8th pay commission news: अब, केंद्रीय कर्मचारियों के लिए CGHS की जगह CGEPHIS योजना!

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CGEPHIS Scheme: क्या सरकार केंद्रीय कर्मचारियों के लिए CGHS की जगह नई स्वास्थ्य सेवा योजना लाएगी? | Government to launch new health care scheme to replace CGHS for Central Employees | CGHS Scheme | 8th pay commission news

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8th pay commission news : जैसे-जैसे 8वें वेतन आयोग की प्रक्रिया रफ्तार पकड़ रही है, वैसे-वैसे केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए एक नई स्वास्थ्य योजना को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय अब मौजूदा CGHS (Central Government Health Scheme) की जगह एक बीमा आधारित नई योजना – CGEPHIS (Central Government Employees and Pensioners Health Insurance Scheme) लाने की संभावनाओं पर विचार कर रहा है।

क्या यह बदलाव कर्मचारियों के लिए फायदेमंद होगा? क्या इससे इलाज और दावों की प्रक्रिया पहले से आसान हो जाएगी? अगर आप जानना चाहते हैं कि यह नई योजना क्या-क्या बदलाव लेकर आ रही है, तो इस ब्लॉग (8th pay commission news) को अंत तक जरूर पढ़ें!

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सीजीएचएस क्या है? | What is CGHS?

केंद्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) एक व्यापक स्वास्थ्य सुविधा है, जिसे भारत सरकार ने अपने कर्मचारियों, सेवानिवृत्त कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए शुरू किया था। यह योजना उचित लागत पर इलाज, परामर्श, जांच और दवाओं जैसी स्वास्थ्य सेवाओं की सुविधा प्रदान करती है। सीजीएचएस की शुरुआत वर्ष 1954 में हुई थी, और तब से यह केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवा विकल्प बनी हुई है।

8वें वेतन आयोग और स्वास्थ्य सेवा में संभावित बदलाव

8वें वेतन आयोग की घोषणा के बाद से वेतन ढांचे, एचआरए, भत्तों और अन्य लाभों को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं। इन्हीं में से एक चर्चा यह भी है कि क्या आने वाला वेतन आयोग स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी नई सिफारिशें पेश करेगा, खासकर CGHS को लेकर।

हालांकि 8वें वेतन आयोग का गठन अभी नहीं हुआ है, फिर भी पिछले वेतन आयोगों की सिफारिशों को देखकर अनुमान लगाया जा रहा है कि वर्तमान CGHS प्रणाली में बदलाव हो सकते हैं।

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पिछले आयोगों की सिफारिशें

  • फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, बीते तीन वेतन आयोगों ने केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए एक नई स्वास्थ्य योजना शुरू करने की सलाह दी थी, जिससे CGHS को धीरे-धीरे समाप्त किया जा सके।
  • CGHS की सीमित पहुँच को ध्यान में रखते हुए, इसे नए विकल्प से बदलने की बात कही गई थी।
  • छठे वेतन आयोग ने वैकल्पिक स्वास्थ्य योजना की वकालत की थी, जिसमें कर्मचारी और पेंशनभोगी स्वैच्छिक आधार पर एक निश्चित राशि का योगदान देकर शामिल हो सकते थे।
  • सातवें वेतन आयोग ने एक अधिक प्रभावी और व्यापक हेल्थकेयर मॉडल की बात की थी, जिसमें सीएस (एमए) और ईसीएचएस जैसी योजनाओं को CGHS में शामिल करने और अस्पतालों में कैशलेस ट्रीटमेंट की सुविधा देने की सिफारिश की गई थी।

वर्तमान स्थिति और CGHS का दायरा

CGHS पिछले छह दशकों से केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनरों को स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करा रहा है। वर्तमान में, यह योजना देश के 80 से अधिक शहरों में सक्रिय है और करीब 42 लाख लाभार्थियों को कवर करती है। CGHS द्वारा निम्नलिखित चिकित्सा प्रणालियों के माध्यम से सेवाएं प्रदान की जाती हैं:

  • एलोपैथी – Allopathy
  • होम्योपैथी – Homeopathy
  • आयुर्वेद – Ayurveda
  • यूनानी – Unani
  • सिद्ध – Siddha
  • योग – Yoga

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छठे वेतन आयोग की सिफारिशें क्या थीं?

छठे वेतन आयोग ने सुझाव दिया था कि सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए एक वैकल्पिक हेल्थ इंश्योरेंस योजना शुरू की जानी चाहिए, जिसमें भागीदारी स्वैच्छिक हो, लेकिन इसमें शामिल होने वाले कर्मचारियों को एक निश्चित अंशदान देना होगा। आयोग ने यह भी सिफारिश की थी कि भविष्य में नियुक्त होने वाले सभी नए कर्मचारियों के लिए यह योजना अनिवार्य कर दी जाए।

इसके साथ ही, आयोग ने यह भी कहा था कि इस योजना के लागू होने के बाद जो कर्मचारी सेवानिवृत्त होंगे, उन्हें भी चिकित्सा सुविधाओं का लाभ मिलना चाहिए।

7वें वेतन आयोग ने क्या कहा था?

सातवें वेतन आयोग ने भी स्वास्थ्य बीमा को एक बेहतर और दीर्घकालिक समाधान बताया था। आयोग का मानना था कि कर्मचारियों, पेंशनर्स और उनके परिजनों को व्यापक और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुरक्षा देने के लिए एक प्रभावी बीमा योजना ही सर्वोत्तम विकल्प है।

जब तक नई योजना लागू नहीं होती, तब तक आयोग ने CGHS के बाहर रहने वाले पेंशनभोगियों के लिए भी सुझाव दिए थे। उसने यह सिफारिश की थी कि CGHS को उन अस्पतालों को भी सूचीबद्ध करना चाहिए जो CS(MA) या ECHS के अंतर्गत पहले से ही सूचीबद्ध हैं, ताकि पेंशनर्स को भी कैशलेस उपचार का लाभ मिल सके। इसके लिए CGHS केंद्रों की प्रशासनिक क्षमता को बढ़ाना ज़रूरी बताया गया था।

  • CS(MA) योजना वर्तमान में सेवारत सरकारी कर्मचारियों को मेडिकल सेवाएं देती है।
  • ECHS योजना पूर्व-सैनिकों और उनके परिवारजनों को पैनलबद्ध अस्पतालों और पॉलीक्लिनिक के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाएं देती है।

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CGHS के साथ अब तक की चुनौतियाँ!

CGHS योजना को लेकर वर्षों से कई समस्याएं सामने आती रही हैं, जिनमें प्रमुख हैं:

  • छोटे शहरों (Tier 2 और 3) में सीमित कवरेज
  • प्रतिपूर्ति और अनुमोदन में देरी
  • कुछ क्षेत्रों में निजी सूचीबद्ध अस्पतालों की कमी
  • मैन्युअल प्रक्रियाएं और पुरानी IT प्रणाली
  • लाभार्थियों पर अधिक प्रशासनिक दबाव

इन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, सरकार अब एक अधिक डिजिटाइज्ड, सुविधा-पूर्ण और बीमा आधारित मॉडल तैयार करने पर काम कर रही है।

CGEPHIS क्या है और क्यों है चर्चा में?

जनवरी 2025 में यह खबर सामने आई थी कि सरकार CGHS की जगह एक बीमा आधारित हेल्थकेयर स्कीमCGEPHIS लाने की योजना बना रही है। यह योजना IRDAI से मान्यता प्राप्त बीमा कंपनियों के माध्यम से संचालित की जा सकती है। हालांकि, अभी तक सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।

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CGEPHIS की प्रमुख विशेषताएं!

नई योजना में CGHS की प्रमुख बातों को बरकरार रखते हुए कई नई सुविधाएं जोड़ी जाएंगी। संभावित विशेषताएं निम्नलिखित हो सकती हैं:

  • कैशलेस इलाज की सुविधा, देशभर के सूचीबद्ध निजी और सरकारी अस्पतालों में
  • मोबाइल ऐप के ज़रिए अपॉइंटमेंट बुकिंग और डिजिटल ई-कार्ड की सुविधा
  • टेलीमेडिसिन कंसल्टेशन, विशेष रूप से दूरस्थ क्षेत्रों के लिए
  • डिजिटल प्लेटफॉर्म के ज़रिए तेज़ और पारदर्शी दावे निपटान
  • योजना की संपूर्ण भारत में उपलब्धता, जिसमें सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश शामिल होंगे
  • PSU व स्वायत्त निकायों के रिटायर्ड कर्मचारी भी इस योजना के अंतर्गत
  • शिकायत निवारण की ऑनलाइन सुविधा बिना विभागीय दौरे की आवश्यकता

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CGHS बनाम प्रस्तावित CGEPHIS योजना | CGHS vs. the proposed CGEPHIS scheme

विशेषता मौजूदा CGHS प्रस्तावित CGEPHIS योजना
कवरेज क्षेत्र केवल प्रमुख शहरों में पूरे भारत में, ग्रामीण क्षेत्रों सहित
अस्पताल नेटवर्क मुख्यतः सरकारी अस्पताल निजी और सरकारी दोनों का बड़ा नेटवर्क
प्रतिपूर्ति समय लगभग 90 दिन 15-30 दिनों में तेजी से निपटान
सेवा पहुँच मैनुअल प्रक्रिया, फिजिकल कार्ड मोबाइल ऐप और ई-कार्ड आधारित
अपॉइंटमेंट फिजिकल कतार या फॉर्म भरना मोबाइल ऐप या ऑनलाइन माध्यम
शिकायत समाधान विभागीय दौरे की आवश्यकता ऑनलाइन पोर्टल और हेल्पडेस्क
टेलीमेडिसिन सीमित या नहीं के बराबर 24×7 समर्पित सुविधा
प्रयोगशालाएं/डायग्नोस्टिक्स सीमित दायरा देशभर की निजी लैब्स से भागीदारी

8वें वेतन आयोग और चिकित्सा लाभ: 8th pay commission news

8वां वेतन आयोग, जिसकी सिफारिशें 2026 तक लागू हो सकती हैं, स्वास्थ्य भत्तों और सेवाओं में बड़े बदलाव ला सकता है। संभावित बदलाव:

  • पेंशनधारकों को मिलने वाला Fixed Medical Allowance (FMA) ₹1,000 से बढ़ाकर ₹2,500 या उससे अधिक किया जा सकता है
  • महंगे और दीर्घकालिक इलाजों को नई योजना में शामिल करने की योजना
  • डिजिटल माध्यम से मेडिकल रिइम्बर्समेंट की प्रक्रिया को तेज़ और स्वचालित बनाया जाएगा
  • LTC से जुड़े मेडिकल खर्चों में भी वृद्धि संभव है

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CGEPHIS Scheme के अंतर्गत कर्मचारियों और पेंशनधारकों को संभावित लाभ

  • छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में रहने वाले कर्मचारियों को भी स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहतर पहुँच
  • प्रसिद्ध निजी अस्पतालों में बिना किसी परेशानी के इलाज की सुविधा
  • मेडिकल क्लेम की रीयल टाइम ट्रैकिंग
  • फिजिकल दस्तावेज़ों की आवश्यकता नहीं, पूरी तरह पेपरलेस प्रक्रिया
  • परिवार के अधिक सदस्यों को योजना में शामिल करने की सुविधा
  • चिकित्सा समस्याओं पर 24×7 सहायता
  • किसी भी राज्य या क्षेत्र में योजना की पोर्टेबिलिटी

8वें वेतन आयोग से क्या उम्मीदें हैं?

8th pay commission news: अब जबकि 8वें वेतन आयोग की रूपरेखा तैयार हो रही है, सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या यह आयोग CGEPHIS जैसे प्रस्तावों को समर्थन देगा और सरकारी कर्मचारियों व पेंशनर्स के लिए स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में कोई ठोस और क्रांतिकारी कदम उठाएगा या नहीं।

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