New Rules from 1 April 2025: हर साल बजट, टैक्स और निवेश से जुड़े नियमों में बदलाव होते हैं, लेकिन इस बार 1 अप्रैल 2025 से लागू होने वाले नए आर्थिक और वित्तीय नियम आपकी जिंदगी पर बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं। क्या आपको अपने बैंकिंग लेन-देन पर ज्यादा शुल्क देना होगा? क्या TDS-TCS की नई दरें आपकी सैलरी या बिजनेस को प्रभावित करेंगी? क्या ईंधन की कीमतों और Digital Transaction पर नए नियम आपके खर्चों को बढ़ा सकते हैं? अगर आप निवेशक हैं, तो क्या नया टैक्स स्ट्रक्चर आपके रिटर्न पर असर डालेगा? इन सभी सवालों के जवाब जानना जरूरी है, क्योंकि ये बदलाव सीधे आपकी जेब, बचत और भविष्य की वित्तीय योजनाओं से जुड़े हैं।
सरकार ने बजट, टैक्स, बैंकिंग और निवेश (Budget, Tax, Banking and Investment) से जुड़े कई नियमों में बड़े संशोधन किए हैं, जो आम नागरिकों, वरिष्ठ नागरिकों, मकान मालिकों और बिजनेसमैन (Common citizens, senior citizens, homeowners and businessmen) तक सभी को प्रभावित करेंगे। क्या आप तैयार हैं इन बदलावों का सामना करने के लिए? अगर नहीं, तो यह ब्लॉग आपके लिए बेहद जरूरी है! आइए जानते हैं 1 अप्रैल 2025 से लागू होने वाले इन महत्वपूर्ण बदलावों के बारे में विस्तार से। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट 2025 भाषण में संशोधित कर स्लैब और दरों सहित आयकर नियमों में बदलाव की घोषणा की। नए आयकर नियम 1 अप्रैल 2025 से लागू होंगे।
1 अप्रैल 2025 से लागू होने वाले प्रमुख आर्थिक और वित्तीय बदलाव! जानिए आपकी वित्तीय योजनाओं पर असर! New Rules from 1 April 2025 | Important changes in budget, tax and investment
हर महीने देश में कई बदलाव होते हैं, जो आपकी जेब पर बड़ा या छोटा असर डालते हैं। अब अप्रैल 2025 आने वाला है, और 1 अप्रैल से कई बड़े आर्थिक और वित्तीय बदलाव लागू होंगे। ये बदलाव आम नागरिकों, वरिष्ठ नागरिकों, मकान मालिकों, निवेशकों और बैंकिंग सेवाओं का उपयोग करने वालों को प्रभावित करेंगे। इनमें नए टैक्स नियम, TDS-TCS कटौती, बैंकिंग नीतियाँ, ईंधन की कीमतें और अन्य वित्तीय फैसले (New tax rules, TDS-TCS deduction, banking policies, fuel prices and other financial decisions) शामिल हैं। आइए जानते हैं इन परिवर्तनों के बारे में विस्तार से और यह भी कि ये आपके रोजमर्रा के जीवन पर क्या प्रभाव डालेंगे।
श्रेणी | नया नियम / बदलाव | प्रभाव / लाभार्थी |
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आयकर (Income Tax) | ₹7 लाख तक की सालाना आय पर अब कोई इनकम टैक्स नहीं लगेगा (नया कर ढांचा) | मध्यम वर्ग को राहत |
वरिष्ठ नागरिकों के लिए टीडीएस (TDS) | वरिष्ठ नागरिकों के लिए टीडीएस कटौती सीमा ₹50,000 से बढ़कर ₹1 लाख हुई | ब्याज आय पर अधिक छूट |
किराये की आय पर टीडीएस | टीडीएस कटौती सीमा ₹2.4 लाख से बढ़कर ₹6 लाख हुई | छोटे मकान मालिकों को राहत |
अंतरराष्ट्रीय ट्रांजैक्शन पर टीसीएस (TCS) | ₹7 लाख से ऊपर के लेनदेन पर TCS कटौती सीमा अब ₹10 लाख हुई | स्टूडेंट्स, बिजनेस ट्रैवलर्स, निवेशकों को फायदा |
बैंकिंग (Banking) | अन्य बैंकों के एटीएम से फ्री ट्रांजैक्शन की सीमा 3 बार प्रति माह | अतिरिक्त निकासी पर ₹20-₹25 चार्ज लगेगा |
न्यूनतम बैलेंस (Minimum Balance) | नए बैंकिंग नियमों के अनुसार सेविंग अकाउंट में न्यूनतम बैलेंस बढ़ाया जाएगा | शहरी और ग्रामीण ग्राहकों पर असर |
ब्याज दरों में बदलाव | बचत खाते और फिक्स्ड डिपॉजिट की ब्याज दरें नई शर्तों के अनुसार निर्धारित होंगी | लॉन्ग-टर्म निवेशकों को लाभ |
डिजिटल बैंकिंग | AI-पावर्ड चैटबॉट और बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन मजबूत किया जाएगा | सुरक्षित ऑनलाइन लेनदेन |
UPI अपडेट | निष्क्रिय मोबाइल नंबर वाले UPI अकाउंट हटाए जाएंगे | सुरक्षित डिजिटल भुगतान |
एलपीजी और फ्यूल कीमतें | हर महीने की पहली तारीख को संशोधित होंगी | आम जनता और कारोबारियों पर असर |
GST अपडेट | इनपुट टैक्स डिस्ट्रीब्यूटर सिस्टम (ISD) लागू | व्यवसायों को रजिस्ट्रेशन अनिवार्य |
क्रेडिट कार्ड नियम | SBI, IDFC, और अन्य बैंक क्रेडिट कार्ड रिवॉर्ड और शुल्क में बदलाव करेंगे | कार्डधारकों पर असर |
पॉजिटिव पे सिस्टम (PPS) | ₹50,000 से अधिक के चेक भुगतान के लिए सत्यापन अनिवार्य | धोखाधड़ी से बचाव |
1. यूपीआई सम्बंधित नियमों में बदलाव (Changes in UPI related rules)
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) 1 अप्रैल 2025 से यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के लिए नए नंबर-आधारित लेनदेन दिशानिर्देश लागू करेगा। इन नियमों के तहत बैंकों और पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर (PSP) ऐप्स को मोबाइल नंबर रिकॉर्ड को साप्ताहिक रूप से अपडेट करना होगा, जिससे लेनदेन संबंधी त्रुटियों को कम किया जा सके।
बैंक, PSP और थर्ड-पार्टी UPI सेवा प्रदाताओं (जैसे PhonePe, Google Pay, Paytm) को UPI नंबरों के संबंध में विशिष्ट उपायों का पालन करना अनिवार्य होगा। उपयोगकर्ताओं को अपने UPI नंबरों को जोड़ने के लिए स्पष्ट रूप से सहमति देनी होगी, जिससे पारदर्शिता बनी रहे। NPCI ने सभी सेवा प्रदाताओं को 31 मार्च 2025 तक इन बदलावों को लागू करने का निर्देश दिया है।
इस नए ढांचे का उद्देश्य सुरक्षा बढ़ाना, धोखाधड़ी को रोकना और उपयोगकर्ता अनुभव को बेहतर बनाना है। NPCI ने PSP ऐप्स को अनुमति दी है कि वे सिस्टम में देरी होने पर UPI नंबरों को स्थानीय रूप से हल कर सकते हैं, लेकिन इसकी मासिक रिपोर्टिंग अनिवार्य होगी। डिजिटल भुगतान प्रणाली को अधिक पारदर्शी और उत्तरदायी बनाने के लिए ये कदम उठाए गए हैं। Google Pay और Paytm जैसी कंपनियों को अपनी सेवाओं को नए नियामक ढांचे के अनुरूप बनाना आवश्यक होगा।
नियम लागू करने वाली संस्था | National Payments Corporation of India (NPCI) |
बैंकों और PSP ऐप्स की जिम्मेदारी (Responsibility of banks and PSP apps) | साप्ताहिक रूप से मोबाइल नंबर रिकॉर्ड अपडेट करना |
UPI उपयोगकर्ताओं की सहमति (Consent of UPI users) | उपयोगकर्ताओं को UPI नंबर जोड़ने के लिए स्पष्ट सहमति देनी होगी |
यूपीआई मोबाइल नंबर अपडेट (UPI mobile number update) |
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2. टैक्स नियमों में बदलाव (Changes in tax rules)
- मध्य वर्ग को राहत (Relief to the middle class): नए टैक्स स्ट्रक्चर के तहत ₹7 लाख तक की सालाना आय वाले लोगों को इनकम टैक्स से छूट मिलेगी, लेकिन यह लाभ केवल उन लोगों को मिलेगा जो New Tax Regime को अपनाएंगे।
- Senior Citizens के लिए TDS छूट: वरिष्ठ नागरिकों के लिए टीडीएस कटौती की सीमा ₹50,000 से बढ़ाकर ₹1 लाख कर दी गई है। इससे उन्हें ब्याज आय पर अधिक बचत का अवसर मिलेगा।
3. किराये की आय और विदेशी लेनदेन पर बदलाव (Variations on rental income and foreign transactions)
- मकान मालिकों को राहत (Relief to landlords): पहले किराये की आय पर TDS की सीमा ₹2.4 लाख थी, जिसे अब बढ़ाकर ₹6 लाख कर दिया गया है।
- विदेशी ट्रांजैक्शन पर राहत (Relief on foreign transactions): पहले ₹7 लाख से अधिक के विदेशी ट्रांजैक्शन पर टीसीएस लागू था, जिसे अब बढ़ाकर ₹10 लाख कर दिया गया है। इससे स्टूडेंट्स, बिजनेस ट्रैवलर्स और विदेश में निवेश करने वालों को लाभ मिलेगा।
4. बैंकिंग और एटीएम नियमों में बदलाव (Changes in banking and ATM rules)
एटीएम निकासी शुल्क (ATM Withdrawal Fee) |
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न्यूनतम बैलेंस की नई शर्तें (New minimum balance conditions) |
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डिजिटल बैंकिंग सुरक्षा (Digital Banking Security) |
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सेविंग अकाउंटस के लिए बदलाव (Changes for savings accounts) |
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5. क्रेडिट कार्ड सम्बंधित नियमों में बदलाव (Changes in credit card related rules)
क्रेडिट कार्ड रिवॉर्ड पॉलिसी में संशोधन (Amendment in Credit Card Rewards Policy) |
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6. एलपीजी और फ्यूल प्राइस में संभावित बदलाव (Possible changes in LPG and fuel prices)
- हर महीने की पहली तारीख को LPG, CNG, PNG and ATF (Air Turbine Fuel) की कीमतों की समीक्षा की जाती है।
- 1 अप्रैल 2025 को भी इन कीमतों में बदलाव की संभावना है, जिससे आम जनता और व्यापारियों पर असर पड़ेगा।
7. जीएसटी और अन्य वित्तीय नियमों में संशोधन (Amendments in GST and other financial rules)
- वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पोर्टल पर अब सुरक्षा बढ़ाने के लिए करदाताओं के लिए बहु-कारक प्रमाणीकरण (एमएफए) अनिवार्य होगा।
- E-Way Bill (EWB) केवल उन आधार दस्तावेजों के लिए तैयार किया जा सकता है जो 180 दिनों से अधिक पुराने नहीं हैं।
इनपुट टैक्स डिस्ट्रीब्यूटर (ISD) सिस्टम लागू (Input Tax Distributor (ISD) system implemented) |
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म्यूचुअल फंड और लाभांश आय पर टीडीएस सीमा (TDS limit on mutual funds and dividend income) |
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8. ब्याज दरों और निवेश से जुड़े बदलाव (Changes related to interest rates and investments)
बचत खाते और एफडी पर ब्याज दरों में संशोधन (Revision of interest rates on savings account and FD) |
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डिजिटल बैंकिंग सुविधाओं का विस्तार (Expansion of digital banking facilities) |
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टीडीएस के नियमों में भी बदलाव | Changes in TDS rules too
- केन्द्र सरकार की घोषणा के बाद अब वित्त वर्ष शुरू होने के साथ ही 1 अप्रैल 2025 से टैक्स कटौती (TDS) और स्रोत पर टैक्स कलेक्शन (TCS) के नियमों में बदलाव होने जा रहा है।
- केंद्र सरकार ने बजट में ऐलान किया था कि सीनियर सिटीजन के लिए TDS कटौती से बढ़ाकर डबल कर दिया गया है, जो अब 1 लाख रुपए हो गई है।
- रेंट से हुई कमाई पर टीडीएस कटौती की लिमिट 2.4 लाख रुपए प्रति फाइनेंशियल ईयर से बढ़ाकर 6 लाख रुपए प्रति फाइनेंशियल ईयर हो जाएगी।विदेशों से ट्रांजैक्शन वाले लोगों के लिए आरबीआई की लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम के लिए TCS कटौती के लिमिट को भी बढ़ा 10 लाख रुपए कर दिया गया है।
- स्पेसिफिक फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशन से एजुकेशन लोन पर TCS कटौती को हटा दिया गया है।पहले 7 लाख रुपए से अधिक के एजुकेशन लोन पर 0.5% TCS कटौती की जाती थी, जबकि 7 लाख रुपए से अधिक के एजुकेशन ट्रांजैक्शन पर 5 प्रतिशत टीसीएस काटा जाता था।
- डिविडेंड से हुई कमाई पर टीडीएस की लिमिट पर 10 हजार और म्यूचुअल फंड्स की यूनिट पर हुई कमाई पर भी टीडीएस लिमिट 10 हजार रुपए हर फाइनेंशियल ईयर कर दी गई है। टीडीएस को प्रति इनाम 10 हजार रुपए है।
MSME की नई परिभाषा: 1 अप्रैल से लागू होंगे नए नियम, जानें माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज की नई श्रेणियां
यदि आप एक छोटा व्यवसाय शुरू करने की योजना बना रहे हैं, तो MSME (माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज) से जुड़े नए नियमों की जानकारी रखना आवश्यक है। सरकार ने MSME की परिभाषा में बदलाव किया है, जिसमें अब निवेश और वार्षिक टर्नओवर के आधार पर व्यवसायों को माइक्रो, स्मॉल और मीडियम श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाएगा। ये संशोधित नियम 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होंगे।
MSME नियमों में हुआ बड़ा बदलाव
सरकार ने 1 फरवरी 2025 को बजट प्रस्तुति के दौरान MSME नियमों में बदलाव की घोषणा की थी। नए नियमों के तहत निवेश और टर्नओवर की सीमा को बढ़ाया गया है, जिससे अधिक उद्यम इस श्रेणी में शामिल हो सकेंगे और सरकारी योजनाओं का लाभ उठा पाएंगे।
क्या बदला है?
सरकार ने MSME की पहचान के लिए निवेश और वार्षिक टर्नओवर की सीमा को बढ़ा दिया है।
- माइक्रो एंटरप्राइजेज (Micro Enterprises): अब 2.5 करोड़ रुपये तक का निवेश करने वाले उद्यम इस श्रेणी में आएंगे, जबकि पहले यह सीमा 1 करोड़ रुपये थी। टर्नओवर सीमा भी 10 करोड़ रुपये तक बढ़ा दी गई है, जो पहले 5 करोड़ रुपये थी।
- स्मॉल एंटरप्राइजेज (Small Enterprises): अब 25 करोड़ रुपये तक का निवेश करने वाले व्यवसाय इस श्रेणी में आएंगे, पहले यह सीमा 10 करोड़ रुपये थी। टर्नओवर की अधिकतम सीमा 100 करोड़ रुपये कर दी गई है, जो पहले 50 करोड़ रुपये थी।
- मीडियम एंटरप्राइजेज (Medium Enterprises): इस श्रेणी में आने वाले उद्यमों के लिए निवेश सीमा 125 करोड़ रुपये कर दी गई है, जबकि पहले यह 50 करोड़ रुपये थी। टर्नओवर सीमा को 500 करोड़ रुपये तक बढ़ाया गया है, जो पहले 250 करोड़ रुपये थी।
New Rules from 1 April 2025: नए नियमों के पीछे सरकार की मंशा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट सत्र के दौरान बताया कि वर्तमान में 1 करोड़ से अधिक MSME पंजीकृत हैं, जो लगभग 7.5 करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान कर रहे हैं। यह सेक्टर देश की मैन्युफैक्चरिंग का 36% और कुल निर्यात का 45% योगदान देता है। MSME के विकास को और अधिक समर्थन देने, तकनीकी सशक्तिकरण और वित्तीय सहायता को बढ़ाने के लिए सरकार ने इन मानकों में संशोधन किया है। इससे छोटे और मध्यम उद्योगों को आगे बढ़ने का अधिक अवसर मिलेगा और रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे।
क्या होंगे MSME को फायदे?
- छोटे व्यवसायों को अधिक निवेश और टर्नओवर सीमा के कारण MSME श्रेणी में शामिल होने का मौका मिलेगा।
- सरकार द्वारा दी जाने वाली विभिन्न योजनाओं और वित्तीय सहायता का अधिकतम लाभ उठा सकेंगे।
- व्यापार का विस्तार करने और नई तकनीकों को अपनाने में मदद मिलेगी।
- आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होगी और अधिक लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे।
सरकार के इस कदम से MSME सेक्टर को नई मजबूती मिलेगी और देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। नए नियमों के लागू होने के बाद उद्यमियों को बेहतर विकास अवसर मिलेंगे और वे अपने व्यवसाय को अधिक सशक्त बना सकेंगे।
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