जानिए Health Insurance Claim Rejection का कारण और इससे कैसे बचें!

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जानिए किन गलतियों की वजह से होता है Health Insurance Claim Rejection? और इससे बचने के आसान उपाय!

Health Insurance Claim Rejection एक ऐसी स्थिति है, जिससे हर कोई बचना चाहता है। हेल्थ इंश्योरेंस का मकसद यही होता है कि जब आपको medical emergency में जरूरत हो, तब आपके इलाज का खर्च बीमा कंपनी उठाए। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि आपका Health Insurance Claim अस्वीकार हो जाता है, जिससे आपको आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। यह जानना जरूरी है कि क्लेम रिजेक्शन क्यों होता है और इसे कैसे रोका जा सकता है। सही जानकारी और तैयारी से आप इस समस्या से बच सकते हैं और सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपके बीमा का लाभ सही समय पर मिले। इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे कि Health Insurance Claim Rejection के कारण क्या होते हैं और इससे बचने के लिए आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

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हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्शन का कारण | Reasons of health insurance claim rejection

हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट होने के कारणों को समझना बहुत जरूरी है ताकि आप इन गलतियों को सुधार सकें और अपनी बीमा राशि का लाभ उठा सकें। आमतौर पर बीमा कंपनियाँ क्लेम को समय पर approve करने की कोशिश करती हैं ताकि मरीज को जल्दी से medical facilities मिल सकें। लेकिन कई बार कुछ कारणों की वजह से क्लेम रिजेक्ट करना ही बीमा कंपनी के पास आखिरी विकल्प बचता है। आइए जानते हैं, हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट होने के प्रमुख कारण और उनसे बचने के उपाय।

1. गलत या अधूरी जानकारी (Incorrect or incomplete information)

जब बीमाधारक (policyholder) अपने क्लेम फॉर्म में गलत या अधूरी जानकारी देता है, तो बीमा कंपनी के लिए उस क्लेम को प्रोसेस करना मुश्किल हो जाता है। उदाहरण के लिए, अगर नाम, पॉलिसी नंबर, मेडिकल रिपोर्ट्स (medical reports), या अस्पताल से जुड़ी जानकारी में कोई गलती है, तो क्लेम रिजेक्ट हो सकता है।

2. अपर्याप्त बीमा राशि (Insufficient Sum Insured)

हर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में एक सम इंश्योर्ड (Sum Insured) लिमिट होती है, यानी एक निश्चित राशि तक ही बीमा कवरेज दिया जाता है। अगर आपने पहले ही अपनी पॉलिसी का पूरा कवरेज (Sum Insured) उपयोग कर लिया है, तो आपको अगले क्लेम के लिए कवरेज नहीं मिलेगा और वह रिजेक्ट कर दिया जाएगा। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब आपने एक ही पॉलिसी में कई बार क्लेम किया हो और सम इंश्योर्ड की सीमा पूरी हो गई हो।

3. वेटिंग पीरियड के दौरान क्लेम करना (claim during Waiting Period)

हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में एक Waiting Period होता है, यानी शुरुआत में कुछ दिनों तक क्लेम स्वीकार नहीं किया जाता। आमतौर पर यह अवधि 30 दिनों की होती है। इसके अलावा, Pre-existing diseases (पहले से मौजूद बीमारियाँ) और maternity (गर्भावस्था) क्लेम के लिए वेटिंग पीरियड लंबा हो सकता है।

वेटिंग पीरियड के दौरान यदि आप Insurance claim करने की कोशिश करते हैं, तो आपकी पॉलिसी के नियमों के अनुसार क्लेम रिजेक्ट कर दिया जाएगा, क्योंकि यह बीमा कंपनी के द्वारा तय की गई शर्तों का उल्लंघन होता है। हालांकि, दुर्घटना से संबंधित क्लेम इस वेटिंग पीरियड के दौरान भी स्वीकार किए जाते हैं। इसका मतलब है कि यदि किसी व्यक्ति के साथ वेटिंग पीरियड के दौरान दुर्घटना होती है, तो वह क्लेम कर सकता है, लेकिन सामान्य बीमारियों के लिए नहीं।

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4. पॉलिसी के एक्सक्लूशन्स (Exclusions)

हर हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी में कुछ बीमारियाँ या मेडिकल कंडीशन्स को कवर नहीं किया जाता, जिन्हें Exclusions कहा जाता है। यदि आपका क्लेम किसी ऐसी बीमारी या इलाज के लिए किया गया है जो पॉलिसी के नियमों के अनुसार शामिल नहीं है, तो आपका क्लेम रिजेक्ट हो जाएगा।

5. पॉलिसी का एक्सपायर होना (Policy Expiration)

यदि आपकी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी की समय सीमा समाप्त हो चुकी है और आपने उसका Renewal समय पर नहीं कराया है, तो क्लेम को रिजेक्ट कर दिया जाएगा। expired policy के तहत कोई भी कवरेज नहीं मिलता।

6. अगर आपका क्लेम अनुरोध उचित नहीं माना जाता (Unnecessary Claim)

बीमा कंपनियाँ केवल तब क्लेम मंजूर करती हैं जब वे पाती हैं कि वह उचित और वैध (valid) है। यदि बीमा कंपनी को लगता है कि आपने किसी इलाज के लिए जो क्लेम किया है, वह बिना किसी वास्तविक कारण के है, तो वह उस क्लेम को अस्वीकार कर सकती है। उदाहरण के लिए, यदि आपको किसी बीमारी का इलाज करवाना है, लेकिन अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं है और आपका इलाज घर पर ही किया जा सकता है, तो बीमा कंपनी इसे एक Unnecessary Claim मान सकती है और इसे रिजेक्ट कर सकती है।

7. गलत या अधूरे दस्तावेज़ (Incorrect or incomplete documentation)

कई बार हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम केवल गलत (Incorrect) या अधूरी दस्तावेज़ीकरण (incomplete documentation) के कारण रिजेक्ट हो जाते हैं। हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियाँ बिना सही दस्तावेज़ों के क्लेम सेटेल नहीं करती हैं। दरअसल, गुम या अधूरी दस्तावेज़ Health Insurance Claim Rejection का एक प्रमुख कारण होते हैं, खासकर भारत में।

8. पूर्व स्वीकृति (Pre-authorization)

कुछ इलाज या प्रक्रियाओं के लिए बीमा कंपनी से पहले से मंजूरी (Pre-authorization) लेना जरूरी होता है। यदि पॉलिसीधारक बिना मंजूरी के इलाज करवाता है, तो बीमा कंपनी उसका क्लेम रिजेक्ट कर सकती है।

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हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्शन का पता चलने पर क्या उपाय करे? | Solution for Health Insurance Claim Rejection

जब आपको यह पता चल जाए कि आपका हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम क्यों रिजेक्ट हुआ है, तो आप निम्नलिखित कदम उठा सकते हैं, ताकि आप इसे सही कर सकें और बीमा कंपनी से फिर से क्लेम कर सकें:

1. डेटा को सही करें (Data Correction)

अगर क्लेम रिजेक्शन का कारण गलत जानकारी है, तो सबसे पहले आपको अपनी जानकारी को ठीक करना होगा। बीमा कंपनी को सूचित करें कि आप दोबारा क्लेम कर रहे हैं। सभी जानकारी को फिर से एकत्र करें और ध्यान से जांचें कि कहां गलती हुई थी। क्लेम फॉर्म भरते समय फिर से कोई गलती न हो इसके लिए आप कस्टमर सपोर्ट (customer support) से मदद लें सकते है, ऐसे करते समय यह सुनिश्चित करें कि सभी डेटा सही हो। ऐसा करने से आपके क्लेम को दूसरी बार स्वीकृति मिलने की संभावना बढ़ जाती है।

2. सही दस्तावेज़ जमा करें (Submit Correct Documents)

यदि आपके क्लेम के रिजेक्शन का कारण दस्तावेज़ों की कमी है, तो सुनिश्चित करें कि इस बार सभी आवश्यक दस्तावेज़ सही तरीके से जमा करें। क्लेम फिर से दर्ज करते समय बीमा कंपनी को सभी आवश्यक दस्तावेज़ प्रस्तुत करें, जिनमें गायब दस्तावेज़ भी शामिल हों। इससे बीमा कंपनी को सही और पूरा डेटा मिलेगा, जिससे आपका क्लेम मंजूर होने की संभावना बढ़ जाएगी।

3. यह साबित करें कि अस्पताल में भर्ती होना जरूरी था (Prove hospitalization necessity)

यदि बीमा कंपनी ने यह कारण बताया कि अस्पताल में भर्ती होना जरूरी नहीं था, तो आप अपने डॉक्टर का मेडिकल प्रिस्क्रिप्शन (medical prescription) जमा कर सकते हैं, जिसमें अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी गई हो। इसके अलावा, अस्पताल में भर्ती से पहले की डायग्नोस्टिक रिपोर्ट्स (Diagnostic Reports) भी दिखा सकते हैं। यदि आप यह साबित कर पाते हैं कि इलाज के लिए 24 घंटे से अधिक अस्पताल में रहना जरूरी था, तो आपके क्लेम को स्वीकृत किया जा सकता है।

4. पुनः विचारण के लिए अपील करें (Retrial Appeal)

अगर आपको लगता है कि आपका क्लेम गलत तरीके से रिजेक्ट किया गया है, तो आप बीमा कंपनी से पुनः विचारण (appeal) के लिए अनुरोध कर सकते हैं। इसके लिए आपको क्लेम रिजेक्शन का कारण जानने के बाद, सभी आवश्यक दस्तावेज़ों और जानकारी के साथ अपील करनी होगी। पुनः विचारण के दौरान बीमा कंपनी सभी जानकारियों की अच्छे से जांच के बाद ही सही फैसला लेती है, इस प्रक्रिया में अगर आप सही है और आपने बीमा कंपनी को सही दस्तावेज प्रदान किए है, तो आपका क्लेम मंजूर हो सकता है।

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ओम्बड्समैन (Ombudsman) से सहायता प्राप्त करें

यदि आपको लगता है कि बीमा कंपनी आपके क्लेम से संबंधित कोई समस्या सुलझा नहीं रही है, तो आप Ombudsman से सहायता ले सकते हैं। बीमा अधिनियम, 1938 (Insurance Act, 1938) के तहत पॉलिसीधारक ओम्बड्समैन से संपर्क कर सकते हैं जब क्लेम के निपटारे में, प्रीमियम से संबंधित समस्याओं, पॉलिसी की शर्तों का उल्लंघन या अस्पष्ट शर्तों के बारे में कोई विवाद हो। ओम्बड्समैन का कार्य पॉलिसीधारक और बीमा कंपनियों के बीच मध्यस्थता करना है और विवादों को हल करना है।

ओम्बड्समैन (Ombudsman) कैसे मदद करता है?

  1. शिकायत की जांच: ओम्बड्समैन आपकी शिकायत को पूरी तरह से पढ़ता है और समझता है। वह यह देखता है कि बीमा कंपनी ने आपके क्लेम को क्यों अस्वीकार किया या आपकी पॉलिसी से जुड़ी अन्य समस्याएं क्यों आईं। वह सभी जरूरी दस्तावेज़ों और जानकारी का मूल्यांकन करता है ताकि वह सही समाधान तक पहुंच सके।
  2. बीमा कंपनी से संपर्क: Ombudsman बीमा कंपनी से भी संपर्क करता है ताकि वह मामले के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर सके। वह बीमा कंपनी से पूछता है कि उसने आपकी शिकायत को क्यों नकारा और क्या कारण हैं। ओम्बड्समैन यह सुनिश्चित करता है कि दोनों पक्षों की बातें सही तरीके से सुनी जाएं।
  3. मध्यस्थता: ओम्बड्समैन दोनों पक्षों—यानी पॉलिसीधारक (आप) और बीमा कंपनी—के बीच सुलह कराता है। इसका मतलब है कि ओम्बड्समैन दोनों को सुनता है और एक निष्पक्ष समाधान देने का प्रयास करता है।
  4. निर्णय: ओम्बड्समैन अपनी पूरी जाँच और दोनों पक्षों से मिले तथ्यों के आधार पर एक निर्णय लेता है। यह निर्णय यह बताता है कि आपकी शिकायत सही है या गलत और बीमा कंपनी को क्या कदम उठाना चाहिए। ओम्बड्समैन का निर्णय दोनों—बीमा कंपनी और पॉलिसीधारक—को सूचित किया जाता है। अगर ओम्बड्समैन का निर्णय आपके पक्ष में होता है, तो बीमा कंपनी को आपको आपके क्लेम का भुगतान करना पड़ता है।

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ओम्बड्समैन (Ombudsman) से संपर्क कैसे करें?

ओम्बड्समैन से संपर्क करने के लिए, आपको एक शिकायत पत्र (complaint letter) लिखना होता है। इस पत्र में आपको क्लेम या पॉलिसी से संबंधित सभी जानकारी और दस्तावेज़ शामिल करने होंगे। ओम्बड्समैन से संपर्क करने के लिए निम्नलिखित दस्तावेज़ों की आवश्यकता हो सकती है:

1. पॉलिसी की कॉपी (copy of policy)

2. बीमा कंपनी द्वारा प्रदान क्लेम रिजेक्शन पत्र (claim rejection letter)

3. सभी संबंधित बिल (bills) और रसीदें (receipts)

4. KYC दस्तावेज़ जैसे आधार कार्ड (Aadhar card), पैन कार्ड (PAN card) आदि

5. बीमा कंपनी से आपके द्वारा किए गए सभी संवाद (Communication) और संपर्क (contact) की जानकारी

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जानिए सही दावा प्रक्रिया!

अगर आपका स्वास्थ्य बीमा क्लेम अस्वीकार हो गया है, तो निराश होने की जरूरत नहीं है! हमारे ब्लॉग में हम आपको Health Insurance Claim की सही प्रक्रिया के बारे में बताएंगे, ताकि आप अपने अधिकारों का सही तरीके से इस्तेमाल कर सकें और बिना किसी रिजेक्शन के क्लेम कर सकें। जानने के लिए अभी हमारा ब्लॉग पोस्ट पढ़ें और सही जानकारी हासिल करें! पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे- Health insurance claim

क्लेम रेपुडिएशन (Claim Repudiation)

जब बीमा कंपनी क्लेम को जांच के बाद अस्वीकार करती है और यह निर्णय लेती है कि Claim, पॉलिसी की शर्तों के अनुसार वैध नहीं है।  उदाहरण: बीमारी से संबंधित तथ्य छुपाकर पॉलिसी लेना और बाद में क्लेम करना।

मुख्य अंतर

पैरामीटर क्लेम रिजेक्शन क्लेम रिपुडिएशन
समय जब क्लेम प्रक्रिया के शुरू में अस्वीकार हो जाता है। जब क्लेम जांच के बाद अस्वीकार हो जाता है।
कारण दस्तावेज़ी त्रुटि या प्रक्रिया की चूक। पॉलिसी शर्तों का उल्लंघन या धोखाधड़ी।
उदाहरण अधूरी जानकारी के कारण क्लेम रिजेक्ट होना। गलत जानकारी देकर क्लेम का दावा करना।

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FAQs: Health Insurance Claim Rejection

1. क्या हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्शन के बाद भी इलाज करवाना संभव है?

हाँ, हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्शन का मतलब यह नहीं है कि आपको इलाज नहीं मिल सकता। अगर आपका क्लेम रिजेक्ट हो गया है, तो आपको इलाज जारी रखने के लिए खुद से खर्च करना पड़ सकता है, लेकिन उपचार के लिए अस्पताल जाने में कोई रोक नहीं है।

2. क्लेम रिजेक्शन के बाद पॉलिसी रिन्यू कराना जरूरी है?

यदि आपकी पॉलिसी समाप्त हो गई है और आपका क्लेम रिजेक्ट हो गया है, तो आपको पॉलिसी को Renew करना होगा ताकि आप हेल्थ इंश्योरेंस की सेवाओं का लाभ उठा सकें।

3. कैसे पता चलेगा कि मेरा दावा रिजेक्ट हो गया है?

आपको बीमा कंपनी से एक लिखित नोटिस मिलेगा जिसमें दावा रिजेक्शन के कारण बताए जाएंगे।

4. ओम्बड्समैन कितना समय लेता है शिकायत का निपटारा करने में?

Ombudsman आमतौर पर कुछ हफ्तों से लेकर कुछ महीनों तक शिकायत का निपटारा करने में लेता है।

5. क्या ओम्बड्समैन की सेवाएँ मुफ्त हैं?

हाँ, ओम्बड्समैन की सेवाएँ मुफ्त हैं।

6. क्या ओम्बड्समैन का निर्णय अंतिम होता है?

हाँ, आमतौर पर Ombudsman का निर्णय अंतिम माना जाता है।

निष्कर्ष| Conclusion

Health Insurance Claim Rejection एक गंभीर समस्या हो सकती है, जो पॉलिसीधारकों के लिए मानसिक और वित्तीय तनाव का कारण बनती है। लेकिन यह जरूरी है कि हम समझें कि क्लेम रिजेक्शन का मतलब इलाज से इंकार नहीं है, बल्कि यह केवल क्लेम को अस्वीकृत करने का निर्णय होता है। Health Insurance Claim Rejection के कई कारण हो सकते हैं, जैसे गलत जानकारी (wrong information), अपर्याप्त बीमा राशि (insufficient sum insured), वेटिंग पीरियड (Waiting Period) का पालन न करना, या डॉक्युमेंटेशन (Documentation) में कमी। इन कारणों को जानकर हम अपनी पॉलिसी का सही इस्तेमाल कर सकते हैं और क्लेम के लिए सही प्रक्रिया को अपनाकर किसी भी प्रकार के रिजेक्शन से बच सकते हैं। अगर आपका Health Insurance Claim Reject हो जाता है, तो आप सही दस्तावेज़ और जानकारी के साथ ओम्बड्समैन से मदद ले सकते हैं और अपने क्लेम को फिर से प्रस्तुत कर सकते हैं।

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