ETF क्या है? जानिए इसके प्रकार, काम करने का तरीका और निवेश के बेस्ट टिप्स!
अगर आप स्टॉक मार्केट (Stock Market) में निवेश करना चाहते हैं लेकिन सीधा शेयर (Shares) खरीदने का जोखिम नहीं लेना चाहते, तो ETF (Exchange Traded Fund) आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। यह एक ऐसा फंड है जो स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड करता है, ठीक उसी तरह जैसे कोई शेयर खरीदा या बेचा जाता है। इसका मतलब है कि आप एक ही निवेश में कई कंपनियों के शेयरों का लाभ उठा सकते हैं, बिना अलग-अलग स्टॉक्स खरीदने की झंझट के। म्यूचुअल फंड की तरह यह भी कई शेयरों, बॉन्ड्स या अन्य एसेट्स का एक बास्केट होता है, लेकिन इसकी सबसे खास बात यह है कि इसे आप पूरे दिन किसी भी समय मार्केट प्राइस पर खरीद या बेच सकते हैं। तो आइए विस्तार से समझते हैं कि ETF क्या है, यह कैसे काम करता है, इसके प्रकार और इसमें निवेश करने के फायदे-नुकसान क्या हैं!
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ETF क्या है? | What is ETF?
ETF (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) एक ऐसा निवेश साधन है, जो कई तरह की सिक्योरिटीज (शेयर (Shares), बॉन्ड (Bonds), कमोडिटीज आदि) को एक साथ मिलाकर बनाया जाता है। यह म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) की तरह होता है, लेकिन स्टॉक एक्सचेंज पर शेयरों की तरह खरीदा और बेचा जा सकता है। ETF आमतौर पर किसी इंडेक्स को ट्रैक करता है और उसकी परफॉर्मेंस के अनुसार चलता है।
ETF को एक निवेश पोर्टफोलियो की तरह समझा जा सकता है, जिसमें अलग-अलग एसेट्स होते हैं, जिससे जोखिम कम हो जाता है और निवेश को संतुलित रखा जाता है। उदाहरण के लिए, SPDR S&P 500 ETF (SPY) एक लोकप्रिय ईटीएफ है, जो S&P 500 इंडेक्स को ट्रैक करता है। ETF में उच्च लिक्विडिटी होती है, यानी इन्हें बाजार के ट्रेडिंग घंटों के दौरान कभी भी खरीदा या बेचा जा सकता है। भारत में ईटीएफ की शुरुआत 2001 में हुई थी, जब बेंचमार्क म्यूचुअल फंड ने पहला ETF, Nifty BeES (Nifty Benchmark Exchange Traded Scheme) लॉन्च किया था, जो निफ्टी 50 इंडेक्स को ट्रैक करता था।
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ETF क्यों चुनें? | Why choose ETFs?
ETF निवेश का एक सरल और प्रभावी तरीका है, क्योंकि इसमें कम लागत, अधिक पारदर्शिता और मार्केट की लिक्विडिटी का फायदा मिलता है। यह उन निवेशकों के लिए खासतौर पर उपयोगी है, जो शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं, लेकिन कम जोखिम और विविधता के साथ।
ईटीएफ कैसे काम करता है? | How do ETFs work?
ETF (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) में म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) और शेयर मार्केट दोनों की विशेषताएँ होती हैं। इन्हें स्टॉक एक्सचेंज पर शेयरों की तरह खरीदा और बेचा जा सकता है। स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग के दौरान, ईटीएफ के शेयरों को क्रिएटिव ब्लॉक प्रक्रिया के जरिए बनाया और एक्सचेंज किया जाता है। ये सभी प्रमुख स्टॉक एक्सचेंजों पर ट्रेडिंग घंटों के दौरान खरीदने और बेचने के लिए उपलब्ध रहते हैं।
ईटीएफ की कीमत इसमें शामिल एसेट्स की कीमत के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करती है। अगर इन एसेट्स की कीमत बढ़ती है, तो ETF की कीमत भी बढ़ती है, और अगर कीमत गिरती है, तो ETF की वैल्यू भी घटती है। ईटीएफ का प्रदर्शन और एसेट मैनेजमेंट तय करता है कि निवेशकों को कितना लाभांश मिलेगा।
ईटीएफ दो तरह से मैनेज किए जा सकते हैं – सक्रिय (Active) और निष्क्रिय (Passive)। सक्रिय रूप से प्रबंधित ETF में पोर्टफोलियो मैनेजर बाजार का विश्लेषण करके उच्च संभावनाओं वाले स्टॉक्स, जैसे कि टेक कंपनियों (गूगल, फेसबुक आदि) में निवेश करते हैं। दूसरी ओर, निष्क्रिय ETF केवल उन कंपनियों में निवेश करते हैं जो किसी मार्केट इंडेक्स में शामिल होती हैं।
ETF में निवेश करने से निवेशकों को कई फायदे मिलते हैं, जैसे कम लागत, बेहतर लिक्विडिटी और विविधता। यही कारण है कि आज कई लोग म्यूचुअल फंड और स्टॉक्स की बजाय ETF में निवेश को प्राथमिकता दे रहे हैं।
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ETF के प्रकार | Types of ETFs
निवेशकों के पास ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) के कई प्रकार होते हैं, जिनका उपयोग आय अर्जित करने, जोखिम प्रबंधन, पूंजी वृद्धि और बाजार की अस्थिरता से निपटने के लिए किया जाता है। ये आज के समय में निवेश के लोकप्रिय साधनों में से एक हैं। आइए जानते हैं कुछ प्रमुख प्रकार के ईटीएफ और वे कैसे काम करते हैं।
1. बॉन्ड ETF (Bond ETF): बॉन्ड ETF में निवेश करने से निवेशकों को नियमित आय प्राप्त होती है, क्योंकि ये सरकारी, कॉरपोरेट और नगरपालिका बॉन्ड में निवेश करते हैं। पारंपरिक बॉन्ड्स के विपरीत, इनकी कोई निश्चित मेच्योरिटी तिथि नहीं होती, और इनकी कीमत बाजार में मांग और आपूर्ति के आधार पर घटती-बढ़ती रहती है।
2. स्टॉक ETF (Stock ETF): यह ईटीएफ किसी विशेष इंडस्ट्री या क्षेत्र के शेयरों का एक समूह होता है। उदाहरण, कोई स्टॉक ईटीएफ ऑटोमोबाइल सेक्टर या अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के प्रदर्शन को ट्रैक कर सकता है। यह निवेशकों को कम लागत पर अलग-अलग कंपनियों में निवेश करने का अवसर देता है, जिससे पोर्टफोलियो का विविधीकरण होता है।
3. सेक्टर या इंडस्ट्री ETF (Sector or Industry ETF): सेक्टर ईटीएफ किसी विशेष उद्योग, जैसे कि IT, हेल्थकेयर, ऊर्जा या बैंकिंग सेक्टर की कंपनियों में निवेश करता है। यह निवेशकों को किसी खास उद्योग के ग्रोथ से लाभ उठाने का मौका देता है। बाजार चक्रों के आधार पर सेक्टर ईटीएफ में निवेश से एक सेक्टर से दूसरे में शिफ्ट करना आसान हो जाता है।
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4. कमोडिटी ETF (Commodity ETF): यह ईटीएफ विभिन्न कमोडिटीज़, जैसे गोल्ड, सिल्वर, क्रूड ऑयल, नेचुरल गैस आदि में निवेश करता है। यह निवेशकों को वास्तविक कमोडिटी खरीदे बिना उनमें निवेश करने की सुविधा देता है, जिससे स्टोरेज और सुरक्षा से जुड़े खर्चों से बचा जा सकता है। साथ ही, यह बाजार में गिरावट के दौरान एक सुरक्षात्मक निवेश भी साबित हो सकता है।
5. करेंसी ETF (Currency ETF): यह ईटीएफ विभिन्न मुद्राओं, जैसे USD, EUR, GBP या अन्य विदेशी करेंसी में निवेश करता है। यह उन निवेशकों के लिए उपयोगी होता है जो विदेशी मुद्रा विनिमय दरों में बदलाव से लाभ उठाना चाहते हैं या मुद्रा अस्थिरता से बचाव करना चाहते हैं।
6. इन्वर्स ETF (Inverse ETF): इन्वर्स ETF उन निवेशकों के लिए होते हैं जो बाजार में गिरावट से मुनाफा कमाना चाहते हैं। ये पारंपरिक ईटीएफ के विपरीत काम करते हैं—जब बाजार गिरता है, तो इनकी कीमत बढ़ती है। इन ETF में व्युत्पादन (Derivatives) का उपयोग किया जाता है, इसलिए यह हाई-रिस्क इन्वेस्टमेंट ऑप्शन माना जाता है।
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भारत में ETF में निवेश कैसे करें? | How to invest in ETFs in India?
भारत में ईटीएफ (एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड) खरीदने के लिए आप किसी भी ऑनलाइन ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म या पारंपरिक दलाल (Broker) का उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा, आप अपने रिटायरमेंट अकाउंट के जरिए भी ईटीएफ में निवेश कर सकते हैं। यदि आप ऑटोमैटिक निवेश प्रक्रिया को पसंद करते हैं, तो स्टॉकब्रोकर आपकी सहायता कर सकते हैं।
ETF आमतौर पर कम खर्च अनुपात वाले होते हैं क्योंकि ये किसी इंडेक्स को ट्रैक करते हैं, जिससे इन्हें मैनेज करने की लागत भी कम आती है। अधिकतर ऑनलाइन निवेश प्लेटफॉर्म और ट्रेडिंग ऐप्स ईटीएफ पर कोई कमीशन शुल्क नहीं लेते, जिससे आप बिना अतिरिक्त शुल्क दिए खरीद और बिक्री कर सकते हैं।
ईटीएफ में निवेश करने के लिए सबसे पहले एक ब्रोकरेज अकाउंट खोलें और उसमें फंड जोड़ें। इसके बाद, आपको सही ईटीएफ खोजने की जरूरत होगी। इसके लिए आप स्क्रीनिंग टूल्स (Screening Tools) का उपयोग कर सकते हैं, जो ट्रेडिंग वॉल्यूम, खर्च अनुपात, पिछले प्रदर्शन और होल्डिंग्स जैसे महत्वपूर्ण कारकों को दिखाते हैं। इससे आपको अपने निवेश लक्ष्यों के हिसाब से सबसे उपयुक्त ETF चुनने में मदद मिलेगी।
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ETF में निवेश के फायदे | Benefits of Investing in ETFs
अब जब आप जानते हैं कि ईटीएफ (एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड) स्टॉक मार्केट में कैसे काम करता है, तो आइए इसके प्रमुख फायदों को समझते हैं। यह पारंपरिक म्यूचुअल फंड की तुलना में कई सुविधाएँ प्रदान करता है:
1. आसान ट्रेडिंग: म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) को केवल दिन के अंत में खरीदा या बेचा जा सकता है, जबकि ईटीएफ को पूरे ट्रेडिंग सेशन के दौरान किसी भी समय खरीदा और बेचा जा सकता है। इससे आपको बाजार में तुरंत प्रतिक्रिया देने और अपनी रणनीति के अनुसार निर्णय लेने की सुविधा मिलती है।
2. पारदर्शिता: ज्यादातर ईटीएफ अपनी होल्डिंग की जानकारी रोज़ाना अपडेट करते हैं, जिससे निवेशकों को यह पता रहता है कि उनका पैसा किन एसेट्स में लगाया जा रहा है। यह पारदर्शिता निवेशकों के लिए काफी फायदेमंद होती है।
3. टैक्स में बचत: ईटीएफ में कैपिटल गेन डिस्ट्रीब्यूशन अपेक्षाकृत कम होता है, जिससे इन पर टैक्स का भार कम पड़ता है। इसकी तुलना में, ऐक्टिव रूप से मैनेज किए गए म्यूचुअल फंड्स में अक्सर ज्यादा टैक्स देना पड़ता है।
4. विभिन्न ऑर्डर विकल्प: ETF निवेशकों को लिमिट ऑर्डर, स्टॉप-लॉस ऑर्डर और अन्य ट्रेडिंग सुविधाएं प्रदान करता है, जो पारंपरिक म्यूचुअल फंड में नहीं मिलतीं। ये सुविधाएं निवेशकों को अपनी रणनीति को बेहतर ढंग से लागू करने में मदद करती हैं। ईटीएफ उन निवेशकों के लिए एक शानदार विकल्प है जो लचीलापन, पारदर्शिता और कम लागत के साथ स्टॉक मार्केट में निवेश करना चाहते हैं।
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ईटीएफ में जोखिम | Risk in ETF
ईटीएफ (Exchange Traded Fund) में निवेश के कई फायदे हैं, लेकिन इसके कुछ जोखिम भी होते हैं, जिन्हें समझना जरूरी है:
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लागत का असर: यदि आप बार-बार छोटी रकम निवेश कर रहे हैं, तो म्यूचुअल फंड की तुलना में ईटीएफ की ट्रेडिंग लागत ज्यादा हो सकती है।
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बिड-आस्क स्प्रेड: कुछ ईटीएफ में कम ट्रेडिंग वॉल्यूम होने की वजह से खरीदने और बेचने की कीमतों में अंतर (बिड-आस्क स्प्रेड) हो सकता है, जिससे आपको मनचाही कीमत पर ट्रेड करना मुश्किल हो सकता है।
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ट्रैकिंग एरर: ईटीएफ आमतौर पर जिस इंडेक्स को फॉलो करते हैं, उससे थोड़ा अलग प्रदर्शन कर सकते हैं, क्योंकि फंड मैनेजमेंट की रणनीति और तकनीकी कारणों से हल्का अंतर आ सकता है।
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सेटलमेंट में देरी: जब आप ईटीएफ बेचते हैं, तो फंड को सेटल होने में लगभग दो दिन लगते हैं। इस दौरान आपके पैसे रीइन्वेस्टमेंट के लिए तुरंत उपलब्ध नहीं होते।
इन कारणों से ईटीएफ में निवेश करने से पहले इसकी लागत, ट्रेडिंग प्रक्रिया और अन्य जोखिमों को समझना जरूरी है, ताकि आप सही निर्णय ले सकें।
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FAQs: ETF in Hindi
1. ETF और म्यूचुअल फंड में क्या अंतर है?
ETF को स्टॉक एक्सचेंज पर पूरे दिन किसी भी समय खरीदा या बेचा जा सकता है, जबकि म्यूचुअल फंड को केवल बाजार बंद होने के बाद की NAV (Net Asset Value) पर खरीदा या बेचा जाता है। इसके अलावा, ईटीएफ आमतौर पर कम खर्च अनुपात (Expense Ratio) के साथ आते हैं।
2. क्या ईटीएफ में निवेश करना सुरक्षित है?
ईटीएफ में निवेश शेयर बाजार की तरह ही जोखिम से जुड़ा होता है, लेकिन क्योंकि यह एक इंडेक्स या विभिन्न एसेट्स को ट्रैक करता है, इसलिए इसमें व्यक्तिगत शेयरों की तुलना में जोखिम कम होता है।
3. क्या ईटीएफ में SIP (सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) कर सकते हैं?
अधिकांश ब्रोकर्स ईटीएफ में SIP Investment की सुविधा नहीं देते, लेकिन कुछ निवेश प्लेटफॉर्म ईटीएफ में SIP निवेश का विकल्प देते हैं।
4. भारत में सबसे लोकप्रिय ईटीएफ कौन-कौन से हैं?
भारत में SBI Nifty 50 ETF, HDFC Sensex ETF, ICICI Prudential Gold ETF, और Nippon India ETF जैसे कई लोकप्रिय ETF मौजूद हैं।
5. क्या ईटीएफ छोटे निवेशकों के लिए सही विकल्प है?
हाँ, छोटे निवेशकों के लिए ईटीएफ एक अच्छा विकल्प हो सकता है क्योंकि यह कम लागत पर विविधता प्रदान करता है और बाजार में लंबी अवधि का निवेश करने का अवसर देता है।
6. ईटीएफ में ‘स्मार्ट बीटा’ क्या है?
स्मार्ट बीटा एक निवेश रणनीति है जो पारंपरिक मार्केट-कैप-वेटेड इंडेक्स (Market-Cap-Weighted Index) की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश करती है।
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निष्कर्ष | Conclusion
ETF (एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड) एक बेहतरीन निवेश विकल्प है, खासकर उन लोगों के लिए जो कम लागत में स्टॉक मार्केट में विविधता (डाइवर्सिफिकेशन) चाहते हैं। यह निवेशकों को शेयर बाजार की वृद्धि का लाभ उठाने का अवसर देता है, बिना किसी एकल स्टॉक में बड़ा जोखिम लिए। ईटीएफ में निवेश करना आसान है क्योंकि इसे स्टॉक की तरह एक्सचेंज पर खरीदा और बेचा जा सकता है। इसके कम खर्च अनुपात, पारदर्शिता और लिक्विडिटी जैसे फायदे इसे म्यूचुअल फंड और सीधे शेयर निवेश का एक अच्छा विकल्प बनाते हैं। हालाँकि, निवेश से पहले अपने वित्तीय लक्ष्यों और जोखिम क्षमता को समझना जरूरी है। सही ईटीएफ चुनकर और लंबी अवधि के दृष्टिकोण के साथ निवेश करके, आप अपने वित्तीय भविष्य को सुरक्षित और लाभदायक बना सकते हैं।
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