धर्म, संस्कृति और आस्था का संगम! शाही स्नान में शामिल हों और पवित्र डुबकी लगाएं! शाही स्नान कब और कैसे? जानिए सभी तिथियां! Mahakumbh Shahi Snan 2025 | Kumbh Mela Prayagraj Bathing Dates | Kumbh Mela Shahi Snan 2025
पंच दशनाम जूना अखाड़े ने 2025 में होने वाले महाकुंभ के लिए नगर प्रवेश और शाही पेशवाई की तिथियां निर्धारित कर ली हैं। अखाड़े के नागा संन्यासी, महामंडलेश्वर, महंत, साधु-संत, और मठाधीश, 12 अक्तूबर को विजयदशमी के अवसर पर प्रयागराज के लिए प्रस्थान करेंगे। 3 नवंबर को यम द्वितीया के दिन जूना अखाड़ा, हाथी-घोड़े, बग्घी, रथ और पालकियों के साथ संगम की रेती पर स्थित कुंभ नगर के शिविर में देवता के साथ प्रवेश करेगा। इस अवसर पर नगर प्रवेश, पेशवाई, शाही स्नान और शोभायात्रा की भव्यता का प्रदर्शन किया जाएगा। जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय सभापति महंत प्रेम गिरि की अध्यक्षता में महाकुंभ की तैयारियों को अंतिम रूप दिया गया, जिसमें शाही स्नान, धर्म ध्वजा पूजन, नागा संन्यासियों के शिविरों के लिए भूमि आवंटन और अन्य प्रमुख तिथियां तय की गईं। Mahakumbh Shahi Snan 2025
महंत हरि गिरि ने बताया कि अखाड़े के रमता पंच, नागा संन्यासी और अन्य प्रमुख पदाधिकारी 16 अक्तूबर को शरद पूर्णिमा पर प्रयागराज के रामपुर स्थित सिद्ध हनुमान मंदिर परिसर पहुंचेंगे। 3 नवंबर को, रमता पंच की अगुवाई में जूना अखाड़ा पूरे लाव-लश्कर के साथ नगर प्रवेश करेगा। 23 नवंबर को काल भैरव अष्टमी के दिन आवंटित भूमि पर धर्म ध्वजा स्थापित की जाएगी। कुंभ मेला 2025 में चार शाही स्नान होंगे, जिसमें मकर संक्रांति स्नान, मौनी अमावस्या स्नान, बसंत पंचमी स्नान और महाशिवरात्रि स्नान शामिल हैं। ग्रहों की स्थिति के अनुसार इन स्नानों का समय तय किया जाएगा। Mahakumbh Shahi Snan 2025
शाही स्नान की परंपरा 14वीं से 16वीं शताब्दी में शुरू हुई थी और सभी 13 अखाड़े इसमें भाग लेते हैं। प्रत्येक अखाड़ा सबसे पहले शाही स्नान करने की इच्छा रखता है, इसलिए टकराव से बचने के लिए शाही स्नान का एक निश्चित कार्यक्रम निर्धारित किया गया है। हालाँकि, इन प्रमुख स्नानों की सटीक तिथियों की घोषणा अभी बाकी है, लेकिन कुंभ मेले में इन शाही स्नानों का विशेष महत्व रहेगा।
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कुंभ मेले में शाही स्नान (राजयोगी स्नान) क्या है?
कुंभ मेले में पवित्र दिनों पर एक निश्चित समय पर नदी में स्नान करने वाले साधु-संतों या अखाड़ों के तपस्वियों को शाही स्नान कहा जाता है। शाही स्नान के जुलूस के दौरान अखाड़े और उनके शिष्य अपनी शक्ति और भव्यता का प्रदर्शन करते हैं। अखाड़े अपने शिष्यों के साथ घोड़ों और हाथियों पर सवार होकर सेना की तरह चलते हैं, इसलिए इसे शाही स्नान कहा जाता है। साथ ही, यह भी माना जाता है कि कुंभ मेले में शाही स्नान के दौरान पवित्र डुबकी लगाने से अमरता की प्राप्ति होती है।
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शाही स्नान कैसे होता है?
- कुंभ मेले में शाही स्नान पहले से तय तिथियों पर सुबह या आधी रात को शुरू होता है।
- शाही स्नान के लिए, अखाड़ों के तपस्वी और संत भारी भीड़ के साथ बंदूकों से लैस जुलूस निकालते हैं।
- स्थानीय लोग जुलूस के रास्ते को पहले से ही रंगोली और पंखुड़ियों से सजाते हैं।
- एक-एक करके, अपने संतों और शिष्यों से युक्त अखाड़े शाही स्नान के स्थान पर पहुँचते हैं। हाथी, ऊँट, घोड़े आदि की सवारी के साथ संगीत बजाते हुए।
- कुछ स्वामी हाथी पर सवार होते हैं तो कुछ ट्रैक्टर-ट्रॉली, रथ पर। श्रद्धालु मार्ग में पुष्प वर्षा करते हैं। ढोल, ताशा, नगाड़े आदि विभिन्न वाद्य यंत्रों की ध्वनि होती है।
- वे ‘हर हर महादेव, गौरी शंकर, जय गंगा मैया की जय’ जैसे नारे लगाते हैं। माला पहने, शरीर पर पवित्र भस्म लगाए, चमचमाती तलवारें या अन्य हथियार और झंडे लिए, हजारों नग्न नागा साधु हर हर महादेव, हर हर गंगे जैसे नारे लगाते हुए।
- यह देखने में बहुत ही आकर्षक लगता है और आपको ऐसा लगता है जैसे आप कोई फिल्म देख रहे हैं।
कुंभ मेले में पवित्र स्नान के लिए अखाड़ों को प्राथमिकता क्यों दी जाती है?
प्राचीन काल में, अखाड़ों के साधुओं और संतों के लिए धर्म की रक्षा करते हुए हत्या करना आवश्यक था। चूंकि गंगा में स्नान करने से पाप धुल जाते हैं, इसलिए अखाड़ों के शस्त्रधारी साधुओं और संतों को शाही स्नान में प्राथमिकता दी गई है। आज भी यह परंपरा जारी है। बंदूकधारी साधु-संतों का राजयोगी स्नान (शाही स्नान) कुंभ मेले का सबसे बड़ा आयोजन माना जाता है। साधु-संतों का राजयोगी स्नान (शाही स्नान) होने तक श्रद्धालु स्नान नहीं करते।
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कुंभ स्नान का महत्व- Mahakumbh Shahi Snan 2025
कुंभ स्नान का बहुत महत्व माना जाता है। मान्यता है कि यदि व्यक्ति कुंभ स्नान करता है, तो उसे सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसा भी कहा जाता है कि अगर कुंभ में स्नान किया जाए, तो पितृ भी शांत होते हैं और इससे व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि आती है। Mahakumbh Shahi Snan 2025
बता दें कि देशभर में चार जगह पर महाकुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। इसमें हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक और उज्जैन शामिल है। हरिद्वार में गंगा के तट पर, प्रयागराज में संगम तट पर, उज्जैन में शिप्रा नदी के तट पर, और नासिक में गोदावरी नदी के तट पर महाकुंभ मेले का आयोजन होता है।
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महाकुंभ 2025 शाही स्नान | Mahakumbh Shahi Snan 2025 | Kumbh Mela Prayagraj Bathing Dates
यह आयोजन जनवरी में होगा। ज्योतिषियों के अनुसार, वृषभ राशि में बृहस्पति ग्रह के होने पर कुंभ मेले का आयोजन होता है। इस हिसाब से महाकुंभ साल 2025 में 13 जनवरी से शुरू होगा। Mahakumbh Shahi Snan 2025
- महाकुंभ का पहला शाही स्नान 14 जनवरी मकर संक्रांति के दिन होगा।
- दूसरा शाही स्नान 29 जनवरी मौनी अमावस्या के दिन होगा।
- तीसरा शाही स्नान बसंत पंचमी यानी 3 फरवरी को होगा।
- इसके अलावा 13 फरवरी को पौष पूर्णिमा के दिन शाही स्नान होगा।
- माघी पूर्णिमा 12 फरवरी और 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन शाही स्नान किया जाएगा।
पौष पूर्णिमा (महत्वपूर्ण स्नान) | 13 जानेवारी 2025 |
मकर संक्रांति (शाही स्नान) | 14 जानेवारी 2025 |
मौनी अमावस्या (शाही स्नान) | 29 जानेवारी 2025 |
बसंत पंचमी (शाही स्नान) | 3 फेब्रुवारी 2025 |
अचला सप्तमी (महत्वपूर्ण स्नान) | 4 फेब्रुवारी 2025 |
माघी पूर्णिमा (महत्वपूर्ण स्नान) | 12 फेब्रुवारी 2025 |
महा शिवरात्री (महत्वपूर्ण स्नान) | 26 फेब्रुवारी 2025 |
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ग्रहों की स्थिति पर तय होता है स्थान
- महाकुंभ के स्थान और तिथियां ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करती है। इस हिसाब से ही सूर्य, मेष राशि और बृहस्पति, कुंभ राशि में होते हैं, तब हरिद्वार में महाकुंभ का आयोजन किया जाता है।
- जब बृहस्पति, वृषभ राशि में होते हैं और सूर्य, मकर राशि में होते हैं, तब प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन होता है।
- इसके अलावा जब सूर्य, बृहस्पति और सिंह राशि में होते हैं। तब नासिक में महाकुंभ मेले का आयोजन किया जाता है।
- जब बृहस्पति ग्रह, सिंह राशि में और सूर्य ग्रह मेष राशि में होते हैं, तो उज्जैन में महाकुंभ आयोजित होता है। Mahakumbh Shahi Snan 2025
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शाही स्नान के बाद क्या होता है?
साधु-संतों का जुलूस, पवित्र स्नान के बाद क्षेत्र के मंदिरों के दर्शन करता है और अपने निवास स्थान पर लौटता है। श्रद्धालु सड़क के दोनों ओर खड़े होकर मेहराब और झंडे लगाते हैं और साधु-संतों का स्वागत करते हैं। इस पवित्र स्नान के बाद साधु-संतों के स्वागत की परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है। जुलूस के समय श्रद्धालुओं का समर्पण साफ झलकता है। पवित्र स्नान के बाद जब वे अपने अखाड़ों में लौटते हैं, तो भक्त सन्यासियों और संतों का आशीर्वाद लेने के लिए सड़कों पर घूमते हैं। कुछ समय के लिए कुछ नग्न सन्यासी रुकते हैं और भक्तों को आशीर्वाद देते हैं, जबकि कुछ सन्यासी किसी को भी अपने पास नहीं आने देते हैं। कई सन्यासी कहते हैं कि, “मेरे पैर मत छुओ, मेरा प्रायश्चित अभी पूरा नहीं हुआ है”। शाही स्नान समाप्त करने के बाद भक्त और अन्य लोग नदी में पवित्र डुबकी लगाना शुरू करते हैं और अपने पापों को धोते हैं। Mahakumbh Shahi Snan 2025
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