Bonds की पूरी जानकारी: समझें निवेश का यह बेहतरीन तरीका! | Types of Bonds
क्या आपने कभी सुना है कि लोग अपने पैसे को सुरक्षित तरीके से बढ़ाने के लिए Bonds में निवेश करते हैं? अगर नहीं, तो चलिए इसे आसान भाषा में समझते हैं। बॉन्ड्स एक प्रकार का Debt Investment हैं, जिसमें आप किसी कंपनी या सरकार को अपना पैसा उधार देते हैं, और बदले में वे आपको एक निश्चित समय के बाद ब्याज सहित राशि वापस करते हैं। यह उन लोगों के लिए एक अच्छा विकल्प है जो सुरक्षित और स्थिर रिटर्न चाहते हैं। लेकिन बॉन्ड्स के भी कई प्रकार (Types of Bonds) होते हैं, जैसे सरकारी बॉन्ड (government bonds), कॉर्पोरेट बॉन्ड (corporate bond), म्युनिसिपल बॉन्ड (municipal bond) और जीरो कूपन बॉन्ड (zero coupon bond), जो अलग-अलग निवेशकों की जरूरतों के हिसाब से बनाए गए हैं। आइए, इन सभी को विस्तार से समझते हैं।
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बॉन्ड्स क्या हैं? | What are Bonds in hindi?
बॉन्ड एक तरह का सुरक्षित कर्ज़ (secured loan) है जो किसी संस्था को पैसे जुटाने में मदद करता है। सरल शब्दों में, जब किसी कंपनी, सरकार या अन्य संगठन को पैसों की ज़रूरत होती है, तो वे बॉन्ड जारी करते हैं। लोग इन बॉन्ड को खरीदते हैं, जिससे वे संस्था को एक निश्चित समय के लिए उधार देते हैं।
सुरक्षित कर्ज़ (secured loan) का मतलब यह है कि अगर किसी वजह से कंपनी दिवालिया हो जाती है, तो शेयरधारकों/shareholders (जो कंपनी के मालिक होते हैं) से पहले बॉन्डधारकों (bondholders) को उनका पैसा वापस मिलता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि बॉन्डधारकों का कंपनी की संपत्ति पर एक तरह का दावा होता है, जिसे Security कहते हैं। यह सिक्योरिटी उन्हें अन्य उधारकर्ताओं के मुकाबले प्राथमिकता देती है। यही बॉन्ड को एक सुरक्षित निवेश बनाता है।
Bonds जारी करने वाली संस्थाएँ (जैसे कंपनियाँ, सरकारें, नगर निगम आदि) प्राथमिक बाज़ारों (primary markets) में निवेशकों को बॉन्ड बेचती हैं। इस तरह जुटाए गए पैसे का इस्तेमाल कंपनियाँ अपने कारोबार को चलाने और बढ़ाने में करती हैं, वहीं सरकारें इसका उपयोग बुनियादी ढाँचे के विकास जैसे कामों में करती हैं।
निवेशक बॉन्ड को एक निश्चित कीमत पर खरीदते हैं, जिसे Face Value या मूलधन कहते हैं। एक तय समय पूरा होने पर यह मूलधन निवेशकों को वापस कर दिया जाता है। इसके साथ ही, बॉन्ड जारी करने वाली संस्था निवेशकों को समय-समय पर ब्याज भी देती है, जो या तो निश्चित होता है या बाज़ार के हिसाब से बदलता रहता है।
बॉन्ड खरीदने वाले निवेशकों का उस संस्था के कर्ज़ पर कानूनी हक़ होता है। इसलिए, बॉन्ड जारी करने वाली संस्था तय समय के बाद निवेशकों को उनका पूरा मूलधन वापस करने के लिए बाध्य होती है। अगर किसी वजह से कंपनी दिवालिया हो जाती है, तो शेयरधारकों से पहले बॉन्डधारकों को उनका पैसा वापस मिलता है।
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Bonds की विशेषताएं
बॉन्ड्स एक प्रकार का ऋण निवेश है, जिसमें निवेशक किसी कंपनी, सरकार, या अन्य संस्था को एक निश्चित अवधि के लिए पैसा उधार देता है। बदले में, जारीकर्ता नियमित रूप से ब्याज का भुगतान करता है और अवधि के अंत में मूलधन वापस कर देता है। बॉन्ड्स कई विशेषताओं के साथ आते हैं जो निवेशकों को उनके जोखिम और संभावित रिटर्न का आकलन करने में मदद करते हैं। इन विशेषताओं को समझना बॉन्ड बाजार में निवेश करने से पहले बहुत ज़रूरी है। आइए, बॉन्ड्स की कुछ मुख्य विशेषताओं पर एक नज़र डालते हैं।
1. अंकित मूल्य (Face Value): यह बॉन्ड की मूल कीमत होती है, जो जारी करने वाली संस्था (जैसे कंपनी) तय करती है। इसे मूलधन या Par Value भी कहते हैं। संस्था कानूनी तौर पर इस राशि को एक निश्चित समय के बाद निवेशक को वापस करने के लिए बाध्य होती है। उदाहरण के लिए, अगर एक निवेशक ₹6,500 के फेस वैल्यू का एक corporate bond खरीदता है, तो कंपनी को एक तय समय के बाद, ब्याज सहित ₹6,500 वापस करने होंगे। ध्यान रखें कि फेस वैल्यू बाज़ार में बॉन्ड की कीमत (market value) से अलग होती है।
2. ब्याज दर (Coupon Rate): बॉन्ड पर एक निश्चित या बदलती हुई दर से ब्याज मिलता है, जो समय-समय पर निवेशकों को दिया जाता है। इसे Coupon Rate भी कहते हैं। बॉन्ड पर मिलने वाला ब्याज कई बातों पर निर्भर करता है, जैसे कि बॉन्ड की अवधि और जारी करने वाली संस्था की बाज़ार में साख।
3. अवधि (Tenure): अवधि वह समय होता है जिसके बाद बॉन्ड Mature हो जाता है, यानी उसकी मूल राशि वापस कर दी जाती है। यह जारीकर्ता और निवेशक के बीच एक कानूनी समझौता होता है, जो एक निश्चित समय तक ही मान्य होता है। अवधि के आधार पर बॉन्ड तीन प्रकार के हो सकते हैं:
- शॉर्ट-टर्म बॉन्ड (Short-Term Bonds): 5 साल से कम अवधि वाले।
- इंटरमीडिएट-टर्म बॉन्ड (Intermediate-Term Bonds): 5 से 12 साल की अवधि वाले।
- लॉन्ग-टर्म बॉन्ड (Long-Term Bonds): 12 साल से ज़्यादा अवधि वाले।
4. क्रेडिट क्वालिटी (Credit Rating): यह बॉन्ड जारी करने वाली कंपनी की वित्तीय स्थिति और उसके कर्ज़ चुकाने की क्षमता को दर्शाता है। इसे Credit Rating Agencies तय करती हैं, जो कंपनियों को उनकी वित्तीय स्थिति के आधार पर रेटिंग देती हैं। कम रेटिंग वाले बॉन्ड ज़्यादा जोखिम वाले होते हैं, लेकिन उन पर ब्याज ज़्यादा मिल सकता है।
5. खरीद-बेच (Tradable): बॉन्ड को सेकेंडरी मार्केट (secondary market) में खरीदा और बेचा जा सकता है। यानी, बॉन्डधारक अपनी अवधि पूरी होने से पहले भी अपने बॉन्ड बेच सकते हैं, खासकर तब जब बाज़ार में उनकी कीमत उनके फेस वैल्यू से ज़्यादा हो।
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बॉन्ड्स के प्रकार (Types of Bonds in Hindi)
बॉन्ड का प्रकार | विवरण |
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राजकोषीय बॉन्ड्स (Treasury Bonds) | ये बॉन्ड्स केंद्रीय सरकार द्वारा जारी किए जाते हैं और सबसे सुरक्षित माने जाते हैं क्योंकि इन पर कोई क्रेडिट जोखिम (credit risk) नहीं होता। इनका मैच्योरिटी समय 10 से 30 वर्ष तक हो सकता है और ये निश्चित ब्याज दर पर होते हैं, जो मौजूदा बाजार स्थिति पर निर्भर करते हैं। |
म्युनिसिपल बॉन्ड्स (Municipal Bonds) | ये बॉन्ड्स स्थानीय और राज्य सरकार विकास परियोजनाओं (State Government Development Projects) जैसे स्कूल, अस्पताल, और सड़कों के लिए जारी करती हैं। इन पर टैक्स में छूट मिलती है। ये दोनों, शॉर्ट-टर्म (short-term) और लॉन्ग-टर्म मैच्योरिटी (Long-term maturity) में उपलब्ध होते हैं। |
कॉर्पोरेट बॉन्ड्स (Corporate Bonds) | ये बॉन्ड्स कंपनियाँ अपने व्यवसाय संचालन के लिए पूंजी जुटाने के लिए जारी करती हैं। इनमें जोखिम अधिक होता है क्योंकि इनकी सुरक्षा कंपनी की क्रेडिटवर्थिनेस (creditworthiness) पर निर्भर करती है। इनका मैच्योरिटी समय और ब्याज दर कंपनी की वित्तीय स्थिति पर आधारित होते हैं। |
हाई-यील्ड बॉन्ड्स (High-Yield Bonds) | ये बॉन्ड्स कंपनियाँ कम क्रेडिट रेटिंग (Credit Rating) के साथ जारी करती हैं और इनमें अधिक जोखिम होता है। इसके बदले, ये अधिक यील्ड ऑफर करते हैं। यील्ड (Yield) का मतलब है निवेश पर मिलने वाला रिटर्न या लाभ। इन्हें जंक बॉन्ड्स (Junk Bonds) भी कहा जाता है। |
मोर्टगेज-बैक्ड सिक्योरिटीज (Mortgage-Backed Securities) | रियल एस्टेट कंपनियाँ (real estate companies) कई Mortgage (बंधक) को एक साथ मिलाकर एक तरह की सिक्योरिटी जारी करती हैं जिन्हें मॉर्टगेज-बैक्ड सिक्योरिटीज (Mortgage-Backed Securities या MBS) कहा जाता है। ये सिक्योरिटीज निवेशकों के लिए एक आकर्षक निवेश विकल्प हो सकती हैं, क्योंकि ये अपेक्षाकृत सुरक्षित मानी जाती हैं। साधारण भाषा में, जब कोई व्यक्ति घर खरीदने के लिए बैंक से लोन लेता है, तो वह अपनी संपत्ति को बैंक के पास गिरवी रखता है। इस गिरवी को ही मॉर्टगेज कहते हैं। बैंक ऐसे कई मॉर्टगेज को एक साथ मिलाकर एक पूल बनाता है और फिर इन पूलों के आधार पर सिक्योरिटीज जारी करता है। इन सिक्योरिटीज को ही मॉर्टगेज-बैक्ड सिक्योरिटीज कहा जाता है। |
फ्लोटिंग रेट बॉन्ड्स (Floating Rate Bonds) | कुछ बॉन्ड्स ऐसे होते हैं जिनकी ब्याज दर स्थिर नहीं होती, बल्कि समय-समय पर बदलती रहती है। इन बॉन्ड्स को फ़्लोटिंग रेट बॉन्ड्स कहा जाता है। इनकी ब्याज दर किसी संदर्भ दर से जुड़ी होती है। संदर्भ दर एक बेंचमार्क दर होती है जिसका इस्तेमाल ब्याज दरों को तय करने के लिए किया जाता है। भारत में, एक आम संदर्भ दर आरबीआई (R.B.I.) की रेपो रेट (Repo Rate) है। |
जीरो कूपन बॉन्ड्स (Zero-Coupon Bonds) | ये बॉन्ड्स अपने फेस वैल्यू (Face Value) से डिस्काउंट पर जारी होते हैं और इन पर कोई नियमित ब्याज नहीं मिलता। इसके बजाय, ये मैच्योरिटी पर एक निश्चित रिटर्न प्रदान करते हैं, जो जारी मूल्य (Issue Price) और (Face Value) के बीच का अंतर होता है। |
कॉलएबल बॉन्ड्स (Callable Bonds) | कुछ बॉन्ड्स ऐसे होते हैं जिनमें जारीकर्ता (यानी कंपनी या सरकार जो बॉन्ड जारी करती है) को यह अधिकार होता है कि वह बॉन्ड की मैच्योरिटी (परिपक्वता) से पहले ही उन्हें वापस खरीद ले। ऐसे बॉन्ड्स को कॉलएबल बॉन्ड्स (Callable Bonds) कहते हैं। जब जारीकर्ता बॉन्ड को मैच्योरिटी से पहले वापस खरीदता है, तो वह अक्सर उसे उसके फेस वैल्यू (अंकित मूल्य) से ज़्यादा कीमत पर खरीदता है। इस ज़्यादा कीमत को ही Premium Value कहते हैं। |
कन्वर्टिबल बॉन्ड्स (Convertible Bonds) | इन बॉन्ड्स को एक निश्चित रूपांतरण अनुपात (conversion ratio) पर जारीकर्ता की कंपनी के शेयरों में बदला जा सकता है। ये निवेशक को निश्चित आय और पूंजी वृद्धि का अवसर प्रदान करते हैं। |
इन्फ्लेशन-प्रोटेक्टेड बॉन्ड्स (Inflation-Protected Bonds) | ये बॉन्ड्स सरकार द्वारा जारी किए जाते हैं और इनका उद्देश्य निवेशकों को महंगाई से बचाना होता है। इन पर निश्चित ब्याज दर मिलती है, जो समय-समय पर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के अनुसार समायोजित होती है। |
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स (Sovereign Gold Bonds) | भारत सरकार द्वारा जारी किए गए एक वित्तीय साधन हैं, जो निवेशकों को भौतिक सोना खरीदने के बजाय सोने में निवेश का एक विकल्प प्रदान करते हैं। ये बॉन्ड रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की ओर से जारी किए जाते हैं। |
टैक्स-फ्री बॉन्ड्स (Tax-Free Bonds) | भारत सरकार या सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (Public Sector Undertakings or PSUs) द्वारा जारी किए गए वित्तीय साधन हैं, जिन पर मिलने वाला ब्याज पूरी तरह से कर मुक्त (Tax-Free) होता है। ये बॉन्ड्स विशेष रूप से उन निवेशकों के लिए हैं जो एक स्थिर और कर-मुक्त आय स्रोत चाहते हैं। |
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बॉन्ड्स में निवेश क्यों करें? | Why Invest in Bonds?
बॉन्ड्स में निवेश करना आपके पोर्टफोलियो को विविध बनाने का एक अच्छा तरीका है। इन पर मिलने वाला ब्याज आपकी मुख्य आय का पूरक बन सकता है। अगर आप कम जोखिम लेना चाहते हैं, तो बॉन्ड्स आपके लिए एक सुरक्षित विकल्प हो सकते हैं।
बॉन्ड्स से होने वाली आय का अनुमान लगाना आसान होता है, और यह शेयरों की तुलना में ज्यादा सुरक्षित होते हैं। बॉन्ड्स नियमित आय प्रदान करते हैं, आमतौर पर साल में एक या दो बार ब्याज का भुगतान किया जाता है। साथ ही, बॉन्ड्स आपके पूंजी (Capital) को सुरक्षित रखने का एक माध्यम हैं, क्योंकि परिपक्वता (Maturity) पर निवेशक को मूल राशि लौटा दी जाती है।
बॉन्ड्स में निवेश कैसे करें? | How to Invest in Bonds?
बॉन्ड्स में निवेश करने की प्रक्रिया कुछ इस प्रकार है:
1. बॉन्ड्स के प्रकार समझें: बॉन्ड्स कई प्रकार के होते हैं, और निवेश से पहले उन्हें समझना जरूरी है। सरकारी बॉन्ड्स (Government Bonds) सरकार द्वारा जारी किए जाते हैं और यह बेहद सुरक्षित होते हैं। कॉर्पोरेट बॉन्ड्स कंपनियों द्वारा जारी किए जाते हैं और इनमें अधिक रिटर्न के साथ थोड़ा जोखिम भी होता है। म्युनिसिपल बॉन्ड्स स्थानीय सरकारों द्वारा जारी किए जाते हैं। सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड्स (SGBs) में सोने के मूल्य में निवेश किया जाता है, जिससे आप सोने का लाभ ले सकते हैं।
2. निवेश का उद्देश्य तय करें: निवेश से पहले यह स्पष्ट करें कि आपका उद्देश्य क्या है। यदि आप सुरक्षित और स्थिर रिटर्न चाहते हैं, तो सरकारी बॉन्ड्स बेहतर हैं। यदि आप अधिक रिटर्न चाहते हैं और थोड़ा जोखिम उठा सकते हैं, तो कॉर्पोरेट बॉन्ड्स पर विचार करें। साथ ही, तय करें कि आप कितने समय के लिए निवेश करना चाहते हैं – यह 1-10 साल या उससे अधिक का हो सकता है।
3. बॉन्ड खरीदने के माध्यम: बॉन्ड खरीदने के कई माध्यम उपलब्ध हैं। आप ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स (online platforms) जैसे Zerodha, Groww, या ICICI Direct का उपयोग कर सकते हैं। बैंक और वित्तीय संस्थान भी बॉन्ड्स की पेशकश करते हैं। इसके अलावा, आप NSE और BSE जैसे बॉन्ड एक्सचेंज से खरीद सकते हैं। सरकारी बॉन्ड्स के लिए Retail Direct Platform RBI (रिटेल डायरेक्ट प्लेटफॉर्म ) एक सीधा और भरोसेमंद विकल्प है।
4. डिमैट खाता खोलें: बॉन्ड खरीदने के लिए डिमैट खाता (Demat Account) अनिवार्य है। यह खाता आपके निवेश को डिजिटल रूप में स्टोर करता है और लेनदेन को सरल और सुरक्षित बनाता है। डिमैट खाता किसी भी बैंक या दलाल (Broker) के माध्यम से खोला जा सकता है।
5. ब्याज दर और अवधि जांचें: बॉन्ड खरीदने से पहले उनकी ब्याज दर (Coupon Rate) और परिपक्वता (Maturity) अवधि की जांच करें। उच्च ब्याज दर वाले बॉन्ड्स का चयन करें, लेकिन उनकी अवधि को भी ध्यान में रखें। यह जांचना महत्वपूर्ण है कि आपका निवेश आपके वित्तीय लक्ष्यों से मेल खाता है या नहीं।
6. निवेश करें और समीक्षा करें: बॉन्ड खरीदने के बाद उनकी नियमित समीक्षा करें। बाजार के उतार-चढ़ाव और ब्याज दरों में बदलाव का प्रभाव बॉन्ड्स के मूल्य पर पड़ सकता है। समय-समय पर अपने निवेश की जांच करना सुनिश्चित करें और जरूरत पड़ने पर पुनः निवेश (Reinvestment) करें।
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FAQs: Bonds in Hindi
1. बॉन्ड्स (Bonds) और शेयर्स (Shares) में क्या अंतर है?
बॉन्ड्स एक ऋण का रूप हैं, जिसमें निश्चित ब्याज मिलता है। शेयर्स में लाभ कंपनी के प्रदर्शन पर निर्भर करता है। बॉन्ड्स शेयर्स की तुलना में अधिक सुरक्षित होते हैं।
2. क्या बॉन्ड्स पर टैक्स देना पड़ता है?
यह बॉन्ड्स के प्रकार पर निर्भर करता है। टैक्स-फ्री बॉन्ड्स (Tax-Free Bonds) पर टैक्स नहीं लगता, लेकिन अन्य बॉन्ड्स से मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लागू हो सकता है।
3. बॉन्ड्स में निवेश कैसे करें?
निवेशक बॉन्ड्स को शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड (Mutual Fund), या ब्रोकर के माध्यम से खरीद सकते हैं।
4. कौन से बॉन्ड्स सबसे सुरक्षित माने जाते हैं?
सरकारी बॉन्ड्स सबसे सुरक्षित माने जाते हैं क्योंकि इनमें डिफ़ॉल्ट (default) का जोखिम न के बराबर होता है।
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निष्कर्ष | Conclusion
बॉन्ड्स (Bonds) निवेश के लिए एक सुरक्षित और स्थिर विकल्प माने जाते हैं, क्योंकि इनमें निवेशकों को तय समय पर निश्चित रिटर्न मिलता है। हालांकि, हर तरह के बॉन्ड्स में जोखिम और लाभ की संभावना अलग-अलग होती है। सरकारी बॉन्ड्स (government bonds) आमतौर पर सुरक्षित होते हैं, जबकि जंक बॉन्ड्स (Junk Bonds) में अधिक जोखिम के साथ ज्यादा रिटर्न का मौका होता है। निवेशकों को अपने वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम सहने की क्षमता के अनुसार बॉन्ड्स का चयन करना चाहिए। सही जानकारी और योजना के साथ, बॉन्ड्स निवेश के लिए एक अच्छे माध्यम बन सकते हैं।