सकते हैं।
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भारत के दहेज़ से संबधित महतवपूर्ण आईपीसी सेक्शन
- आईपीसी धारा 304 (बी) दहेज मृत्यु: यह अपराध दहेज उत्पीड़न से संबंधित क्षति, जलने या अप्राकृतिक परिस्थितियों के कारण शादी के सात साल के भीतर एक महिला की मृत्यु से संबंधित है। सज़ा सात साल से लेकर आजीवन कारावास तक है।
- आईपीसी धारा 498 (ए) महिला के प्रति क्रूरता: यह पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता या उत्पीड़न से संबंधित है। इसमें शारीरिक और मानसिक शोषण के साथ-साथ दहेज मांगना भी शामिल है। इसके लिए तीन साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है।
- किसी महिला को आत्महत्या के लिए उकसाना (आईपीसी धारा 306): धारा 306 आत्महत्या के लिए उकसाने को संबोधित करती है, जिसमें ऐसी स्थितियाँ भी शामिल हैं जहाँ एक महिला का पति और उसके रिश्तेदार उसे आत्महत्या के लिए प्रेरित करते हैं। यदि ऐसा शादी के सात साल के भीतर होता है, तो इसे दहेज से जुड़ा आत्महत्या के लिए उकसाना माना जाता है।
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भारत में दहेज उत्पीड़न की शिकायत कैसे दर्ज करे?
यह समझना महत्वपूर्ण है कि यदि कोई महिला भारत में दहेज उत्पीड़न से जूझ रही है तो शिकायत कैसे दर्ज करे:
- शिकायत दर्ज करें – स्थानीय पुलिस स्टेशन पर जाएं, जिसका अधिकार क्षेत्र उस क्षेत्र पर है जहां उत्पीड़न हुआ था या जहां आप वर्तमान में रहते हैं। दहेज की मांग को लेकर पति और ससुराल वालों द्वारा की जाने वाली यातनाओं की शिकायत यहां की जा सकेगी।
- एफआईआर दर्ज करें – पुलिस को एफआईआर दर्ज करनी चाहिए और जांच शुरू करनी चाहिए, वह आपको कहीं और पुनर्निर्देशित नहीं कर सकते।
- साक्ष्य प्रदान करें – उत्पीड़न या दहेज की मांग से संबंधित सभी सहायक दस्तावेज या साक्ष्य जमा करें, और उन्हें अपनी शिकायत में शामिल करें। इससे आपका केस मजबूत हो सकता है।
- कॉपी मांगें – कानूनी प्रक्रिया के लिए शिकायतकर्ता को एफआईआर की कॉपी मांगनी होगी।
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दहेज उत्पीड़न की शिकायत दर्ज करने के अन्य विकल्प: Dowry System Law
- दहेज प्रतिषेध अधिकारी से शिकायत करें: अपने जिले के दहेज निषेध अधिकारी के पास शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।
- महिला हेल्पलाइन नंबर: महिलाएं “1091” जैसे हेल्पलाइन नंबर का उपयोग कर सकती हैं या “181” पर अपनी शिकायत दर्ज करा सकती हैं। ये हेल्पलाइन दहेज उत्पीड़न सहित विभिन्न समस्याओं का सामना करने वाली महिलाओं की मदद के लिए समर्पित हैं।
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FAQs
Q. शादी के कितने साल बाद दहेज का केस नहीं लगता है?
सुप्रीम कोर्ट ने दहेज हत्या से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि मौत का कारण पता नहीं हो तो शादी के 7 साल के भीतर ससुराल में सभी अस्वाभाविक मौत को दहेज हत्या नहीं माना जा सकता है।
Q. दहेज का झूठा केस करने पर कौन सी धारा लगती है?
काउंटर केस दायर करें, ”जवाबी मामला मानहानि (आईपीसी की धारा 500), आपराधिक साजिश (धारा 120 बी), झूठे सबूत (धारा 191), या यहां तक कि आपराधिक धमकी (धारा 506) के लिए दायर किया जा सकता है।
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Q. दहेज प्रथा में कितने दिन की सजा होती है?
यदि कोई व्यक्ति, इस अधिनियम के प्रारंभ होने के बाद, दहेज देता है या लेता है या देने या लेने के लिए उकसाता है, तो उसे कम से कम पांच साल की कैद और जुर्माने से दंडित किया जाएगा।
Q. दहेज प्रथा के खिलाफ कौन से कानून हैं?
भारत में दहेज प्रथा के खिलाफ कई कानून (Dowry System Law) हैं, जिनमें मुख्य हैं:
- दहेज निषेध अधिनियम, 1961: यह अधिनियम दहेज लेने और देने को गैरकानूनी घोषित करता है और इसके लिए सजा का प्रावधान करता है।
- भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498-ए: यह धारा दहेज के लिए उत्पीड़न को अपराध घोषित करती है।
- घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005: यह अधिनियम दहेज के लिए उत्पीड़न सहित घरेलू हिंसा के सभी रूपों से महिलाओं की रक्षा करता है।
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Q. दहेज प्रथा के अपराध के लिए क्या सजा है?
दहेज प्रथा के अपराध के लिए सजा अधिनियम और अपराध की गंभीरता के आधार पर भिन्न होती है। दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के तहत, दहेज लेने और देने वालों को पांच साल तक की कैद और जुर्माना हो सकता है। आईपीसी की धारा 498-ए के तहत, दहेज के लिए उत्पीड़न करने वालों को तीन साल तक की कैद और जुर्माना हो सकता है। घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 के तहत, दहेज के लिए उत्पीड़न करने वालों को एक साल तक की कैद और जुर्माना हो सकता है।
Q. मैं दहेज प्रथा के खिलाफ (Dowry System Law) शिकायत कैसे कर सकता हूं?
यदि आप दहेज प्रथा के शिकार हैं, तो आप निम्न में से किसी भी माध्यम से शिकायत कर सकते हैं:
- पुलिस: आप अपने नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
- महिला आयोग: आप अपने राज्य के महिला आयोग में शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
- सहायता समूह: आप दहेज प्रथा के खिलाफ काम करने वाले कई गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) और सहायता समूहों से संपर्क कर सकते हैं।
Q. दहेज प्रथा को खत्म करने के लिए क्या किया जा सकता है?
दहेज प्रथा को खत्म करने के लिए समाज में व्यापक जागरूकता फैलाना आवश्यक है। इसके लिए सरकार, गैर-सरकारी संगठनों और शिक्षण संस्थानों को मिलकर प्रयास करने होंगे।
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