प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना | Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana | PMGSY

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना | Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana | PMGSY के माध्यम से सभी छोटे एवं बड़े गांवों की सड़कों को शहरों की पक्की सड़कों से जोड़ा जाएगा। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का प्रबंधन ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और नगरपालिका के नाम माध्यम से किया जाएगा। ग्रामीण सड़क नेटवर्क के सतत प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए उच्च तकनीकी और प्रबंधन मानकों (मैनेजमेंट स्टैंडर्ड) को स्थापित करने और राज्य स्तरीय नीति विकास की योजना बनाई गई थी। यह योजना केवल ग्रामीण क्षेत्रों को कवर करती है और शहरी सड़कों को Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana कार्यक्रम के दायरे से बाहर रखा गया है| 

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प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना | Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana | PMGSY

ग्रामीण क्षेत्रों का विकास करने के लिए सरकार द्वारा निरंतर प्रयास किया जाता है। जिसके लिए सरकार विभिन्न प्रकार की योजनाओं का संचालन करती है। वर्ष 2000 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी के द्वारा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना | Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana | PMGSY का शुभारंभ किया गया था। Pradhan Mantri gram sadak Yojana के माध्यम से देश के गांवों को पक्की सड़कों के माध्यम से शहरों से जोड़ा जाएगा। इस योजना का मकसद, छोटे-बड़े सभी गांवों को शहरों की पक्की सड़कों से जोड़ना है. इस योजना का प्रबंधन, ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, और नगरपालिका के ज़रिए किया जाता है| इस लेख के माध्यम से आपको इस योजना का पूरा ब्यौरा प्रदान किया जाएगा।

 

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का विवरण

  • राज्य सरकारों के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, कार्यक्रम के कोर नेटवर्क की पहचान करने के लिए एक सर्वेक्षण में लगभग 1.67 लाख बिना कनेक्टिविटी (Connectivity) वाली बस्तियां प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत कवरेज के लिए पात्र (Eligibile) हैं। इसमें नई कनेक्टिविटी के लिए लगभग 3.71 लाख किलोमीटर की सड़कों का निर्माण और 3.68 लाख किलोमीटर की सड़कों को अपग्रेड (Upgrade) करना शामिल है।
  • कोर नेटवर्क सभी पात्र बस्तियों के लिए सामाजिक और आर्थिक सेवाओं तक बुनियादी पहुंच प्रदान करने के लिए आवश्यक सभी ग्रामीण सड़कों का नेटवर्क है।
  • इस योजना के तहत, किसी बस्ती को केवल एक ही सड़क कनेक्टिविटी दी जाएगी और अगर वह क्षेत्र पहले से ही पक्की सड़क से जुड़ा हुआ है, तो उस बस्ती के लिए कोई नई सड़क नहीं बनाई जा सकती है। पक्की सड़क का मतलब वो सड़क है जिसका इस्तेमाल सभी मौसमों में किया जा सकता है।
  • Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana के तहत विकसित ग्रामीण सड़कें भारतीय सड़क कांग्रेस के प्रावधानों के अनुसार होंगी, जैसा कि ग्रामीण सड़क नियमावली में दिया गया है।

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प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के प्रमुख बिंदु | Key points of Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana

  • एकमुश्त विशेष हस्तक्षेप के रूप में Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana के पहले चरण की शुरुआत वर्ष 2000 में की गई। Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana का प्रमुख उद्देश्य निर्धारित जनसंख्या वाली असंबद्ध बस्तियों को ग्रामीण संपर्क नेटवर्क प्रदान कर ग्रामीण क्षेत्रों का सामाजिक-आर्थिक सशक्तीकरण करना है। योजना के अंतर्गत जनसंख्या का आकार मैदानी क्षेत्रों में 500+ और उत्तर-पूर्वी राज्यों, हिमालयी राज्यों, मरुस्थलीय और जनजातीय क्षेत्रों में 250+ निर्धारित किया गया है।
  • इस योजना का प्राथमिक उद्देश्य निर्धारित मानकों को पूरा करने करने वाली असंबद्ध बस्तियों को सड़क नेटवर्क प्रदान करना है। प्रारंभ में राज्यों के लिये सड़कों की लंबाई/वित्तीय लक्ष्य/आवंटन के संदर्भ में कोई भौतिक लक्ष्य निर्धारित नहीं किये गए थे। स्वीकृत परियोजनाओं के मूल्यों के अनुरूप राज्यों को निधि का आवंटन बाद के वर्षों में किया गया है।
  • भारत सरकार द्वारा वर्ष 2013 में समग्र दक्षता में सुधार हेतु ग्रामीण सड़क नेटवर्क में 50,000 किमी. के उन्नयन के लिये PMGSY-II की शुरुआत की गई।
  • ग्रामीण कृषि बाज़ार (GrAMs) (Gramin/Rural Agricultural Rarket), उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों और अस्पतालों को प्रमुख ग्रामीण संपर्क मार्गों से जोड़ने हेतु वर्ष 2019 में 1,25,000 किमी. के समेकन के लिये  PMGSY-III को प्रारंभ किया गया।
  • PMGSY के तहत ग्रामीण सड़कों का निर्माण और विकास ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा जारी दिशा-निर्देशों में प्रस्तावित ज्यामितीय डिज़ाइन और भारतीय सड़क कॉन्ग्रेस (Indian Road Congress-IRC) के मैनुअल और अन्य प्रासंगिक IRC कोड और मैनुअल के अनुसार किया जाता है।
  • मंत्रालय द्वारा योजना के अंतर्गत कार्य संबंधित राज्य सरकारों द्वारा प्रस्तुत ‘विस्तृत परियोजना रिपोर्ट’ (Detailed Project Report-DPR) के आधार पर स्वीकृत किये जाते हैं।
  • राज्यों द्वारा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट जारी करते समय लागत को प्रभावित करने वाले भौतिक और पर्यावरणीय कारकों, जैसे- स्थलाकृति, मिट्टी के प्रकार, जलवायु, यातायात घनत्व, वर्षा और ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा निर्धारित तकनीकी विशिष्टताओं, जैसे- आवश्यक जल निकासी, नालियों और संरक्षण कार्यों की आवश्यकताओं पर विचार किया जाता है।
  • सड़क निर्माण कार्यों के लिये लागत अनुमान तैयार करते समय भौगोलिक और संबंधित कारकों को ध्यान में रखा जाता हैं। PMGSY-I के अंतर्गत पात्र बस्तियों के आधार पर और PMGSY-II तथा III के मामले में सड़कों की लंबाई के आधार पर लक्ष्य आवंटित किये जाते हैं।
  • योजना में विशेष वितरण के उपाय के रूप में केंद्र सरकार पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों में परियोजना लागत का 90% वहन करती है, जबकि अन्य राज्यों में केंद्र सरकार लागत का 60% वहन करती है।

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प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के क्रियान्वयन में चुनौतियाँ | Challenges in the implementation of Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana

  • PMGSY के अंतर्गत निर्मित ग्रामीण सड़क नेटवर्क को वर्तमान में मरम्मत की तत्काल आवश्यकता है, लेकिन राज्य इन सड़कों के रखरखाव के लिये पर्याप्त मात्रा में व्यय नहीं कर रहे हैं। योजना क्रियान्वयन के नोडल मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय के लिये यह एक चिंता का विषय है।
  • मंत्रालय के एक अनुमान के अनुसार, योजना के अंतर्गत निर्मित सड़कों के रखरखाव के लिये वर्ष 2020-21 से प्रारंभ होकर अगले पाँच वर्षों की अवधि के दौरान 75,000-80,000 करोड़ रुपए खर्च करने की आवश्यकता होगी। राज्यों द्वारा चालू वित्त वर्ष में 11,500 करोड़ रुपए खर्च किये जाने की आवश्यकता है और वर्ष 2024-25 तक आवश्यक राशि बढ़कर 19,000 करोड़ रुपए होने का अनुमान है।
  • योजना के प्रारंभ होने के पश्चात् से अब तक लगभग 1.5 लाख बस्तियों को आपस में जोड़ने के लिये 6.2 लाख किलोमीटर से अधिक सड़कों का निर्माण किया जा चुका है। इन सड़कों में से लगभग 2.27 लाख किमी. से अधिक लंबाई की सड़कें 10 वर्ष से अधिक और लगभग 1.79 लाख किमी. लंबी सड़कें 5 से 10 वर्ष तक पुरानी है। इन सभी को मिलाकर लगभग 67% सड़कों के उचित रखरखाव की आवश्यकता है।
  • राज्य ग्रामीण सड़क विकास एजेंसियों में प्रशिक्षित और अनुभवी कर्मचारियों का बार-बार स्थानांतरण योजना निगरानी की प्रभावशीलता को बाधित करता है। कुछ राज्यों द्वारा ऑनलाइन निगरानी प्रबंधन और लेखा प्रणाली पर नियमित रूप से योजना की भौतिक और वित्तीय प्रगति को अद्यतन नहीं करना भी चिंता का विषय है।
  • अपर्याप्त परियोजना निष्पादन और अनुबंध क्षमता, भूमि तथा वन मंज़ूरी में देरी होना, आदि भी योजना की भौतिक प्रगति में आने वाली कुछ प्रमुख बाधाएँ हैं। PMGSY के कैग ऑडिट में देखा गया कि बिहार, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और ओडिशा सहित नौ राज्य सड़कों के निर्माण में पिछड़े हुए थे।

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प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत आने वाले फेज | Phases covered under Pradhan Mantri Gram Sadak Yojana

फेज- I के लिए पीएमजीएसवाई टेंडर 

पहले फेज के तहत मुख्य फोकस नई कनेक्टिविटी विकसित करना और नई सड़कों का निर्माण करना था। इसके अलावा, फेज 1 के तहत लगभग 2,25,000 किलोमीटर ग्रामीण सड़कें अपग्रेड के लिए पात्र हो गई।

पीएमजीएसवाई फेज- II

सरकार ने 2013 में पीएमजीएसवाई II को लॉन्च करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। फेज- II के तहत, गांवों को जोड़ने के लिए 50,000 किलोमीटर तक सड़कों को अपग्रेड किया गया था। अपग्रेड करने के खर्च का 75% केंद्र द्वारा और 25% राज्यों द्वारा वहन किया जाना था।

पीएमजीएसवाई फेज- III

कार्यक्रम के फेज- III को जुलाई 2019 में केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिली। इसके तहत पूरे भारत में 1.25 लाख किलोमीटर तक फैली सड़कों को चौड़ा करने और फिर से बनाने पर फोकस किया गया, जिससे गांवों, अस्पतालों, स्कूलों और ग्रामीण कृषि बाजारों से कनेक्टिविटी में सुधार हुआ। इन सड़कों के निर्माण में प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल एक प्रमुख विशेषता थी। फेज- III की अवधि 2024-25 के लिए निर्धारित की गई थी। 80,250 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत केंद्र और राज्यों के बीच 60:40 के अनुपात में साझा की जाएगी, जबकि आठ पूर्वोत्तर और तीन हिमालयी राज्यों के लिए अनुपात 90:10 होगा।

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FAQs

Q. क्या यह कार्यक्रम केवल राजस्व गांवों के लिए संयोजकता प्रदान करता है? क्या छिटपुट गांव (hamlet) जोड़े जाने के लिए पात्र हैं?

पीएमजीएसवाई-I की भावना और उद्देश्य पात्र असंबद्ध बसावटों को समुचित बारहमासी सड़क संयोजकता प्रदान करना है। इस कार्यक्रम की इकाई राजस्व गांव या पंचायत नहीं बल्कि बसावट है। बसावट का अर्थ किसी क्षेत्र में रहने वाली आबादी का ऐसा समूह जो कि समय के साथ बदलता नहीं है। बसावट को इंगित करने के लिए आम तौर पर देशम, धानी, टोला, माजरा, हैमलेट आदि शब्दों का उपयोग किया जाता है।

बसावट की जनसंख्या का आकार निर्धारित करने का आधार 2001 की जनगणना में दर्ज की गई जनसंख्या होगी। जनसंख्या का आकार निर्धारित करने के लिए 500 मीटर (पहाड़ी क्षेत्रों के मामले में 1.5 कि.मी. की दूरी) के दायरे में सभी आवासों की आबादी को एक साथ रखा जा सकता है। पहाड़ी राज्यों (गृह मंत्रालय द्वारा इस रूप में चिह्नित) में अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे खंडों में, हालांकि 10 कि.मी. तक की मार्ग दूरी के भीतर सभी बसावटों को इस उद्देश्य के लिए क्लस्टर माना जाता सकता है। यह क्लस्टर दृष्टिकोण विशेष रूप से पहाड़ी/पर्वतीय क्षेत्रों में कई बसावटों में संयोजकता के प्रावधान को संभव बनाएगा।

पीएमजीएसवाई के तहत अरुणाचल प्रदेश के मामले में विशेष व्यवस्था की अनुमति दी गई है जिसके तहत राज्य की अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे सभी जिलों में 10 किमी की मार्ग दूरी तक सारी आबादी को क्लब करके क्लस्टर दृष्टिकोण का विस्तार किया गया है।

Q. सड़क संयोजकता के लिए क्या कोई व्यक्ति आवेदन कर सकता है?

पीएमजीएसवाई-I का उद्देश्य ऊपर वर्णित प्रश्न 1 के उत्तर के अनुरूप असंबद्ध बसावटों को सड़क संयोजकता प्रदान करना है। कार्यक्रम के दिशानिर्देशों के अनुसार सड़क संयोजकता के लिए किसी भी प्रस्ताव पर विचार किया जा सकता है।

Q. संरेखण (Alignment) का चयन किस तरह किया जाता है? क्या स्थानीय ग्रामीण इस प्रक्रिया से जुड़े होते हैं?

संरेखण (Alignment) को अंतिम रूप देने के लिए डीपीआर तैयार करते समय सहायक अभियंता द्वारा सहज, गैर-औपचारिक पारगमन यात्रा (transect walk) का आयोजन किया जाएगा। पंचायत प्रधान, स्थानीय पटवारी, जेई, स्थानीय राजस्व और वन अधिकारी, महिलाओं पंचायत सदस्य और महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के प्रतिनिधि पारगमन यात्रा में भाग लेते हैं ताकि सबसे उपयुक्त संरेखण निर्धारित करने, भूमि की उपलब्धता संबंधी मुद्दों का हल करने और किसी भी प्रतिकूल सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने, कार्यक्रम में अपेक्षित सामुदायिक भागीदारी प्राप्त करने संबंधी काम किए जा सकें। पारगमन यात्रा के बाद, कार्यवृत्तों को ग्राम सभा के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए और उनके द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए। इस प्रक्रिया में प्रस्तावित संरेखण द्वारा प्रभावित होने की संभावना वाले स्थानीय लोगों को भी अपना दृष्टिकोण व्यक्त करने की अनुमति है।

Q. सड़कों के निर्माण के लिए निष्पादनकर्ताओं (Executors) का चयन किस तरह किया जाता है?

सड़कों के निर्माण के लिए निष्पादनकर्ताओं का चयन खुली प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से किया जाता है जिसके लिए राज्य सरकारों द्वारा विधिवत रूप से निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया जाता है। जिन बोलीकर्ताओं के पास प्रावधानों के अनुसार निर्धारित योग्यताएं और कार्यों को निष्पादित करने की क्षमता हो, उनके द्वारा बोली प्रक्रिया में भाग लेना अपेक्षित होता है। निविदा प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने और निविदा प्रक्रिया को गति देने के लिए, बोलियों के ई-प्रापण को अनिवार्य बनाया गया है।

Q. यदि सड़क का निर्माण पूरा होने के बाद इसमें दोष पाए जाते हैं तो इन्हें कैसे सुधारा जाता है?

अनुबंध (Contract) के प्रावधानों के अनुसार, ठेकेदार ऐसे किसी भी दोष के लिए उत्तरदायी है जो कि सड़क निर्माण कार्य पूरा होने के बाद 5 वर्ष की अवधि तक पाया जाता है। दोष देयता को लागू करने के लिए, ठेकेदारों के बिल से प्रतिभूति राशि की कटौती की जाती है। उक्त अवधि के दौरान ठेकेदार को दोषों को ठीक करना होगा और यदि सुधार नहीं किया जाता है, तो परियोजना कार्यान्वयन इकाई/Project Implementation Unit (PIU) से यह अपेक्षित होता है कि यह दोष का सुधार करे और इससे संबंधित लागत की वसूली ठेकेदार के प्रतिभूति जमा से की जाए।

Q. यदि ठेकेदार निष्पादन में देरी करता है तो क्या होगा?

यदि ठेकेदार द्वारा निर्धारित मील पत्थरों (milestones) का अनुपालन नहीं किया जाता है तो वह अनुबंध की सामान्य शर्तों (जीसीसी) के खंड 44 के अनुरूप अभिप्रेत पूर्णता तारीख से लेकर वास्तविक पूर्णता तारीख की अवधि तक के लिए परिनिर्धारित क्षतियों की अदायगी हेतु उत्तरदायी होगा। : –

  • यदि पूर्णता के लिए अनुमत अवधि के 1/4 भाग तक पूरे अनुबंध निर्माण कार्य मूल्य का 1/8 हिस्सा पूरा नहीं किया गया हो।
  • यदि पूर्णता के लिए अनुमत अवधि के 1/2 भाग तक पूरे अनुबंध निर्माण कार्य मूल्य का 3/8 हिस्सा पूरा नहीं किया गया हो।
  • यदि पूर्णता के लिए अनुमत अवधि के 3/4 भाग तक पूरे अनुबंध निर्माण कार्य मूल्य का 3/4 हिस्सा पूरा नहीं किया गया हो।
  • पूर्णता में हुई देरी के लिए निकटतम हजार तक राउंड ऑफ करके, प्रति सप्ताह, प्रारंभिक अनुबंध मूल्य का 1%, निर्माण कार्य पूरा होने में हुई देरी के लिए परिनिर्धारित क्षति है बशर्ते कि यह अधिकतम प्रारंभिक अनुबंध मूल्य का 10% होगा।

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