Hybrid Solar Panel For Home: जानें हाइब्रिड सोलर पैनल कैसे काम करता है!

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हाइब्रिड सौर ऊर्जा प्रणाली क्या है? यह कैसे काम करता है और लाभ! Working, Price, Types, Pros, and Cons | Hybrid Solar Panel For Home | Difference Between On-Grid, Off-Grid And Hybrid Solar Power System

Hybrid Solar Panel For Home: आज के दौर में बिजली की बढ़ती खपत और बिजली कटौती की समस्या को देखते हुए, Hybrid Solar Panel घरों के लिए एक स्मार्ट समाधान के रूप में उभर रहा है। यह पैनल सौर ऊर्जा का उपयोग करके बिजली उत्पन्न करता है और साथ ही इसे बैकअप के रूप में बैटरी में स्टोर भी करता है। Hybrid Solar Panel, ऑन-ग्रिड और ऑफ-ग्रिड सिस्टम का मिला-जुला रूप है, जो दिन के समय घर की बिजली जरूरतों को पूरा करता है और अतिरिक्त ऊर्जा को बैटरी में संग्रहित करता है। जब बिजली ग्रिड काम नहीं करता या बिजली कट जाती है, तब यह बैटरी से बिजली की आपूर्ति करता है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि बिजली कटौती के दौरान भी घर की लाइट, पंखे और उपकरण चलते रहते हैं। साथ ही, अगर बैटरी पूरी तरह चार्ज हो जाए और ऊर्जा बची रहे, तो वह अतिरिक्त बिजली ग्रिड में भेज दी जाती है, जिससे बिजली बिल कम हो जाता है। Hybrid Solar Panel For Home पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद हैं क्योंकि ये कार्बन उत्सर्जन को कम करते हैं और ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देते हैं। यह प्रणाली विशेष रूप से उन इलाकों के लिए उपयोगी है, जहां बिजली कटौती की समस्या अधिक होती है। Hybrid Solar Panel For Home से घरों को बिजली के बिल में बचत, पावर बैकअप और ऊर्जा की निरंतर आपूर्ति का ट्रिपल बेनिफिट मिलता है, जो इसे हर घर के लिए एक आवश्यक निवेश बनाता है।

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Hybrid Solar Panel System For Home क्या है?

Hybrid Solar Panel For Home एक ऐसा आधुनिक ऊर्जा समाधान है, जो ऑन-ग्रिड और ऑफ-ग्रिड सिस्टम दोनों की विशेषताओं को एक साथ जोड़ता है। इस प्रणाली में सोलर पैनल, बैटरी स्टोरेज और ग्रिड कनेक्शन शामिल होते हैं। दिन के समय, सोलर पैनल सूरज की रोशनी से बिजली उत्पन्न करते हैं, जो घर की जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ अतिरिक्त ऊर्जा को बैटरी में स्टोर भी करता है। रात के समय या बिजली कटौती की स्थिति में, यह बैटरी में संग्रहीत ऊर्जा का उपयोग करके घर के उपकरणों को पावर सप्लाई करता है। अगर बैटरी का चार्ज खत्म हो जाए, तो ग्रिड से बिजली की आपूर्ति की जाती है, जिससे निरंतर और निर्बाध पावर सप्लाई सुनिश्चित होती है।

यह सिस्टम ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाता है और पारंपरिक बिजली स्रोतों पर निर्भरता कम करता है। Hybrid Solar Power Systems का डिज़ाइन इसे उन क्षेत्रों में उपयोगी बनाता है, जहां बिजली कटौती आम है या जहां Net-metering की सुविधा सीमित है। चूंकि बैटरी बैकअप मौजूद होता है, इसलिए बिजली जाने के बाद भी घर के उपकरण चालू रहते हैं, जबकि केवल on-grid system में ऐसा संभव नहीं होता। हाइब्रिड सिस्टम को अक्सर “Solar-Plus-Storage” प्रणाली के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि इसमें बैकअप के लिए ऊर्जा संग्रहीत की जाती है।

हालांकि, इस सिस्टम की शुरुआती लागत ऑन-ग्रिड सिस्टम की तुलना में अधिक होती है, क्योंकि इसमें बैटरियों की अतिरिक्त लागत शामिल होती है। लेकिन लंबे समय में, यह निवेश उपयोगकर्ताओं के बिजली बिल को कम कर सकता है और बिजली कटौती के दौरान बैकअप पावर भी प्रदान करता है। यह प्रणाली ऊर्जा की खपत को अधिक स्मार्ट और पर्यावरण के अनुकूल बनाती है। Hybrid Solar Power Systems का उपयोग घरों और व्यवसायों दोनों के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है क्योंकि यह एक भरोसेमंद और स्थायी ऊर्जा विकल्प के रूप में उभर रहा है।

  • 1kW का हाइब्रिड सोलर सिस्टम 4 यूनिट/दिन जनरेट करता है।
    • 4 यूनिट x 30 दिन = 120 यूनिट/माह
    • 120 यूनिट x 12 महीने = 1,440 यूनिट /वर्ष।
  • पूरे सिस्टम के लिए 5 साल की सीधी वारंटी और सोलर पैनल के लिए 25 साल की वारंटी है।
  • सोलर नेट मीटरिंग हाइब्रिड सोलर सिस्टम पर भी लागू होती है।
  • नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (Ministry of New and Renewable Energy (MNRE), 10 किलोवाट कैपेसिटी तक (बैटरी के बिना) हाइब्रिड सोलर सिस्टमों के लिए सोलर पर 20% से 40% सब्सिडी प्रदान कर रहा है।

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Hybrid Solar Panel For Home कैसे काम करती है?

Hybrid Solar Panel सिस्टम एक उन्नत तकनीक है, जो सौर ऊर्जा का अधिकतम उपयोग करने के लिए सोलर पैनल, बैटरी और ग्रिड कनेक्शन को एक साथ जोड़ती है। इस प्रणाली के काम करने का तरीका सरल है लेकिन अत्यधिक प्रभावी है। आइए, इसे चरणबद्ध तरीके से समझते हैं:

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  1. सौर ऊर्जा संग्रहण: Hybrid Solar Power Systems के सोलर पैनल सूरज की रोशनी को अवशोषित करके उसे बिजली (डीसी पावर) में बदलते हैं। इस बिजली का उपयोग घर की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तुरंत किया जा सकता है। अगर बिजली की जरूरत कम हो, तो अतिरिक्त बिजली को बैटरी में स्टोर कर लिया जाता है ताकि जरूरत पड़ने पर उसका उपयोग किया जा सके।
  2. बैटरी स्टोरेज: बैटरी का मुख्य कार्य अतिरिक्त ऊर्जा को स्टोर करना है। दिन के समय जब सौर ऊर्जा की अधिकता होती है, तो उस अतिरिक्त ऊर्जा को बैटरी में संग्रहीत किया जाता है। यह संग्रहीत ऊर्जा रात के समय या तब उपयोग की जाती है, जब सूरज की रोशनी अनुपलब्ध हो। इससे घर की बिजली आपूर्ति बाधित नहीं होती।
  3. ग्रिड कनेक्शन: अगर बैटरी पूरी तरह से डिस्चार्ज हो जाती है और उस समय सोलर पैनल बिजली उत्पन्न नहीं कर रहे होते, तो यह सिस्टम ग्रिड से बिजली लेना शुरू कर देता है। इस तरीके से घर में बिजली की आपूर्ति कभी बाधित नहीं होती और उपभोक्ता को निर्बाध बिजली मिलती है।
  4. इन्वर्टर का प्रबंधन: सोलर पैनल DC (Direct Current) पावर उत्पन्न करते हैं, लेकिन घर के उपकरण AC (Alternating Current) पावर पर चलते हैं। इन्वर्टर इस डीसी पावर को एसी पावर में बदलता है, ताकि घर के सभी उपकरण आसानी से चल सकें। इन्वर्टर यह भी सुनिश्चित करता है कि पैनल, बैटरी और ग्रिड के बीच ऊर्जा का प्रवाह कुशल और संतुलित रहे।

इस तरह, Hybrid Solar Panel सिस्टम उपभोक्ताओं को दिन और रात, दोनों समय बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करता है। यह प्रणाली बिजली कटौती की समस्या को हल करने के साथ-साथ बिजली बिल को कम करने में भी मदद करती है। भारत जैसे उन क्षेत्रों में, जहां बिजली आपूर्ति अनियमित होती है, Hybrid Solar Panel एक आदर्श विकल्प बन गए हैं। यह न केवल ऊर्जा की बचत करता है बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी सहायक है।

  • दिन के दौरान, यदि सोलर सिस्टम का प्रोडक्शन आपके घर की बिजली की जरूरतों से अधिक है, तो अतिरिक्त पावर सोलर बैटरी में जमा हो जाती है और बैटरी पूरी तरह से चार्ज हो जाने के बाद, बिजली स्वचालित रूप से “नेट-मीटरिंग” के माध्यम से सरकारी ग्रिड को निर्यात की जाती है।
  • रात के दौरान, आपके पास ग्रिड और 50% तक बैटरी 2 विकल्प होंगे। यदि आप सरकारी बिजली/ग्रिड चुनते हैं, तो ग्रिड आपके लोड को चलाएगा और बिजली कटौती के मामले में, सोलर बैटरी आपके घर को बिजली देगी। यदि आपके घर में 50% से अधिक बैटरी खपत होती है, तो घर को बिजली देने के लिए अतिरिक्त बिजली ग्रिड से ली जाएगी।

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Hybrid Solar Panel For Home में घटक

Hybrid Solar Panel सिस्टम में चार प्रमुख घटक होते हैं, जो मिलकर इस प्रणाली को प्रभावी और कुशल बनाते हैं। ये घटक सिस्टम के सुचारू संचालन और बेहतर ऊर्जा प्रबंधन के लिए आवश्यक हैं। आइए जानते हैं इन घटकों के बारे में विस्तार से –

  1. सोलर पैनल: सोलर पैनल हाइब्रिड सिस्टम का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो सूर्य की किरणों को डायरेक्ट करंट (DC) बिजली में बदलता है। पैनल में Silicon Cells होते हैं, जो सौर ऊर्जा को कैप्चर कर बिजली उत्पन्न करते हैं। यह बिजली घर की जरूरतों को पूरा करने के लिए उपयोग की जाती है और अतिरिक्त ऊर्जा बैटरी में स्टोर की जाती है।
  2. हाइब्रिड इन्वर्टर: Hybrid Inverter सौर ऊर्जा प्रणाली का दूसरा आवश्यक घटक है। इसका मुख्य कार्य DC (Direct Current) को AC (Alternating Current) में बदलना है, क्योंकि घर के अधिकतर उपकरण एसी करंट पर ही काम करते हैं। इसके अलावा, यह वोल्टेज को नियंत्रित करता है और सौर पैनल, बैटरी और ग्रिड के बीच पावर को सही ढंग से मैनेज करता है।
  3. डीसीडीबी (डायरेक्ट करंट डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स): इस घटक का उपयोग सुरक्षा के लिए किया जाता है। डीसीडीबी कई सोलर पैनल तारों को जोड़कर एक स्ट्रिंग बनाता है और इसे सकारात्मक और नकारात्मक आउटपुट के रूप में कनेक्ट करता है। इसमें फ्यूज, सर्ज प्रोटेक्शन डिवाइस (Surge Protection Device (SPD) और मिनिएचर सर्किट ब्रेकर (Miniature Circuit Breaker (MCB) शामिल होते हैं, जो किसी भी ओवरलोड, शॉर्ट सर्किट या स्पाइक से सुरक्षा प्रदान करते हैं।
  4. चार्ज कंट्रोलर: यह घटक बैटरी की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। चार्ज कंट्रोलर बैटरी में जाने वाली बिजली की मात्रा को नियंत्रित करता है ताकि बैटरी ओवरचार्ज न हो और उसकी लाइफ बढ़ाई जा सके। यह सिस्टम बैटरी को अधिक पावर सप्लाई करने से रोकता है और बैटरी की दीर्घकालिक कार्यक्षमता को बनाए रखता है।

इन चार घटकों के आपसी तालमेल से Hybrid Solar Power Systems काम करता है। यह सिस्टम घर में बिजली की जरूरतों को पूरा करने, अतिरिक्त ऊर्जा को बैटरी में स्टोर करने और बिजली कटौती के दौरान बैकअप पावर देने में सक्षम है।

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भारतीय परिवारों के लिए Hybrid Solar Panel For Home के लाभ

हाइब्रिड सोलर प्रणालियाँ भारतीय घरों और व्यवसायों के लिए कई महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करती हैं, जो इन्हें एक प्रभावी और किफायती ऊर्जा विकल्प बनाती हैं:

  1. बिजली कटौती के दौरान स्थिर आपूर्ति: Hybrid Solar Power Systems उन क्षेत्रों में विशेष रूप से उपयोगी हैं जहां बिजली की कटौती आम बात है। ये प्रणालियाँ बिजली ग्रिड के फेल होने पर भी घरों को निर्बाध बिजली सप्लाई प्रदान करती हैं, जिससे अचानक बिजली जाने पर भी कोई परेशानी नहीं होती।
  2. बिजली बिल में कमी: Hybrid Solar Panel दिन के समय सूर्य से प्राप्त सौर ऊर्जा का उपयोग करते हैं और रात में बैटरी से संचित ऊर्जा का उपयोग किया जाता है। इससे ग्रिड पर निर्भरता कम हो जाती है, और बिजली बिल में उल्लेखनीय कमी आती है, जो लंबे समय में लागत बचत का कारण बनता है।
  3. सौर ऊर्जा का अधिकतम उपयोग: Hybrid Solar Power Systems अतिरिक्त सौर ऊर्जा को बैटरी में स्टोर करते हैं, जिसे बाद में रात के समय या बादल होने पर इस्तेमाल किया जा सकता है। इस तरह से, यह अपव्यय को रोकता है और सौर ऊर्जा की दक्षता को अधिकतम करता है।
  4. पर्यावरण के अनुकूल: हाइब्रिड सोलर प्रणालियाँ सौर ऊर्जा पर निर्भर होकर पर्यावरण में कार्बन उत्सर्जन को कम करती हैं, जिससे स्वच्छ और हरित वातावरण को बढ़ावा मिलता है। यह प्रणाली पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देती है।
  5. दीर्घकालिक निवेश: हालांकि हाइब्रिड सोलर प्रणालियों की शुरुआती लागत थोड़ी अधिक हो सकती है, लेकिन यह समय के साथ अच्छी बचत प्रदान करती हैं। सरकारी प्रोत्साहनों के साथ, यह एक समझदारी भरा और दीर्घकालिक निवेश साबित होता है।

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भारत में उपलब्ध Hybrid Solar Systems के प्रकार

सौर पैनल किसी भी सौर ऊर्जा प्रणाली का मुख्य हिस्सा होते हैं। ये पैनल विशेष फोटोवोल्टिक (पीवी) कोशिकाओं से बने होते हैं, जो सूरज की रोशनी को अवशोषित करके उसे प्रत्यक्ष धारा (डीसी) बिजली में परिवर्तित करते हैं। सौर पैनलों की दक्षता यह निर्धारित करती है कि आप कितनी ऊर्जा उत्पन्न कर सकते हैं, इसलिए उच्च गुणवत्ता वाले पैनल का चयन महत्वपूर्ण है। हाइब्रिड सोलर प्रणालियाँ विभिन्न आकारों और डिज़ाइनों में उपलब्ध होती हैं, जो विभिन्न ऊर्जा आवश्यकताओं और बजट के हिसाब से उपयुक्त होती हैं।

  1. छोटे हाइब्रिड सिस्टम (बेसिक बैटरी स्टोरेज के साथ): ये सिस्टम उन घरों के लिए आदर्श होते हैं, जिनकी ऊर्जा आवश्यकता कम होती है। इन प्रणालियों में छोटी बैटरी होती है जो पावर आउटेज के दौरान थोड़े समय के लिए बैकअप देती है। ये लागत प्रभावी होते हैं और वे घरों के लिए उपयुक्त हैं जो कम निवेश में अपनी ग्रिड निर्भरता को कम करना चाहते हैं।
  2. मिड-रेंज हाइब्रिड सिस्टम (विस्तारित बैकअप के साथ): यह प्रणाली उन घरों या छोटे व्यवसायों के लिए उपयुक्त होती है, जो नियमित रूप से बिजली कटौती का सामना करते हैं। इनमें बड़ी बैटरियां होती हैं, जो कई घंटों तक बैकअप पावर प्रदान करती हैं, जिससे बिजली की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित होती है।
  3. बड़े हाइब्रिड सिस्टम (पूर्ण ऊर्जा स्वतंत्रता के लिए): यह प्रणाली उन लोगों के लिए है जो पूर्ण ऊर्जा स्वतंत्रता प्राप्त करना चाहते हैं। इसमें उच्च क्षमता वाली बैटरी स्टोरेज और उच्च दक्षता वाले सोलर पैनल होते हैं, जो बिना ग्रिड पर निर्भर हुए लंबे समय तक पूरे घर को बिजली प्रदान कर सकते हैं। यह प्रणाली विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्रों या उच्च ऊर्जा की मांग वाले घरों के लिए आदर्श होती है।

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Hybrid Solar Systems स्थापित करने में शामिल चरण

  1. शुरुआत के लिए, आपको अपनी संपत्ति पर बिजली के उपयोग की गणना करनी होगी । सबसे अच्छा चुनने के लिए आपके उपकरणों द्वारा बिजली की खपत का डेटा होना महत्वपूर्ण है।
  2. स्थापना के लिए एक सुरक्षित और स्वच्छ स्थान चुनें , अधिमानतः अच्छी मौसम स्थितियों के साथ अपने नए सौर हाइब्रिड पावर संसाधन का अधिकतम लाभ उठाने के लिए।
  3. एक बार आपने अपना स्थान चुन लिया तो सभी आवश्यक वस्तुएं जैसे सौर पैनल, इनवर्टर, बैटरी, मीटर आदि आपके स्थान पर पहुंचाई जा सकती हैं ।
  4. अपने और अपने उपकरण दोनों की  सुरक्षा के लिए निर्माता के दिशानिर्देशों को अवश्य पढ़ें ।
  5. सोलर पैनल लगाने से पहले बैटरी और इनवर्टर की व्यवस्था की जाती है। जब ये दोनों काम करने लगते हैं, तो सोलर पैनल आपकी छत या आपके द्वारा चुने गए क्षेत्र पर लगा दिए जाते हैं।
  6. एक बार यह कार्य हो जाने के बाद, सौर पैनल बैटरियों, इनवर्टर और कंट्रोलर से जुड़ जाते हैं।

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भारत में Hybrid Solar Systems Installation करने की लागत – Hybrid Solar System Price

भारत में हाइब्रिड सौर प्रणाली स्थापित करने की लागत कई कारकों के आधार पर भिन्न हो सकती है:

  • सिस्टम का आकार: सिस्टम जितना बड़ा होगा, इंस्टॉलेशन उतना ही महंगा होगा। छोटे घरों के लिए Hybrid Solar Power Systems की कीमत लगभग ₹1.5-2 लाख से शुरू हो सकती है, जबकि पूरी तरह से ऊर्जा स्वतंत्रता के लिए डिज़ाइन किए गए बड़े सिस्टम की कीमत ₹5-7 लाख से ज़्यादा हो सकती है।
  • बैटरी क्षमता: बैटरी लागत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। अधिक क्षमता वाली बैटरी, जो अधिक ऊर्जा संग्रहीत करने में सक्षम हैं, कुल स्थापना मूल्य में वृद्धि करेंगी।
  • स्थापना कारक: छत के कोण और स्थान सहित स्थापना की जटिलता भी लागत को प्रभावित कर सकती है। इसके अतिरिक्त, इन्वर्टर का प्रकार और सौर पैनलों की गुणवत्ता भी कीमत को प्रभावित करेगी।

हाइब्रिड सोलर सिस्टम में निवेश करने से आपके बिजली बिल में काफी कमी आएगी। हाइब्रिड सिस्टम की लागत अन्य टाइप के सोलर सिस्टम की तुलना में अधिक होती है, लेकिन यह सिस्टम आपको बिना रुके बिजली आपूर्ति के साथ-साथ इसकी लागत से अधिक रिटर्न देगा। हाइब्रिड सोलर सिस्टम का प्राइस रेंज 1kW सोलर सिस्टम के लिए 1 लाख रुपये से शुरू होता है। भारत में घर और बिजनेस उद्देश्य के लिए 20kW सोलर सिस्टम 15 लाख रुपये तक है।

Solar System Model Selling price Price प्रति वाट
1kW हाइब्रिड सिस्टम रु. 1,06,989 रु. 106.98
2kW हाइब्रिड सिस्टम रु. 1,80,055 रु. 90.02
3kW हाइब्रिड सिस्टम रु. 2,30,967 रु. 76.98
5kW हाइब्रिड सिस्टम रु. 3,83,990 रु. 76.79
10kW हाइब्रिड सिस्टम रु. 7,05,226 रु. 70.52
15kW हाइब्रिड सिस्टम रु. 10,98,286 रु. 73.21
20kW हाइब्रिड सिस्टम रु. 15,25,785 रु. 76.28
  • (सभी टैक्स सहित) प्लेस, पब्लिसिटी, उपलब्धता , और सोलर ब्रांड के आधार पर प्राइस ± 10% से 12% तक डिफरेंट हो सकते हैं।
  • सोलर सिस्टम पर सब्सिडी आपकी योग्यता और सोलर सिस्टम के टाइप पर निर्भर करती है।
  • लेटेस्ट प्राइस और स्टॉक की उपलब्धता  के लिए आप online solar shop या Amazon Store पर जाए

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Hybrid Solar Panel For Home के अंतर्गत सरकारी सब्सिडी और प्रोत्साहन

भारत सरकार सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न प्रोत्साहन और सब्सिडी प्रदान करती है। इन योजनाओं का उद्देश्य अधिक से अधिक लोगों को सौर ऊर्जा अपनाने के लिए प्रेरित करना है। नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) के तहत, Residential Rooftop Solar System स्थापित करने पर घरेलू उपभोक्ताओं को वित्तीय सहायता मिलती है। यदि सोलर पैनल की क्षमता 3 किलोवाट तक है, तो इसमें स्थापना लागत पर 40% तक की छूट दी जाती है। वहीं, 3 किलोवाट से 10 किलोवाट के सोलर सिस्टम पर 20% तक की छूट उपलब्ध होती है। यह सब्सिडी मुख्य रूप से सोलर पैनल और इसके संबंधित उपकरणों पर लागू होती है, लेकिन इसमें बैटरी स्टोरेज की लागत शामिल नहीं होती।

इस प्रकार की सब्सिडी सौर ऊर्जा को सस्ता और सुलभ बनाती है, जिससे घरों में सौर ऊर्जा की स्थापना बढ़ रही है। हालांकि, इस छूट का लाभ उठाने के लिए कुछ शर्तें भी होती हैं, जैसे कि सरकारी मानकों के अनुसार सिस्टम की स्थापना और इसे प्रमाणित कर्ता द्वारा इंस्टॉल किया जाना। इसलिए, सोलर पैनल लगाने से पहले इन योजनाओं और शर्तों के बारे में सही जानकारी प्राप्त करना महत्वपूर्ण है। सोलर सिस्टम ने भारत को सबसे आगे लाने के लिए सरकार सोलर पर भारी सब्सिडी दे रही है। आप किसी भी राज्य में सब्सिडी पर सोलर सिस्टम लगवा सकते हैं।

  • 1kW सोलर सिस्टम – 3kW सोलर सिस्टम = 40% सब्सिडी
  • 4kW सोलर सिस्टम – 10kW सोलर सिस्टम = 20% सब्सिडी

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Hybrid Solar Panel System For Home के तहत रखरखाव

हाइब्रिड सौर प्रणालियों को इष्टतम प्रदर्शन सुनिश्चित करने के लिए नियमित रखरखाव की आवश्यकता होती है। यहाँ कुछ प्रमुख रखरखाव कार्य दिए गए हैं:

  1. सौर पैनल की सफाई: सौर पैनलों पर धूल, गंदगी और मलबा जमा हो सकता है, जिससे उनकी कार्यक्षमता कम हो जाती है। नियमित सफाई सुनिश्चित करती है कि वे अधिकतम सूर्यप्रकाश प्राप्त करें और बेहतर प्रदर्शन करें।
  2. बैटरी रखरखाव: सिस्टम की दीर्घायु सुनिश्चित करने के लिए बैटरी की देखभाल आवश्यक है। समय के साथ गिरावट को रोकने के लिए बैटरी के स्वास्थ्य, वोल्टेज स्तर और प्रदर्शन की समय-समय पर जांच आवश्यक है।
  3. इन्वर्टर रखरखाव: इन्वर्टर हाइब्रिड सिस्टम का दिल है, इसलिए इसे अच्छी कार्यशील स्थिति में रखना महत्वपूर्ण है। ज़्यादातर इन्वर्टर मॉनिटरिंग सिस्टम के साथ आते हैं जो घर के मालिकों को समस्या होने पर सचेत करते हैं, जिससे समस्याओं का समय रहते समाधान करना आसान हो जाता है।

उचित रखरखाव किए जाने पर, हाइब्रिड सौर प्रणालियां 20-25 वर्ष तक चल सकती हैं, तथा उपयोग के आधार पर हर 5-10 वर्ष में बैटरी बदलने की आवश्यकता होती है।

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Hybrid Solar Power Systems के लिए उपयोगी स्थान

हाइब्रिड सोलर पावर सिस्टम का उपयोग कई प्रकार के स्थानों और विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है, जो इसकी बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाता है।

  1. ऑटोमोटिव: ऑटोमोटिव क्षेत्र में, Hybrid Solar Power Systems का इस्तेमाल आंतरिक दहन इंजन के साथ किया जा सकता है। जब सूर्य की रोशनी उपलब्ध हो, तो सोलर पैनल से ऊर्जा का उपयोग किया जा सकता है, जबकि आवश्यकता पड़ने पर आंतरिक दहन इंजन को सक्रिय किया जा सकता है। इससे ईंधन की खपत कम होती है और पर्यावरण पर कम प्रभाव पड़ता है।
  2. विनिर्माण प्रक्रिया: बहुत से उद्योगों में भारी मात्रा में बिजली की आवश्यकता होती है। हाइब्रिड सोलर पावर सिस्टम का इस्तेमाल करके, कंपनियां अपनी बिजली आपूर्ति का एक हिस्सा सौर ऊर्जा से प्राप्त कर सकती हैं, जिससे वे ग्रिड पर निर्भरता को कम कर सकती हैं और अपने उत्पादन की लागत को भी कम कर सकती हैं।
  3. स्मार्ट ग्रिड: स्मार्ट ग्रिड सिस्टम वर्तमान में सबसे अधिक उपयोग किए जाने वाले पावर ग्रिड सिस्टम में से एक है। इन ग्रिड्स में ऊर्जा के विभिन्न स्रोतों से स्विच करने के लिए Hybrid Solar Power Systems का उपयोग किया जाता है। चूंकि स्मार्ट ग्रिड्स में डिजिटल और उन्नत तकनीक का इस्तेमाल होता है, इसलिए हाइब्रिड सिस्टम इन ग्रिड्स में ऊर्जा स्रोतों को ऑटोमेटिकली रेगुलेट करने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।

साथ ही, उच्च गुणवत्ता वाले कस्टम डिज़ाइन और सौर समाधान आपकी ऊर्जा जरूरतों के लिए सबसे उपयुक्त और लागत-कुशल विकल्प प्रदान करते हैं। एक सही Hybrid Solar Power Systems आपके घर या व्यवसाय के लिए अधिकतम दक्षता सुनिश्चित करता है। इसके लिए, अपने सौर ऊर्जा विकल्पों का मूल्यांकन करना और सही निवेश करना महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञ आपकी सौर जरूरतों को समझकर आपको सबसे अच्छा और लाभकारी समाधान प्रदान कर सकते हैं।

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ऑन-ग्रिड, ऑफ-ग्रिड और हाइब्रिड सोलर पावर सिस्टम में अंतर

विशेषता ऑन-ग्रिड सिस्टम ऑफ-ग्रिड सिस्टम हाइब्रिड सिस्टम
परिभाषा बिजली ग्रिड से जुड़ा होता है और अतिरिक्त ऊर्जा को ग्रिड में भेजता है। पूरी तरह से स्वतंत्र होता है और बैटरी का उपयोग करके बिजली स्टोर करता है। ग्रिड से भी जुड़ा होता है और बैटरी में बिजली स्टोर भी करता है।
ग्रिड कनेक्शन हां (ग्रिड से जुड़ा) नहीं (ग्रिड से स्वतंत्र) हां (ग्रिड और बैटरी दोनों से जुड़ा)
बैटरी की आवश्यकता आवश्यक नहीं आवश्यक (बिजली स्टोर करने के लिए) आवश्यक (पावर बैकअप के लिए)
बिजली कट जाने पर काम काम नहीं करता (बिजली कटने पर बंद हो जाता है) काम करता है (बैटरी से बिजली मिलती है) काम करता है (बैटरी बैकअप के जरिए)
शुरुआती लागत कम (बैटरी की आवश्यकता नहीं) अधिक (बैटरी सिस्टम की लागत अधिक होती है) सबसे अधिक (बैटरी और ग्रिड सिस्टम दोनों की लागत)
पावर बैकअप नहीं (बिजली कटने पर सिस्टम बंद हो जाता है) हां (बैटरी से बैकअप मिलता है) हां (बैटरी से बैकअप मिलता है)
अतिरिक्त ऊर्जा उपयोग ग्रिड में भेजी जाती है और क्रेडिट मिलता है उपयोगकर्ता द्वारा उपयोग की जाती है ग्रिड में भेजी जाती है और बैकअप के लिए स्टोर होती है
रखरखाव कम (बैटरी नहीं होने के कारण) उच्च (बैटरी की नियमित रखरखाव की आवश्यकता) मध्यम (बैटरी और ग्रिड दोनों की देखरेख आवश्यक)
उपयुक्त स्थान जहां बिजली ग्रिड उपलब्ध हो जहां बिजली ग्रिड उपलब्ध नहीं हो जहां ग्रिड और बैकअप दोनों की आवश्यकता हो
प्रयोग के उदाहरण शहरों और शहरी इलाकों में दूरदराज के ग्रामीण इलाकों में शहरों और ऐसे इलाकों में जहां बिजली कटौती होती है

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1. ऑन-ग्रिड सोलर पावर सिस्टम

ऑन-ग्रिड सिस्टम बिजली ग्रिड से जुड़ा होता है। जब सौर पैनल अतिरिक्त बिजली उत्पन्न करते हैं, तो उसे ग्रिड में भेज दिया जाता है और आपको बिजली बिल में क्रेडिट मिलता है।

उदाहरण:

  1. शहरी इलाकों में घर और फ्लैट्स
    • मान लीजिए, आपका घर शहर में है और आपके पास 5kW का ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम लगा हुआ है।
    • दिन के समय, आपके सोलर पैनल 6kW बिजली उत्पन्न कर रहे हैं, लेकिन घर की खपत सिर्फ 4kW है।
    • बची हुई 2kW बिजली ग्रिड में भेज दी जाती है और आपको बिजली कंपनी से क्रेडिट मिलता है, जिसे आपके मासिक बिल से घटा दिया जाता है।
    • रात में, जब सोलर पैनल बिजली नहीं बना रहे होते, तो आप ग्रिड से बिजली लेते हैं और इसका चार्ज आपके क्रेडिट से एडजस्ट हो जाता है।

कब उपयुक्त है?

  • जहां बिजली ग्रिड पहले से उपलब्ध हो।
  • जब आप बिजली के बिल को कम करना चाहते हैं।

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2. ऑफ-ग्रिड सोलर पावर सिस्टम

ऑफ-ग्रिड सिस्टम पूरी तरह से स्वतंत्र होता है। इसमें बैटरी का उपयोग किया जाता है ताकि दिन के समय उत्पन्न अतिरिक्त बिजली को बैटरी में स्टोर किया जा सके और रात में उसी से बिजली ली जा सके।

उदाहरण:

  1. दूरदराज के ग्रामीण इलाकों में घर
    • एक गाँव में बिजली की ग्रिड उपलब्ध नहीं है।
    • वहाँ एक किसान ने 3kW का ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम लगवाया।
    • दिन में सौर पैनल से 4kW बिजली उत्पन्न हुई, जिसमें से 2kW का उपयोग खेत में मोटर चलाने के लिए किया गया और बाकी 2kW बिजली बैटरी में स्टोर कर दी गई।
    • रात में किसान घर की लाइट्स, पंखे और मोबाइल चार्जर के लिए इस बैटरी की बिजली का उपयोग करता है।
    • यहां बिजली ग्रिड की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि ऑफ-ग्रिड सिस्टम पूरी तरह से आत्मनिर्भर है।

कब उपयुक्त है?

  • जहां बिजली ग्रिड उपलब्ध नहीं है।
  • जहां बिजली कटौती अक्सर होती है और बैकअप की आवश्यकता होती है।

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3. हाइब्रिड सोलर पावर सिस्टम

हाइब्रिड सिस्टम ग्रिड और बैटरी दोनों से जुड़ा होता है। जब सोलर पैनल से बिजली उत्पन्न होती है, तो उसका उपयोग सबसे पहले घर की जरूरत के लिए होता है। बची हुई बिजली बैटरी में स्टोर होती है और उसके बाद ग्रिड में भेजी जाती है।

उदाहरण:

  1. शहरों में बड़े घर और ऑफिस
    • किसी शहर में एक ऑफिस है, जिसमें 10kW का Hybrid Solar Power Systems लगा है।
    • दिन में ऑफिस की खपत 8kW है और सोलर पैनल 12kW बिजली उत्पन्न कर रहे हैं।
    • इस स्थिति में, 8kW बिजली सीधे ऑफिस के उपकरणों को चलाने में उपयोग होती है।
    • बचे हुए 4kW में से 2kW बैटरी में स्टोर कर ली जाती है और बाकी 2kW ग्रिड में भेज दी जाती है।
    • रात के समय, जब सोलर पैनल बिजली नहीं बना रहे होते, तो ऑफिस पहले बैटरी से बिजली लेता है। अगर बैटरी खत्म हो जाए, तो वह बिजली ग्रिड से लेता है।

कब उपयुक्त है?

  • जहां बिजली ग्रिड उपलब्ध हो, लेकिन बिजली कटौती भी होती हो।
  • जहां बिजली बैकअप की भी आवश्यकता हो, जैसे कि ऑफिस, अस्पताल, और बड़े घरों में।
सिस्टम ग्रिड से कनेक्शन बैटरी की आवश्यकता बिजली कटौती में काम करता है? कहां उपयुक्त है?
ऑन-ग्रिड हां नहीं नहीं (कटौती होने पर बंद) शहरी इलाकों में घर और ऑफिस
ऑफ-ग्रिड नहीं हां हां (कटौती का कोई प्रभाव नहीं) ग्रामीण इलाकों और दूरदराज के क्षेत्रों में
हाइब्रिड हां हां हां (कटौती के दौरान बैटरी काम करती है) शहरों में बैकअप आवश्यक होने पर

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