संभल में अब मिली 250 फीट गहरी रानी की बावड़ी, मिट्टी से भर दी गई थी ऐतिहासिक विरासत, राजस्व विभाग करा रहा खुदाई! UP Sambhal Latest News Updates in hindi | Stepwell found in Sambhal’s Chandausi
UP Sambhal Latest News Updates in hindi: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में मंदिरों के साथ-साथ प्राचीन कुएं भी मिल रहे हैं, जिनके बारे में अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं। हाल ही में एक और कुआं मिला है, जो चर्चा का विषय बन गया है। इस कुएं में 12 फीट गहराई तक पानी दिखाई देने लगा है। मंदिर के बाल योगी दीनानाथ ने दावा किया है कि यह पानी पाताल लोक से आया है और इसे चमत्कारिक पानी बताया जा रहा है। संभल के 68 तीर्थ स्थलों में से इसे एक तीर्थ स्थल माना जाता है। बाबा छेमनाथ के मंदिर में इस कुएं की चर्चा शुरू हो गई है, जहां एक दिन पहले बाबा ने कुएं में हथोड़ा मारकर इसके ऊपर की छत तोड़ी। सामान्यतः यहां का पानी 80 फीट गहराई में मिलता है, लेकिन इस कुएं में 12 फीट में ही पानी आ गया। बाबा ने यह भी कहा कि उन्हें इस कुएं के बारे में पहले जानकारी नहीं थी, लेकिन इस बारे में प्रशासन को सूचित कर दिया गया है।
इसी बीच, संभल के चंदौसी में लक्ष्मण गंज इलाके में खुदाई के दौरान लगभग 150 साल पुरानी बावड़ी मिली है, जो 400 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैली हुई है। चंदौसी नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी कृष्ण कुमार सोनकर ने बताया कि खुदाई शनिवार को शुरू हुई थी। यह खुदाई 13 दिसंबर को भस्म शंकर मंदिर के फिर से खुलने के बाद की जा रही है। अधिकारियों के मुताबिक, अतिक्रमण रोधी अभियान के दौरान इस बावड़ी का पता चला। बावड़ी के अंदर दो क्षतिग्रस्त मूर्तियां भी मिलीं। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, यह बावड़ी बिलारी के राजा के नाना के शासनकाल में बनाई गई थी। संभल के जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेंसिया ने कहा कि Archaeological Survey of India(ASI) से सर्वेक्षण कराने की संभावना पर विचार किया जा रहा है।
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खोज का विवरण
- स्थान: चंदौसी, लक्ष्मणगंज क्षेत्र
- क्षेत्रफल: 400 वर्ग मीटर
- उम्र: अनुमानित 150 साल पुरानी
- संरचना: चार कक्ष, संगमरमर की दूसरी और तीसरी मंजिल, ईंटों से बनी ऊपरी मंजिल, कुआं और सुरंग के संकेत
- रिकॉर्ड्स में दर्ज: ‘बिलारी की रानी की बावड़ी’ के रूप में
खुदाई और प्रशासनिक कार्रवाई
शनिवार को स्थानीय प्रशासन और राजस्व विभाग की पहल पर जेसीबी की मदद से खुदाई शुरू की गई। खुदाई के दौरान मिट्टी के ढेर के नीचे यह बावड़ी मिली।
- अधिकारियों का बयान: जिला मजिस्ट्रेट डॉ. राजेंद्र पेंसिया ने बताया कि बावड़ी की संरचना पूरी तरह से मिट्टी में दब गई थी। अब इसे बहाल करने के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे।
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI): ASI की चार सदस्यीय टीम ने क्षेत्र में सर्वेक्षण किया और प्राचीन संरचनाओं की कार्बन डेटिंग के लिए नमूने एकत्र किए।
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बावड़ी का ऐतिहासिक महत्व
- यह संरचना पानी के संरक्षण और सामाजिक केंद्र के रूप में उपयोग की जाती थी।
- 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान इस क्षेत्र में रानी की छावनी होने के दावे किए गए हैं।
- बावड़ी का निर्माण बिलारी के राजा के नाना के शासनकाल में हुआ माना जाता है।
स्थानीय धरोहरों का सर्वेक्षण
चंदौसी क्षेत्र में खुदाई के दौरान और भी प्राचीन स्थलों का पता चला है।
- मंदिरों का सर्वेक्षण: एएसआई ने कार्तिक महादेव मंदिर और कल्कि विष्णु मंदिर समेत पांच मंदिरों और 19 कुओं का निरीक्षण किया।
- अन्य खोजें: बांके बिहारी मंदिर और प्राचीन तालाब भी चर्चा का विषय बने।
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पर्यटन और विकास की संभावनाएं
योगी आदित्यनाथ सरकार संभल को एक प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करने की योजना बना रही है।
- संरक्षण कार्य: प्रशासन ने कहा है कि बावड़ी और अन्य प्राचीन स्थलों को बहाल करने के लिए व्यापक कदम उठाए जाएंगे।
- पर्यटन के लिए संभावनाएं: इन खोजों से संभल में पर्यटन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
सवा सौ से डेढ़ सौ वर्ष पुरानी है बावड़ी: UP Sambhal Latest News Updates in hindi
जिलाधिकारी राजेंद्र पेसियां ने जानकारी दी कि खतौनी में पॉइंट 040 के तहत 400 वर्ग मीटर क्षेत्र में एक बावड़ी तालाब के रूप में दर्ज है। स्थानीय लोगों के अनुसार, यह बावड़ी बिलारी के राजा के नाना के समय बनी थी। बावड़ी का सेकंड और थर्ड फ्लोर मार्बल से बना हुआ है, जबकि ऊपर का तल ईंटों से निर्मित है। इसमें एक कूप और चार कक्ष भी बने हुए हैं। वर्तमान में, इसे सुरक्षित रखने के लिए मिट्टी को धीरे-धीरे निकाला जा रहा है ताकि इसकी संरचना को कोई नुकसान न पहुंचे। हालांकि, इस समय केवल 210 वर्ग मीटर क्षेत्र ही खुला दिख रहा है, जबकि बाकी का क्षेत्र कब्जे में है। स्थानीय अनुमान के अनुसार, यह बावड़ी लगभग सवा सौ से डेढ़ सौ वर्ष पुरानी हो सकती है। इस बावड़ी की संरचना और इतिहास को संरक्षित करने के लिए प्रयास जारी हैं।
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चार कमरे भी नजर आए: UP Sambhal Latest News Updates in hindi
खुदाई से संबंधित मामले में तहसीलदार धीरेन्द्र सिंह ने राजस्व लेखपाल ने बताया कि मोहल्ला लक्ष्मणगंज में एक स्थान बावड़ी के नाम से जाना जाता है। ये गाटा संख्या 253 के नाम से दर्ज है, जिसमें पुराना तालाब और कमरे बने हुए है। नगर पालिका के सहयोग से इसकी खुदाई की जा रही है। इसमें चार कमरे और अवशेष जैसे नजर आए है, खुदाई लगातार की जाएगी।
बावड़ी की संरचना के बारे में
बिलारी के राजा के नाना के समय में बनी संभल की ऐतिहासिक बावड़ी को लेकर प्रशासन सक्रिय हो गया है। अभिलेखों में इसे 400 वर्ग मीटर क्षेत्रफल के बावड़ी तालाब के रूप में दर्ज किया गया है, लेकिन वर्तमान में केवल 210 वर्ग मीटर ही बाहर है, बाकी हिस्से पर अतिक्रमण है। नगर पालिका की टीम द्वारा मिट्टी हटाने का कार्य शुरू कर दिया गया है। माना जा रहा है कि यह संरचना लगभग 150 साल पुरानी है। इसमें द्वितीय और तृतीय मंजिल मार्बल से बनी है, जबकि ऊपरी तल ईंट का है। संरचना में एक कूप और चार कक्ष भी हैं। जिला मजिस्ट्रेट डॉ. राजेंद्र पैंसिया ने बताया कि बावड़ी को बहाल करने के प्रयास जारी हैं। नगर निगम के कार्यकारी अधिकारी कृष्ण कुमार सोनकर ने बताया कि जैसे-जैसे खुदाई आगे बढ़ रही है, बावड़ी के बारे में नई जानकारी सामने आ रही है। इसी के साथ शनिवार को ASI की चार सदस्यीय टीम ने संभल के 24 स्थलों का निरीक्षण किया, जिसमें पांच मंदिर और 19 कुएं शामिल थे। कल्कि विष्णु मंदिर और अन्य प्राचीन मंदिरों का भी सर्वेक्षण हुआ। एएसआई अपनी रिपोर्ट तैयार कर प्रशासन को सौंपेगी, जिससे इन ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण और बहाली में मदद मिलेगी।
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सहसपुर राजघराने से जुड़ा किस्सा: UP Sambhal Latest News Updates in hindi
चंदौसी के निवासी कौशल किशोर ने जिलाधिकारी संभल डॉ. राजेन्द्र पेंसिया को एक पत्र सौंपा, जिसमें उन्होंने लक्ष्मणगंज स्थित राधा-कृष्ण मंदिर और उसके समीप मौजूद एक प्राचीन बावड़ी के संरक्षण और जीर्णोद्धार की मांग की। उनका कहना है कि यह बावड़ी 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के समय की है और ऐतिहासिक महत्व रखती है। स्थानीय बुजुर्गों के अनुसार, सहसपुर राजघराने की रानी ने इस स्थान को अपनी गुप्त छावनी के रूप में इस्तेमाल किया था। यहां अब भी एक कुंआ और उससे जुड़ी सीढ़ियां दिखाई देती हैं, जो उस समय के इतिहास की कहानी बयां करती हैं। कौशल किशोर ने इस ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित करने की अपील की है।
विष्णु कल्कि मंदिर का सर्वेक्षण किया गया: UP Sambhal Latest News Updates in hindi
Archaeological Survey of India(ASI) की चार सदस्यीय टीम ने शनिवार को संभल स्थित कल्कि विष्णु मंदिर का सर्वेक्षण किया, जो एक अन्य मामले के तहत किया गया था। टीम ने लगभग 8-10 घंटे तक चलने वाले इस निरीक्षण के दौरान कुल 24 क्षेत्रों को कवर किया। इसमें पांच तीर्थस्थलों और 19 कुओं का निरीक्षण भी शामिल था। संभल में हाल ही में खोजे गए एक नए प्राचीन मंदिर का भी अध्ययन किया गया। जिला मजिस्ट्रेट पेंसिया ने बताया कि टीम ने प्राचीन मंदिर और नए मंदिर दोनों का गहन सर्वेक्षण किया और अपनी रिपोर्ट तैयार कर उन्हें सौंपेगी।
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1857 से जुड़े हैं तार? UP Sambhal Latest News Updates in hindi
संभल, उत्तर प्रदेश की इस ऐतिहासिक बावड़ी का निर्माण 1857 में हुआ माना जाता है और फिलहाल इसकी खुदाई का कार्य जारी है। यह प्राचीन संरचना 12 कमरों, एक कुएं और एक सुरंग के साथ बनाई गई थी, जिसमें से अब तक खुदाई के दौरान 4 कमरे स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगे हैं। दो जेसीबी मशीनों की मदद से बेहद सावधानीपूर्वक खुदाई की जा रही है ताकि संरचना को कोई नुकसान न हो। ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध संभल में कई प्राचीन धरोहरें मौजूद हैं, और यह बावड़ी न केवल जल संरक्षण के लिए उपयोगी रही होगी, बल्कि इसे धार्मिक और सामाजिक स्थल के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता रहा होगा। समय के साथ इस बावड़ी का रखरखाव नहीं हुआ, जिससे यह क्षतिग्रस्त हो गई और धीरे-धीरे इस पर अतिक्रमण कर लिया गया। अब इस ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित करने का प्रयास इसकी सांस्कृतिक महत्व को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक अहम कदम है।
CM Yogi का क्या है संभल प्लान? UP Sambhal Latest News Updates in hindi
योगी आदित्यनाथ सरकार संभल को धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल के रूप में विकसित करने की योजना बना रही है। इस मास्टर प्लान के तहत संभल, जिसे मान्यता है कि भगवान कल्कि का अवतार स्थल होगा, के ऐतिहासिक कुंओं और तालाबों का पुनर्निर्माण किया जाएगा। सूचना के अनुसार, संभल में पहले 19 कुंए और 68 तालाब थे, जिन्हें पहचानकर उनकी मरम्मत की जाएगी। स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, यहां अंतिम संस्कार करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है, और संभल के चारों कोनों पर स्थित श्मशानों का भी पुनरुद्धार किया जाएगा, जिन पर अतिक्रमण हो चुका है। इसके अलावा, शहर के प्राचीन मंदिरों का संरक्षण और विकास किया जाएगा। एक अन्य पहल में, हिंदू खेड़ा और दीपा सराय कॉलोनियों, जहां पहले हिंदू समुदाय रहता था और अब मुस्लिम समुदाय प्रमुख है, को भी योजनाओं के तहत ध्यान में रखा गया है। मुरादाबाद के कमिश्नर ने 1978 के दंगों से जुड़ी फाइलें भी तलब की हैं, ताकि क्षेत्र से संबंधित ऐतिहासिक और कानूनी मुद्दों को सुलझाया जा सके। इस व्यापक योजना का उद्देश्य धार्मिक धरोहर को पुनर्जीवित कर संभल को एक समृद्ध सांस्कृतिक केंद्र के रूप में स्थापित करना है।
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