Price-to-earning Ratio क्या है? इससे स्टॉक का सही मूल्य कैसे पता करें?

क्या है Price-to-Earning Ratio (P/E Ratio)? स्टॉक्स का सही मूल्यांकन, गणना का तरीका, हाई और लो P/E का मतलब जानें!

अगर आप शेयर बाजार (Stock Market) में निवेश करते हैं या करना चाहते हैं, तो आपने Price-to-earning Ratio का नाम ज़रूर सुना होगा। यह एक महत्वपूर्ण फाइनेंशियल संकेतक है, जो यह बताता है कि किसी स्टॉक की कीमत उसके मुनाफे के मुकाबले अधिक या कम है। आसान भाषा में कहें तो, P/E Ratio से हमें पता चलता है कि किसी स्टॉक में निवेश करना फायदेमंद रहेगा या नहीं

अगर किसी कंपनी का P/E Ratio ज़्यादा है, तो इसका मतलब हो सकता है कि स्टॉक की कीमत बढ़ी हुई है, जबकि कम P/E Ratio वाले स्टॉक को सस्ता माना जा सकता है। लेकिन क्या सिर्फ P/E Ratio देखकर स्टॉक खरीदना सही रहेगा? नहीं! इसके पीछे कई फैक्टर काम करते हैं, जिन्हें समझना ज़रूरी है। इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे: P/E Ratio क्या होता है और इसे कैसे कैलकुलेट करें? हाई और लो P/E Ratio का क्या मतलब है? क्या P/E Ratio से मल्टीबैगर स्टॉक्स (Multibagger Stocks) की पहचान हो सकती है? और इसका इस्तेमाल निवेश निर्णय लेने में कैसे करें? तो आइए, इस महत्वपूर्ण निवेश संकेतक को आसान भाषा में समझते हैं!

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P/E Ratio का मतलब क्या होता है? | What is P/E Ratio?

P/E Ratio (Price-to-Earnings Ratio) किसी कंपनी के शेयर (Shares) की मौजूदा कीमत और उसके प्रति शेयर कमाई (EPS) के बीच का अनुपात होता है। इसे निकालने के लिए आमतौर पर कंपनी की पिछले 12 महीनों (1 साल) की कमाई का इस्तेमाल किया जाता है। निवेशक और विश्लेषक अलग-अलग समय अवधि के आधार पर भी इसकी गणना कर सकते हैं। इसे प्राइस मल्टीपल (Price Multiple) या अर्निंग्स मल्टीपल (Earning Multiple) भी कहा जाता है। P/E Ratio यह बताने में मदद करता है कि कोई स्टॉक महंगा है या सस्ता और निवेश के लिए कितना सही हो सकता है।

P/E Ratio का फॉर्मूला:
P/E Ratio = (शेयर की वर्तमान बाजार कीमत / प्रति शेयर आय)

P/E Ratio (Price-to-Earnings Ratio) निवेशकों और विश्लेषकों द्वारा सबसे ज़्यादा उपयोग किए जाने वाले फाइनेंशियल संकेतकों में से एक है। यह दर्शाता है कि कोई निवेशक कंपनी के प्रति 1 रुपये की कमाई के बदले उसके एक शेयर के लिए कितना भुगतान करने को तैयार है

उदाहरण: यदि किसी कंपनी का P/E Ratio 20 है, तो इसका मतलब यह हुआ कि निवेशक Re. 1 की कमाई के लिए उस कंपनी के शेयर में ₹20 का निवेश करने को तैयार हैं

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पीई अनुपात के प्रकार | Types of PE Ratio

1. ट्रेलिंग पीई अनुपात (Trailing PE Ratio): ट्रेलिंग पीई अनुपात पिछले वर्ष की कमाई (EPS) को हाल के स्टॉक मूल्य से विभाजित करके निकाला जाता है। यह कंपनी के पिछले प्रदर्शन पर आधारित होता है, इसलिए इसे सबसे विश्वसनीय और लोकप्रिय पीई मेट्रिक्स (Metrics) माना जाता है। विवेकपूर्ण निवेशक इस अनुपात का उपयोग करते हैं क्योंकि यह वास्तविक कमाई डेटा पर आधारित होता है। हालांकि, निवेशकों को यह ध्यान में रखना चाहिए कि पिछला प्रदर्शन भविष्य की सफलता की गारंटी नहीं है। ट्रेलिंग पीई अनुपात में कंपनी के स्टॉक की कीमत का नवीनतम डेटा शामिल होता है, लेकिन इसमें कमाई की जानकारी पिछली तिमाही से ली जाती है। इसका मतलब है कि स्टॉक की कीमत में हर कुछ घंटों में बदलाव होते हैं, लेकिन पीई अनुपात पिछली कमाई पर आधारित रहता है। इस वजह से कुछ निवेशक भविष्य की कमाई का अनुमान लगाने के लिए फॉरवर्ड पीई को प्राथमिकता देते हैं।

उदाहरण:
मान लीजिए एक कंपनी की प्रति शेयर कमाई (EPS) ₹10 है और उसका वर्तमान स्टॉक मूल्य ₹100 है।
तो, ट्रेलिंग पीई अनुपात = ₹100 ÷ ₹10 = 10
इसका मतलब है कि स्टॉक का मूल्य उसकी कमाई के मुकाबले 10 गुना है। यदि यह अनुपात बहुत ज़्यादा हो तो कंपनी की कीमत ऊंची हो सकती है, और अगर यह बहुत कम हो तो स्टॉक सस्ता हो सकता है।

2. फॉरवर्ड पीई अनुपात (Forward P/E Ratio): फॉरवर्ड पीई अनुपात भविष्य की अनुमानित कमाई (EPS) का उपयोग करता है, जबकि ट्रेलिंग पीई पिछले आंकड़ों पर आधारित होता है। इसे “अनुमानित कमाई का पीई” भी कहा जाता है। यह कंपनी के भविष्य के प्रदर्शन का आकलन करने में मदद करता है, जिससे यह समझने में मदद मिलती है कि कंपनी की मुनाफा स्थिति भविष्य में कैसी हो सकती है। हालांकि, फॉरवर्ड पीई एक अच्छा संकेतक हो सकता है, लेकिन इसमें कुछ सीमाएं भी होती हैं। कभी-कभी, कंपनियाँ अपने भविष्य के लाभ को जानबूझकर कम या ज्यादा दिखा सकती हैं, जिससे स्टॉक की कीमत ओवरवैल्यूड (overvalued) या अंडरवैल्यूड (undervalued) हो जाती है। ऐसे में निवेशकों को सावधानी से निर्णय लेना चाहिए क्योंकि इस तरह के अनुमान के कारण सही रिटर्न प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है।

उदाहरण:
मान लीजिए एक कंपनी का अनुमानित EPS (भविष्य की कमाई) ₹12 है और उसका वर्तमान स्टॉक मूल्य ₹120 है।
तो, फॉरवर्ड पीई अनुपात = ₹120 ÷ ₹12 = 10
इसका मतलब है कि स्टॉक का मूल्य उसकी भविष्य की कमाई के मुकाबले 10 गुना है।

अगर फॉरवर्ड P/E अनुपात ट्रेलिंग P/E अनुपात से कम होता है, तो इसका मतलब होता है कि निवेशक उम्मीद करते हैं कि कंपनी की आय में भविष्य में वृद्धि होगी, और इसके विपरीत यदि P/E अनुपात ज्यादा है, तो यह कम वृद्धि का संकेत हो सकता है।

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P/E Ratio और वैल्यू इन्वेस्टिंग का रिश्ता | Relationship between P/E Ratio and Value Investing

वैल्यू इन्वेस्टिंग के सिद्धांतों को अपनाने वाले निवेशक, स्टॉक मार्केट में किसी कंपनी के वर्तमान बाजार मूल्य के बजाय उसके आंतरिक मूल्य को प्राथमिकता देते हैं। इस संदर्भ में P/E Ratio एक महत्वपूर्ण मापदंड होता है, जो यह पता करने में मदद करता है कि कोई स्टॉक अधिक मूल्यवान है या कम।

अगर किसी कंपनी का P/E Ratio उच्च है, तो इसका मतलब है कि कंपनी के शेयर की कीमतें उसके मुनाफे के मुकाबले अधिक हैं, और इसलिए ये स्टॉक्स अधिक मूल्य वाले हो सकते हैं। वैल्यू निवेशक ऐसे महंगे स्टॉक्स में व्यापार करने से बचते हैं, क्योंकि यह ज्यादा अटकलों का संकेत देता है और कंपनी को अनुशासनहीन फंड प्रबंधन के कारण प्रणालीगत जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है। इस दृष्टिकोण से निवेशक वैल्यू ट्रैप से बच सकते हैं।

वहीं, अगर किसी स्टॉक का P/E Ratio औसत से कम है, तो इसका मतलब है कि शेयर की कीमतें कंपनी के मुनाफे के मुकाबले कम हैं, यानी स्टॉक अंडरवैल्यूड हो सकता है। वैल्यू निवेशक इसे एक सकारात्मक संकेत मानते हैं, क्योंकि वे इन स्टॉक्स को कम कीमत पर खरीद सकते हैं और बाद में जब कीमतें बढ़ें, तो इसे उच्च कीमत पर बेच सकते हैं।

वैल्यू इन्वेस्टिंग में स्टॉक्स को लंबे समय तक बनाए रखना जरूरी होता है, ताकि निवेशक पूरी तरह से मुनाफा प्राप्त कर सकें। यह भी महत्वपूर्ण है कि निवेशक किसी कंपनी के P/E Ratio का मूल्यांकन करते समय उस कंपनी के संबंधित उद्योग के औसत P/E Ratio को ध्यान में रखें, ताकि यह सही समझ सके कि स्टॉक अधिक मूल्यवान है या कम।

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अब्सोलुटे पीई अनुपात और रिलेटिव पीई अनुपात | Absolute P/E Ratio and Relative P/E Ratio

1. Absolute P/E Ratio: यह पारंपरिक P/E Ratio को संदर्भित करता है, जिसमें कंपनी के वर्तमान स्टॉक मूल्य को उसके भूतकालिक या भविष्यवर्ती मुनाफे से विभाजित किया जाता है।

2. Relative P/E Ratio: Relative P/E Ratio में, कंपनी के Absolute P/E Ratio की तुलना एक बेंचमार्क P/E Ratio या संबंधित कंपनियों के पिछले Price to Earnings से की जाती है।

इसका उपयोग निवेशक यह समझने के लिए करते हैं कि कंपनी अपने पिछले मापदंडों या बेंचमार्क के मुकाबले कितना अच्छा प्रदर्शन कर रही है। उदाहरण के लिए, अगर एक कंपनी का Relative P/E Ratio 90% है, तो इसका मतलब है कि उसकी Absolute P/E Ratio बेंचमार्क से कम है। अगर P/E Ratio 100% से ऊपर है, तो इसका मतलब है कि कंपनी ने बेंचमार्क से बेहतर प्रदर्शन किया है।

एक अच्छा Price-to-Earning Ratio क्या होता है? | What is a good Price-to-Earning Ratio?

निवेशकों के लिए यह सवाल अक्सर उठता है कि P/E Ratio को देखकर निवेश का निर्णय कैसे लिया जाए। हालांकि, यह याद रखना ज़रूरी है कि एक अच्छा या सुरक्षित P/E Ratio बाजार की स्थितियों, उद्योग औसत और कंपनी के कार्य क्षेत्र पर निर्भर करता है।

जब निवेशक विभिन्न P/E Ratios का मूल्यांकन करते हैं, तो उन्हें यह देखना चाहिए कि उसी उद्योग की अन्य समान विशेषताओं वाली कंपनियाँ कैसे प्रदर्शन कर रही हैं। उदाहरण के लिए, अगर कंपनी A का P/E Ratio 40% है और कंपनी B का P/E Ratio 10% है, तो इसका मतलब है कि कंपनी A के शेयरधारकों को एक रुपये के मुनाफे के लिए 40 रुपये का भुगतान करना होगा, जबकि कंपनी B के शेयरधारकों को 10 रुपये का भुगतान करना होगा। इसलिए, कंपनी B में निवेश करना ज्यादा फायदेमंद हो सकता है।

हालांकि, उच्च P/E Ratios में वैल्यू ट्रैप का जोखिम हो सकता है, तो कम P/E Ratios यह संकेत दे सकते हैं कि कंपनी का प्रदर्शन अंदरूनी कारणों से कमजोर है।

इसलिए, निवेशकों को सिर्फ P/E Ratio के आधार पर निवेश का निर्णय नहीं लेना चाहिए। उन्हें दूसरे तकनीकी विश्लेषण संकेतकों जैसे Discounted Cash Flow (DCF) और Weighted Average Cost of Capital (WACC) का उपयोग भी करना चाहिए, ताकि कंपनी की लाभप्रदता का सही आकलन किया जा सके।

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P/E Ratio की सीमाएँ | Limitations of P/E Ratio

हालांकि P/E Ratio से एक अनुमानित विचार मिलता है कि कंपनी का स्टॉक अधिक मूल्यवान है या कम, लेकिन इसमें कुछ कमियाँ हैं।

  • P/E Ratio कंपनी की EPS ग्रोथ को ध्यान में नहीं रखता, इसलिए PEG Ratio (Price-to-Earnings to Growth) का उपयोग भी किया जाता है, जो कंपनी की भविष्य की संभावनाओं को देखता है।
  • कंपनी के मुनाफे की रिपोर्ट हर तिमाही (Quarter) होती है, जबकि स्टॉक की कीमतें हर दिन बदलती हैं। इस कारण P/E Ratio कभी-कभी कंपनी के वास्तविक प्रदर्शन से मेल नहीं खाता।

इसलिए, निवेशकों को सिर्फ P/E Ratio के आधार पर निवेश का निर्णय नहीं करना चाहिए। उन्हें कंपनी के भूतकालिक रिकॉर्ड, उद्योग की स्थिति, कंपनी का आकार (Large-cap,Small-cap and Mid-cap), EPS ग्रोथ संभावनाएँ, और अन्य कारकों को ध्यान में रखते हुए निवेश निर्णय लेना चाहिए।

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FAQs: Price-to-Earning Ratio

1. क्या सभी कंपनियों के लिए एक ही पीई रेश्यो होना चाहिए?

नहीं, विभिन्न उद्योगों में कंपनियों के पीई रेश्यो अलग-अलग होते हैं। उदाहरण के लिए, तकनीकी कंपनियों के पीई रेश्यो अक्सर उच्च होते हैं, जबकि परंपरागत उद्योगों की कंपनियों के पीई रेश्यो कम होते हैं।

2. पीई रेश्यो के आधार पर निवेश कैसे करें?

पीई रेश्यो का उपयोग करके निवेश करने के लिए, आपको उद्योग के औसत पीई रेश्यो (Average P/E Ratio) की तुलना में कंपनी के पीई रेश्यो का विश्लेषण करना होगा। यदि कंपनी का पीई रेश्यो उद्योग के औसत से कम है, तो यह संकेत दे सकता है कि शेयर सस्ते हैं। हालांकि, केवल पीई रेश्यो के आधार पर निवेश करने से पहले कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन, भविष्य की संभावनाओं और अन्य कारकों को भी ध्यान में रखना ज़रूरी है।

3. क्या पीई रेश्यो की गणना स्वयं करना संभव है?

हाँ, आप कंपनी के वित्तीय विवरणों का उपयोग करके पीई रेश्यो की गणना स्वयं कर सकते हैं। कई वित्तीय वेबसाइट्स भी आपको कंपनी का पीई रेश्यो प्रदान करती हैं।

4. पीई रेश्यो के बारे में कहाँ से अधिक जानकारी प्राप्त करें?

आप वित्तीय समाचार वेबसाइटों, निवेश ब्लॉग्स (investment blogs), और वित्तीय पत्रिकाओं से पीई रेश्यो के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

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निष्कर्ष | Conclusion

Price-to-Earning Ratio किसी भी निवेशक के लिए एक महत्वपूर्ण संकेतक होता है, जिससे यह समझने में मदद मिलती है कि कोई स्टॉक महंगा है या सस्ता। हालांकि, सिर्फ Price-to-Earning Ratio के आधार पर निवेश का निर्णय लेना सही नहीं है, क्योंकि यह कई बाहरी कारकों से प्रभावित हो सकता है, जैसे कि बाज़ार की स्थिति, कंपनी का प्रदर्शन और उद्योग का औसत P/E Ratio। इसलिए, एक समझदार निवेशक को P/E Ratio के साथ अन्य वित्तीय मापदंडों और तकनीकी विश्लेषण का भी उपयोग करना चाहिए, ताकि एक सही और संतुलित निवेश निर्णय लिया जा सके। Price-to-Earning Ratio को समझकर और सही रणनीति अपनाकर, निवेशक बेहतर और लाभदायक निवेश कर सकते हैं।

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