Stock Split क्या है? कंपनियाँ अपने शेयर क्यों विभाजित करती हैं?

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Stock-Split का अर्थ क्या है? इसके प्रकार, प्रक्रिया और निवेशकों के लिए फायदे व नुकसान जानें!

अगर आप शेयर बाजार (Stock Market) में निवेश करते हैं या इसमें दिलचस्पी रखते हैं, तो आपने स्टॉक स्प्लिट (Stock Split) का नाम जरूर सुना होगा। लेकिन यह क्या होता है और इसका शेयर की कीमत या निवेशकों पर क्या असर पड़ता है? आसान शब्दों में कहें तो स्टॉक स्प्लिट एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कंपनियाँ अपने मौजूदा शेयरों को छोटे भागों में बांटती हैं, जिससे उनकी कुल संख्या बढ़ जाती है और हर शेयर की कीमत घट जाती है। हालांकि, इससे कंपनी का कुल बाजार मूल्य (Market Capitalization) नहीं बदलता। कंपनियाँ ऐसा इसलिए करती हैं ताकि उनके शेयर (Shares) ज्यादा निवेशकों के लिए सुलभ हो जाएं और शेयर बाजार में उनकी तरलता (Liquidity) बढ़े। इस ब्लॉग में हम विस्तार से समझेंगे कि स्टॉक स्प्लिट कैसे काम करता है, इसके क्या फायदे और नुकसान हैं और यह निवेशकों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है।

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स्टॉक स्प्लिट क्या होता है? | What is a stock split?

स्टॉक स्प्लिट एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी कंपनी के शेयरों को छोटे हिस्सों में बांटा जाता है। इससे शेयरों की कुल संख्या बढ़ जाती है, लेकिन हर शेयर की कीमत पहले की तुलना में कम हो जाती है। हालांकि, कंपनी का कुल मूल्य (Market Capitalization) समान रहता है। इसका मुख्य उद्देश्य- छोटे निवेशकों के लिए शेयर खरीदना, आसान बनाना और शेयर बाजार में उनकी उपलब्धता बढ़ाना होता है।

उदाहरण: मान लीजिए कि किसी कंपनी का एक शेयर ₹1000 का है और वह 1:2 के अनुपात में स्टॉक स्प्लिट करती है। इसका मतलब यह होगा कि अब प्रत्येक निवेशक को एक शेयर के बदले दो शेयर मिलेंगे, लेकिन हर शेयर की कीमत ₹500 हो जाएगी। कुल मिलाकर निवेश का मूल्य वही रहेगा, लेकिन निवेशकों के पास अधिक शेयर होंगे।

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स्टॉक स्प्लिट के प्रकार और उनका महत्व | Types of Stock Split and their Importance

जब कोई कंपनी अपने शेयरों को पुनर्गठित (Reorganize) करती है, तो यह दो तरीकों से किया जा सकता है – फॉरवर्ड स्टॉक स्प्लिट (Forward Stock Split) और रिवर्स स्टॉक स्प्लिट (Reverse Stock Split)। ये दोनों ही प्रक्रिया कंपनी के शेयरों की संख्या और कीमत को प्रभावित करती हैं, लेकिन कंपनी का कुल मूल्य (Market Capitalization) पहले जैसा ही बना रहता है। आइए इन दोनों को सरल भाषा में समझते हैं।

1. फॉरवर्ड स्टॉक स्प्लिट (Forward Stock Split): इस प्रक्रिया में कंपनी अपने शेयरों को छोटे हिस्सों में बांट देती है, जिससे शेयरों की संख्या बढ़ जाती है और प्रति शेयर की कीमत घट जाती है। जब किसी कंपनी के शेयर बहुत महंगे हो जाते हैं और आम निवेशकों के लिए खरीदना मुश्किल हो जाता है, तब कंपनी इस प्रक्रिया का इस्तेमाल करती है ताकि ज्यादा से ज्यादा निवेशक आसानी से उसके शेयर खरीद सकें।

उदाहरण: मान लीजिए कि किसी कंपनी के एक शेयर की कीमत ₹1000 है। यदि कंपनी 1:5 के अनुपात में स्टॉक स्प्लिट करती है, तो इसका मतलब है कि अब हर एक शेयर को पाँच छोटे शेयरों में बांट दिया जाएगा। इस स्थिति में—

  • पहले आपके पास 1 शेयर था, अब वह 5 शेयरों में बदल जाएगा।
  • लेकिन हर नए शेयर की कीमत घटकर ₹200 हो जाएगी (₹1000/5)।
  • कुल निवेश मूल्य वही रहेगा, लेकिन अब शेयर अधिक लोगों के लिए सुलभ हो जाएंगे।

2. रिवर्स स्टॉक स्प्लिट (Reverse Stock Split): यह प्रक्रिया फॉरवर्ड स्टॉक स्प्लिट के विपरीत होती है। इसमें कंपनी अपने शेयरों की संख्या घटा देती है और प्रति शेयर की कीमत बढ़ा देती है। यह आमतौर पर तब किया जाता है जब किसी कंपनी के शेयर बहुत सस्ते हो जाते हैं और उनके मूल्य में लगातार गिरावट बनी रहती है। कई बार, बहुत ज्यादा कम कीमत के शेयरों को गंभीरता से नहीं लिया जाता, इसलिए कंपनियां अपने शेयरों की वैल्यू बढ़ाने और उन्हें अधिक आकर्षक बनाने के लिए इस रणनीति का उपयोग करती हैं।

उदाहरण: मान लीजिए कि किसी कंपनी के एक शेयर की कीमत ₹10 है। यदि कंपनी 10:1 के अनुपात में रिवर्स स्टॉक स्प्लिट करती है, तो—

  • पहले आपके पास 10 शेयर थे, अब वे 1 शेयर में बदल जाएंगे।
  • लेकिन इस एक शेयर की नई कीमत ₹100 हो जाएगी (₹10 × 10)।
  • कुल निवेश मूल्य वही रहेगा, लेकिन शेयरों की संख्या कम हो जाएगी।

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स्टॉक स्प्लिट क्यों किया जाता है? | Why is a stock split done?

कंपनियाँ कई कारणों से स्टॉक स्प्लिट करती हैं, जैसे:

  1. छोटे निवेशकों को आकर्षित करना: जब किसी शेयर की कीमत बहुत अधिक हो जाती है, तो छोटे निवेशकों के लिए उसे खरीदना मुश्किल हो जाता है। स्टॉक स्प्लिट से शेयर की कीमत कम हो जाती है, जिससे ज्यादा लोग उसमें निवेश कर सकते हैं।
  2. तरलता (Liquidity) बढ़ाना: जब अधिक शेयर बाजार में उपलब्ध होते हैं, तो व्यापार की मात्रा बढ़ती है। इससे शेयरों की खरीद-फरोख्त में आसानी होती है और मार्केट में अधिक सक्रियता रहती है।
  3. मनोवैज्ञानिक प्रभाव: स्टॉक स्प्लिट के बाद कुछ निवेशक महसूस करते हैं कि अब शेयर सस्ते हो गए हैं, और इसी कारण वे अधिक शेयर खरीदने के लिए आकर्षित होते हैं। इससे कंपनी के शेयरों की मांग बढ़ जाती है।
  4. प्रतिस्पर्धा में वृद्धि: कुछ कंपनियाँ अपने प्रतिस्पर्धियों से ज्यादा निवेशकों को आकर्षित करने के लिए स्टॉक स्प्लिट करती हैं।
  5. सकारात्मक संकेत: स्टॉक स्प्लिट यह संकेत देता है कि कंपनी का प्रदर्शन अच्छा है और उसका शेयर मूल्य बढ़ रहा है। इससे निवेशकों का विश्वास और बढ़ जाता है।

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स्टॉक स्प्लिट के फायदे | Benefits of stock split

निवेशकों के लिए:

  1. अधिक शेयर मिलते हैं: स्टॉक स्प्लिट के बाद निवेशकों के पास ज्यादा शेयर होते हैं, जिससे वे ज्यादा लाभ कमा सकते हैं।
  2. शेयर खरीदना आसान होता है: स्टॉक स्प्लिट के बाद प्रत्येक शेयर की कीमत कम हो जाती है, जिससे छोटे निवेशकों के लिए इसे खरीदना सरल हो जाता है।
  3. भविष्य में लाभ की संभावना: स्टॉक स्प्लिट आमतौर पर उस समय किया जाता है जब कंपनी का प्रदर्शन अच्छा होता है, जिससे भविष्य में शेयर के मूल्य में बढ़ोतरी की संभावना रहती है।

कंपनियों के लिए:

  1. बाजार में हिस्सेदारी बढ़ती है: ज्यादा निवेशक शेयर खरीदने पर कंपनी की बाजार हिस्सेदारी बढ़ती है।
  2. तरलता में सुधार: ज्यादा शेयर बाजार में उपलब्ध होने से उनकी खरीद-फरोख्त में आसानी होती है।
  3. सकारात्मक संकेत: स्टॉक स्प्लिट ये दिखाता है कि कंपनी के शेयरों की मांग बढ़ रही है, जिससे निवेशकों का भरोसा बढ़ता है।

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स्टॉक स्प्लिट के नुकसान | Disadvantages of Stock Split

हालांकि स्टॉक स्प्लिट के फायदे हैं, लेकिन कुछ नुकसान भी हो सकते हैं:

  1. अस्थिरता बढ़ सकती है: स्टॉक स्प्लिट के बाद शेयरों की कीमतों में उतार-चढ़ाव बढ़ सकता है।
  2. लघु अवधि में कोई असल लाभ नहीं: निवेशकों को ज्यादा शेयर मिलते हैं, लेकिन कुल निवेश का मूल्य वही रहता है।
  3. शेयर की कीमत में गिरावट: कभी-कभी स्टॉक स्प्लिट के बाद निवेशक शेयर बेच सकते हैं, जिससे शेयर की कीमत गिर सकती है।

स्टॉक स्प्लिट के उदाहरण

  1. रिलायंस इंडस्ट्रीज: रिलायंस ने 2020 में 1:1 अनुपात में स्टॉक स्प्लिट किया था, जिससे शेयर की कीमत कम हो गई और छोटे निवेशकों के लिए इसे खरीदना आसान हुआ।
  2. इंफोसिस: इंफोसिस ने कई बार स्टॉक स्प्लिट किया, जिससे निवेशकों को ज्यादा शेयर मिले और शेयरों की तरलता बढ़ी।
  3. टीसीएस: टीसीएस ने भी स्टॉक स्प्लिट किया, जिससे ज्यादा निवेशक इसमें निवेश कर पाए।

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FAQs: Stock Split in Hindi

1. स्टॉक स्प्लिट और बोनस शेयर में क्या अंतर है?

दोनों में शेयरों की संख्या बढ़ती है, लेकिन स्टॉक स्प्लिट में शेयर का मूल्य कम हो जाता है, जबकि बोनस शेयर (Bonus Share) में शेयर का मूल्य समान रहता है।

2. स्टॉक स्प्लिट के बाद प्रति शेयर लाभ (EPS) पर क्या असर पड़ता है?

स्टॉक स्प्लिट के बाद प्रति शेयर लाभ (EPS) कम हो जाता है।

3. स्टॉक स्प्लिट के बाद शेयरधारकों को क्या फायदा होता है?

स्टॉक स्प्लिट से शेयरों की तरलता बढ़ती है, जिससे उन्हें आसानी से बेचा जा सकता है।

4. स्टॉक स्प्लिट के बाद शेयर खरीदना चाहिए या नहीं?

स्टॉक स्प्लिट के बाद शेयर खरीदने का निर्णय कंपनी के प्रदर्शन और अन्य कारकों पर निर्भर करता है।

5. स्टॉक स्प्लिट की घोषणा कैसे होती है?

कंपनी द्वारा स्टॉक एक्सचेंज को स्टॉक स्प्लिट की घोषणा की जाती है। आप कंपनी की वेबसाइट (Website), स्टॉक एक्सचेंज (Stock Exchange) की वेबसाइट, या अपने ब्रोकर (Broker) से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

6. स्टॉक स्प्लिट पर क्या टैक्स लगता है?

नहीं, स्टॉक स्प्लिट पर सीधे कोई टैक्स नहीं लगता है।

7. स्टॉक स्प्लिट के बाद क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

स्टॉक स्प्लिट के बाद शेयर की कीमत में अस्थिरता आ सकती है, इसलिए सावधानी से निवेश करें।

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निष्कर्ष | Conclusion

स्टॉक स्प्लिट कंपनियों के लिए एक प्रभावी रणनीति है, जो अपने शेयरों की कीमत को निवेशकों के लिए आसान बनाती है। इससे बाजार में तरलता बढ़ती है और नए निवेशक आकर्षित होते हैं। हालांकि, स्टॉक स्प्लिट से निवेशकों को तुरंत कोई वास्तविक लाभ नहीं होता, लेकिन यह भविष्य में निवेश के अवसरों को बेहतर बना सकता है। यदि आप शेयर बाजार में निवेश कर रहे हैं, तो स्टॉक स्प्लिट को समझकर और उसके अनुसार निवेश करना फायदेमंद हो सकता है।

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