राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति-2018 | National Biofuel Policy-2018

जैव ईंधन उत्पादन को बढ़ाने और घरेलू आपूर्ति की निरंतरता और मात्र के बारे में चिंताओं को दूर करने के लिए नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (Ministry of New and Renewable Energy (MNRE) द्वारा राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति-2018 | National Biofuel Policy-2018 को जारी किया गया है। भारत में जैव ईंधन का उत्पादन रणनीतिक महत्व का है, क्योंकि यह सरकार की पहलों जैसे मेक इन इंडिया, स्वच्छ भारत अभियान, कौशल विकास के साथ अच्छी तरह से जुड़ता है। यह किसानों की आय दोगुना करने के लक्ष्य को हासिल करने, आयात में कमी, रोजगार सृजन, कचरा से धन सृजन आदि के लिए उपाय प्रस्तुत करता है।

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राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति-2018 | National Biofuel Policy-2018

National Biofuel Policy-2018 में भारत सरकार द्वारा शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य 2030 तक पेट्रोल और डीजल में जैव-ईंधन के मिश्रण को 20% तक बढ़ाना है। यह नीति किसानों की आय में वृद्धि करने, रोजगार पैदा करने और ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए भी है।

सरकार ने आयात निर्भरता अर्थात जीवाश्म ईंधन के उपयोग में कमी करने के लक्ष्य के साथ देश की ऊर्जा सुरक्षा हासिल करने पर जोर दिया है। पर्यावरण प्रदूषण के मुद्दों और ईंधन की आवश्यकता के लिए आयात पर निर्भरता के बारे में बढ़ती चिंता के कारण वैकल्पिक ईंधन की आवश्यकता है जिनके  पर्यावरण संबंधी बेहतर लाभ हैं और जीवाश्म ईंधन की तुलना में आर्थिक दृष्‍टि से प्रतिस्पर्धी हैं।

राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति-2018 | National Biofuel Policy-2018

इसमें ऊर्जा की भारतीय बास्‍केट में जैव ईंधन के लिए एक कार्यनीतिक भूमिका की परिकल्पना की गई है। इन संसाधनों में कृषि और वन अवशेष, नगर पालिका ठोस अपशिष्‍ट (Municipal Solid Waste (MSW), गोबर आदि शामिल हैं जिन्हें जैव ईंधन के उत्‍पादन हेतु इस्तेमाल किया जा सकता है।

सरकार कच्चे तेल  के आयात पर हमारी निर्भरता को कम करने, विदेशी मुद्रा  की बचत करने के उद्देश्य से इनका उपयोग करने, किसानों को उनकी आय दोगुनी करने के लिए बेहतर पारिश्रमिक प्रदान करने, जीवाश्म ईंधन के उपयोग के कारण बढ़ते पर्यावरण के मुद्दों का समाधान करने/बायोमास/अपशिष्‍ट को जलाने, स्वच्छ भारत अभियान के अनुरूप अपशिष्‍ट प्रबंधन/कृषि-अवशेष प्रबंधन की चुनौतियों का समाधान करने और “मेक इन इंडिया” अभियान को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है ।

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नीति के तहत, सरकार जैव-ईंधन के उत्पादन और उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कई प्रोत्साहन प्रदान कर रही है। इनमें शामिल हैं:

  • जैव-ईंधन पर उत्पाद शुल्क में छूट
  • जैव-ईंधन पर जीएसटी में छूट
  • जैव-ईंधन पर वित्तीय सहायता
  • जैव-ईंधन पर अनुसंधान और विकास के लिए धन
  • जैव-ईंधन पर जागरूकता कार्यक्रम

नीति का जैव-ईंधन उद्योग पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। भारत में जैव-ईंधन उत्पादन 2018 में 1.5 अरब लीटर से बढ़कर 2023 में 5 अरब लीटर हो गया है। जैव-ईंधन उद्योग ने 2018 में 5 लाख लोगों को रोजगार दिया था जो 2023 में बढ़कर 15 लाख हो गया है।

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राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति के मुख्य बिंदु | Main points of National Biofuel Policy

  • एथेनॉल मिश्रण: 2025 तक पेट्रोल में 20% एथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान में 10% मिश्रण का लक्ष्य पार कर लिया गया है।
  • बायोडीजल मिश्रण: डीजल में 5% बायोडीजल मिश्रण का लक्ष्य रखा गया है।
  • जैव-ईंधन के प्रकारों का विस्तार: पारंपरिक गन्ने के रस से बने एथेनॉल के अलावा अनाज, गैर-खाद्य पौधों (2G और 3G जैव-ईंधन) से भी उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है।
  • प्रोत्साहन और सब्सिडी: जैव-ईंधन उत्पादकों को उत्पाद शुल्क छूट, जीएसटी छूट, वित्तीय सहायता आदि (Rebates, GST exemption, financial assistance etc.) प्रदान की जा रही हैं।
  • अनुसंधान और विकास: जैव-ईंधन की बेहतर उत्पादन तकनीकों और किस्मों को विकसित करने के लिए अनुसंधान और विकास को बढ़ावा दिया जा रहा है।
  • जागरूकता और क्षमता निर्माण: किसानों और उद्यमियों को जैव-ईंधन उत्पादन के बारे में जागरूक करने और उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

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जैव ईंधन के उत्पादन पर आधारित श्रेणियां | Categories based on production of biofuels

  1. पहली पीढ़ी के जैव ईंधन (1जी): ये खाद्य फसलों के भंडार पर निर्भर करते हैं; उदाहरण के लिए, मकई, सोया, गन्ना आदि (Corn, Soy, Sugarcane etc.)। उदाहरण- जैव इथेनॉल और बायोडीजल।
  2. दूसरी पीढ़ी के जैव ईंधन (2जी): इसे उन्नत जैव ईंधन के रूप में भी जाना जाता है, जो- सूखे पौधों, लकड़ी आदि के बायोमास को शामिल करते हैं; उदाहरण-इथेनॉल, जैव सीएनजी।
  3. तीसरी पीढ़ी के जैव ईंधन (3जी): 3जी जैव ईंधन शैवाल जैसी ऊर्जा फसलों पर अपने ऊर्जा स्रोत के रूप में निर्भर करते हैं। शैवाल को कम लागत, उच्च ऊर्जा और पूरी तरह से अक्षय स्रोत के रूप में कार्य करने के लिए प्रसंस्कृत किया जाता है।
  4. चौथी पीढ़ी के जैव ईंधन (4जी): ये ईंधन वृद्धि के समय CO2 को अवशोषित करने वाली बायोमास सामग्री पर निर्भर करते हैं। फिर उन्हें ईंधन में परिवर्तित किया जाता है, जिससे स्थायी ऊर्जा सुनिश्चित होती है। इस प्रक्रिया में CO2 प्राप्त होती है और उसका भंडारण होता है।

राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति-2018 | National Biofuel Policy-2018

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राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति की विशेषताएं | Features of National Biofuel Policy

  • इथेनॉल उत्पादन के लिए उपलब्ध कच्चे माल के स्रोत को गन्ने के रस और चीनी युक्त सामग्री जैसे- चुकंदर और मीठे ज्वार जैसे विभिन्न स्रोतों को शामिल करके व्यापक बनाया गया है।
  • इसका दायरा अब मक्का और कसावा जैसी स्टार्च युक्त सामग्री और यहां तक कि गेहूं, टूटे चावल और सड़े हुए आलू जैसे क्षतिग्रस्त खाद्यान्नों को भी शामिल करने के लिए बढ़ा दिया गया है। मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त भोजन पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
  • नीति के अनुसार, राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति के पास पेट्रोल के साथ मिश्रण करने के लिए इथेनॉल का उत्पादन करने के लिए अधिशेष खाद्यान्न के उपयोग को मंजूरी देने का अधिकार है।
  • यह नीति उन्नत जैव ईंधन के उपयोग पर केंद्रित है और 2जी इथेनॉल-जैव रिफाइनरी के लिए व्यवहार्यता अंतर को पाटने के लिए एक योजना का प्रस्ताव करती है।
  • जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति अतिरिक्त कर प्रोत्साहन और 1जी जैव ईंधन की तुलना में अधिक खरीद मूल्य भी प्रदान करती है।

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राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति के लाभ | Benefits of National Biofuel Policy

  • इससे आयात की मांग कम हो जाती है|
  • फसलों को जलाने को कम करके स्वच्छ वातावरण को बढ़ावा देता है|
  • खाना पकाने के तेल के पुन: उपयोग को बायोडीजल के लिए संभावित फीडबैक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है|
  • नगरपालिका ठोस अपशिष्ट (Municipal Solid Waste (MSW) प्रबंधन में सहायता|
  • जैव ईंधन उत्पादन से रोजगार के अवसर पैदा होते हैं।
  • अधिशेष अनाज और कृषि बायोमास का रूपांतरण कीमतों को स्थिर कर सकता है और किसानों के लिए अतिरिक्त आय को बढ़ावा दे सकता है।
  • यह सीओपी 26 में अपने ‘पंचामृत’ लक्ष्यों के तहत भारत द्वारा निर्धारित ऊर्जा उत्सर्जन लक्ष्य को पूरा करने में मदद करता है।
  • CO2 उत्सर्जन कम करने के साथ-साथ फसल अवशेष जलाने जैसे कार्य से पर्यावरण को मुक्त रखना।
  • नगरपालिका ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सुनिश्चित करेगा।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में ढांचागत निवेश को बढ़ाना, क्योंकि 2जी बायोरिफाइनरियों की स्थापना अत्यधिक पूंजी लागत वाली है।
  • रोजगार सृजन को बढ़ाता है, क्योंकि यह जैव ईंधन उत्पादन के रूप में ग्राम स्तर के उद्यमियों और आपूर्तिश्रृंखला प्रबंधन को बढ़ावा देता है।
  • किसानों को अतिरिक्त आय प्रदान करता है।

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राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति-2018 में किये गए संसोधन | Amendments made in National Biofuel Policy-2018

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति-2018 में संशोधन किये जाने को मंजूरी दे दी है। राष्ट्रीय जैव-ईधन नीति, जिसे नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के जरिये 2009 में लागू किया गया था, के स्थान पर “राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति-2018” को पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने 04 जून, 2018 को अधिसूचित किया था।

जैव-ईंधन में होने वाली प्रगति को ध्यान में रखते हुये राष्ट्रीय जैव-ईंधन समन्वय समिति (National Biofuel Coordination Committee (NBCC) की विभिन्न बैठकों में जैव-ईंधन उत्पादन बढ़ाने का निर्णय लिया गया। इसी तरह 01 अप्रैल, 2023 से देशभर में 20 प्रतिशत तक की एथेनॉल की मात्रा वाले एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल के लिये पहलकदमी करने के बारे में स्थायी समिति की सिफारिशों पर भी निर्णय लिया गया, जिसके अलोक में राष्ट्रीय जैव-ईंधन नीति में संशोधन किये जा रहे हैं।

  • जैव-ईंधन के उत्पादन के लिये अधिक फीडस्टॉक्स (feedstocks) को मंजूरी|
  • पेट्रोल में 20 प्रतिशत एथेनॉल के मिश्रण के लक्ष्य को ईएसवाई 2030 से पहले 2025-26 में ही प्राप्त करने के लिए पहलकदमी करना|
  • मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत विशेष आर्थिक जोन (सेज)/निर्यातोन्मुख इकाइयों (ईओयू) (Economic Zones (SEZs)/Export Oriented Units (EOUs) द्वारा देश में जैव-ईंधन के उत्पादन को प्रोत्साहन |
  • National Biofuel Policy-2018, में नये सदस्यों को जोड़ना |
  • विशेष मामलों में जैव-ईंधन के निर्यात की अनुमति देना|
  • राष्ट्रीय जैव-ईंधन समन्वय समिति की बैठकों के दौरान लिये गये निर्णयों के अनुपालन में नीति में कतिपय वाक्यों को काटना/संशोधित करना।

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FAQs

Q. क्या 2025 तक 20% एथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य वास्तविक है?

जवाब: चुनौतीपूर्ण जरूर है, पर असंभव नहीं। अभी 10% का लक्ष्य पार कर लिया गया है। सरकार प्रोत्साहन बढ़ाकर और उत्पादन क्षमता को सुधारकर लक्ष्य प्राप्त करने का प्रयास कर रही है।

Q. क्या गैर-खाद्य स्रोतों से एथेनॉल उत्पादन काफी है?

जवाब: नहीं, फिलहाल मुख्यतः गन्ने से उत्पादन होता है। 2G और 3G जैव-ईंधन को बढ़ावा देना जरूरी है। तकनीकी प्रगति और आर्थिक व्यवहार्यता पर ध्यान देना होगा।

Q. बायोडीजल मिश्रण का लक्ष्य (5%) पर्याप्त है?

जवाब: कुछ का मानना है कि यह कम है। पर्यावरण और आयात कम करने के लिए लक्ष्य बढ़ाया जा सकता है, पर घरेलू उत्पादन क्षमता भी बढ़ानी होगी।

Q. खाद्य सुरक्षा चिंताओं का समाधान कैसे होगा?

जवाब: सरकार का कहना है कि खाद्य सुरक्षा सबसे पहले है। नीति में केवल खाद्यान्न के अधिशेष या अनुपयुक्त हिस्सों का उपयोग शामिल है। वैकल्पिक स्रोतों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।

Q. क्या पर्यावरण पर पर्याप्त ध्यान दिया जा रहा है?

जवाब: सरकार का दावा है कि जैव-ईंधन पारंपरिक ईंधनों से बेहतर है, पर गैर-खाद्य स्रोतों का चुनाव और उत्पादन प्रक्रिया महत्वपूर्ण हैं। सतत कृषि पद्धतियों को अपनाना जरूरी है।

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